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अध्याय 33 – बांग्‍लादेशियों के भारत आने को कम करने और उन्‍हें निष्‍कासित करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्‍ताव

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 बांग्‍लादेशियों के भारत आने को कम करने और उन्‍हें निष्‍कासित करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्‍ताव

 

(33.1) बांग्‍लादेशी घुसपैठ की समस्‍या

 
सम्पूर्ण पूर्वोत्‍तर अलग हो जा सकता है और लाखों भारतीय (वर्ष 1947 की तरह) मारे जा सकते हैं यदि बांग्‍लादेशियों का आना जारी रहा। इसलिए असमवासियों को बचाने और असम को भारत का हिस्‍सा बनाए रखने के लिए बांग्‍लादेशियों को रोकना बहुत जरूरी है।

 

 

(33.2) बांग्‍लादेशी घुसपैठ पर सभी राजनैतिक दलों का रूख / उनकी राय

 

कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी/बीजेपी और भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी/सीपीएम जैसी अधिकांश पार्टियों ने अवैध घुसपैठ रोकने के लिए कुछ भी नहीं करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस ने अपने 45 से ज्‍यादा वर्षों के शासनकाल में इस समस्‍या को कम करने के लिए पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) तक लागू नहीं किया। मैं कांग्रेस, बीजेपी और सीपीएम के सभी समर्थकों से विनती करता हूँ कि वे यह महसूस करें कि यदि और जब पूर्वोत्‍तर बांग्‍लादेश का हिस्‍सा बन गया और लाखों भारतीयों का वर्ष 1947 की ही तरह फिर से कत्‍लेआम हुआ तो इन भ्रष्‍ट कांग्रेस, सीपीएम और बीजेपी के नेताओं को उनके द्वारा वोट देना भी इसका एक कारण होगा। और ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ को समर्थन देने से उनका इनकार करना उनकी `न माफ की जाने वाली`(अक्षम्‍य) गलती थी।

‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके, `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के सदस्‍य के रूप में, मैं निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के साथ-साथ “कर्मचारी और भुगतान का प्रकटीकरण/खुलासा करने संबंधी कानून” को लागू करने का प्रस्‍ताव करता हूँ। इन दोनों कानूनों से एक वर्ष में ही नए घुसपैठ (की घटना) कम होकर आज (की स्‍थिति) की तुलना में 1 प्रतिशत रह जाएगी। और ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके, मैं जूरी आधारित कोर्ट बनाने का प्रस्‍ताव करता हूँ जो वर्तमान घुसपैठियों की नागरिकता पर निर्णय करेगा। यदि एक बार कुछ अवैध परदेशियों(आप्रवासियों) को जेल में डाला गया तो बहुत से दूसरे (आप्रवासी) आना/घुसपैठ करना बन्‍द कर देंगे।

 

(33.3) बाड़ लगाने का बेकार / व्‍यर्थ समाधान

 

बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम के नेतागण नागरिकों को अपने द्वारा बनवाये जा रहे बाड़ों को दिखलाकर भटका/भ्रमित कर रहे हैं। मैं बाड़ लगाने का समर्थन करता हूँ क्‍योंकि इससे आतंकवाद कम हो सकता है। लेकिन हम चाहते हैं कि नागरिकगण ध्‍यान दें कि बाड़ लगाने से घुसपैठ की घटनाओं में 1 प्रतिशत की भी कमी नहीं आ सकती है। आज बांग्‍लादेशी भारत में घुसने के लिए जमीन के रास्‍ते का प्रयोग/उपयोग कर रहे हैं क्‍योंकि जमीन के रास्‍ते आना सस्‍ता है। लेकिन समुद्र के किनारे-किनारे के रास्‍ते आना भी आसान होने के साथ-साथ जरा सा भी महंगा नहीं है। इसलिए यदि एक बार जमीन/धरती वाले रास्‍ते पर बाड़ लगा दी गई तो बांग्‍लादेशी भारत में घुसने के लिए समुद्र के किनारे-किनारे के रास्‍ते का प्रयोग करने लगेंगे !! फिर क्‍या हम भारत के पूरे समुद्री रास्‍ते पर अथवा बंगाल के ही पूरे समुद्री रास्‍ते पर बाड़ लगा सकेंगे? हम ऐसा नहीं कर सकते। इसलिए यदि धरती के रास्‍ते पर/जमीनी रास्‍ते पर बाड़ लग भी जाता है तो भी अवैध घुसपैठ/आप्रवास की घटना में 1 प्रतिशत की भी कमी नहीं आएगी।

और कनाडा, स्‍वीडेन, नॉर्वे, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, न्‍यूजीलैण्‍ड आदि देशों पर विचार कीजिए जिन्‍होंने अवैध आप्रवास की समस्‍या को अत्‍यधिक कम कर लिया है। इन पश्‍चिमी देशों ने अवैध घुसपैठ/आप्रवास की इस समस्‍या का समाधान करने का जो तरीका अपनाया है, वह है – उन मालिकों को दण्‍ड देना जो अवैध लोगों को रोजगार देते हैं। अमेरिकी सरकार अपने यहां की लागत कम रखने के लिए चाहती है कि अवैध परदेशी(आप्रवासी) लोग वहां आएं और इसलिए अमेरिकी सरकार ने अपने यहां के उन मालिकों को सजा देने का कोई कानून नहीं बनाया है जो अवैध लोगों को काम पर रखते हैं। लेकिन अमेरिका अवैध घुसपैठ/आप्रवास का भार सह सकता है क्‍योंकि उसे अवैध आप्रवासियों से किसी भी प्रकार का सुरक्षा अथवा अलगाववाद(एक देश से अलग होकर दूसरा देश बनाना) संबंधी खतरा नहीं है और इनसे अमेरिका को आर्थिक लाभ भी प्राप्‍त होता है, लेकिन कनाडा, जर्मनी, आदि जैसे देश जो चाहते हैं कि अवैध परदेशी(आप्रवासी) न आएं, उन देशों ने ऐसे कानून बनाए हैं कि जिसमें मालिकों के लिए अपने कर्मचारियों के पहचान-पत्र का खुलासा करना/सरकार को बताना जरूरी है। और ये देश उन मालिकों को दण्‍ड/सजा देते हैं जो ऐसी सूचनाएं छिपाते हैं। यह (कानून) संगठित क्षेत्र के मालिकों को अवैध कर्मचारियों को काम पर रखने से रोकता है और अवैध घुसपैठ/आप्रवास को कम करता है।

 

(33.4) बांग्‍लादेशियों के घुसपैठ को कम करने और इन्हें देश से बाहर निकालने के लिए नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम.आर.सी.एम.)समूह की मांग और वायदा

 

1.    राष्‍ट्रीय निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) व नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) लागू की जाए।

2.    एक सरकारी आदेश का प्रारूप/ड्राफ्ट तैयार किया जाए कि मालिकों को अपने सभी कर्मचारियों के निजी पहचान-पत्र की रिपोर्ट करना जरूरी होगा।

3.    जूरी प्रणाली(सिस्टम) लागू की जाए ताकि किसी मालिक को तब कैद की सजा मिले जब वह अपने अवैध बंगलादेशी या अन्य परदेशी कर्मचारियों के संबंध में सूचनाएं छिपाए।

4.    जूरी की सुनवाई में यह निर्णय किया जाए कि कोई आरोपी व्‍यक्ति (भारत का) नागरिक है या अवैध परदेशी(आप्रवासी) है।

पहले तीन प्रस्‍तावों पर मैंने पहले चर्चा की है। इसके अगले से अगले भाग(33.6) में मैंने चौथे प्रस्‍ताव के विवरण की विस्‍तृत व्‍याख्‍या की है।

 

 

(33.5) डी.एन.ए. आंकड़ों (डाटा) का प्रयोग करके वंश / परिवार वृक्ष बनाना

मान लीजिए, वर्ष XXXX की 1 जनवरी को सरकारी कंप्यूटर सिस्टम में 3 महीने से अधिक उम्र के हर व्‍यक्‍ति का डी.एन.ए. के आंकड़े(डाटा) दर्ज है। अब प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति से उसके संबंधियों/रिश्‍तेदारों के नाम, पहचान-पत्र देने के लिए कहा जा सकता है। इन जानकारियों को कंप्यूटर सिस्टम में डालने के बाद और डी.एन.ए. के आंकड़े(डाटा) का प्रयोग करके संबंधों को वास्‍तव में बहुत हद तक जांच द्वारा सही ठहराया जा सकता है। माता-पिता – बच्‍चे का 50 प्रतिशत डी.एन.ए. साझा/एक समान होगा, पोते-पोतियों का 50 प्रतिशत से ज्‍यादा डी.एन.ए. साझा/एक समान होगा और माता-पिता में से केवल एक साझा वालों का भी 25 प्रतिशत डी.एन.ए. बराबर/साझा होगा, पोते-पोतियों और दादा-दादियों का 25 प्रतिशत डी.एन.ए. साझा होगा और चचेरे भाई/बहन का 25 प्रतिशत डी.एन.ए. साझा होगा, इत्‍यादि, इत्‍यादि। इन आंकड़ों( डाटा) का प्रयोग करके किसी व्‍यक्‍ति के अनेक निकट रिश्‍तेदारों का जांच द्वारा सही ठहराया जा सकेगा। किसी व्‍यक्‍ति के रिश्‍तेदारों की संख्‍या जितनी ज्‍यादा होगी, उसके परदेशी(आप्रवासी) होने की सम्भावना/अवसर उतने ही कम होंगे। इस प्रकार `जांच द्वारा सही ठहराए गए(सत्यापित)` रिश्‍तेदारों की सूचना का प्रयोग करके कई अवैध बांग्‍लादेशी जिनके कुछ ही या एक भी रिश्‍तेदार (भारत में) नहीं हैं, उनकी सही पहचान करके उन्‍हें आसानी से अलग किया जा सकेगा।

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