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अध्याय 40 – चुनाव / निर्वाचन सुधारों पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्‍ताव

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कागज मतदान की कुल लागत प्रति लोक सभा चुनाव-क्षेत्र

D- गणना

कुल 105 गणना के मेज एक लोकसभा चुनाव-क्षेत्र में | हरेक मेज पर तीन श्रेणी-4 के व्यक्ति (आमदनी = रु.700 प्रति 8 घंटे का दिन ) को 2 दिन (=16घंटे ) लगेंगे गिनती के लिए | लागत=4 लाख

E- प्रशिक्षण = शुन्य लागत |

F- मतदान लागत = कागज मतपत्र की लागत +मतदान पति की लागत

एक मत पात्र की लागत = 50 पैसा | एक मतदान पति की लागत = रु.200|

औसतन लागत एक बूथ की जिसमें औसतन 1000 मतदाता हैं = रु.500+200=रु.700

एक लोकसभा चुनाव-क्षेत्र की लागत = रु.10.5 लाख

कुल लागत कागज़ मतपत्र की प्रति लोकसभा चुनाव-क्षेत्र = D+E+F= रु.14.5 लाख

चुनाव मशीन की लागत लगबग तीन गुना है प्रति चुनाव कागज मतपत्र की तुलना में |

पर्यावरण के प्रेमियों को ये समझना चाहिए कि 75 करोड़ मतपत्र कम कागज़ लेते हैं जितना कि भारत के सारे समाचार पत्र एक दिन में लेते हैं | इसीलिए पर्यावरण-प्रेमियों का कोई इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए |

और कागज मतदान में, केवल 1% बूथों में धोखा-धड़ी करना ही संभव है | भारत में 50 लाख या ज्यादा बूथ हैं | एक बूथ में धोखा-धड़ी करने के लिय कम से कम 2-4 गुंडे चाहिए | कोई भी पार्टी के पास 50,000  गुंडे भी नहीं हैं | इसीलिए वे ज्यादा से ज्यादा 10,000  बूथ पूरे भारत में धोखा-धड़ी कर सकते हैं | और यदि बूथों पर कमरा लगा दिया जाये , तो बूथों की वो संख्या/नंबर जिसमें धोखा-धड़ी होती है  कुछ 100 हो जायेगी पूरे भारत में | ये कमरा लगाने पर भी कागज के द्वारा मतदान करना का खर्चा भारतीय चुनाव यंत्रों द्वारा मतदान से ज्यादा नहीं होगा |

 

(40.6) एक ही दिन चुनाव (आयोजित) कराना

वर्ष 1951 में, पूरा चुनाव एक ही दिन आयोजित कराया गया था। जहाँ तक मुझे याद है , लगभग वर्ष 1984 तक चुनाव केवल एक ही दिन में सम्‍पन्‍न होते रहे। 1984 के बाद से ही, भारतीय चुनाव आयोग को अलग-अलग दिनों में चुनाव कराना पड़ा। निम्‍नलिखित सुधारों को लागू करके चुनाव एक ही दिन में पूरे/सम्‍पन्‍न कराए जा सकते हैं :-

1.    चुनाव जमानत राशि को `प्रति व्‍यक्‍ति वार्षिक ,सकल(कुल) घरेलू उत्‍पादों`( देश के भीतर सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल उत्पादन/उपज का बाजार मूल्य) के दो गुना बनाया जाए : इससे यह निश्‍चित होगा कि उम्‍मीदवारों की संख्या 10-12 से कम ही रहेगी और चुनाव सही तरीके से पूरे कराए जा सकेंगे।

2.    कानून व्‍यवस्‍था में सुधार करना : अपराधी जितने कम होंगे, पुलिस स्‍टॉफ की जरूरत उतनी ही कम पड़ेगी।

3.    मतदान केन्‍द्रों में (ड्यूटी करने वाले) पुलिसकर्मियों को कैमरा दिया जाए।

4.    स्‍टैम्‍प लगाने वाली ऐसी मशीन का उपयोग किया जाए जो हर 20 सेकेन्‍ड के बाद स्‍टैम्‍प/मुहर लगाती हो ताकि मतदान केन्‍द्रों पर कब्‍जा करने वाले कुछ ही मिनटों में सैकड़ों वोट न डाल सकें।

एक बार यदि मतदान केन्‍द्रों पर कब्‍जा करने की समस्‍याएं समाप्‍त/कम हो जाती है तो एक ही दिन में चुनाव कराना संभव हो जाएगा।(क्योंकि दुबारा चुनाव करना नहीं पडेगा | आज मतदान केन्द्रों पर कब्जा करने से मतदान एक दिन में पूरा नहीं हो पाता)

 

(40.7) चुनाव के फार्म भरने और चुनाव लड़ने (की प्रक्रिया) आसान बनाना

फार्म/प्रपत्र भरने में जितना ही कम समय लगेगा और कम परेशानी होगी, उतने ही अधिक ईमानदार व्‍यक्‍ति राजनीति में आएंगे। यदि फार्म भरने में घंटों-घंटों का समय लगेगा तब केवल इस बात की ही संभावना होगी कि ईमानदार व्‍यक्‍ति (राजनीति) छोड़ देंगे, क्‍योंकि इससे उसकी आय में कमी होगी।

आज की स्‍थिति में, फार्म/प्रपत्र भरना एक परेशानी का काम बन गया है और हर चुनाव में हम देखते हैं कि अच्छे उम्‍मीदवारों का फार्म मामूली/छोटी गलती के कारण रद्द/निरस्‍त हो जाता है। फार्म/प्रपत्र भरने में तकनीकी माथापच्‍ची कम करने के लिए मेरे प्रस्‍ताव निम्‍नलिखित हैं –

1.    कोई नागरिक किसी सीट/चुनाव-क्षेत्र के लिए स्‍वयं को उम्‍मीदवार घोषित कर सकता है। यह जरूरी नहीं रहे कि जब चुनावों की घोषणा हो जाए तभी वह ऐसा करे। वह स्‍वयं को अधिक से अधिक 2 लोकसभा चुनावक्षेत्र से उम्‍मीदवार घोषित कर सकता है।

2.    वह उसी दिन अपनी जमानत राशि जमा कर देगा जिस दिन वह स्‍वयं की उम्‍मीदवारी की घोषणा करता है।

3.    उसे भारत का नागरिक होना जरूरी है और उसे कलक्‍टर को कोई ऐसा सबूत/प्रमाण दिखलाना पड़ेगा कि वह भारत का नागरिक है। उसका नाम मतदाता सूची में हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है।

4.    फार्म/प्रपत्र भरने के समय किसी को उसके नाम का समर्थन करने की जरूरत नहीं होगी।

5.         कोई भी नागरिक पटवारी (तलाटी) के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्‍क/फीस जमा करवाकर अपने चुनाव क्षेत्र के लिए किसी उम्‍मीदवार का समर्थन कर सकता है। कोई नागरिक बिना कोई शुल्‍क दिए अपना समर्थन किसी भी दिन रद्द कर सकता है। कोई नागरिक ज्‍यादा से ज्‍यादा 3 उम्‍मीदवारों का समर्थन कर सकता है। वह 3 रूपए की फीस देकर किसी उम्‍मीदवार का फिर से समर्थन कर सकता है।

6.         कलेक्‍टर उसके आवेदन पत्र को 7 दिनों में स्‍वीकार/अस्‍वीकार करेगा।

7.    कलेक्‍टर उसके आवेदन-पत्र की जांच तब करेगा जब 1000 नागरिक-मतदाताओं ने उसके नाम का समर्थन किया हो और यह गिनती लगातार 14 दिनों तक 1000 से उपर बनी रहे।

8.    यदि आवेदन-पत्र रद्द हो जाता है तो वह अपना आवेदन-पत्र फिर से भरकर जमा करा सकता है। जिन नागरिकों ने उसका (पहले) समर्थन किया है वह समर्थन बना/बरकरार रहेगा।

9.    आवेदन-पत्र भरने की अंतिम तिथि/तारीख चुनाव शुरू होने के 30 दिन पहले तक होगी।

10.   उसे अपनी आय/सम्‍पत्ति की पूरी जानकारी का लिखकर खुलासा करना होगा (उस दिन की स्‍थिति के अनुसार)।

11.   राजनैतिक दलों को कर/टैक्‍स का लाभ नहीं मिलेगा। राजनैतिक दलों को दान/चन्‍दा देने वालों को भी टैक्‍स का लाभ नहीं मिलेगा।

12.   कोई भी व्‍यक्‍ति राजनैतिक दलों को चन्‍दा/दान दे सकता है लेकिन राजनैतिक दलों को चन्‍दा/दान देने की इजाजत/अनुमति कम्‍पनियों को नहीं होगी।

13.   (चुनाव) प्रचार/अभियान के खर्चों को व्‍यावसायिक खर्च बताकर, कम करके नहीं बताया जा सकेगा।

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