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अध्याय 6 – आर.आर.जी (प्रजा अधीन समूह) समूह की तीसरी मांग – प्रजा अधीन प्रधान मंत्री, मुख्‍यमंत्री का ड्रॉफ्ट

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यहाँ भारत में लगभग 700 जिला शिक्षा अधिकारी हैं । सभी 700 बुद्धिमान ,क्षमतावान , तथा कार्यकुशल हैं । और उनमें से, मान लीजिए, 10-15 ऐसे होंगे जो भ्रष्टाचार में रूचि नहीं रखते/भ्रष्‍टाचार नहीं करते। इतनी संख्‍या में इमानदार लोगा तो पहले से ही हमारे समाज में हैं। अब मेरे राइट टू रिकॉल-जिला शिक्षा अधिकारी प्रक्रिया में एक और कलम/खण्‍ड है कि यदि कोई अधिकारी मुख्‍य मंत्री द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी नियुक्‍त किया जाता है तो वह केवल एक ही जिले का जिला शिक्षा अधिकारी हो सकता है। लेकिन यदि नागरिकों ने उसे जिला शिक्षा अधिकारी बनाया है तो वह 10 जिलों का भी जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है और वह इन सभी जिलों का वेतन प्राप्‍त करेगा। अर्थात यदि कोई व्‍यक्‍ति 4 जिलों का जिला शिक्षा अधिकारी है और उसे नागरिकों ने नियुक्‍त किया है तो उसका वेतन 4 गुना होगा। यह ज्‍यादा सस्‍ता है क्‍योंकि वेतन ही चार गुना बढ़ेगा। चिकित्‍सा लाभ, अन्‍य लाभ और कई आजीवन लाभ 4 गुना नहीं बढ़ेंगे। बाद का एक संशोधन कुछ मूलभूत परिवर्तन “पदोन्नति “ तथा “विस्तार “ के इस प्रारूप को और अधिक बढ़ा देगा — वेतन (N*log2N) गुना हो जायेगा जहाँ N जिलों की संख्या है जो नागरिकों के समर्थन/अनुमोदन/स्वीकृति से उसे मिले हैं । इसके अलावा, एक ही व्यक्ति अलग अलग विभागों के कई पद प्राप्त कर सकता है । जैसे वो 10 जिलों के शिक्षा अधिकारी के साथ साथ स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका भी कुछ सीमाओं/प्रतिबंधों के साथ निभा सकता है। साथ ही साथ, उसके लिए सीधी तरक्की का अवसर भी उपलब्ध होगा । जैसे यदि कोई व्‍यक्‍ति कई  जिलों के अभियोजक/दण्‍डाधिकारी की तरह कार्य कर रहा है तो उसके एक या एक से अधिक राज्यों के अभियोजक बनने की संभावना बढ़ जायेगी ।

इसलिए वर्तमान 700 जिला शिक्षा अधिकारियों में से, मान लीजिए, 5-15 भ्रष्‍ट नहीं हैं । यदि एक बार प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) लागू हो जाता है तो उन्हें सीधी तरक्की/पदोन्नति का अवसर मिल जायेगा। वे अपने जिले के स्कूलों में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएँगे । वे बीच के अधिकारियों को घूस लेने से रोकेंगे । इस बात का ध्यान रखेंगे कि ठेकेदार सही वस्तुएँ जैसे ब्लैकबोर्ड , कुर्सियां आदि स्कूलों में उपलब्ध करवाए। वे ध्यान रखेंगे कि शिक्षक स्कूल में उपस्थित रहें, आदि। और यदि वे ऐसा करेंगे तो वे मुख्‍यमंत्रियों को हफ्ता देना भी बन्‍द कर देंगे । अब मान लीजिए, इन सभी मामलों में मुख्‍यमंत्री लोग इन अधिकारियों का तबादला कर देते हैं । तब लगभग 7-15 ऐसे मामलों में से, कम से कम 2-3 मामलों में तो अभिभावक अपने बच्चों की अच्‍छी शिक्षा के लिए प्रजा अधीन -जिला शिक्षा अधिकारी कानून का उपयोग करके उस स्‍थानांतरित किए गए अधिकारी को वापस ले आएंगे।

इस तरह, इससे भारत के 700 जिलों में से 2-5 जिलों में शिक्षा की स्‍थिति में सुधार आएगा। तो शेष जिलों का क्‍या होगा? देखिए, मान लीजिए आप `क` जिले में रहते हैं। अब, मान लीजिए, `क` जिले का जिला शिक्षा अधिकारी भ्रष्‍ट और असक्षम है। मान लीजिए, पास में ही पांच अन्‍य जिले `ख`,`ग`,`घ`,`च`और `छ` हैं। मान लीजिए, केवल `छ` जिले में ही अच्‍छा जिला शिक्षा अधिकारी है। तो जिला `क` के नागरिकों के पास एक विकल्‍प होगा कि वे  अपने जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को हटा सकते हैं और `छ` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को दोहरा कार्यभार दे सकते हैं । इसी विकल्‍प और शक्‍ति/अधिकार कि “अब नागरिकगण प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी का उपयोग करके मुझे हटा सकते हैं और मेरे पद पर `छ` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को ला सकते हैं”, `क“ख`,ग`,`घ`और `च` जिले के  जिला शिक्षा अधिकारी के मन में एक भय पैदा करेगा। इसलिए या तो वे 2-3 महीनों में ही सुधर जाएंगे या तो नागरिकगण उन्‍हें राइट टू रिकॉल- जिला शिक्षा अधिकारी का प्रयोग करके हटा देंगे। और 8-10 महीनों में ही सभी 700 जिला शिक्षा अधिकारी या तो सुधर जाएंगे या निष्‍काषित कर दिए जाएंगे। और अधिकारियों में “जल्‍दी अमीर बन जाओ” और “जनता भांड़ में जाए” की मानसिकता वाले अधिकारीगण प्रशासन से जाना शुरू कर देंगे और फिर प्रशासनिक पदों पर नहीं आना चाहेंगे। इसलिए वास्‍तव में सेवा करने की इच्‍छा वाले लोगों को सेवा का ज्‍यादा मौका मिलेगा और भ्रष्‍टाचारी लोगों को कम मौका मिलेगा गडबडी करने का |

वर्तमान सरकारी विधियों/प्रक्रियाओं में एक कमी यह है कि यदि कोई ईमानदार व्यक्ति दो लोगों का काम करता है तो भी उसे दो व्यक्ति के बराबर वेतन नहीं मिलेगा, जबकि व्यापार में ऐसा होना आम है । ये बातें ईमानदार लोगों को सरकारी नौकरी में आने से हतोत्साहित करती हैं। पर मेरे द्वारा प्रस्तावित प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) विधि/प्रक्रिया, अधिकारीयों को एक से अधिक पद सम्‍हालने तथा उसके अनुरूप बढ़ा वेतन देने का प्रावधान करती है । इससे शासन/सरकार में ईमानदार तथा योग्य/उद्यमी लोगों की भागीदारी बढ़ेगी।

      मैंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार)  का प्रस्ताव केवल जिला शिक्षा अधिकारी के लिए ही नहीं, बल्कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला पुलिस प्रमुख, जिला आपूर्ति अधिकारी (राशन का प्रभारी अधिकारी)  इत्यादि के लिए भी किया है । मैंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार)  का प्रस्ताव जिला स्तर के करीब 30-50 पदों, जिनमें जिला न्‍यायाधीश भी शामिल हैं, के लिए किया है । इस प्रकार, सभी 700 जिलों के लगभग 30,000 अधिकारियों तथा जजों/न्‍यायाधीशों के लिए प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) का प्रयोग किया जायेगा। जिस दिन प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून लागू होगा, उसी दिन 24 घंटों के भीतर करीब 15,000 अधिकारी सुधर जायेंगे। और जब पहले ही महीने में किसी जिले में मात्र 2-5 अधिकारी भी हटा दिए जायेंगे तो बचे हुए 15,000 अधिकारी भी अपने आप ही सुधर जायेंगे। दूसरे शब्‍दों में, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार)  का प्रयोग करके नागरिकों को 30,000 अधिकारीयों में से 50 अधिकारियों को भी हटाने की जरुरत नहीं पड़ेगी । 2-3 अधिकारियों का निष्कासन/हटाया जाना ही शेष/बाकी बचे अधिकारियों को पर्याप्‍त चेतावनी दे देगा। इस प्रकार, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कोई अस्थिरता पैदा बिलकुल ही नहीं करेगा ।

श्रेणी: प्रजा अधीन