65 सालों से , लोग ऐसी प्रक्रियाएँ/तरीके मांग रहे हैं , जिसके द्वारा आम नागरिक भ्रष्ट को बदल सकते हैं /सज़ा दे सकते हैं और पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) की भी मांग कर रहे हैं | (`पारदर्शी` का मतलब, वो शिकायत/प्रस्ताव है जो कभी भी देखि जा सकती है और कभी भी जाँची जा सकती है, किसी के भी द्वारा, कभी भी और कहीं भी, ताकि कोई नेता, कोई बाबू, कोई जज या मीडिया उसे दबा नहीं सके |)
लेकिन `राईट टू-रिकाल`के विरोधी ये मांग को दबाते आ रहे हैं |
उसके लिए वे कुछ तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, उन में से कुछ की लिस्ट यहाँ नीचे है-
1) वे अपने कार्यकर्ताओं को क़ानून-ड्राफ्ट(नक्शा) की बात करने के लिए भी मना करते हैं, क़ानून-ड्राफ्ट (नक्शा) को पढ़ने के लिए भी मना करते हैं, क़ानून-ड्राफ्ट (नक्शा) लिखना तो दूर की बात है | वे हवा में बात करते हैं , ना तो वो किस देश और जगह की प्रक्रिया की बात कर रहे हैं, बताते हैं, ना तो उसका नाम बताते हैं, न ही उसका ड्राफ्ट देंगे |
क़ानून-ड्राफ्ट को पढ़ना और लिखना वकीलों का काम नहीं है, ना ही जजों का , ना ही सांसदों का , लेकिन नागरिकों का काम है !! जी हाँ, आप नागरिकों को क़ानून-ड्राफ्ट सांसदों को देना होता है, जो तब क़ानून-ड्राफ्ट पास करवाते हैं सांसद में | वकीलों का काम क़ानून-ड्राफ्ट (नक्शा) बनाना नहीं है, उनका काम मामले लड़ना है, जजों का कम क़ानून बनाना नहीं, उनका काम फैसले देना है |
`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी दूसरों को क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ने से रोकते हैं , कार्यकर्ताओं को ऐसे काम में लगवा कर जो भ्रष्टाचार, गरीबी कम नहीं करते जैसे स्कूल चलाना,योग सीखाना , विपक्ष के पार्टियों या अन्य नेताओं के खिलाफ नारे लगाना , किसी उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार-अभियान करना , चरित्र(अच्छा व्यवहार) बनाना , आदि |
लेकिन एक बार भी कार्यकर्ताओं को क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ने के लिए नहीं कहते , उनपर चर्चा करना तो दूर की बात है |
इसीलिए , क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ना शुरू कर दें और क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ना शुरू कर दें और उनपर अपनी राय दें , ड्राफ्ट को बताते हुए | और कुछ क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ने के बाद और उनपर कमेन्ट/राय देने के बाद , आप ड्राफ्ट लिख भी पायेंगे |
यदि आम नागरिक , अपना ये कर्तव्य/काम करना शुरू कर दें, तो कोई भी गलत और जन-विरोधी क़ानून और शब्द नहीं कह सकेगा |
2) `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी और जाली-`प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक कभी भी सही तुलना और जांच/विश्लेषण नहीं करेंगे |
वे कुछ ऐसे दो मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे दूसरा व्यक्ति चकरा जाये और निराश हो जाये और कभी क़ानून-ड्राफ्ट को ना तो पढ़े , न तो चर्चा करे | और वे हमेशा एक-तरफ़ा चर्चा करेंगे |
कृपया उनको तुलना करने के लिए कहें किसी भी मानी गयी परिस्थिति के लिए , पहले वर्त्तमान क़ानून के अनुसार उस पारिस्थि को देखें , फिर यदि उनका पसंद का क़ानून-ड्राफ्ट लागू होता है, या फिर जब `प्रजा-अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट या अन्य ड्राफ्ट लागू होते हैं उस पारिस्थि की तुलना करें और फैसला करें कि कौन से ड्राफ्ट देश के लिए फायदा करेंगे और कौन से देश को नुकसान करेंगे |
उदाहरण के लिए , जाली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक अक्सर कहते हैं कि करोड़ों लोगों को ख़रीदा जा सकता है यदि `प्रजा अधीन-राजा ` के तरीके लागू होते हैं, लेकिन वे कभी बी इसकी तुलना अपने पसंद के क़ानून-ड्राफ्ट या आज के क़ानून –ड्राफ्ट या तरीकों से नहीं करते क्योंकि इन तरीकों/प्रक्रियाओं में कुछ ही लोग होते हैं ,जो विदेशी कंपनियों को खरीदना होता है प्रशाशन पर काबू पाने के लिए |
3) वे हमेशा कहते हैं कि वे `प्रजा अधीन-राजा`/`राईट टू रिकाल` का समर्थन करते हैं लेकिन कभी भी नहीं बताते कि कौन से पद के लिए वे `प्रजा अधीन राजा` का समर्थन करते हैं ? प्रजा अधीन-सरपंच, प्रजा अधीन-मायर/महापौर जैसे चिल्लर या प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन-लोकपाल या प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री | वे छोटे पदों के लिए अभी `प्रजा अधीन-राजा`/राईट टू रिकाल लाना चाहेंगे और ऊपर के पदों के लिए अगले जन्म में राईट टू रिकाल लाना चाहेंगे |
उनसे पूछें इसको स्पष्ट/साफ़ बताने के लिए कि वो कौन से पद पर `राईट टू रिकाल` का समर्थन करते हैं और उसका क़ानून-ड्राफ्ट देने के लिए जिसका वे समर्थन करते हैं |
हम उच्च-पदों के लिए आज और अभी `राईट टू रिकाल`(भ्रष्ट को निकालने का नागरिकों का अधिकार) चाहते हैं क्योंकि बिना उसके देश को बहुत नुकसान होगा |
4) वे कहते हैं कि वे `राईट टू रिकाल`/`प्रजा अधीन-राजा` का समर्थन करते हैं, लेकिन उसे `बाद में ` लायेंगे ( अगले जन्म में) | इसके लिए कुछ बहाने जो वो बोलते वो है-
क) अभी सरकार इसको पास नहीं करेगी |
`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधियों से पूछें कि क्या हमें सरकार की इच्छा के हिसाब से जाना चाहिए कि करोड़ों लोगों की इच्छा के अनुसार ?
ख) सभी क़ानून के सुधार एक साथ नहीं आ सकते |
`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधियों से कहें कि लोग 50-100 सालों के लिए इन्तेजार नहीं करना चाहते , सभी कानूनों में सुधार लाने के लिए |
यदि `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) आ जाये तो सभी सुधर कुछ ही महीनों में आ जाएँगे|
कृपया इस प्रणाली (सिस्टम) को www.righttorecall.info/406.pdf में देखें |
ग) हमारी एकता भंग हो जायेगी |
उनसे कहें कि हम एकता ही चाहते हैं, इसीलिए ये जन-हित की धाराएं आपके ड्राफ्ट में जोड़ने के लिए कह रहे हैं | और एकता चाहते हैं , तो `पारदर्शी शिकायत प्रणाली (सिस्टम) को क्यों नहीं लागू करवाते ,जो देश के लोगों को एक होने में मदद करता है |
घ) हम पहले सांसद चुन कर सरकार लायेंगे , फिर `प्रजा अधीन-सांसद` के ड्राफ्ट बनायेंगे और ये क़ानून लायेंगे |
उनसे कहें कि कभी नागरिकों के नौकर, सांसद, मंत्री, प्रधानमंत्री कभी अपने ऊपर अपने मालिक, 120 करोड़ जनता का लगाम आने देंगे ? वे तो सत्ता में आने के बाद , विदेशी कंपनी से रिश्वत के पैसे लेकर, कोई गुप्त विदेशी खाते में डाल देंगे और `प्रजा अधीन-राजा` /`राईट टू रिकाल` को रद्दी में डाल देंगे | ये क़ानून लाना तो केवल देश के करोड़ों मालिक , करोड़ों नागरिकों के जनता के नौकर के ऊपर दबाव से ही आ सकता है |