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प्रजा अधीन राजा समूह का दूसरा प्रस्ताव – नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) |
(5.1) मात्र 3 लाइन का यह जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली गरीबी को 4 महीने में ही कैसे कम कर सकता है? |
मान लीजिए आप के पास एक किराये का मकान है और आप ने उसको किराये पर दिया है, तो फिर किराया किसको जाना चाहिए, आपको या सरकार को ? आप कहेंगे कि आप को जाना चाहिए | ऐसे ही आप को यदि पूछें कि यदि एक मकान जिसके दस बराबर के मालिक हैं , किराये पर दिया है, तो किराया किसको जाना चाहिए ? आप कहेंगे कि दस मालिकों को बराबर-बराबर किराया जाना चाहिए | इसी तरह यदि कोई बहुत बड़ा प्लाट हो , जिसके 120 करोड़ मालिक हैं ,यानी पूरा देश मालिक है और वो किराये पर दिया है ,तो उसका किराया पुरे देश वासियों ,120 करोड़ लोगों में बराबर-बराबर बटना चाहिए |
ऐसे प्लाट हैं जिसके 120 करोड़ मालिक हैं? जी हाँ , आई आई एम ए प्लॉट, जे एन यू प्लॉट, सभी यू जी सी प्लॉट, अहमदाबाद एयरपोर्ट प्लॉट, सभी एयरपोर्टों के प्लॉट और हजारों ऐसे भारत सरकार के प्लॉटों से मिलने वाला जमीन का किराया और भारत के सभी खनिजों, कोयला और कच्चे तेल से मिलने वाली सारी रॉयल्टी हम भारत के नागरिकों और हमारी सेनाओं को जानी चाहिए किसी और को नहीं।
और यह रॉयल्टी व किराया सीधे ही मिलना चाहिए किसी योजना या स्कीम के जरिए नहीं। एक तिहाई हिस्सा सेना को जाना चाहिए देश की रक्षा के लिए और बाकी दो तिहाई नागरिकों को बराबर-बराबर बटना चाहिए | एक अनुमान से यदि ऐसा होता है तो हर एक नागरिक को लगबग 400-500 रुपये महीना मिलेगा जिससे देश की गरीबी कम हो जायेगी |
जिस दिन नागरिक प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने को बाध्य करने में सफल हो जाते हैं, उसी दिन मैं जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट को शपथपत्र/एफिडेविट के तौर पर जमा करवा दूँगा । नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) प्रस्ताव क्या है? इस क़ानून-ड्राफ्ट /प्रारूप में एक प्रशासनिक तरीके/प्रक्रिया को बताया गया है जिससे राष्ट्रीय स्तर के अधिकारी हर नारिक को लगभग 500 रूपए (कम या अधिक हो सकता है) प्रति महीने भेज सकेंगे |
अब बताएं कि कितने करोड़ नागरिक, आप समझते हैं, १०० % नैतिक लगभग 500 रूपए (कम या अधिक हो सक्ता है) प्रति महीने नहीं लेना चाहते हैं? मैं मानता हूँ कि 40 करोड़ से ज्यादा नागरिक 100 प्रतिशत नैतिक रूपए चाहते हैं। और इसलिए जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली यह सुनिश्चित करेगा कि प्रधानमंत्री नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्ट/प्रारूप पर हस्ताक्षर करने को बाध्य हैं। और जब एक बार नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर हो जाता है तो हम आम नागरिकों में से हर एक नागरिक को हर महीने 500 रूपए (कम या ज्यादा हो सकता है) के लगभग मिलेगा। और इस प्रकार गरीबी कम होगी ।
क्या नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्ट पारित करवाने के लिए जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट का भी होना जरूरी है?
यदि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) समर्थक संसद में बहुमत मिलने तक इंतजार करने और तब नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) लागू करने पर अड़ जाता है तो ऐसी संभावना है कि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) समर्थक को हमेशा के लिए इंतजार ही करते रहना पड़ेगा क्योंकि पहले तो उन्हें संसद में बहुमत नहीं मिलेगा। और इससे भी बुरा होगा कि यदि उन्हें बहुमत मिल जाता है तो (इस बात की संभावना है) उनके अपने ही सांसद बिक जाएंगे और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्ट पारित करने से मना कर देंगे ।
उदाहरण के लिए वर्ष 1977 में जनता पार्टी के सांसदों ने चुनाव से पहले वायदा किया था कि वे प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल कानून लागू करेंगे और चुन लिए जाने के बाद, बाद में उन्होंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल कानून पास करने से मना कर दिया। इसलिए मेरे विचार से, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) कार्यकर्ताओं को जनता की आवाज (सूचना का अधिकार – 2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट /प्रारूप पर जन-आन्दोलन पैदा करने पर ध्यान लगाना चाहिए और जनता की आवाज (सूचना का अधिकार – 2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट पारित करवाना चाहिए न कि चुनाव में जीतने तक इंतजार करना चाहिए ।
(5.2) नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्ट – संक्षेप में (छोटे में) |
आई आई एम ए प्लॉट, जे एन यू प्लॉट, सभी यू जी सी प्लॉट, अहमदाबाद एयरपोर्ट प्लॉट, सभी एयरपोर्टों के प्लॉट और हजारों ऐसे भारत सरकार के प्लॉटों से मिलने वाला जमीन का किराया और भारत के सभी खनिजों, कोयला और कच्चे तेल से मिलने वाली सारी रॉयल्टी हम भारत के नागरिकों और हमारी सेनाओं को जानी चाहिए किसी और को नहीं। और यह रॉयल्टी व किराया सीधे ही मिलना चाहिए किसी योजना या स्कीम के जरिए नहीं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए भारत सरकार के प्लॉटों से मिलने वाला किराया और खनिज रॉयल्टी दिसम्बर, 2008 में 45 हजार करोड़ रूपया थी ।
तब हम लोगों द्वारा प्रस्तावित कानून के मुताबिक 15 हजार करोड़ रूपया सेना को जाएगा और लगभग 500 रूपया प्रत्येक भारतीय नागरिक के पोस्ट-आफिस या बैंक खाते में सीधे ही जाएगा। यदि हरेक नागरिक महीने में एक या दो बार खाते से पैसा निकालता है तो भी इसके लिए भारत भर में 1,50,000 से ज्यादा क्लर्कों की जरूरत नहीं पड़ेगी। वर्तमान राष्ट्रीयकृत बैकों के पास 6,00,000 से ज्यादा क्लर्क हैं । इसलिए पैसे का वितरण कर पाना संभव है । नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्ट से होने वाले सीधे धन वितरण से हर साल प्रति व्यक्ति को 6000 रूपए से ज्यादा की आय हो सकती है अथवा जमीन या घर की कीमत कम हो सकती है ।