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अध्याय 15 – प्रिय कार्यकर्ता, क्‍या आपकी कार्रवाई पर्याप्‍त और क्‍लोन पॉजिटिव है ?

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2.    कार्यकर्ताओं को नागरिकों को यह बताना होगा कि वे मुख्‍यमंत्री, प्रधानमंत्री, महापौर और सरपंच से कहें कि वे इस क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्‍ताक्षर कर दें। हस्ताक्षर द्वारा, सरकारी अधिसूचना(आदेश) द्वारा कई क़ानून-ड्राफ्ट आ सकते हैं और आते हैं |

3.    सबसे महत्‍वपूर्ण : हम लोगों का लक्ष्‍य चुनाव जीतने के तरीके से प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट लागू करवाना नहीं है बल्‍कि वर्तमान प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्रियों और महापौरों पर दबाव डालकर प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट लागू करवाना है।

4.    कार्यकर्तागण कानून प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में जानकारी नागरिकों तक पहुंचाने के लिए इस पुस्‍तक में बताए गए हर उपाय अपना सकते हैं।

ऊपर लिखित तरीका पर्याप्‍त और क्‍लोन पॉजिटिव है और (3) इसका सबसे महत्‍वपूर्ण भाग है। यदि लक्ष्‍य चुनाव जीतकर व्‍यवस्‍था में परिवर्तन लाने का है तो यह तरीका निराशाजनक रूप से धोखा देने वाला और क्‍लोन निगेटिव है। और यह पांच साल के इंतजार का समय लगा देगा। और यदि लक्ष्‍य चुनाव का इंतजार किए बिना लेकिन वर्तमान महापौरों, मुख्‍यमंत्री, प्रधानमंत्री पर, कानून-ड्राफ्टों पर हस्‍ताक्षर करने का दबाव बनाकर व्‍यवस्‍था में परिवर्तन लाने का है तो यह तरीका क्‍लोन पॉजिटिव है और इसमें इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा।

“बिना किसी नेता के” और “बिना किसी संगठन के” – ये दो महत्‍वपूर्ण बातें हैं । यदि पूरा आन्‍दोलन किसी एक या कुछेक नेताओं के नेतृत्‍व में चलेगा तो पहले से जमे हुए/स्‍थापित भारतीय और विदेशी विशिष्ट/ऊंचे लोग इन नेताओं को मार देंगे, मजबूर कर देंगे अथवा घूस दे देंगे अथवा नेताओं को झूठे आरोपों में फंसाकर उनकी छवि बरबाद कर देंगे। फिर भी यदि हजारों अथवा लाखों कार्यकर्ताओं के पास केवल क़ानून-ड्राफ्ट ही मद/विषय होगा तब भारतीय अथवा विदेशी विशिष्ट/ऊंचे लोग यह समझ जाएंगे कि नेताओं को मारना अथवा घूस दे देने का तरीका उन्‍हें जरा भी मदद करने वाला नहीं है।

नेता रहित व्‍यापक जन आन्‍दोलन में क़ानून-ड्राफ्ट ही नेता होता है और नागरिकगण उपनेता होते हैं । ये नागरिक प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट बदल सकते हैं और इस प्रकार नेता को बदल सकते हैं लेकिन यह नेता अपने आप को नहीं बदल सकता और न ही बाद में भ्रष्‍ट बन सकता है।

कानून ड्राफ्टों के लिए नेता रहित (व्‍यापक) जन-आन्‍दोलन क्‍लोन पॉजिटिव है। कैसे?

 

“क़ानून-ड्राफ्ट के लिए नेता-रहित आन्‍दोलन” क्‍लोन पॉजिटिव है क्‍योंकि अनेक लोग एक ही मांग अथवा विभिन्‍न कानूनों की मांग के लिए इसमें शामिल होते हैं। वे एक दूसरे को कमजोर नहीं करते,एक दूसरे को काटते नहीं बल्‍कि उनकी ताकत बढ़ा देते हैं ।

उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्री और प्रजा अधीन- प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन-  मुख्‍यमंत्री व प्रजा अधीन-जजों आदि कानून-ड्राफ्टों पर हस्‍ताक्षर करने के लिए दबाव ड़ालने के मेरे प्रस्‍तावित नेता-रहित व्‍यापक आन्‍दोलन पर विचार कीजिए। मैंने इस व्‍यापक आन्‍दोलन को खड़ा करने के लिए अनेक कार्रवाइयों का प्रयोग किया है और मैंने इन कार्रवाइयों को विस्‍तार से पहले के पाठों में बतलाया है जिसका शीर्षक है – “प्रति सप्‍ताह केवल एक घंटा का समय देकर आप भारत में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को लाने में मदद कर सकते हैं।”

मैं यह समझा सकता हूँ कि प्रत्‍येक कार्रवाई क्‍लोन पॉजिटिव है। इस पाठ में मैं इसमें से कुछ मदों के बारे में बताउंगा।

  1. मान लीजिए मैं लोकसभा का चुनाव लड़ता हूँ जिसमें मेरा लक्ष्‍य चुनाव जीतना नहीं है बल्‍कि ज्‍यादा से ज्‍यादा नागरिकों को यह बताना है कि वे वर्तमान सांसद, विधायक और मेयर/महापौर आदि से कहें कि वे प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्री और जजों पर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) लागू कर दें। मान लीजिए, समाचारपत्र विज्ञापनों आदि का उपयोग करके मैंने 1,00,000(एक लाख) नागरिकों से सम्‍पर्क किया और उन्‍हें प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्री और जजों/न्‍यायाधीशों पर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून-ड्राफ्टों के बारे में जानकारी दी। मान लीजिए, एक और व्‍यक्‍ति उसी चुनाव क्षेत्र में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून-ड्राफ्टों पर चुनाव लड़ता है। तब उसके प्रयासों के चलते यह जानकारी कई हजार ज्‍यादा मतदाताओं तक पहुंचेगी और इस प्रकार प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों के आने/लागू होने की संभावना बढ़ जाएगी। अब यह तो हो सकता है कि हम दोनों एक दूसरे का वोट काट दें लेकिन चूंकि हमारा लक्ष्‍य चुनाव जीतना नहीं है बल्‍कि नागरिकों को यह बताना हमारा लक्ष्‍य है कि वे वर्तमान प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्रियों आदि पर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून पारित करने का दबाव डालें और इस लक्ष्‍य की प्राप्‍ति के लिए हम दोनों उम्‍मीदवारों द्वारा सकारात्‍मक तरीके से काम किया गया है।  इस प्रकार, वर्तमान प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्रियों आदि पर किसी क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्‍ताक्षर करने का दबाव बनाने के लिए चुनाव लड़ना क्‍लोन पॉजिटिव है। जबकि चुनाव में खड़े किए गए उम्‍मीदवार को जीताने के लक्ष्‍य के साथ चुनाव लड़ना और फिर यह आशा करना कि वह उम्‍मीदवार प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल कानून लागू कर देगा, यह क्‍लोन निगेटिव है।

  2. मान लीजिए, यदि मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट की जानकारी देना वाली पर्चियां/ पम्‍फलेट्स बांट रहा हूँ। यदि एक और कार्यकर्ता ऐसी ही पम्‍फलेट्स बांटता है तो प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल कानूनों पर हस्‍ताक्षर होने की संभावना बढ़ जाएगी।

  3. अब, मान लीजिए, कोई कार्यकर्ता समूह क़ानून-ड्राफ्ट के लिए प्रचार कर रहा है और एक और कार्यकर्ता समूह आता है और क़ानून-ड्राफ्ट के लिए प्रचार अभियान शुरू करता है। तब या तो कार्यकर्ता समूह प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट को अपने क़ानून-ड्राफ्ट में शामिल कर सकता है या कार्यकर्ता समूह प्रारूप को अपने क़ानून-ड्राफ्ट में शामिल कर सकता है या कोई तीसरा कार्यकर्ता समूह आएगा और एक प्रारूप प्रस्‍तुत करेगा जिसमें प्रारूप और प्रारूप दोनो की बातें शामिल होंगी । और यह डर कि कार्यकर्ता क़ानून-ड्राफ्ट अपने में जोड़ लेगा या कार्यकर्ता क़ानून-ड्राफ्ट अपने क़ानून-ड्राफ्ट में जोड़ लेगा अथवा यह डर कि कार्यकर्ता आएगा और क़ानून-ड्राफ्ट और क़ानून-ड्राफ्ट दोनों को अपने में शामिल कर लेगा, ये बातें यह सुनिश्‍चित करती हैं कि हर समूह ऐसे प्रारूप बनाती है जिसमें दूसरे समूह के क़ानून-ड्राफ्ट की बातें भी शामिल हों। पर यदि दो प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट एक दूसरे से अलग ही रह जाते हैं तो कोई नागरिक दोनो प्रारूपों को समर्थन दे सकता है और इस प्रकार कोई (वोटों का) बंटवारा नहीं रह जाएगा जबकि कोई नागरिक दो उम्‍मीदवारों को वोट नहीं दे सकता।

श्रेणी: प्रजा अधीन