विषय |
अप्रैल -2004 |
अप्रैल -2010 |
स्रोत |
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1 |
भारत की जनसंख्या |
108.07 करोड़ |
118.30 करोड़ |
दस्तावेज़.-1, अप्रैल-51 पंक्ति दस्ता.-1, अप्रैल-10 पंक्ति |
2 |
भारत में रूपए की मात्रा |
20,60,153 करोड़ रूपए |
55,79,567 करोड़ रूपए |
दस्ता.-2, अप्रैल 4 पंक्ति दस्ता.-3, तालिका- 7 |
3 |
प्रति नागरिक रूपए |
18,947 रूपए | 47,164 रूपए |
(2) को (1) से भाग दें |
4 |
6 वर्षों में रूपए की मात्रा में हुआ परिवर्तन |
2.5 गुना |
47164 रूपए / 19847 रूपए |
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5 |
भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी) (1999 मूल्य) |
0.5 गुना |
- अप्रैल, 2004 में रूपए की मात्रा लगभग 18.900 रूपए प्रति नागरिक थी । अप्रैल, 2004 और अप्रैल, 2010 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य/दूसरे बैंकों द्वारा बहुत ही ज्यादा रूपए छापे गए और इसलिए रूपए की मात्रा अप्रैल, 2010 में बढ़कर लगभग 47,000 रूपए प्रति नागरिक हो गई यानि 2.5 गुना अथवा 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- इन 6 वर्षों में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी) की वृद्धि 50 प्रतिशत से कम थी।
- इसलिए अधिकांश वस्तुओं की कीमत दो गुनी या तीन गुनी हो गई और कुछ वस्तुओं जैसे जमीन आदि की कीमतें तो 2 से 10 गुना तक बढ़ गईं।
दूसरे शब्दों में, पिछले 6 वर्षों में अनाज, दालें, जमीन आदि की कीमतें बढ़ गईं। मूल्य वृद्धि का मुख्य कारण यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और अन्य बैंकों के अध्यक्षों ने काफी बड़ी मात्रा में रूपए छापे। अप्रैल, 2004 का प्रत्येक रूपया अब अप्रैल, 2010 में एक रूपए के दो नोट और पचास पैसे के एक सिक्के से बदल गए। बहुत से अर्थशास्त्री झूठ बोला करते हैं और वे सभी प्रकार के काल्पनिक कारण जैसे वैश्विक मंदी को कारण बताएंगे या तेल मूल्यों में वृद्धि को कारण बता देंगे आदि, आदि। ये सभी कारण नकली, झूठे और गलत हैं। एकमात्र मुख्य कारण है – भारतीय रूपयों की अंधाधुंध/अनियंत्रित निर्माण/उत्पादन। यदि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने रूपयों की अंधाधुंध बनाने/उत्पादन को काबू/नियंत्रण में रखा होता तो मूल्यों में इतनी ज्यादा बढौतरी/वृद्धि नहीं होती। हमलोग भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और वित्त-मंत्री की मंशाओं/मकसद की जांच बाद में करेंगे। यही कारण है कि हम नागरिकों के पास भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को हटाने/बर्खास्त करने की प्रक्रियाएं अवश्य होनी चाहिएं। क्योंकि यदि हम नागरिकों के पास भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को हटाने/बर्खास्त करने का कोई तरीका नहीं होगा तो वह मनमानी पर उतर आएंगे और इतने अधिक रूपए छापेंगे कि सभी वस्तुओं की कीमत/दाम कई गुना बढ़ती चली जाएगी।
(23.4) भारत में वे कौन लोग हैं जो रूपए (एम-3= कुल मुद्रा/धन संख्या) निर्माण करते / बनाते हैं? |
भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर मैंने दिखलाया है कि भारत में कुछ ऐजेंसियों ने वर्ष 1951 से 2010 के बीच इतने अधिक रूपए बनाये/निर्माण किये कि रूपए की मात्रा अप्रैल, 1951 में 65 रूपया प्रति नागरिक से बढ़कर अप्रैल, 2004 में 18,900 रूपया प्रति नागरिक और अप्रैल, 2010 में 47000 रूपया प्रति नागरिक हो गयी। इसलिए अब यह प्रश्न उठता है कि : भारत में ये सभी रूपए/नोट कौन बनाता है?क्या भारत में भारतीय रिजर्व बैंक एकमात्र/सर्वसर्वा ऐजेंसी है अथवा भारत में और भी कुछ ऐजेंसियां हैं जिन्हें भी रूपए बनाने का अधिकार मिला हुआ है? आइए, एक बार फिर उन पांच दस्तावेज की जांच करें जिसे मैंने इस पहली सूची में सूचीबद्ध किया है।
इस पाठ की पहली तालिका में दिए गए ऊपर लिखित पांच दस्तावेज से हम पाते हैं कि
विषय |
मात्रा/आयतन |
स्रोत |
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1 |
अप्रैल, 2010 में रूपया (एम – 3) |
55,79,567 करोड़ रूपया |
दस्तावेज -3, तालिका -7, स्तंभ -1 |
2 |
अप्रैल, 2010 में जनसंख्या |
118.30 करोड़ |
दस्तावेज -1, अप्रैल -10 के लिए इन्ट्री/प्रविष्ठि देखें |
3 |
अप्रैल -2010 में प्रति नागरिक रूपया | 47,164 रूपया |
(1) को (2) से भाग दें |
4 |
वर्ष 1934 से अप्रैल- 2010 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट के रूप में बनाये गए/निर्माण किये गए रूपए |
8,20,219 करोड़ रूपया |
दस्तावेज -3, तालिका -1, स्तंभ -1 |
5 |
अप्रैल- 2010 तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट के रूप में बनाये गए प्रति व्यक्ति रूपए |
6400रूपया |
(4) को (2) से भाग दें |
6 |
अप्रैल- 2010 तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जमा/डिपॉजिट के रूप में बनाये गए प्रति व्यक्ति रूपए | 356,084 करोड़ |
दस्तावेज 3, तालिका -8, स्तंभ -4,5 |
7 |
अप्रैल- 2010 तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जमा/डिपॉजिट के रूप में बनाये गए प्रति व्यक्ति रूपए |
3010रूपया |
(6) को (2) से भाग दें |
8 |
अप्रैल- 2010 तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट और जमा/डिपॉजिट के रूप में बनाये गए प्रति व्यक्ति रूपए |
9410रूपया |
(5) और (7) को जोड़ें |
9 |
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी सिक्के | 10910 करोड़ रूपया |
दस्तावेज -3, तालिका -8, स्तंभ -15 |
10 |
जारी किए गए प्रति व्यक्ति सिक्के |
92 रूपया |
(9) को (2) से भाग दें |
11 |
अप्रैल- 2010 तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट और जमा/डिपॉजिट और सिक्कों के रूप में बनाये गए/निर्माण किये गए प्रति नागरिक रूपए | 9502रूपया |
(8) और (10) को जोड़ें |
बहुत से नागरिक गलत सोचते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक में जमाराशि वास्तविक रूपया नहीं होती, जबकि केवल भारतीय रिजर्व बैंक का रूपया ही वास्तविक होता है। यह गलत धारणा है और यह कहने के बराबर है कि पेपर(कागज) शेयर सर्टिफिकेट ही वास्तविक होता है जबकि डिमैट(इलेक्ट्रोनिक) खाते वास्तविक नहीं होते !! हम जानते हैं कि पेपर(कागज) शेयर सर्टिफिकेट के भी डिमेंट(इलेक्ट्रोनिक) एकाउन्ट की ही तरह कुछ वोटिंग-अधिकार अथवा कीमत होते हैं। इसी प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक की जमाराशि उतना ही वास्तविक होती है जितना की भारतीय रिजर्व बैंक के नोट/रूपए होते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक रूपए (एम 3) को दो रूप में या दो तरह से छापता है, पहला है – भारतीय रिजर्व बैंक के नोट , जिन्हें हम नागरिक अपने साथ रखते हैं और दूसरा है – भारतीय रिजर्व बैंक के खातों में जमा रकम। भारतीय रिजर्व बैंक अपने जमा के बराबर रूपए छाप सकता है और इसे जमाकर्ताओं को देता है, जब वे इसकी मांग करते हैं। लेकिन अधिकांश बार, भारतीय रिजर्व बैंक के नोट खुदरा लेनदेन की जरूरतों से अधिक होते हैं और इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी जमाराशि को नोटों में बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन यह ‘भारतीय रिजर्व बैंक में डिपॉजिट’ सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए करेंसी नोटों(मुद्रा) के बराबर होते हैं।