15
16
17
18
19
2)मुख्य अधिकारी
20
21
2)अध्यक्ष, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष (छुपा हुआ) कर बोर्ड
22
23
24
25
26
27
28
29
राष्ट्रीय खनिज मंत्री
राज्य खनिज मंत्री
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
——–
41
42
43
44
45
46
47
अध्यक्ष, राज्य सभा
अध्यक्ष, विधान परिषद्
अध्यक्ष तहसील पंचायत
48
अध्यक्ष, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड
यह सूची 7 मई, 2010 की तिथि के अनुसार है। यह सूची केवल बढ़ती ही है, घटती नहीं ।
(6.18) बदलने / हटाने की ये प्रक्रियाएं / तरीके भ्रष्टाचार को कैसे कम करती हैं ? |
एक प्रश्न जिसका सामना मैं अकसर करता हूँ – वर्तमान सभी अधिकारी भ्रष्ट हैं और इसलिए बदलकर लाए गए अधिकारी भी इतने ही भ्रष्ट होंगे। इसलिए बदलने/हटाने की कार्रवाई भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद को कैसे कम करेगी? मैं इस प्रक्रिया को विस्तार से जिला शिक्षा अधिकारी के उदाहरण का प्रयोग करके बताउंगा।
सर्वप्रथम, मैंने बहुमत के मतदान द्वारा जेल में डालने और बहुमत के मतदान द्वारा फांसी पर चढ़ाने जैसे प्रारूपों/ड्राफ्टों का प्रस्ताव किया है । ये प्रारूप केवल उन मंत्रियों, भारतीय पुलिस सेवा (आई पी एस), भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई ए एस), जजों पर लागू होंगे जिन्होंने इस प्रक्रिया का शत-प्रतिशत नैतिक और शत-प्रतिशत संवैधानिक होना स्वीकार किया है। इन प्रारूपों के सभी खण्ड/कलम शत-प्रतिशत सांवैधानिक और शत-प्रतिशत नैतिक हैं। इन प्रारूपों का उपयोग करके नागरिकगण उन भ्रष्ट मंत्रियों, भारतीय पुलिस सेवा (आई पी एस) अधिकारियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई ए एस) अधिकारियों, जजों/न्यायाधीशों को जेल भिजवा सकते हैं अथवा फांसी पर भी चढ़वा सकते है जिन्होंने इस प्रारूप को नैतिक घोषित किया है । और उन मंत्रियों, जजों आदि का क्या होगा जो यह समझते हैं कि बहुमत के मतों द्वारा फांसी शत-प्रतिशत संवैधानिक से कम है और/अथवा शत-प्रतिशत नैतिक से कम है। देखिए, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) नागरिकों को यह विकल्प देता है कि वे उन सभी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई ए एस) अधिकारियों, भारतीय पुलिस सेवा (आई पी एस) अधिकारियों, मंत्रियों, जजों को हटा दें जो यह समझते है कि बहुमत के मत द्वारा फांसी अनैतिक है। इसलिए अब प्रशासन में वैसे अधिकारीगण होंगे जिन्हें बहुमत के मत द्वारा फांसी दी जा सकती है। फांसी के खतरे को देखते हुए ये अधिकारी बहुत ज्यादा घूस लेने का साहस नहीं करेंगे। अब बहुमत के मतों द्वारा मृत्युदंड/फांसी देने की इस प्रक्रिया का केवल कहने/प्रचार मात्र का अर्थ/महत्व रह जाएगा क्योंकि प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) ही भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने के लिए पर्याप्त होगा तथा नागरिकों को कभी भी बहुमत द्वारा मृत्युदंड सुनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी । मैंने यह अगले पैराग्राफ/अनुछेद में विस्तार से बताया है कि किस तरह केवल प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) ही काफी है ।
किसी जिले में स्थित स्कूलों के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर विचार करें । मैंने राईट टू रिकॉल समूह के सदस्य के रूप में राईट टू रिकॉल – जिला शिक्षा अधिकारी का प्रस्ताव किया है – यह 10 कलम/खण्ड की प्रक्रिया होगी जिसके द्वारा जिले के माता-पिता/अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी को उसके पद से हटा सकते हैं । किस प्रकार प्रजा अधीन -जिला शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी में सुधार लाएगा? पहले तो, सिर्फ निष्कासन/हटाए जाने का डर उसे भ्रष्टाचार कम करने के लिए बाध्य कर देगा । परन्तु ये ज्यादा काम नहीं करेगा। आख़िरकार हम एक ऐसा जिला शिक्षा अधिकारी चाहते हैं जिसकी भ्रष्टाचार में रूचि ही न हो न कि केवल ऐसा जिला शिक्षा अधिकारी जो केवल हटाये जाने के भय से भ्रष्टाचार कम करे । किस प्रकार प्रजा अधीन- जिला शिक्षा अधिकारी छह महीने के अंदर ही ऐसे सकड़ों जिला शिक्षा अधिकारी दे सकता है जो भ्रष्टाचार में बिलकुल ही रूचि नहीं रखते हों? मैं विस्तार से वर्णन करूँगा कि किस प्रकार प्रजा अधीन -जिला शिक्षा अधिकारी कानून इस कार्य को पूरा करेगा ।