सूची
14. उम्मीदवारों को उनके द्वारा केवल चुनावों के कार्य के लिए किए गए खर्चों का हिसाब/सूची चुनावों के समाप्त हो जाने के 30 दिनों के भीतर ही देना जरूरी होगा। चुनावों के दौरान उन्हें खर्चे बताने/प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी।
किसी उम्मीदवार का समर्थन करने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ाकर 1000 करने से नकली/फर्जी उम्मदवारों की संख्या कम होगी। इसलिए चुनाव प्रपत्र/फार्म भरने के संबंध में मेरा प्रस्ताव ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके एक ऐसा कानून लागू करवाने का है जिसमें उपर्युक्त 10-12 बातों/बिन्दुओं को शामिल किया जाए।
(40.8) चुनाव जमानत राशि बढ़ाना |
मान लीजिए, भारत की प्रति व्यक्ति आय `क` रूपया है। तब लोकसभा के चुनाव में मेरे द्वारा प्रस्तावित जमानत जमाराशि इस प्रकार होगी :-
1. न्यूनतम जमा राशि `क` रूपए होगी |
2. यदि उम्मीदवार की वार्षिक आय `क` रूपए से ज्यादा है अथवा उसकी सम्पत्ति 10 × `क` रूपया से अधिक है तो जमानत जमाराशि `क` रूपया और [आय/5 और सम्पत्ति/50 में जो भी ज्यादा हो] के जोड़/योग के बराबर होगी।
3. अधिकतम जमानत जमाराशि `प्रति व्यक्ति आय` का 5 गुना (के बराबर) होगी।
4. यदि किसी व्यक्ति ने आय या सम्पत्ति की घोषणा/खुलासा करने में झूठ बोला है तो जूरी-मण्डल उसे अन्तर/बकाया का 50 गुना ज्यादा राशि का दण्ड/जुर्माना लगा सकती है।
5. यदि कोई व्यक्ति ` प्रति व्यक्ति आय ` की दस गुना राशि के बराबर राशि का भुगतान करने पर राजी हो जाता है तो उसे कम जमानत राशि जमा करवाने का दोषी नहीं माना जाएगा।
6. ` प्रति व्यक्ति आय ` वह होगी जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चुनाव आयोग को बताया जाएगा। चुनाव आयोग इसे नजदीकी हजार में बदलकर सुविधा-जनक बना सकता है।
इस प्रकार अब, मई, 2009 के चुनाव पर विचार कीजिए। प्रति व्यक्ति आय लगभग 45,000 रूपए थी। तब यदि किसी व्यक्ति की वार्षिक आय 45,000 रूपए से कम है तो (उसके लिए) जमानत की जमाराशि 45,000 रूपए होगी। यदि उसकी आय मान लीजिए, 5,00,000 रूपए प्रतिवर्ष है और संपत्ति 40,00,000 रूपए की है तो उसके लिए जमानत की जमाराशि इस प्रकार होगी :- 45,000 + अधिकतम (500,000/5 रूपया, 40,00,000/50) = 45,000 रूपए + अधिकतम (10,000, 80,000) = 1,45,000 रूपए और सबसे अधिक देय जमानत राशि 22,50,000 रूपए होगी।
क्या 45,000 रूपए की जमानत राशि किसी गरीब आदमी के लिए बहुत अधिक है? देखिए, वर्ष 1951 में जमानत राशि 500 रूपए थी और `प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष` ,300 रूपए प्रति व्यक्ति से कम थी। इसलिए, लोकसभा चुनाव में प्रति व्यक्ति आय का लगभग 1.5 गुना जमानत राशि होती है। मेरे द्वारा सुझाए गए इस फारमूले में, यह राशि अभी भी सबसे गरीब व्यक्ति के लिए कम ही है और केवल धनवान उम्मीदवारों के लिए यह ज्यादा/अधिक हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति धनवान है तो चुनाव आयोग द्वारा उसपर दया दिखलाने का और कम शुल्क में ही उसे चुनाव लड़ने देने का कोई कारण नहीं बनता है। यदि व्यक्ति धनवान नहीं है तब जमानत की जमाराशि मात्र 45,000 रूपए है।
इसलिए मेरा प्रस्ताव ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके जमानत राशि से संबंधित कानून पारित/लागू करवाने का है।
(40.9) उन नागरिक-मतदाताओं की संख्या बढ़ाना जो किसी उम्मीदवार के लिए स्वीकृति देते हैं ताकि उम्मीदवार चुनाव लड़ सके |
आज की स्थिति में, लोकसभा चुनाव में, किसी उम्मीदवार के नाम का समर्थन करने के लिए 10 नागरिक-मतदाताओं की जरूरत होती है। इसलिए, इस संख्या को बढ़ाकर 1000 कर देना चाहिए लेकिन किसी उम्मीदवार का स्वीकृति/समर्थन करने की प्रक्रिया में बदलाव लाना चाहिए। किसी फार्म/प्रपत्र में उम्मीदवारों द्वारा घूम-घूम कर हस्ताक्षर करवाने के बदले, जो नागरिक समर्थन देना चाहते हैं, उन्हें पटवारी के कार्यालय जाने के लिए कहा जाना चाहिए और पटवारी को उसका नाम कम्प्यूटर में डालना चाहिए तथा पटवारी के कम्प्यूटर में लगे वेब-कैमरे से उस व्यक्ति की तस्वीर कम्प्यूटर में ले लेनी चाहिए। स्वीकृति/समर्थन किसी भी दिन दिया जा सकती है और किसी भी दिन रद्द कर सकते हैं। यदि किसी उम्मीदवार के समर्थन की गिनती 1000 से ज्यादा हो जाती है और लगातार 30 दिनों तक 1000 से ज्यादा/अधिक बनी रहती है तो वह अगले 6 वर्षों में लोकसभा के चुनाव के लिए पात्र/योग्य होगा। यदि वह इस शर्त/अपेक्षा को पूरा करने में असफल रहता है तो उसकी जमा की गई जमानत राशि उसे वापस दे दी जाएगी।
(40.10) उम्मीदवारों की संख्या सीमित / नियंत्रित करना |
‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके मैं निम्नलिखित कानून लागू करने का प्रस्ताव करता हूँ –
यदि किसी चुनाव क्षेत्र के लिए 8 से ज्यादा उम्मीदवार हो जाते हैं तो पूर्व-चुनाव कराया जाएगा। मुख्य चुनाव से 30 दिन पहले जिन 4 पार्टियों/दलों (अथवा उम्मीदवार, यदि वह स्वतंत्र उम्मीदवार है) जिन्हें इसके पूर्व के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट मिले थे, उन्हें पूर्व-चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं होगी और केवल शेष/बाकी उम्मीदवार ही पूर्व-चुनाव मतदान पत्र पर होंगे। इस पूर्व-चुनाव मतदान पत्र में केवल एक पर ही वोट दिया जा सकेगा। जिन चार उम्मीदवारों को पूर्व-चुनाव में सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, वे ही मुख्य चुनाव के लिए सफल माने जाएंगे। पूर्व-चुनाव के लिए जमानत राशि चुनाव के लिए ली जाने वाली जमानत राशि के बराबर होगी। और उन चार उम्मीदवारों, जिन्होंने पूर्व-चुनाव में जीत हासिल की है, उन्हें मुख्य चुनाव के लिए जमानत राशि देने की जरूरत नहीं होगी।
पूर्व-चुनाव फर्जी/नकली उम्मीदवारों की संख्या कैसे कम करेगा?
कई नकली/फर्जी उम्मीदवार एक या अधिक सही/सीरियस उम्मीदवारों के वोट काटने के लिए ही चुनाव लड़ते हैं। पूर्व-चुनाव ऐसे सही/गंभीर उम्मीदवारों के वोट काटने की उनकी क्षमता कम कर देता है।
(40.11) उम्मीदवारों द्वारा नाम वापस लेने के विकल्प को समाप्त करना |
कोई उम्मीदवार, जो चुनाव लड़ने के लिए फार्म/प्रपत्र भरता है, वह अपने चुनाव फॉर्म को शून्य या अधिक उम्मीदवारों के साथ जोड़ सकता है। यदि उम्मीदवार को वह जोड़(टैग) प्राप्त है तो वह केवल तभी चुनाव लड़ सकता है जब लिस्ट/सूची, (उन उम्मीदवारों की,जिनका नाम इस उम्मीदवार के साथ जोड़ा गया है) के सभी उम्मीदवार नापास/असफल/अयोग्य हो जाएं। यदि कोई भी (उम्मीदवार) सफल रहता है तो उस जोड़(टैग)-प्राप्त उम्मीदवार के फार्म/प्रपत्र को वापस लिया गया माना जाएगा और जमानत राशि उसे वापस कर दी जाएगी। उसे यह निर्णय करने का अधिकार नहीं होगा कि वह नाम वापस लेना चाहता है कि नहीं।