होम > प्रजा अधीन > अध्याय 23 – भारतीय रिजर्व बैंक में सुधार करने और महंगाई / मुद्रास्‍फीति कम करने के लिए राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्‍ताव

अध्याय 23 – भारतीय रिजर्व बैंक में सुधार करने और महंगाई / मुद्रास्‍फीति कम करने के लिए राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्‍ताव

dummy
पी.डी.एफ. डाउनलोड करेंGet a PDF version of this webpageपी.डी.एफ. डाउनलोड करें

इसलिए कुल मिलाकर अप्रैल, 2010 में भारत में रूपए (एम 3) की कुल राशि प्रति नागरिक 47000 रूपए थी जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने केवल 9410 रूपए ही छापे और वित्त मंत्रालय ने 90 रूपए प्रति नागरिक के हिसाब से सिक्‍के ढ़लवाए। इसलिए, किस ऐजेंसी ने बाकी के रूपए अर्थात (47000 9410 90) = 37500 रूपए प्रति नागरिक बनाये?

आइए, मैं अप्रैल, 2004 के अनुसार और अप्रैल, 2010 के अनुसार रूपए की मात्रा की तुलना करके और विस्‍तार से बताता हूँ।

विषय

अप्रैल -2004

अप्रैल -2010

स्रोत

1

भारत की जनसंख्‍या

    108.07 करोड़

118.30 करोड़

दस्‍ता.-1, अप्रैल-51 पंक्‍ति

दस्‍ता.-1, अप्रैल-10 पंक्‍ति

2

भारत में रूपए की मात्रा

20,60,153 करोड़ रूपए

55,79,567 करोड़    रूपए

दस्‍ता.-2, अप्रैल 4 पंक्‍ति

दस्‍ता.-3, तालिका- 7

3

प्रति नागरिक रूपए

  18,947 रूपए

   47,164 रूपए

(2) को (1) से भाग दें

4

प्रति व्‍यक्‍ति रूपए की मात्रा में वृद्धि

 28,047 रूपए

5

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोटों के रूप में बनाये गए रूपए + जमा/डिपॉजिट

  435,083 करोड़ रूपए

 8,20,219 करोड़ रूपए

दस्‍तावेज -2 देखें

दस्‍तावेज -3 देखें

6

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रति नागरिक नोटों के रूप में बनाये गए रूपए + जमा/डिपॉजिट

 4000 रूपए

 9400 रूपए

 (5) को (1) से भाग दें

7

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रति नागरिक नोटों के रूप में बनाये गए रूपए + जमा/डिपॉजिट में वृद्धि

   5400रूपए

दूसरे शब्‍दों में, अप्रैल, 2004 और अप्रैल, 2010 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने केवल 5400 रूपए प्रति नागरिक (के हिसाब से) रूपए बनाये जिनमें से कुछ नोट के रूप में थे और कुछ ‘भारतीय रिजर्व बैंक की जमाराशि’ के रूप में था। लेकिन भारत भर में नागरिकों के खातों में कुल रूपए (एम 3) लगभग 28,000 (प्रति नागरिक) ज्‍यादा बढ़ गए थे। इसलिए, इनसे पाठकों को यह तो आश्‍वस्‍त किया ही जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक भारत में एकमात्र ऐजेंसी नहीं है जो भारतीय रूपए (एम 3) छापती है। दूसरी और भी ऐजेंसियां हैं जो भारतीय रूपया छापती हैं। हालांकि यह करेंसी(मुद्रा) नोटों के रूप में नहीं होते। वास्‍तव में, आज की तारीख में भारत में जितना भी रूपया है उसका केवल लगभग 20 प्रतिशत ही भारतीय रिजर्व बैंक बनाता है। शेष 80 प्रतिशत भारतीय रिजर्व बैंक के अलावा दूसरे बैंकों द्वारा बनाये गए हैं।

 

(23.5) भारतीय स्‍टेट बैंक , बैंक ऑफ बड़ौदा आदि जैसे बैंकों को रूपए (एम 3) निर्माण करने / बनाने का अधिकार प्राप्त है !!

यह अधिकांश पाठकों के लिए आश्‍चर्य में डालने वाली बात हो सकती है। लेकिन भारत में सांसदों ने कानून बनाकर, वास्‍तव में भारतीय रिजर्व बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा आदि बैंकों को रूपए (एम 3) बनाने की अनुमति दे दी है जो पासबुक के रूप में होती है। भारतीय स्‍टेट बैंक नोटों के रूप में रूपए नहीं बना सकती और यह बनाएगी भी नहीं – यह एक ऐसा काम है जिसे करने का अधिकार केवल भारतीय रिजर्व बैंक को ही है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक पासबुक बैलेंस(बकाया) अथवा सावधि जमा/फिक्‍सड डिपोजिट के रूप में रूपए (एम 3) बना सकता है। और यह कानूनी है। ऐसे बैंक अनुसूचित/शेड्युल्‍ड बैंक कहलाते हैं अर्थात ऐसे बैंक जिनके पास पासबुक के रूप में भारतीय रूपए बनाने का लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्‍त है। राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह एकमात्र ऐसी पार्टी/समूह है जो भारत के सभी नागरिकों के प्रति प्रतिबद्ध/समर्पित है कि भारतीय रिजर्व बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा आदि बैंक भारतीय रूपया (एम 3) छापते हैं।

यह भारतीय स्‍टेट बैंक आदि पासबुक मनी(मुद्रा) के रूप में भारतीय रूपए बनाते हैं। और इन नए बनाये रूपयों को प्रचलन/प्रवाह में लाने के लिए ,उन्‍हें इन नए बनाये गए नोटों को उन व्‍यक्‍तियों/कम्‍पनी के बचत खाते अथवा चालू खाते अथवा सावधि जमा खाते में जोड़ने की अनुमति है जो ऋण लेना चाहते हैं। भारतीय स्‍टेट बैंक इस तरीके से कितना रूपया छाप सकता है? यह रूपए के रूप में नोटों अथवा भारतीय स्‍टेट बैंक के यहां भारतीय रिजर्व बैंक की जमा रकम के लगभग 15 गुना के बराबर होता है। दूसरे शब्‍दों में ,यदि भारतीय स्‍टेट बैंक के पास, मान लीजिए, करेंसी(मुद्रा) नोटों के रूप में 1000 रूपया है तो भारतीय स्‍टेट बैंक लगभग 15000 रूपए बना सकती है और उन व्यक्तियों के खतों में डाल सकती है जिन्‍हें भारतीय स्‍टेट बैंक ऋण देना चाहती है।

अप्रैल, 2010 की स्‍थिति के अनुसार, सभी गैर-भारतीय रिजर्व बैंकों द्वारा कितने रूपए बनाये गए हैं? कृपया दस्‍तावेज 3 की तालिका 7 और तालिका 8 के पहले सभी स्‍तंभ की पहली लाईन/पंक्ति देखें। तालिका 7 में आज की तारीख तक भारत में सभी बैंकों द्वारा छापे गए कुल रूपए दर्शाए गए हैं। अप्रैल, 2010 में यह 5579567 करोड़ रूपए था जो प्रति नागरिक 47164 रूपए होता है। तालिका 8 ‘रिजर्व पैसा’ को दर्शाता है और इस बात/शब्‍द का अर्थ और कुछ नहीं बल्‍कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बनाये गए रूपए हैं जो 1185281 रूपए था अर्थात लगभग 9765 रूपए प्रति नागरिक । इसलिए लगभग (47164 9765 रूपया) = 37398 रूपया अप्रैल, 2009 और अप्रैल, 2010 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के अलावा दूसरे बैंकों द्वारा छापे गए हैं।

इनमें से कितना रूपया भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा छापा गया है? कितना रूपया बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा छापा गया है? देखिए, यदि आप मुझे सभी बैंकों के बैलेंस शीट और क्‍लोजिंग शीट उपलब्ध कराते हैं तो मैं इनका उत्‍तर आपको दे सकता हूँ। यह तरीका/विधि इस प्रकार है :- भारतीय स्‍टेट बैंक द्वारा छापा गया लगभग पैसा = भारतीय स्‍टेट बैंक खातों में जमा रकम – भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय स्‍टेट बैंक के कोष्ट(वाउल्‍ट) में दिया गया रूपया – भारतीय रिजर्व बैंक में भारतीय स्‍टेट बैंक की जमा रकम।

यह तो अनुमानित संख्‍या है। इसमें अन्‍य कारक भी होते हैं। जैसे , भारतीय स्‍टेट बैंक द्वारा लिया गया ऋण, भारतीय स्‍टेट बैंक की अपनी पूंजी आदि। भारतीय रिजर्व बैंक और अन्‍य बैंकों के बैलेंस शीट को समझने पर विस्‍तृत चर्चा/विवरण ‘भारत के रूपए की मात्रा’ नामक एक अलग लेख में की जाएगी। लेकिन अब तक के दिए गए आंकड़ों से पाठकों को आश्‍वस्‍त हो जाना चाहिए कि भारतीय स्‍टेट बैंक आदि बैंक पासबुक के रूप में निश्‍चित रूप से रूपया बनाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक रूपया छपवाता तो है लेकिन यह कहना कि केवल भारतीय रिजर्व बैंक ही रूपया बनाता है, 20 प्रतिशत सच और 80 प्रतिशत झूठ है।

श्रेणी: प्रजा अधीन