होम > प्रजा अधीन > अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

अध्याय 32 – `जनता द्वारा राईट टू रिकाल-लोकपाल` – लोकपाल को विदेशी कंपनियों के एजेंट बनने से रोकने के लिए जरूरी है `भ्रष्ट लोकपाल को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`

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विदेशी कंपनियों को जनलोकपाल चाहिए ताकि उनको केवल 11 जनलोकपाल को रिश्वत या प्रभावित करने होगा और उनको हज़ारों आई.ऐ.एस(बाबू), पुलिसकर्मी,जज को रिश्वत नहीं देनी पड़ेगी | हर जिले के आई.ऐ.एस(बाबू),पोलिस-कर्मी,जजों,पार्टियों के 10-15 प्रधान/मुखिया/प्रमुख/अध्यक्ष होते हैं और कुछ 50-75 प्रधान ,हर राज्य में होते हैं | कुल मिलाकर कुछ 10,000 जिले स्तर के प्रधान और कुछ 2000 राज्य स्तर के प्रधान हैं| इनको संभालने के लिए , विदेशी कंपनियों और ईसाई धर्म-प्रचारकों को `राडिया` के तरह के बिचौलिए चाहिए, जो 200-500 % अपना हिस्सा/मुनाफा रखते हैं | लेकिन एक बार 11 जनलोकपाल आ जाते हैं, विदेशी कंपनियों और मिशनईसाई धर्म-प्रचारकों) को केवल 11 जनलोकपाल को ही रिश्वत देनी पड़ेगी और सारे 10,000 जिले स्तर के नेता/आई,ऐ.एस(बाबू)/पोलिस-कर्मी/जज और 2000 राज्य या राष्ट्रिय स्तर के नेता/आई.ऐ.एस/पोलिस-कर्मी/जज ,इन 11 जनलोकपाल के नीचे आ जाएँगे और भारतीय प्रशासन पर पूरा नियंत्रण/शाशन कर पाएंगे अपने एजेंटों द्वारा |

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कई सालों से ,मैं सभी भारत-समर्थक/शुभ-चिन्तक लोगों को बोल रहा हूँ कि ऐसे कानून-ड्राफ्टों की चर्चा करें और पढ़ें जिनके द्वारा वे भारतीय प्रशासन को ठीक कर सकते हैं और सभी साथी नागरिकों को ऐसे कानों-ड्राफ्ट के बारे में बताएं | लेकिन , दुःख कि बात है, कि बहुत कम लोगों ने मुझे सुना | ज्यादातर भारत-समर्थक/शुभ-चिन्तक नागरिकों ने  अपने नेता की बात को सुना, जिन्होंने जोर दिया कि क़ानून-ड्राफ्टों को छोड़ देना चाहिए और इसके बदले हम को ये चीजों पर ध्यान देना चाहिए –

1. राष्ट्रिय चरित्र/व्यवहार बनाना –इसका जो भी मतलब है ( आर.एस.एस का विषय/मुद्दा)

2. नागरिकों को योग, प्राणायाम, आयुर्वेद के बारे में बताना ( भारत स्वाभिमान न्यास  का विषय/मुद्दा)

3. केवल कांग्रेस के खिलाफ नफरत फैलाना (भा.जा.पा. का विषय/मुद्दा)

4. सदस्य बनाना और दान लेना (आर.एस.एस ,भा.जा.प् , भारत स्वाभिमान का विषय/मुद्दा)

5. आध्यात्मिक उन्नति (आर्ट ऑफ लिविंग और अन्य अआध्यत्मिक संस्थाएं)

6. शिक्षा, पर्वावरण (अलग-अलग स्वयं सेवी संस्थाएं)

7.चुनाव जित्त्ने पर ध्यान (आर. एस.एस, भा.जा.पा.,आदि पार्टियां)
आदि ,आदि  | कुल मिलाकर, 24 घंटे हर दिन, 7 दिन हर हफता , सभी चीजें करें , लेकिन ,एक मिनट भी नहीं लगाएं ड्राफ्ट को पड़ने में , या अन्य नागरिकों को ड्राफ्ट के बारे में |

और सालों से ,मैं ये सुझाव दे रहा हूँ कार्यकर्ताओं को नागरिकों को बोलें कि प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री को मजबूर करें कि अच्छे(और कम बुरे) कानूनों को लागू करने के लिए जो भारत की समस्याएं को कम करता है | कौन सांसद, विधायक ,प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री, आदि बनता है , वो इतना जरूरी/महत्वपूर्ण नहीं होना चाहिए |
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इस तरह कानूनों में सुधार नहीं आया , नागरिकों का गुस्सा बढ़ता गया और इससे विदेशी कम्पनियाँ/ईसाई मिशनों(प्रचारक) को ये “ जनलोकपाल बिना राईट टू रिकाल-लोकपाल जनता द्वारा` को लाने के लिए प्रयोजन करने के लिए | हमें क्यों मुश्किल हो रही है “ जनलोकपाल राईट टू रिकाल-लोकपाल नागरिकों द्वारा के साथ “ का प्रचार करने के लिए ? इसीलिए नहीं कि `राईट टू रिकाल` मुश्किल है समझाने के लिए या समझने के लिए | इसलिए कि कार्यकर्त्ता-नेता बोल रहे हैं कार्यर्ताओं को कि क़ानून-ड्राफ्ट पर ध्यान नहीं दो |

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दशकों से , भारत में माध्यम वर्ग/दर्जे के लोग ,को कष्ट झेलना पड़ रहा है , केवल भ्रष्टाचार से ही नहीं, बल्कि देरी, समय की बर्बादी, और एक सामान्य अनिश्चितता महसूस होती है जब भी सरकारी दफ्तर और कोर्ट जाते हैं |  निचले वर्ग/दर्जे के लोगों को भी ये हर समय सामना करना पड़ता है और इसके अलावा, अत्याचार भी सहना पड़ता है | कार्यकर्ता हर समय उन कानूनों के लिए प्रचार करने के लिए तैयार रहते हैं जो ,इस समस्या को कम कर दे | लेकिन कार्यकर्त्ता-नेता कार्यकर्ताओं को “ठहरो और देखो” के लिए कर पाए और इसीलिए कार्यकर्ताओं ने केवल ठहरा और देखा ,और क़ानून-ड्राफ्ट के लिए प्रचार नहीं किय , जो भ्रष्टाचार, कष्ट, अनिश्चितता, अत्याचार आदि को कम कर सकते थे | इसीलिए गुस्सा बढ़ता गया |
विदेशी कम्पनियाँ और ईसाई मिशन/धर्म-प्रचारकों ने अपने टी.वी. चैनलों को तैनात किया , इस गुस्से को सांसदों केतारफ मोड़ने के लिए और उन पर दबाव डालने के लिए , एक ऐसे क़ानून पास करने के लिए जो विदेशी कंपनियों और ईसाई धर्म-प्रचारकों का भारत पर नियंत्रण को और बढ़ाएगा | कोई देख सकता है कि घंटों-घंटों टी.वी चैनलों ने दिए हैं , जनलोकपाल को बढ़ावा करने में और उन लोगों का प्रचार करने के लिए जो जनलोकपाल का समर्थन करते हैं | भारत के कितने लोग अन्न को मार्च-2011 में जानते थे  ? कुछ 20% लोग महाराष्ट्र में जानते थे और बाकी भारत में केवल 0.1% ही लोग जानते थे | लेकिन अन्ना ने जनलोकपाल का समर्थन किया और विदेशी कंपनियों ने उसे मोहनभाई-2 बना दिया | और अन्ना जी असल में मोहनभाई-2 ही है, क्योंकि मोहनभाई (गांधी) का प्रचार अभियान के लिए पैसे भी अंग्रेजों(उस समय के विदेशी कम्पनियाँ) द्वारा ही किया गया था |

और इस तरह जनलोकपाल का खेल है कि लोगों के गुस्से का प्रयोग/इस्तेमाल करना , सांसदों को मजबूर करना एक ऐसे क़ानून को लागू करने के लिए, जो विदेशी कंपनियों और ईसाई धर्म-प्रचारकों को ज्यादा आसानी से भारत पर नियंत्रण/शाशन करने दे |

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इन सब के लिए मीडिया और `इंडिया अगेंस्ट कोर्रुप्शन के नेताओं`  द्वारा बहुत सारे झूठ बोले जा रहे हैं|

उनमें से कुछ ये हैं , सच्चाई के साथ –

1)  शिकायत निवारण प्रणाली आने से आप का राशन कार्ड सही बनेगा , रोड सही बनेगी आदि आदि |

सच्चाई – ये सब अधिकार मंत्रियों के पास भी है , लेकिन भ्रष्ट मंत्रियों के पास इन सब के लिए समय नहीं है ,वे विदेशी कंपनियों से रिश्वत लेकर विदेशी गुप्त खाते में रखने में व्यस्त हैं | ऐसे ही लोकपाल भी भ्रष्ट हो कर करेगा |

2) हांगकांग जैसा स्वतंत्र लोकपाल सिस्टम हमारे देश में लाया जा रहा है , जिससे भ्रष्टाचार कम होगा |

सच्चाई- हांगकांग में लोकपाल स्वतंत्र नहीं है, विधान सभा द्वारा चुनी जाती है और निकाले जाते हैं |

और हांगकांग में भ्रष्टाचार का कम होने का असली कारण लोकपाल जैसा क़ानून नहीं, मजबूत किया गया जूरी सिस्टम है | 1997 के बाद वहाँ जूरी सिस्टम को मजबूत किया गया और भ्रष्टाचार कम हुआ है | वहाँ का लोकपाल फेल है क्योंकि वहाँ लोकपाल के अध्यक्ष को ही जूरी ने भ्रष्ट पाया |और जिन देशों में जूरी सिस्टम नहीं है और केवल लोकपाल है, वहाँ पर भ्रष्टाचार बढ़ा जैसे फिलिपिन |

श्रेणी: प्रजा अधीन