होम > प्रजा अधीन > अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

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इसी तरह, छोटे-मध्यम व्यापारी बिक्री-कर/उत्पादन शुल्क आदि टैक्स/कर की चोरी करने में सफल हो जाता है, उस जगह भ्रष्टाचार होने के कारण, लेकिन विदेशी कम्पनियाँ 5-10 गुना ज्याद खर्चा करते हैं , क्योंकि उन्हें दलालों को बहुत हिस्सा देना पड़ता है | इसी लिए निचले स्तर की भ्रष्टाचार भारत के लिए लाभ/फायदा करेग , केवल तभी , यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्रियों,सुप्रीम कोर्ट और हाई-कोर्ट के जजों, सचिवों का भ्रष्टाचार कम हो तो | यदि मंत्रियों, जजों, आदि का भ्रष्टाचार वैसा ही रहता है और निचले स्तर का भ्रष्टाचार कम हो जाता है, तो इससे भारत देश को कोई फायदा नहीं होगा )

 

32.9 क्या अन्ना राईट टू रिकाल(जनलोकपाल) के बारे में गंभीर है , और क्या जनलोकपाल/लोकपाल केवल टाइम-पास है ?

मान लीजिए मेरा समय बुरा है और मैंने आपसे एक लाख रुपये उधार लिए हैं | फिर मान लीजिए के मेरा समय बदल कर अच्छा हो जाता है , और आप मेरे से पैसे वापस देने के लिए कहते हैं| मैं आप को तुरंत एक लाख का एक चेक देता हूँ , लेकिन उसपर हस्ताक्षर करना भूल जाता हूँ| आप मेरे पास पचासों बार आते हैं और याद दिलाते हैं , लेकिन हर बार मैं चेक पर हस्ताक्षर करने से मना कर देता हूँ और कहता हूँ कि मैंने चेक तो आपको दे दिया है और आप का सारा पैसा दे दिया है |

हर बार ,जब मैं आप को चेक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहता हूँ, तो आप कहते हैं “ क्या मैंने तुम्हें चेक नहीं दिया ?अब मुझे तरीका सम्बन्धी विवरण(जानकारी) और तकनिकी जानकारियां बता कर परेशान मत करो , आदि आदि | तो ऐसे में आप के पास , मेरे द्वारा दिया गया एक लाख का चेक है ,और उस चेक पर कोई हस्ताक्षर नहीं है !

आप उस चेक के बारे में क्या कहोगे ? आप मेरी पैसा लौटाने की नियत के बारे में क्या कहेंगे ? क्या आप मुझे ढोंगी/पाखंडी कहेंगे ?

उसी तरह अन्ना हजारे राईट टू रिकाल के ढोल इतनी जोरों से पीटता है कि बदल का गरजना भी कम पढ़ जाये | लेकिन अन्ना जी जनलोकपाल/लोकपाल ड्राफ्ट में राईट टू रिकाल-लोकपाल/प्रजा अधीन-लोकपाल के खंड डालने से मना करते हैं | बिकी हुई मीडिया (अखबार, टी.वी आदि) उनकी ये पोल नहीं खोलती है , और इसीलिए बहुत से लोगों को ये नहीं पता कि अन्ना ने राईट टू रिकाल-लोकपाल के खण्डों का विरोध किया है | क्या वो अगले जन्म में ये खंड डालेंगे ? ये मुझे नहीं पता | लेकिन अभी , अन्ना ने कोई भी रूचि नहीं दिखाई है प्रजा अधीन-लोकपाल/राईट टू रिकाल-लोकपाल के खंड डालने के लिए जनलोकपाल ड्राफ्ट में | तो आप अन्ना हजारे के नियत के बारे में क्या कहते हैं ? कृपया आप ये लेख सब को बांटें |और मैं `इंडिया अगेंस्ट कर्र्रप्शन` के कार्यकर्ताओं से विनती करूँगा कि अन्ना इस इमानदारी से पूछें कि प्रजा अधीन-लोकपाल/राईट टू रिकाल-लोकपाल पर अपना रुख स्पष्ट/साफ़ करें मीडिया के सामने | अन्ना क्यों मीडिया को नहीं कहते कि वे राईट टू रिकाल-लोकपाल/प्रजा अधीन-लोकपाल का विरोध करते हैं , जब वो असल में राईट टू रिकाल-लोकपाल की कलमों का विरोध कर रहे हैं ?

इसी तरह अन्ना ने जनलोकपाल बिल में `पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम)` के खंड डालने से मना कर दिया है , जो एक नागरिक को कोई मौजूदा शिकायत के साथ अपना नाम जोड़ने देता है , ताकि उसकी शिकायत ना दबे कोई नेता,बाबू, जज या मीडिया द्वारा और उसे नयी शिकायत डालने के लिए उसका धन बचे | ये ही है अन्ना की गरीब व्यक्तियों के लिए हमदर्दी !!

टाइम-पास जन लोकपाल बिल पर और जानकारी

1. दिसम्बर-2010 में, अन्ना ने जनलोकपाल क़ानून के लिए मांग की | फरवरी-2010 तक , उन्होंने कानों की मांग की| मार्च-2010 के मध्य में, उन्होंने पलती मारी और समिति/कमीटी की मांग की !!! दूसरे शब्दों में टाइम-पास जून-जुलाई अन तक |

2. उसके बाद सांसदों ने और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने महीनो तक चर्चा की| अब , अन्ना कहते हैं कि वे दोबारा अनशन करेंगे यदि उनकी मांगें पूरी नैन हुई अगस्त-15 तक |

आशा करते हैं कि उनकी मांगें पूरी हो जायें |

3. फिर बिल में लिखा है कि वो 4 महीनों बाद लागू होगा पारित होने के बाद !! तो ये एक और 4 महीनों का टाइम-पास |

4. फिर बिल में लिखा है कि उप-राष्ट्रपति चुनाव समिति बनायेंगे और उप-राष्ट्रपति पर कोई समय-सीमा नहीं है | उसे महीनों लग सकते हैं चुनाव समिति बनने के लिए |

5. क्या चुनाव समिति 11 लोकपाल की नियुक्ति तुरंत कर देगी? नहीं | जनलोकपाल बिल में लिखा है कि चुनाव समिति एक खोज-समिति बनाएगी !! फिर, चुनाव्व समिति को महीनों-महीनों लग सकते हैं खोज समिति चुनने के लिए |

6. खोज समिति कई 100 की सूचि/लिस्ट को छांट कर 33 उम्मीदवार चुनेगी | फिर से , अन्ना का जनलोकपाल इसके लिए कोई समय सीमा नहीं देता | इस तरह खोज समिति को महीनों-महीनों लग सकते हैं |

7.खोज समित इन 33 में से 11 चुनेगी | फिरसे कोई समय सीमा नहीं दी गयी है और ये भी एक टाइम-पास है | यदि 3-4 सदस्यों ने एक मिली-भगत बना ली और 33 नामों का विरोध किया , तो सभी चुने हुए नाम रद्द कर दिए जाएँगे !!

8. इसके बाद लोकपाल आयेंगे और उनको छह महीने लग जाएँगे दफ्तर जमाने में और स्टाफ /कर्मचारियों की भर्ती करने में |

तो कुल मिलकर, हमारे पास कुछ नहीं , एक 2 सालों से लेकर दर्जों साल तक टाइम-पास ही है |

कोई हैरानी नहीं की सोनिया गाँधी ने अन्ना हजारे की मांगों को मान लिया क्योंकि ये टाइम-पास था | और कोई हैरानी नहीं कि सोनिया ने 5000 पुलिसवालों को रामदेवजी के समर्थकों को आधी रात को पीटने के लिए कहा और मंडप को जला देने के लिए कहा | क्योंकि रामदेव जी ने कहा “ मुझे काम चाहिए , समिति नहीं” जबकि अन्ना ने कहा कि मुझे (टाइम-पास) समितियां ही चाहिए |

 

32.10 मुझ सताया गया है , इसीलिए मेरा प्रस्तावित क़ानून सही है !!

इतिहास को समझने के लिए सबसे अच्छा तरीका वर्त्तमान(आज) को समझना है |

श्रेणी: प्रजा अधीन