तलाटी (या
पटवारी)
सी.वी -1 (जनता की आवाज़-1) जिला कलेक्टर
सी.वी -2 (जनता की आवाज़-2) तलाटी (अथवा पटवारी/लेखपाल )
प्रस्तावित कानून का सार इस प्रकार है –
1. भारत का कोई भी नागरिक सांसद के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्क जिला कलेक्टर के पास जमा कराकर खुद/स्वयं को भारतीय रिजर्व बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर के उम्मीदवार के रूप में पंजीकृत/रजिस्टर करवा सकता है।
2. भारत का कोई भी नागरिक तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को भारतीय रिजर्व बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर के पद के लिए अनुमोदित कर सकता है। तलाटी उसे उसके वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा।
3. कोई नागरिक अपना अनुमोदन/स्वीकृति किसी भी दिन रद्द/कैंसिल भी करवा सकता है।
4. तलाटी नागरिकों की प्राथमिकता को जिले की वेबसाइट पर उनके/नागरिकों के वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र संख्या और उसकी प्राथमिकता/पसंद के साथ डाल देगा।
5. यदि किसी उम्मीदवार को सभी दर्ज/रजिस्टर्ड मतदाताओं के 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं (केवल वे मतदाता ही नहीं जिन्होंने अपना अनुमोदन/स्वीकृति फाइल किया है बल्कि सभी दर्ज मतदाता) का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाता है तो प्रधानमंत्री मौजूदा/वर्तमान भारतीय रिजर्व बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर को हटा देंगे और उस सर्वाधिक अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त उस उम्मीदवार को भारतीय रिजर्व बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर के रूप में नियुक्त कर देंगे / रखेंगे ।
इसके अलावा, नागरिकों को प्रजा अधीन–भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष (कानून) भी लागू करवाना चाहिए ताकि भारतीय स्टेट बैंक भी बहुतायत/बेहिसाब रूपए न बनाये। प्रजा अधीन – भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष कानून का प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट भी प्रजा अधीन–भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के समान ही है।
(23.10) (रूपए) जमा करने और कर्ज़ / ऋण देने की प्रणालियों / सिस्टम में बदलाव लाना |
मैं राइट टू रिकॉल ग्रुप/ प्रजा अधीन राजा समूह के सदस्य के रूप में नोट/करेंसी प्रणाली/सिस्टम में निम्नलिखित बदलाव/परिवर्तन का प्रस्ताव करता हूँ –
- उन प्रक्रियाओं को लागू करें जिसके सहारे नागरिकगण भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष को बदल/हटा सकें।
- सभी बैंको का विलय भारतीय स्टेट बैंक में किया जाए
- सभी सरकारी बैंकों को निधि के हस्तांतरण/फंड ट्रान्सफर और भंडारण के काम करने तक ही सीमित रखें
- ऋण/कर्ज़ देने में सरकारी बैंकों की भूमिका में कटौती करें। सरकारी बैंक गारंटी-रहित कर्ज़ केवल नागरिकों को ही देंगे, कम्पनियों को नहीं। और प्रति व्यक्ति 2,00,000 रूपए से कम का कर्ज़ देंगे और 8 प्रतिशत के ब्याज पर उन व्यक्तियों को ही देंगे जो इसके पात्र/योग्य होंगे।
- सरकारी बैंक केवल कम्पनियों को ऋण/कर्ज़, किन्हीं व्यक्तियों को गारंटर बनाकर ही देंगे। उदाहरण के लिए, यदि कोई कम्पनी मान लीजिए, 200 करोड़ रूपए का कर्ज़/ऋण चाहती है तो उसे 10,000 बालिग/वयस्क व्यक्तियों को सामने लाना होगा जिनमें से हरेक व्यक्ति 2,00,000 रूपए की गारंटी देने की इच्छा रखता हो।
- (किसी बड़े संस्था की)बड़ी आर्थिक सहायता/ बेल आउट के लिए सभी नागरिक-मतदाताओं के 51 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के अनुमोदन/स्वीकृति की जरूरत होगी।
- सरकारी बैंक केवल बचत खातों को ही सहयोग देंगे जिसमें व्यक्तियों को वर्ष में न्यूनतम आवश्यक रकम/बैलेंस रखने पर 6 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए 15,00,000 रूपए से कम की राशि वर्ष में शेष रकम/बैलेंस के रूप में रखने पर 8 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। और 15,00,000 रूपए से अधिक पर 4 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। इसके अलावा, महीने भर में न्यूनतम शेष राशि पर 3 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा।