2. (जिला कलेक्टर को निर्देश/आर्डर ) प्रधानमंत्री जिला कलेक्टर को निर्देश देते हैं, कि यदि भारत का नागरिक जिला कलेक्टर के दफ्तर आता है और उम्मीदवार बनना चाहता है आने वाले सांसद के चुनाव में, तब जिला कलेक्टर , सांसद-चुनाव के जमा-राशि जितना शुल्क/फीस लेगा और उस व्यक्ति को `उम्मीदवार-आने वाले चुनाव में ` घोषित करेगा , सांसद के चुनाव के लिए | जिला कलेक्टर एक सीरियल नंबर/क्रम संख्या देगा और उसका नाम प्रधान मंत्री के वेबसाइट पर डालेगा |
3. ( तलाटी ,पटवारी या (उसके क्लर्क) को निर्देश )
(3.1) प्रधानमंत्री पटवारी (या तलाटी या गाँव का अधिकारी ) को निर्देश देगा कि नागरिक यदि खुद पटवारी के दफ्तर आता है, रु. 3 शुल्क/फीस देता है, और कम से कम पांच व्यक्तियों को अनुमोदन/स्वीकृति देता है सांसद के पद के लिए, तो पटवारी उसके स्वीकृति/पसंद/अनुमोदन कंप्यूटर में डालेगा और उसको एक रसीद देगा, जिसमें लिखा होगा ,उसकी वोटर आई.डी संख्या, तारीख/समय और जिन व्यक्तियों को उसने पसंद किया है |
(3.2) यदि पटवारी के पास कंप्यूटर आदि नहीं है, तब जिला कलेक्टर इस कार्य को तहसीलदार के दफ्तर को देगा , जब तक कि पटवारी को कंप्यूटर, आदि नहीं मिलता इस कार्य को करने के लिए |
(3.3) जिला कलेक्टर एक ऐसा सिस्टम बना सकता है जो एस.एम.एस जानकारी देगा नागरिक को `क्रेडिट कार्ड लेन-देन` के समान होगा |
(3.4) जिला कलेक्टर उपकरण/मशीन पटवारी को देगा , जो फोटो और अंगुली की छाप लेगा और रसीद देगा नागरिक के अंगुली की छाप और फोटो के साथ |
(3.5) प्रधानमंत्री का सचिव जरूरी सॉफ्टवेर (कंप्यूटर का अंदरूनी सामान) देगा पटवारी और जिला कलेक्टर, पटवारी को जरूरी मशीन देगा |
4.(तलाटी/पटवारी को निर्देश ) पटवारी नागरिकों के अनुमोदन/पसंद प्रधानमंत्री के वेबसाइट पर रखेगा , नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर और उन व्यक्तियों के नाम , जिनको उसने अनुमोदन/पसंद किया है |
5. (तलाटी/पटवारी को निर्देश ) यदि वोटर अपने अनुमोदन रद्द करने आता है, तो तलाटी एक या अधिक अनुमोदन / पसंद को बिना कोई शुल्क/फीस लिए रद्द कर देगा |
6. (संसद को निर्देश ) यदि कोई दूसरा/वैकल्पिक उम्मीदवार को अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाती हैं जो इन में से कम है –
(6.1) वर्त्तमान सांसद के वोटों की गिनती से (सभी मतदाताओं के )10% अनुमोदन/स्वीकृति से अधिक है
या
(6.2) उस चुनाव-क्षेत्र के सभी मतदाताओं के 50% से ज्यादा अनुमोदन/स्वीकृति हों , और साथ ही में ,वर्त्तमान सांसद के प्राप्त वोटों से 1% अनुमोदन/स्वीकृति ज्यादा हों |
तो,वर्त्तमान सांसद अपना इस्तीफा 7 दिन में दे सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है |
7. ( लोकसभा अध्यक्ष को निर्देश ) यदि वर्त्तमान सांसद 7 दिनों में इस्तीफा नहीं देता है, तो लोकसभा अध्यक्ष प्रस्ताव बुला सकता है संसद में , उस सांसद को निकालने के लिए या ऐसा करना उसके लिए नहीं जरूरी है | लोकसभा अध्यक्ष का फैसला आखरी/अंतिम होगा |
8.( सांसद को निर्देश ) दूसरे सांसद , उस सांसद को निकालने के लिए प्रस्ताव स्वीकृत कर सकते हैं या उन्हें ऐसा करने के लिए कोई जरूरत नहीं है |
9. (चुनाव आयोग(देश में चुनाव कराने वाली सरकारी संस्था ) को निर्देश ) यदि सांसद इस्तीफा देता है या निकाला जाता है, तो चुनाव आयोग नया चुनाव करवायेगी , कायदे के अनुसार | अगले चुनाव में , जो सांसद निकाला गया है, वो चुनाव लड़ सकता है |
10. धारा-6 के प्रयोजन के लिए , मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति जिन्होनें चुनाव के अपना नाम दर्ज/रेजिस्टर किया है , वे नहीं गिने जाएँगे | हर चुनाव-क्षेत्र की मतदातों की सही संख्या चुनाव आयोग द्वारा दी/प्रकाशित की जायेगी और चुनाव-आयोग का फैसला आखरी होगा |
11. प्रधानमंत्री इस सरकारी आदेश के धारा-6 में दिए गए सीमाएं बदल सकता है | वो सीमा पूरे देश के लिए एक होगी |
12. चुनाव के समय, उम्मीदवार एक हलफनामा/एफिडेविट/शपथपत्र दे सकता है चुनाव-आयोग को बताते हुए कि वो `प्रजा अधीन-सांसद`/`राईट टू रिकाल-सांसद` सरकारी आदेश का समर्थन करता है कि नहीं |
13. ( जनता की आवाज़-1 (सी वी – 1) ) (जिला कलेक्टर)
यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव/परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस ऐफिडेविट/हलफनामा को 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पन्ने का शुल्क/फीस लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।
14. ( जनता की आवाज़-2 (सी वी – 2) ) (तलाटी (अथवा पटवारी/लेखपाल ) )
यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्लॉज/खण्ड में प्रस्तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा।
उदाहरण द्वारा समझाना / स्पष्टीकरण
(क) मान लीजिए एक चुनाव-क्षेत्र में 15 लाख मतदाता हैं | मान लीजिए 8,00,000 (8 लाख) ने वोट दिए | मान लीजिए जितने वाले उम्मीदवारों को 3,60,000 (3 लाख 60 हज़ार ) मिले |
अब यदि कोई वैकल्पिक/दूसरे उम्मीदवार को स्वीकृति/अनुमोदन मिलते हैं जो (सभी मतदाताओं के 10% हैं ) यानी ( 15 लाख का 10% ) यानी 1.5 लाख जयादा हैं , वर्त्तमान सांसद को जितने वोट मिलें हैं , यानी 5,10,000 (5 लाख 10 हज़ार) मिले, तो वो अगला सांसद बन सकता है |
(ख) अनुमोदन/स्वीकृति को खरीदना संभव नहीं है – नागरिक किसि भी दिन अपना अनुमोदन/स्वीकृति रद्द कर सकते हैं | इसीलिए यदि कोई 5,10,000 वोटरों को 100 रु देता है, और अनुमोदन/स्वीकृति लेता है, तो नागरिक अगले दिन ही वे अनुमोदन/स्वीकृति रद्द कर सकते हैं | और ये अनुमोदन/स्वीकृति की खरीदने की कोशिश कोई दूसरे उम्मीदवार के लिए अनुमोदनों/स्वीकृति के देना , भी शुरू कर सकते हैं |
(ग) मतदाताओं को धमकी देना संभव नहीं है – कोई भी लाखों मतदातों को रोज-रोज धमकी नहीं दे सकता |