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अध्याय 15 – प्रिय कार्यकर्ता, क्‍या आपकी कार्रवाई पर्याप्‍त और क्‍लोन पॉजिटिव है ?

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मैंने लगभग 200 कार्यकलापों की सूची बनाई है जिसे कार्यकर्तागण प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों के लिए व्‍यापक जन-आन्‍दोलन खड़ा करने के लिए उपयोग में ला सकते हैं (देखिये पाठ 13) । हरेक कार्यवाई कलोन पॉजिटिव कार्रवाई है। मैं पाठकों से अनुरोध करता हूँ कि यदि उन्‍हें कोई शंका हो कि कोई भी प्रस्‍तावित कार्रवाई क्‍लोन निगेटिव है तो कृपया हमारे मंच/फोरम के जरिए हम लोगों से सम्‍पर्क करने में संकोच न करें।

 

(15.21)  क़ानून-ड्राफ्ट के लिए नेता-रहित व्‍यापक (फैला हुआ) आन्दोलन में समय भी कम लगेगा

क़ानून-ड्राफ्ट के लिए `नेता-रहित व्‍यापक आन्दोलन` एक ऐसी घटना होगी जिसमें हजारों अथवा लाखों अथवा करोड़ों भारतीय नागरिक एक कानून–क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्‍ताक्षर करने के लिए मेयर/महापौर, मुख्‍यमंत्री, प्रधानमंत्री पर दबाव डालेंगे। कार्यकर्ता अथवा नागरिक जिसने किसी का अनुसरण न करने का फैसला किया है और केवल उन प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट को लागू करने में पूरी ताकत लगाने पर सहमत हुआ है, यह क़ानून-ड्राफ्ट ही उनका नेता है।

यह तरीका “किसी नेता के नेतृत्‍व में व्‍यापक जन-आन्‍दोलन” की तुलना में कम समय लेगा क्योंकि किसी नेता को किसी व्‍यक्‍ति को यह समझाने में बहुत ज्यादा समय लगेगा कि नेता श्री क.ख.ग. अच्‍छा आदमी है और यदि उसका समर्थक श्री च.छ.ज. इस बात से संतुष्‍ट हो भी जाता है कि श्री क.ख.ग. एक अच्‍छा नेता है और तब भी श्री च.छ.ज. के लिए यह आसान नहीं होगा कि वह श्री ट.ठ.ड. को यह समझा दें कि – जिस श्री ट.ठ.ड. ने श्री क.ख.ग. को देखा तक नहीं है या उनसे बात तक नहीं की है, – वह श्री क.ख.ग. एक अच्‍छा नेता है। जबकि यदि श्री च.छ.ज. किसी कानून–प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट को समझ लिया हो तो वह आसानी से श्री ट.ठ.ड. को समझा सकता है कि यह कानून–प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट अच्‍छा है। और श्री ट.ठ.ड. आगे किसी और को भी बता सकते हैं । इसलिए क़ानून-ड्राफ्ट के लिए `नेता रहित आन्‍दोलन` में कम समय लगेगा और “एक नेता के नेतृत्‍व में आन्‍दोलन” ज्‍यादा समय लेगा।

 

(15.22) क्‍या सततता / निरंतरता होना जरूरी है?

धर्मार्थ संस्‍थान चलाना अथवा एक नई राजनैतिक पार्टी खड़ी करना जैसे अनेक तरीकों में हर किसी को नियमित आधार पर प्रति सप्‍ताह घंटे का समय देने की जरूरत पड़ती है। नियमितता में व्‍यवधान पहले के किए गए सभी कार्य /मेहनत को खत्‍म कर देता है । “`जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानून-प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के लिए व्‍यापक जन आन्‍दोलन” की यह महत्‍वपूर्ण व अच्‍छी बात है कि निरंतरता की कमी, पीछे किए गए कार्य को समाप्‍त नहीं करेगी क्‍योंकि “`जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)  कानून–क़ानून-ड्राफ्ट के लिए एक व्‍यापक जन-आन्‍दोलन” में मुख्‍य कार्यकलाप साथी कार्यकर्ताओं और नागरिकों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम. आर. सी. एम.), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) आदि कानूनों के बारे में संतुष्‍ट करना होता है । एक बार यदि कोई व्‍यक्‍ति संतुष्‍ट हो जाता है तो सततता/निरंतरता में व्‍यावधान से उसकी संतुष्‍टी खत्‍म नहीं होगी। जबकि धर्मार्थ के काम और नई पार्टी खड़ी करने के काम में एक व्‍यक्‍ति को लगभग हर दिन काम करना पड़ता है । यदि किसी संगठन में सततता में व्‍यवधान आ जाता है तो इस बात की संभावना होती है कि समर्थक और कार्यकर्ता दूसरे संगठनों में चले जाएंगे। यह क्‍लोन निगेटिव स्थिति का प्रभाव मात्र है : जब एक क्‍लोन/व्‍यक्‍ति अपने कार्य में विराम लेता है तो एक प्रतियोगी क्‍लोन /व्‍यक्‍ति उसके द्वारा खड़े किए गए संगठन को बरबाद कर डालता है।

वास्‍तविक दुनियां में कार्यकर्ताओं के पास करने के लिए दसों/कई महत्‍वपूर्ण कार्य हैं। इसलिए सततता में व्‍यावधान निश्‍चित ही है। कोई कार्यकर्ता कुछेक सप्‍ताह कार्य करता है और उसके बाद अगले कुछ सप्‍ताहों तक वह समय नहीं भी दे सकता है और वह फिर से तब कार्य करने के लिए तैयार होगा जब उसकी व्‍यक्तिगत परेशानी सुलझ गई हो।

ऐसे मामलों में जब वह कार्यकर्ता दोबारा शुरू करता है तो पहले किए गए कार्यकलापों द्वारा बनाई गई स्‍थिति बिगड़नी नहीं चाहिए। “कानून–क़ानून-ड्राफ्ट आन्‍दोलन में यही अच्‍छी बात है।” मुख्‍य कार्य साथी नागरिकों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम. आर. सी. एम.) कानूनों की अच्‍छाइयां बतानी होती है और एक बार किसी व्‍यक्‍ति को इन कानूनों के बारे में जानकारी हो जाती है तब कुछ सफलता हासिल हो जाती है। यह सफलता तब भी समाप्‍त नहीं होती जब यदि कार्यकर्ता कुछ सप्‍ताहों का विराम ले ले।

 

(15.23)  सारांश ( छोटे में बात )

मैं सभी कनिष्‍ठ/छोटे कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कार्यकर्ता नेताओं से अनुरोध करता हूँ कि वे अपनी पसंद के कानूनों का क़ानून-ड्राफ्ट तैयार करें और मैं उनसे यह भी अनुरोध करूंगा कि वे देखें कि क्‍या इन कानून-ड्राफ्टों को लागू कराने के उनके तरीके क्‍लोन पॉजिटिव और समय बचाने वाले हैं। जितने भी तरीकों का मैने अध्‍ययन किया है उनमें से “नेता-रहित कानून–क़ानून-ड्राफ्ट आन्‍दोलन” सबसे ज्‍यादा क्‍लोन पॉजिटिव और समय बचाने वाला है और इसमें प्रतिद्वंद्वियों द्वारा  उनके (अपने नेता के प्रति) इमानदारी खत्म होने का खतरे भी नहीं हैं।

किसी अन्‍य लेख में मैं यह बताउंगा कि `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) सभी संभव कानून-ड्राफ्टों में सबसे ज्‍यादा प्रभावकारी कानून–क़ानून-ड्राफ्ट है। एक सामान्‍य प्रमाण के रूप में मैं पाठकों से अनुरोध करूंगा कि वे उस प्रारूप को लिखें जिसे वे जनता की आवाज (सूचना का अधिकार) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली से ज्‍यादा प्रभावकारी समझते हैं और फिर मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि वे अपने बनाए प्रारूप में `जनता की आवाज`  पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) को एक नए अंश के रूप में नीचे जोड़ लें । अब यह नया प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट उनकी राय में पहले से बेहतर है या खराब?

 

(15.24) फिक्स-अनशन , सत्याग्रह और गांधीगिरी का सच

हमारे पास तीन आमरण अनशन थेसाधू निगामानंद ,अन्ना हजारे  और स्वामी रामदेव जी के | जो अनशन निगामानंद ने किया ,उसने बड़ी संख्या इकठ्ठा नहीं की, इसीलिए सरकार ने उसे शांतिपूर्वक मरने दिया , अनशन के लिए बंदी भी बनाया .लेकिन उसकी मांगें पूरी नहीं की , स्वामी रामदेव जी और उनके लोगों पर 5000 लाठियां और 500 आंसू गोले बरसाए | ये सब सिद्ध करता है कि केवल फिक्स-अनशन (पूर्व से उसकी दिशा/परिणाम तय किया हुआ) ही सफल है, सत्याग्रह और गांधीगिरी नहीं | यदि अनशन फिक्स / पूर्व-परिणाम निर्धारित नहीं है , तो व्यक्ति या तो मरेगा या तो उसे लाठियां ही मिलेंगी|

श्रेणी: प्रजा अधीन