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अध्याय 23 – भारतीय रिजर्व बैंक में सुधार करने और महंगाई / मुद्रास्‍फीति कम करने के लिए राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्‍ताव

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  • ट्रस्‍ट और निजी कम्‍पनियों की जमा राशि पर कोई ब्‍याज नहीं मिलेगा। जो कम्‍पनियां/ट्रस्‍ट ब्‍याज चाहती हैं वे निजी बैंकों के पास जा सकती हैं।

  • सरकार केवल सरकारी बैंकों में जमा धनराशि का ही बीमा रखेगी/जिम्‍मेदारी लेगी निजी बैंकों में जमा धनराशियों का नहीं।

  • निजी बैकों को नियंत्रित/विनियमित करने(ठीक-ठाक रखने) के लिए सरकार प्रत्येक निजी बैंक के लिए डिपॉजिटर ग्रुपों का गठन करेगी और ये डिपॉजिटर ग्रुप बैंकों के कामकाज पर नजर रखेंगे। लेकिन सरकार निजी बैंकों को नियंत्रित/विनियमित नहीं करेगी।

  • भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर केवल ब्‍याजों के भुगतान के लिए और सेना, पुलिस, न्‍यायालयों/कोर्ट, कक्षा I से XII की शिक्षा/पढ़ाई, स्वास्‍थ्‍य, वरिष्‍ठ नागरिकों को सहायता, विकलांगों/अशक्‍तों को सहायता के लिए ही रूपए जारी करेंगे,51 % नागरिकों की अनुमोदन/स्वीकृति(समर्थन) से ,और किसी अन्य कारण से नहीं।

  • नागरिकों के अनुमोदन/स्वीकृति के बिना रूपए की कोई छपाई नहीं होगी :  एक ऐसा कानून लागू करना कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर सेना और युद्ध की जरूरतों को छोड़कर, तब तक   एम 3(कुल मुद्रा/धन संख्या) में बढ़ोत्‍तरी/वृद्धि नहीं करेंगे जब तक कि 51 प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने इसपर अपना हां दर्ज न करवा दिया हो।

  • आगे से किसी भी सरकारी निकाय/संस्था को कोई ऋण/कर्ज़ लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  • वैश्‍विक बैंकिंग प्रणाली/व्‍यवस्‍था : हर नागरिक का उसके घर के निकट की बैंक-शाखा में कम से कम एक खाता अवश्‍य होगा। सरकार आदि से उसके सभी लेन-देन उसी बैंक और उसी खाते के जरिए होंगे। हर नागरिक का खाता संख्‍या और उसका टैक्‍स आई डी/ कर पहचान पत्र (सह राष्‍ट्रीय पहचान पत्र जब राष्‍ट्रीय पहचान पत्र व्‍यवस्‍था लागू होगी) समान/एक ही होगा और भारत सरकार के क्षेत्र/कार्य के लिए उसका वैश्‍विक मोबाइल नम्‍बर और वैश्‍विक ई-मेल एकाउन्‍ट भी वही होगा। इस खाते से होने वाले हर लेनदेन (की सूचना) एस एम एस के जरिए उसके मोबाईल पर भेजी जाएगी।

  • सरकारी बैंकों से होनेवाले विवाद केवल जूरी-मंडल/जूरर्स द्वारा निपटाए/सुलझाए जाएंगे ,जजों द्वारा नहीं।

  • छिपे तौर पर/अंडरग्राउन्‍ड बैंकिग को रोकने के उपाय : भारत सरकार स्‍विस बैंक सहित विश्‍व के सभी बैंकों को बाध्‍य करेगी कि वे अपने बैंक में भारत के हर नागरिक/व्‍यक्‍ति की (जमा) सम्‍पत्‍ति/धन का खुलासा करे।

  • खातों/एकाउन्‍ट्स पर नजर रखने के लिए राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम)।

  • वर्तमान रुपया प्रणाली को `नागरिक रूपया प्रणाली(सिस्टम) में बदलना

    1. हर व्‍यक्‍ति के सभी सावधि जमा (रूपए), उसपर मिले ब्‍याजों सहित संबंधित व्यक्‍ति के बचत खाते में डाले/जोड़े जाएंगे और कम्‍पनियों की सावधि जमा रकम उनके चालू खातों में जोड़ी जाएगी।

    2. सरकार सभी सरकारी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों (पब्लिक धंधों) के बॉन्‍ड के पुन:भुगतान के लिए रूपए बनाएगी।

    3. सरकारी बैंको से लिए गए सभी बकाया कर्जों/ऋणों पर ब्‍याज 4 प्रतिशत कर दिया जाएगा और घर के लिए, लिए गए सभी कर्जों/ऋणों को 180 मासिक किश्‍तों में चुकाना होगा, वाहन के लिए, प्राप्‍त किए गए कर्जों को 48 किश्‍तों में और अन्‍य सभी प्रकार के कर्जों को 180 मासिक किश्‍तों में चुकाना होगा।

    4. देर से (कर्ज़) चुकाने का जुर्माना/अर्थदण्‍ड 8 प्रतिशत होगा। संपत्‍ति की नीलामी 30 से 120 दिनों के भीतर कर दी जाएगी यदि भुगतान न की गई किश्‍त मूलधन के एक चौथाई से ज्‍यादा हो जाएगी। नीलामी (से प्राप्‍त पैसे) का उपयोग ऋण/कर्ज़ चुकाने के लिए किया जाएगा और यदि यह पैसा कर्ज़ चुकाने से अधिक होगा तो शेष रकम उधार-धारक को वापस कर दी जाएगी। यदि नीलामी का पैसा कुल कर्ज़ से कम होगा तो इसे आवश्‍यकता पड़ने पर नए नोट बनाकर बट्टेखाते डाला जाएगा/समाप्त कर दिया जाएगा।

    5. उपर्युक्‍त ऋण/कर्ज़ को चुकाने से प्राप्‍त धन के बदले कोई नया ऋण/कर्ज़ जारी नहीं किया जाएगा।

    कुल मुद्रा / धन संख्या (एम 3) एक कानूनी-राजनीती तत्व है , बाजार आधारित तत्व नहीं

     

    एम 3 (कुल मुद्रा संख्या ) में केवल वो ही कर्जा शामिल है जो उन इकाइओं से लिया गया है जिनके पास रिसर्व बैंक द्वारा दिए लिसेंस है , उदाहरण ,यदि आप रु.1000 भारतीय स्टेट बैंक को देते हैं और भारतीय स्टेट बैंक एक रु.900 का कर्ज जारी करता है, तो एम3 की संख्या ऊपर चली जाती है | लेकिन यदि आप मुझे रु.1000 देते हैं और मैं रु.900 का कर्ज किसी को देता हूँ, तो एम 3 की संख्य बढती नहीं है | क्यों? क्योंकि मेरे पास रिसर्व बैंक के पास से लिसेंस नहीं है| दूसरे शब्दों में एम ३ एक कानूनी-राजनीती तत्व/इकाई है, बाजार आधारित तत्व/इकाई नहीं क्योंकि सरकार ये निर्णय करती है कि क्या कुल मुद्रा संख्या (एम 3) में आता है और क्या नहीं |

    रिसर्व बैंक द्वारा डॉलर आदि विदेशी मुद्रा जमा करने पर रुपया निर्माण- समस्या और समाधान

    आज के समय जब भारत में कोई डॉलर आदि विदेशी मुद्रा कोई भी बैंक को देता है, तो बैंक उसे रिसर्व बैंक को देता है और रिसर्व बैंक उसके बदले विनिमय दर के अनुसार उतने रुपयों का निर्माण कर देता है | इससे प्रचलित रुपये बढ जाते हैं और जैसे पहले संजय गया है, महंगे बद जाती है|

    हमें इस सिस्टम/प्रणाली को बदलना होगा: जब कोई व्यक्ति 1000 डॉलर जमा करवाए, तो उसकी प्रविष्टि/एंट्री (उसके खाते में) 1000 डॉलर ही रहनी चाहिए तब तक वह उसे रुपयों में परिवर्तन  न करे | जब वह उसका परिवर्तन करेगा, तो वह एक चेक भेजेगा एक प्राइवेट/निजी कंपनी को डॉलरों में और उसके बदले उसको रुपये मिलेंगे , यानी कि कोई भी रुपयों का निर्माण नहीं होगा जब डॉलर आयेंगे तब | भारतीय सरकार डॉलर सेना और अन्य भारतीय सरकारी जरूरतों के लिए ही खरीदेगी  | पेट्रोल आयात और अन्य आयातों के लिए निजी स्रोतों से ही डॉलर लेना होगा|

    और डॉलरों में आय कर-मुक्त नहीं होगा और डॉलरों का खर्चा यानी कि आयात भी आय से घटाया नहीं जा सकेगा| और इसके अलावा , हमें 100 % (प्रतिशत ) से 300 % (प्रतिशत) सीमा-शुल्क लगानी चाहिए , जो केवल डॉलरों में ही दी जा सकेगी | और हमें ये क़ानून आम आदमी कि हाँ से ही लागू करवाने हैं| हमें ये क़ानून सांसदों को रिश्वत देकर सांसद में लागू नहीं करवाने हैं|

     

    (23.11) नागरिक रूपया प्रणाली (सिस्टम) और घाटे की वित्त व्यवस्था / घाटे का बजट (डेफिसिट फाईनैन्सिंग)

    उपरोक्त नागरिक रुपया प्रणाली सरकार को घाटे की वित्त व्यवस्था/घाटे का बजट करने से नहीं रोकती | केवल इस बात पर जोर देती है कि इस कार्य को करने के लिए नयी `वैध मुद्रा `(वो मुद्रा जो सरकार लेने को तैयार हो)जारी करनी की जरुरत रहेगा और नागरिकों के अनुमोदन/स्वीकृति की आवश्यकता/जरुरत होगी |(क्योंकि घाटे का बजट रुपये कि सप्लाई बड़ा देता है)

    श्रेणी: प्रजा अधीन