होम > प्रजा अधीन > अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

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इसीलिए ये “ सुप्रीम कोर्ट लोकपाल को सज़ा देंगे “ उतना ही बेकार है जितना कि “हाई-कोर्ट भ्रष्ट सांसदों को सज़ा देंगे” का प्रावधान/क़ानून है |

इसीलिए हमें `राईट टू रिकाल-भ्रष्ट लोकपाल/प्रजा अधीन-भ्रष्ट लोकपाल के साथ जनलोकपाल की धाराएं/खंड की मांग करनी चाहिए |

*(“सुप्रीम-कोर्ट के द्वारा प्रयोग/इस्तेमाल की जाने वाले अधिकारों की सीमा ,जब वो अन्याय का पीछा करता है , आसमान जितनी ऊंची है,सुप्रीम-कोर्ट की एक बेंच/खंडपीठ ने कहा है “

http://www.thehindu.com/news/national/article2288114.ece  )

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2) क्यों जनलोकपाल बिना दांत का (बेकार ) होगा ,बिना नागिकों के द्वारा भ्रष्ट लोकपाल को निकालने/बदलने के अधिकार के ?

दोस्तों, भ्रष्टाचार और रिश्वत देना का पता चल जाता है , और स्पष्ट/साफ़ होता है लेकिन उसका कोई सबूत नहीं होता 99% मामलों में |

इसीलिए यदि,लोकपाल सदस्य भ्रष्ट हो जायें, और कोई शिकायत है , तब सुप्रीम-कोर्ट के जज जांच का आदेश देंगे |

लेकिन कौन ऐसा मूर्ख होगा जो करोड़ों की रिश्वत लेकर , अपने बैंक के खाते में रखेगा? सुप्रीम-कोर्ट कभी भी अपराध साबित नहीं कर पायेगी | क्यों ? कोई सबूत नहीं होगा |

लेकिन यदि नागरिकों के पास भ्रष्ट लोकपाल सदस्य को बदलने का अधिकार हो , `प्रजा अधीन-लोकपाल/राईट टू रिकाल-लोकपाल` के आने से,  नागरिकों को भ्रष्टाचार का पता लग जाये लेकिन कोई साबुत नहीं हो तो भी | कोई भी जांच नहीं, कोई कमिटी नहीं, कोई देरी नहीं—जब करोड़ों लोग बोलेंगे तो सामूहिक दबाव बनेगा और लोकपाल को बदलना पड़ेगा |

आम नागरिकों को सत्ता |

3) 65 सालों से , आप ( नेता , उच्च वर्ग और उनके एजेंट बुद्धिजीवी) बोल रहे हैं ` अभी नहीं , बाद में ` जब भी लोग `आम नागरिकों द्वारा भ्रष्ट को बदलने/सज़ा देने के अधिकारों` की मांग करते हैं |

65 साल पहले , एम.एन.रॉय ने ऐसी प्रक्रियाएँ/तरीकों की मांग की थी |

लेकिन एक नेता जिसका नाम नेहरु है,ने भ्रष्ट जजों और जमीन-मालिकों के साथ, बड़ी बेशर्मी से  एक लोक-तांत्रिक प्रक्रिया/तरीका हटा दिया जिसका नाम `उरी सिस्टम` था बजाय कि उसको मजबूत करने के |तब नेताओं ने बोला `अभी नहीं` |

फिर, 1970 के दशक में, ज.पी.नारायणन ने भी ये मांग की थी, लेकिन आप ने बोला`अभी नहीं` |फिर , 2004 में राजीव दिक्सित और दूसरों लोगों ने सूचना अधिकार कमिश्नर के लिए ` भ्रष्ट सुचना अधिकार-कमिश्नर को नागरिकों द्वारा बदलने के अधिकार ` की मांग की, लेकिन जवाब आया `अभी नहीं` |

आप अब सच बोल क्यों नहीं देते `देश को बाढ़ में जाने दो , हम ऐसी प्रक्रियाओं/तरीकों का विरोध करते हैं जिससे आम नागरिकों को भ्रष्ट को बदलने/सज़ा देने का अधिकार मिले |`

4) हम पुलिस कमिश्नर,कलक्टर,मंत्रियों, सांसदों,जजों आदि के भ्रष्टाचार से लड़ रहे हैं |

यदि “लोकपाल बिना राईट टू रिकाल-लोकपाल/प्रजा अधीन-लोकपाल “ पास होता है, तो हम एक और संस्था के भ्रष्टाचार से लड़ना पड़ेगा —- लोकपाल सदस्यों के भ्रष्टाचार से !!

इसीलिए यदि आपको केवल लड़ने के लड़ना अच्छा लगता है, तो `बिना राईट टू रिकाल-लोकपाल के जनलोकपाल` को समर्थन करें |

लेकिन यदि आपका उदेस्श्य भ्रष्टाचार कम करना है, और सार्थक रूप से ये लड़ाइयां कम करना चाहते हैं ताकि हम कुछ ऐसा काम कर सकें जो आम जनता के फायदे का हो , तो कृपया `राईट टू रिकाल-लोकपाल के खंड/धाराओं के साथ लोकपाल/जनलोकपाल  बिल ` को समर्थन करें

 

32.12  कुछ सुझाव `प्रजा अधीन-राजा`कार्यकर्ताओं के लिए `प्रजा अधीन-राजा`-विरोधी लोगों के  समय-बर्बादी योजना से  निबटने/पेश आने  के लिए

जैसे कि `प्रजा अधीन-राजा` के प्रक्रियाएँ/तरीके/ड्राफ्ट को ज्यादा स्वीकृति मिलती है, `प्रजा अधीन-राजा`-विरोधी लोग कोशिश करेंगे कि `प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ताओं का समय बरबाद करने के लिए बेकार के बहस में , ताकि `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्ट-तरीके/प्रक्रियाएँ ज्यादा फैलें नहीं |

इसीलिए कुछ सुझाव दे रहा हूँ , कि किस तरह बहस करना चाहिए `प्रजा अधीन-राजा ` के प्रक्रियाओं/तरीकों पर –

1) आज के प्रक्रियाओं/तरीकों को प्रस्तावित प्रक्रियाओं/तरीकों से तुलना करनी चाहिए और देखना चाहिए कि कैसे वे देश को फायदा या नुकसान करती हैं, कोई परिस्थिति में –

`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी ये कोशिश करेंगे `प्रजा अधीन-राजा` कि कमियाँ बताने के लिए | वे बहस को एक-तरफा  करने कि कोशिश करेंगे , यानी कि `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्ट के कमियां ही कि बात हो ,बिना वर्त्तमान(आज के ) सिस्टम से या उनके पसंद के कानूनों से तुलना करने के |

2) कृपया सभी को अपना रूख साफ़ करने के लिए कहें किसी मुद्दे या ड्राफ्ट-क़ानून पर (अभी, अगले जन्म में नहीं) |

बिना `प्रजा अधीन-राजा`-विरोधी के अपना रुख साफ़ किये , बहस करना समय की बर्बादी है |

उदाहरण – `क्या आप/वे समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं `जनलोकपाल बिना राईट टू रिकाल-भ्रष्ट लोकपाल /प्रजा अधिना-भ्रष्ट लोकपाल के खंड/धाराएं का ?

यदि वे कहते है-कि वे उसका विरोध करते हैं, तो पूछें कि वे क्या कर रहे  हैं , उसका समर्थन करने के लिए ?

यदि वे कहते हैं कि वे उसका समर्थन कर रहे हैं, तो उनको कहें उन खंड/धाराओं को कॉपी पेस्ट करने के लिए , जो जनलोकपाल बिल/क़ानून में हैं, जिसके द्वारा लोकपाल रिश्वत लेने और विदेशी बैंकों में जमा करने से रोक सकती हैं और देश को विदेशी कम्पनियाँ आदि, सबसे ज्यादा रिश्वत देने वाले को बेच देंगे | कृपया खंड/धाराएं डालने पर जोर दें क्योंकि धाराओं के बिना , `प्रजा अधीन-राजा`-विरोधी जानबूझ कर या अनजाने में, गलत तथ्य/बातें बता सकते हैं , जो क़ानून के धाराओं/खंड में नहीं लिखी गयी हैं , उदाहरण., वे कहते हैं कि जनलोकपाल बिल/क़ानून के अनुसार `आम नागरिक लोकपाल को निकाल सकते हैं |` लेकिन सच्चाई ये है, कि कोई भी , सुप्रीम कोर्ट के जज के आदमी सहित /समेत, एक याचिका डाल सकता है , जिसके बाद सुप्रीम-कोर्ट जज फैसला करेंगे कि लोकपाल को निकालना है कि नहीं |

यदि वे खंड/धाराएं दिखाते हैं जो कहती हैं कि सुप्रीम-कोर्ट के जज भ्रष्ट लोकपाल को निकालेंगे , तो पूछें कि सभी शक्तियों/अधिकारों वाले सुप्रीम-कोर्ट के जज क्यों भ्रष्ट सांसद ,मंत्रियों को उचित सज़ा नहीं दे रहे और सुप्रीम-कोर्ट के जज, यदि ईमानदार भी हुए तो भी लोकपाल को बिना सबूतों के सज़ा नहीं दे पाएंगे | क्योंकि विदेशी/स्विस बैंक, स्विस-बैंक खातों और  लेन-देन की जानकारी नहीं देंगे |

श्रेणी: प्रजा अधीन