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अध्याय 15 – प्रिय कार्यकर्ता, क्‍या आपकी कार्रवाई पर्याप्‍त और क्‍लोन पॉजिटिव है ?

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अब कनिष्ठ/छोटे  कार्यकर्ता कैसे जानेगा कि कार्यकर्ता  नेता वास्‍तविक है या नकली ।

मैं निम्नलिखित तरीके का प्रस्‍ताव करता हूँ –

नेता द्वारा प्रस्‍ताविक कार्यकलापों की जांच करें। “कार्यकलाप” क्‍या होनी चाहिए? उन कार्यकलापों में क्‍या विशेषताएं मौजूद रहनी चाहिए? प्रत्‍येक कार्यकर्ता  नेता कार्रवाई का प्रस्‍ताव करता है और वह कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं के सामने यह दावा करता है कि यदि बड़ी संख्या में  कनिष्ठ/छोटे  कार्यकर्ताओं ने उसके बताए हुए काम किए तो भारतीयों की स्‍थिति में सुधार आएगा। उदाहरण –

  1. कुछ कार्यकर्ता  नेता स्कूल अस्‍पताल आदि चलाते हैं और वे दावा करते हैं कि यदि लाखों कार्यकर्ता वैसा ही करें जैसा वह करता या करने के लिए कहता है तो “अंतत:/आखिरकार” इससे पुलिस और न्‍यायालयों में भ्रष्‍टाचार कम होगा और भारत में सुधार आएगा।

  2. कुछ कार्यकर्ता नेता गरीबों, दलितों, महिलाओं आदि के लिए न्‍यायालयों में जनहित याचिका दायर करके लड़ाई लड़ते हैं और वे दावा करते हैं कि यदि लाखों कार्यकर्ता वैसा ही करें जैसा वह करता या करने के लिए कहता है तो “अंतत:/आखिरकार” इससे पुलिस और न्‍यायालयों में भ्रष्‍टाचार कम होगा।

  3.  कुछ कार्यकर्ता नेता छोटे स्‍तर के व्‍यक्‍तिगत भ्रष्‍ट स्‍थानीय नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ मुकद्दमें लड़ते रहते हैं और वे दावा करते हैं कि यदि लाखों कार्यकर्ता वैसा ही करें जैसा वह करता या करने के लिए कहता है तो “अंतत:/आखिरकार” इससे पुलिस और न्‍यायालयों में भ्रष्‍टाचार कम होगा।

  4. कुछ कार्यकर्ता नेता सड़कों, सार्वजनिक सुविधाओं आदि की वर्तमान स्‍थिति का पता लगाने के सूचना का अधिकार आदि के मुकद्दमें दायर करते रहते हैं और वे दावा करते हैं कि यदि लाखों कार्यकर्ता वैसा ही करें जैसा वह करता या कहता है तो “अंतत:/आखिरकार” इससे पुलिस और न्‍यायालयों में भ्रष्‍टाचार कम होगा और भारत में सुधार आएगा।

  5. मैं कार्य करने के सिद्धांत/सक्रियवादिता को इस प्रकार से चला रहा हूँ : मैने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार), `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) आदि कानूनों के प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट तैयार किए हैं और मैं स्‍वयंसेवकों से कहता हूँ कि वे नागरिकों से कहें कि वे (नागरिक) महापौरों, प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्रियों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों पर हस्‍ताक्षर करने के लिए बाध्‍य कर दें । मैं इसे “कानूनों के प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट के लिए कार्य सिद्धांत/सक्रियवादिता” कहता हूँ । कानून-प्रारूपों के लिए कार्य सिद्धांत का उद्देश्‍य चुनावों का इन्‍तजार किए बिना कानूनों के प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट में बदलाव लाना है। और मैं यह भी दावा करता हूँ कि लाखों कार्यकर्ता यदि ऐसा ही करें और दूसरों को भी करने के लिए कहें तो “वास्‍तव में” आख़िरकार इससे पुलिस और न्‍यायालयों में भ्रष्‍टाचार कम होगा और भारत में सुधार आएगा।

अब मेरे साथ-साथ इन कार्यकर्ता नेताओं में से ज्‍यादातर यह दावा करते हैं कि यदि लाखों कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ता , इनके द्वारा प्रस्‍तावित कदमों को अपना लें तो एक दिन गरीबी घटेगी और पुलिस व न्‍यायालयों आदि में भ्रष्‍टाचार कम हो जाएगा और भारतीय सेना में सुधार होगा। और भी ऐसे बहुत से सुधार आएंगे। मेरे और इन अन्य नेताओं के दावे कितने सही हैं? नेताओं द्वारा सुझाए गए कार्यकलाप क्‍या सेना, प्रौद्योगिकी/तकनीकी, अर्थव्‍यवस्‍था आदि को उस स्‍तर तक सुधार सकते हैं कि दुश्‍मन भारत पर आक्रमण करने से बाज आ जाए? क्‍या ये कार्यकलाप गरीबी को उस सीमा तक कम कर सकते हैं कि नक्‍सलवादी, इसाई व इस्‍लाम धर्म के कट्टरपंथी लोग आदि नई भर्तियां करना बंद कर दें। क्‍या इन कार्यकलापों से पुलिसवालों और जजों/न्यायाधीशों में भ्रष्‍टाचार बिलकुल कम कर हो जाएगा? पर्याप्‍तता/सम्‍पूर्णता और क्‍लोन पॉजिटिव होने की संकल्‍पनाएं/विचार कार्यकर्ता नेताओं के दावों का विश्‍लेषण करने में उपयोगी हैं। मैं यह बताना चाहूंगा कि विभिन्‍न कार्यकर्ताओं के कार्य क्‍या हैं और यह दिखलाउंगा कि क्‍या वे पर्याप्‍त हैं और क्‍या वे क्‍लोन पॉजिटिव हैं भी या क्‍लोन निगेटिव हैं।

 

(15.7) अपर्याप्‍त कार्य क्‍या हैं और क्‍लोन निगेटिव कार्य क्‍या हैं ?

मैं यह दूहराउंगा कि अच्‍छी राजनीति में मूलभूत सीमा क्‍या है, जिसका उल्‍लेख मैने पहले किया है : हमलोगों के पास केवल लगभग 15 लाख से 20 लाख धनवान/संपन्न लोग हैं जो गरीबी और भ्रष्‍टाचार कम करने के लिए हर सप्‍ताह एक घंटा समय देने की इच्‍छा रखते हैं। यह एक मूलभूत सीमा है कि मैं सभी कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं से अनुरोध करूं कि वे कार्यों का विश्‍लेषण करते समय अपने अपने मन में यह बात रखें – कि आपके साथ करोड़ों-करोड़ स्‍वार्थ-रहित कार्यकर्ता नहीं हैं । अब विभिन्‍न कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ता को कार्यकर्ता नेता द्वारा दी गई कार्यसूची में निम्‍नलिखित लक्षण दिख सकते हैं :-

अपर्याप्‍त कार्यकार्य की सूची अपर्याप्‍त होगी यदि भारत के सभी 20 लाख कार्यकर्ता इन कार्यों को लागू करें, तो भी गरीबी और भ्रष्‍टाचार कम नहीं होगा।

क्‍लोन निगेटिव कार्यकोई कार्य तब क्लोन निगेटिव होता है जब लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए आवश्‍यक लगने वाला समय, इन कार्यों को करने वाले आपस में/परस्पर(आपसी) अनजान कार्यकर्ताओं की संख्‍या बढ़नें के साथ साथ बढ़ जाता है। जब अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयास एक दूसरे को काटते हैं |

कुछ कार्यौं में बहुत ज्‍यादा संचार / संपर्क समय की जरूरत पड़ती है : अनेक कार्यकर्ताओं ने ध्‍यान दिया होगा कि बैठकों में बहुत ज्‍यादा समय लगता है और इससे कुछ हासिल नहीं होता। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्‍होंने कार्य करने का ऐसा तरीका चुना है जहां समझौता/एकमत होने के लिए कई जिन्‍दगियों के समय से ज्‍यादा समय लगेगा। यदि कोई तरीका भौतिक रूप से संभव तो है लेकिन उसमें कई जिन्‍दगियों से भी ज्‍यादा समय की आवश्‍यकता है तो ऐसे कार्यकलाप अव्यवहारिक हैं।

“क्‍लोन नकारात्‍मकता” बहुत असहज जैसा लग सकता है – यदि कोई कार्यकलाप एक से अधिक व्‍यक्ति द्वारा चलाया जाता है तो इसमें लगने वाले समय में हमेशा कमी आती है। लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता – यदि कोई कार्य क्‍लोन निगेटिव है तो उन कार्यकलापों के माध्‍यम से भ्रष्‍टाचार कम करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में लगा समय वैसे वैसे बढ़ता जाएगा जैसे जैसे उसमें और क्‍लोन (व्‍यक्‍ति) आते जाऐंगे। यह क्‍लोन निगेटिव का सिद्धांत बहुत महत्‍वपूर्ण है, यह कार्य अकसर जाने-अनजाने होता रहता है और फिर भी यह सबसे कम समझा जा सकने वाला सिद्धांत है।

दु:ख की बात है कि भारत में आज कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं द्वारा चलाई जाने वाली अनेक कार्रवाई क्‍लोन निगेटिव होती हैं अर्थात ये कार्य ऐसे हैं कि जैसे जैसे अधिक से अधिक और ज्‍यादा से ज्‍यादा परस्पर(आपसी) अजनबी कार्यकर्तागण इन तरीकों/विधियों को अपनाते हैं भारत में गरीबी कम करने और भ्रष्‍टाचार करने में लगने वाला समय बढ़ता जाता है !! और बहुत कम संख्‍या में “कानून के क़ानून-ड्राफ्ट के लिए कार्य करना” जैसे कार्यकलाप होते हैं जो क्‍लोन पॉजिटिव हैं अर्थात जैसे जैसे अधिक से अधिक परस्पर(आपसी) अजनबी कार्यकर्ता इन कार्यों को करते हैं वैसे वैसे भारत में सुधार आने के लिए लगने वाला समय घटता जाता है। “क्‍लोन पॉजिटिव ” का सिद्धांत सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू है जिसे, दू:ख की बात है कि, बहुत कम कार्यकर्ता लोग कर रहे हैं। यह कथन कि “आप अकेले नहीं हैं और ऐसे बहुत से लोग हैं जो आप ही की तरह सोचते हैं और आप ही की तरह काम करते हैं” – एक वरदान तब हो सकता है (यदि और केवल यदि), जब आप किसी क्‍लोन पॉजिटिव कार्यवाई पर काम कर रहे हैं। और यह एक अभिशाप हो सकता है यदि आप किसी क्‍लोन निगेटिव कार्रवाई पर काम कर रहे हैं। इसलिए यदि आप चाहते  हैं कि ज्‍यादा लोग वैसा ही करें जैसा आप कर रहे हैं तो – कृपया यह सुनिश्‍चित/पक्का करें कि आपका कार्य क्‍लोन पॉजिटिव हो । यदि आपका काम क्‍लोन निगेटिव हुआ तो लक्ष्‍य प्राप्‍ति में तब देरी ही होगी जब अधिक से अधिक आपस में अनजान लोग वही करेंगे जो आप कर रहे हैं।

श्रेणी: प्रजा अधीन