होम > प्रजा अधीन > अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

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3) लोकपाल स्वतंत्र होगा, नेताओं से कोई प्रभावित नहीं होगा, सारा सिस्टम पारदर्शी होगा –

सच्चाई- लोकपाल हमेशा जजों , जो लोकपाल को निकाल सकते हैं , के धमकियों के प्रभाव में रहेगा| नेताओं और विदेशी कंपनियों का जजों पर नियंत्रण होता है और उनके द्वारा ,लोकपाल  ,उनके प्रभाव में रहेगा |

4) जनलोकपाल की शिकायत प्रणाली(सिस्टम)- जैसे की पहले लिखा गया है, जनलोकपाल में शिकायत डालने के लिए किसी को एफ.आई.आर लिखवाना होगा और फिर उस इफ.आई.आर को लोकपाल को भेजना होगा , शिकायत के साथ  लोकपाल अपनी वेबसाइट पर हर महीने , सारी शिकायतों का सारांश वेबसाइट पर रखेगा |

सच्चाई- लोकपाल शिकायतों के साथ छेड-छाड कर सकता है बड़ी आसानी से और ऐसी शिकायोतों को दबा सकता है जो लाखों लोगों की है |लोकपाल केवल शिकायतों का केवल सारंश और संक्षिप्त रूप ही दे सकता है और लोकपाल कह सकता है कि उसने मामले की जांच की है, भले उसने जांच की हो या नहीं की हो | ऐसा इसीलिए क्योंकि लोकपाल के पास सर्वाधिकार रहेगा | ऐसा  हो सकता है कि किसी बढ़ी शिकायत की सुनवाई ना करे जो करोड़ों लोगों की हो और जिनके पास महेंगे/बड़े वकील न हों| लोकपाल ऐसी शिकायत परदेरी भी कर सकता है ,उसे महत्वहीन /गैर-जरूरी बताते हुए |

और भी अन्य झूठ बोले जा रहे हैं | इसलिए कृपया पूरा बिल पढ़ें , क्योंकि पूरा बिल पास होना है |

कुल मिलाकर, विदेशी कम्पनियाँ सफल हुई हैं, लोगों को गलत रास्ते पर ले जाने के लिए | ये मुख्य रूप से इसीलिए हुआ क्योंकि नेताओं और कार्यकर्ता-नेताओं ने कार्यकर्ताओं को सही रास्तों की तरफ देखने से रोका | जब ऐसे नेता आस-पास हों , तो विदेशी कंपनियों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी है , भारत पर नियंत्रण/शाशन करने , उसको गुलाम बनने के लिए और देश के 99% लोगों को लूटने के लिए |

श्रेणी: प्रजा अधीन