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अध्याय 5 – प्रजा अधीन राजा समूह का दूसरा प्रस्ताव – नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (आमदनी)

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4.10

राष्‍ट्रीय भूमि किराया अधिकारी (एन एल आर ओ)

60 वर्ष से उपर के पुरूषों और 55 वर्ष से उपर की महिलाओं को 33 प्रतिशत ज्‍यादा किराया मिलेगा और यह 75 साल से उपर के पुरूष एवं 70 साल से उपर की महिलाओं के लिए 66 प्रतिशत ज्‍यादा मिलेगा।

4.11

राष्‍ट्रीय भूमि किराया अधिकारी (एन एल आर ओ)

7 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए कोई किराया नहीं दिया जाएगा, 7 से 14 वर्ष के बीच की उम्र वालों के लिए सामान्‍य का चौथाई और 14 से 18 वर्ष  के बीच के उम्रवालों के लिए सामान्‍य रूप से भुगतान किए गए किराए का दो तिहाई होगा।

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सैक्शन 5: खनिज रॉयल्‍टी(आमदनी) का कलेक्‍शन/ जमा करना

5.1

सभी विभागों के सचिव

विभागों के वे सभी सचिव जिनके पास खादानों अथवा कच्‍चे तेल के कुओं का प्रभार है या जो खादानों अथवा कच्‍चे तेल के कुओं से रॉयल्‍टी जमा कर रहे हैं, उन्हें एकत्र किए गए/ वसूल किया गया रॉयल्‍टी राष्‍ट्रीय भूमि किराया अधिकारी (एन एल आर ओ) के पास भेजने का आदेश दिया जाता है।

5.2

राष्‍ट्रीय भूमि किराया अधिकारी (एन एल आर ओ)

राष्‍ट्रीय भूमि किराया अधिकारी (एन एल आर ओ) रॉयल्‍टी को सेना, राज्‍य में रहने वाले नागरिकों, भारत के नागरिकों के बीच उसी अनुपात में वितरित करेगा जिस अनुपात में जमीन के किराए के वितरण से संबंधित अध्‍यादेश/सरकारी आदेश में जमीन किराया बांटने के संबंध में उल्‍लेख है।

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सैक्शन 6: जनता की आवाज़

6.1

जिला कलेक्‍टर

 यदि कोई नागरिक इस कानून में कोई बदलाव चाहता है तो वह जिलाधिकारी/डी सी के कार्यालय में जाकर एक एफिडेविट जमा करा सकता है और डी सी या उसका क्लर्क उस एफिडेविट को 20 रूपए प्रति पेज का शुल्‍क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।

6.2

तलाटी (या

पटवारी)

यदित कोई नागरिक इस कानून या इसकी किसी धारा के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह उपर के खंड/कलम में प्रस्‍तुत किसी एफिडेविट पर हां – नहीं दर्ज कराना चाहे तो वह अपने वोटर आई कार्ड के साथ तलाटी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्‍क देगा। तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद/पावती देगा। यह हां – नहीं प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाला जाएगा।

 

(5.12) कृपया सेना और नागरिक के लिए खनिज रायलटी (एम.आर.सी.एम) कानून, जिसका प्रस्‍ताव मैंने किया है, उसके अंतिम दो धाराओं / खंड पर ध्‍यान दो

कृपया उपर लिखित प्रस्‍तावित क़ानून-ड्राफ्ट के अंतिम दो खंड/कलम पर ध्‍यान दीजिए । ये दो खंड/कलम जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम))  के अलावा कुछ नहीं है । मेरे प्रत्‍येक क़ानून-ड्राफ्ट में दो पंक्‍तियों को दोहराया गया है। यह दोहराव क्‍यों है? सांकेतिक मूल्‍यों को एक ओर छोड़िए, इस दोहराव का राजनैतिक महत्‍व भी है। यह हो सकता है कि एक `नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी `(एम आर सी एम) कार्यकर्ता को सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) विरोधी बुद्धिजीवियों से लड़ाई लड़नी पड़े ।

तब `नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी` (एम आर सी एम) कार्यकर्ता उसे इस कानून का वैसा क़ानून-ड्राफ्ट उपलब्‍ध कराने की चुनौती दे सकता है जो वह चाहता है और तब उनसे 6.1 और 6.2 की लाइने जोड़ने को कह सकता है। यदि विरोधी पक्ष अंतिम दो लाइनों को जोड़े जाने का विरोध करता है तो उसपर आम आदमी का विरोधी होने का आरोप लगाया जा सकता है। और यदि वह इन दो पंक्‍तियों के जोड़े जाने को स्‍वीकार करता है तब परिणामस्‍वरूप उसका प्रस्तावित कानून इस जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली को लागू करेगा जिसका उपयोग करके ` नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी `(एम आर सी एम) कानून जनता की हां का उपयोग करके लाया जा सकता है।

दो लाइनों का यह जोड़ दर्शाता है कि जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के लिए मांग केवल कोई दोहराई गयी सकारात्‍मक संकल्‍पना ही नहीं है बल्‍कि जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) एक ऐसा कानून है जिसे किसी भी अन्य कानून में जोड़ा जा सकता है और यदि एक बार यह कानून जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) कानून के साथ जोड़कर पारित हो जाए तो इन दोनो कलमों  को उन सभी 200 कानूनों को लाने/लागू करने में उपयोग  में लाया जा सकता है जिसका प्रस्ताव मैने किया है।

जनता की आवाज स्‍वयं पैदा करने वाला (सेल्‍फ जरमिनेटिंग) प्रस्‍ताव है अर्थात यदि सभी कानून गलत ही हैं, लेकिन एक कानून के साथ जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का दो खंड/कलम भी है तो सभी अच्छे कानूनों को लागू किया जा सकता है।और यह दो पंक्‍तियो का जोड़ा जाना किसी भी अलोकतांत्रिक कानून को बाहर का रास्‍ता दिखलाने के लिए पर्याप्‍त है । क्‍योंकि यदि किसी अलोकतांत्रिक कानून में ये दो पंक्‍तियां शामिल हैं तो इसे कुछ ही दिनों या कुछ ही सप्‍ताह के में नागरिकों द्वारा नकार दिया जाएगा।

 

(5.13) 110 करोड़ नागरिकों को भुगतान भेजने में आनेवाली लागत

जमीन का किराया और खदान की रॉयल्‍टी 110 करोड़ आम लोगों तक भेजना कितना आसान/कठिन है? इस काम को यूनिवर्सल बैंकिंग प्रणाली (जिसे विस्‍तार से बाद में बताया जाएगा) का उपयोग करके किया जा सकता है जिसमें प्रत्‍येक नागरिक के पास केवल और केवल एक ही नागरिक एकाउन्‍ट, भारतीय स्‍टेट बैंक ( अथवा किसी सरकारी बैंक या पोस्‍ट-आफिस) की उसकी अपनी पसंद की शाखा में होगा। राष्‍ट्रीय भूमि किराया अधिकारी (एन एल आर ओ) द्वारा भेजी गई राशि नागरिक के खाते में जमा की जा सकती है और इससे रकम सप्‍ताह में ज्‍यादा से ज्‍यादा एक बार सौ रूपए के गुणक के रूप में अधिकतम 1000 रूपया प्रति माह निशुल्‍क निकाला जा सकता है ।

खाता धारक को फोटो वाली पासबुक और हस्‍ताक्षरित और अंगुठा लगा चेक लाना होगा जिसे बैंक में कैशियर और कैमरे के सामने प्रस्‍तुत करना होगा। इस अत्‍यन्त प्रतिबंधित प्रक्रिया से कोई कैशियर प्रति घंटे 30 भुगतान अथवा अपने आठ घंटे की ड्यूटी के दौरान 200 लोगों को और एक महीने में 5000 लोगों को भुगतान कर सकता है। इस तरह, 110 करोड़ नागरिकों को प्रति माह एक बार भुगतान करने के लिए भारतीय स्‍टेट बैंक को 110 करोड़/ 5000 = लगभग 220,000 कैशियर की जरूरत पड़ेगी ।

श्रेणी: प्रजा अधीन