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क्या 19.5 करोड़ नागरिक अनुमोदन/स्वीकृति देंगे ? ये इसपर निर्भर करता है कि वर्त्तमान प्रधान मंत्री कितना बुरा है और नागरिक उससे कितना नफरत करते हैं और उसका विकल्प स्वरुप व्यक्ति कितना प्रसिद्द है |
(6.4) मुख्यमंत्री को हटाने / बदलने के क़ानून-ड्राफ्ट की अधिक जानकारी |
प्रजा अधीन मुख्यमंत्री एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका प्रयोग करके हम आम आदमी 5 वर्षों तक इंतजार किए बिना ही मुख्यमंत्री को हटा सकते है।
- कोई भी नागरिक जो मुख्यमंत्री बनना चाहता हो वह अपना नाम कलक्टर के सामने प्रस्तुत करेगा।
- भारत का कोई भी नागरिक तलाटी/ पटवारी/लेखपाल के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को मुख्यमंत्री के पद के लिए अनुमोदित कर सकता है। तलाटी उसे उसके वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र, दिनांक और समय, और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा।
- तलाटी लोगों की प्राथमिकता को सरकारी वेबसाइट पर उनके वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र के साथ डाल देगा।
- कोई नागरिक अपना अनुमोदन/स्वीकृति 3 रूपया शुल्क देकर किसी भी दिन बदल सकता है।
- प्रत्येक महीने की पहली तारीख को सचिव उम्मीदवारों के अनुमोदन/स्वीकृति-गिनती को प्रकाशित करेगा।
- वर्तमान मुख्यमंत्री की अनुमोदन/स्वीकृति-गिनती निम्नलिखित दो से उच्चतर मानी जाएगी –
- नागरिकों की संख्या, जिन्होंने उसका अनुमोदन/स्वीकृति किया है
- मुख्यमंत्री का समर्थन करने वाले विधायकों द्वारा प्राप्त किए गए कुल मतों का योग
- यदि किसी व्यक्ति को मौजूदा मुख्यमंत्री के मुकाबले 2 प्रतिशत ज्यादा अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त है तो वर्तमान मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकता है और सबसे अधिक अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त व्यक्ति मुख्यमंत्री बन जाएगा।
प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल की प्रक्रियां कैसे काम करेंगी का एक उदाहरण
प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री की प्रक्रिया कैसे काम करेगी एक उदाहरण द्वारा समझ लेते हैं | प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री भी उसी तरह काम करेगी| मान लीजिए, वर्त्तमान प्रधानमंत्री `क` अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है | तो फिर वो लोगों के बीच बदनाम हो जायेगा और फिर लोग उसका विकल्प खोजेंगे | मान लीजिए दो ऐसे लोकप्रिय लोगों `ख` और `ग` ने अपना नामांकन कलेक्टर के दफ्तर जाकर कराया | फिर उनके समर्थक अपने नजदीक के पटवारी के दफ्तर जाकर तीन/एक रूपया देकर, जांच के लिए अपनी अंगुली का छाप और मतदाता कार्ड की जानकारी देकर , अपना समर्थन दर्ज कराएँगे | ये सब प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर आ जायेगा और दुनिया भर के लाखों–करोड़ों लोग इसे देख सकेंगे कभी भी और कोई भी व्यक्ति ये भी जांच कर सकता है कि उम्मीदवार के लाखों समर्थक असली है या नहीं | अब मान लें कि वर्त्तमान प्रधानमंत्री के 15 करोड़ समर्थक थे | फिर उसके समर्थक घटकर 12 करोड़ हो जाते है और नए उम्मीदवार `ग` के 20 करोड़ समर्थक हो जाते हैं | अब ये 20 करोड़ समर्थक अपने क्षेत्र के विधायक,सांसद और प्रसिद्द लोगों पर दबाव डालेंगे `ग` को प्रधानमंत्री बनाने के लिए , उनसे ये कहकर कि करोड़ों लोग `ग` को समर्थन कर रहे हैं, आप भी जांच सकते हैं तो फिर `ग` को प्रधानमंत्री बनाएँ| इस दबाव से सांसद/विधायक वर्त्तमान प्रधानमंत्री को कहेंगे कि आप इस्तीफा दे दो और `ग` को प्रधानमंत्री बना दो , नहीं तो इतने सारे `ग` के समर्थक कुछ कर बैठेंगे , या तो हम आगे आने वाले चुनावों में बुरी तरह हारेंगे | इस तरह जनता के दबाव के कारण वर्त्तमान प्रधानमंत्री इस्तीफा दे देगा और `ग` को प्रधानमंत्री बना देगा| ध्यान दें कि आज कोई भी ऐसी प्रक्रिया नहीं है देश में जिससे ये पता लग सके कि किसी व्यक्ति के कितने समर्थक हैं ,इसीलिए जनता का दबाव नहीं बन पाता. लेकिन ये प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल प्रक्रियाओं द्वारा जनता राजनैतिक दबाव बना सकेगी |
अक्सर पूछी जाने वाले प्रश्नों प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल/`भ्रष्ट को बदलने का आम नागरिक का अधिकार` और `पारदर्शी शिकायत प्रणाली ` पर देखें इस लिंक को डाउनलोड करके – www.righttorecall.info/004.h.pdf
अधिकारी को बदलने के लिए कम से कम नागरिकों के अनुमोदनों की संख्या/सीमा क्या होनी चाहिए प्रजा अधीन-राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार नागरिकों द्वारा)
वैसे तो `प्रजा अधीन-राजा के क़ानून-ड्राफ्ट में जो नागरिकों की कम से कम संख्या जो होनी चाहिए (सीमा) , वर्त्तमान अधिकारी को इस्तीफ़ा देने के लिए ,वो अधिकारी पर बाध्य/जरूरी नहीं है और केवल अधिकारी को सही फैसला लेने के लिए ही है , लेकिन ये सीमा क्या होनी चाहिए प्रजा अधीन-राजा के क़ानून-ड्राफ्ट में ?
ये सीमा 20-50% होगी , जो `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) द्वारा तय की जायेगी | और , जिला स्तर पर , ये संख्या सीमा कम से कम 50% होनी चाहिए , क्योंकि कुछ जातियों की 20% आबादी भी होती है ,जिलों में | राज्य स्तर पर ये 35% और राष्ट्रीय स्तर पर 20 % उचित है|
(6.5) क्या प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री हर सप्ताह बदले जाएंगे ? नहीं । |
अधिकतर कम्पनियों में, नियोक्ताओं/मालिकों को कर्मचारियों को हटाने का अधिकार होता है और इसका यह मतलब कभी नहीं है कि नियोक्ता/मालिक हर दिन कर्मचारी को निकालता ही रहता है। कम से कम, ज्यादातर नियोक्ता स्थायी कर्मचारी की ही तलाश में रहते हैं और उन्हें केवल तभी हटाते है जब वे कुछ बहुत ही बड़ा नुकसान जानबुझकर कर देते हैं। नागरिकगण इस प्रक्रिया/तरीके का प्रयोग किसी ऐसे मुख्यमंत्री को हटाने के लिए नहीं करेंगे जिन्हें वे नहीं चाहते और ऐसे मुख्यमंत्री को भी नहीं हटाएंगे जिसने कोई गलती की हो । वे इसका उपयोग केवल तभी करेंगे जब उन्हें लगेगा कि कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बिलकुल ही भ्रष्ट और जनता का विरोधी हो चुका है। किसी को हटाने की बात दिमाग में तब आती है जब उसके लिए अत्यधिक घृणा पैदा हो और ऐसी घृणा किसी छोटी गलती के कारण नहीं आती बल्कि केवल तभी आएगी जब वह पीठ में छूरा घोंपने जैसी कोई बड़ी गलती करे।
अमेरिका में लगभग 20 राज्यों में गवर्नर/राज्यपाल को हटाने की प्रक्रिया लागू है। उन राज्यों में पिछले 100 वर्षों में कम से कम लगभग 20*100/4= लगभग 500 गवर्नरों ने पद सम्हाला होगा। कितनों ने रिकॉल मतदान का सामना किया? केवल तीन ने। और वास्तव में कितने गवर्नरों को उनके पदों से हटाया गया? केवल एक को। इसलिए इस तरीके/तंत्र ने कोई अस्थिरता पैदा नहीं की बल्कि इसने अमेरिका के उन सभी गवर्नरों पर छिपे रूप से खतरे के रूप में काम किया जो इस बात का एक महत्वपूर्ण कारण है कि क्यों अमेरिका के गवर्नर भारत के मुख्यमंत्री से कम भ्रष्ट हैं।