5. सभी नागरिक
सभी नागरिकों को सूचित किया जाता है कि जिस क्षण उन्हें पता चलता है कि उनके कर्मचारी, पति / पत्नी, बच्चे, पिता, मां, भाई या बहन के पास आई.डी है, उन्हें डी.आई.ओ को अपने सर्वश्रेष्ठ ज्ञान के अनुसार आई.डी के बारे में और / या आवश्यक विवरण जैसे नाम, पता, फोटो और अन्य विवरण देना चाहिए |
6. सभी व्यक्तियों
सभी व्यक्तियों को सूचित किया जाता है कि यदि कोई गैर-नागरिक राष्ट्रीय आई.डी नंबर के लिए आवेदन करता है, तो जूरी उसपर 100,000 रुपये का अर्थदंड और / या 3 साल की जेल की सजा दे सकते हैं | संबंधित कानून पारित होने के बाद यह धारा प्रभावी हो जाएगा |
7. डी.आई.ओ, भारत में रहने वाले सभी गैर-नागरिक के लिए
डी.आई.ओ किसी भी निवास / नागरिकता प्रमाण के बारे में बिना पूछे राष्ट्रीय आई.डी नंबर जारी करेंगे | यदि व्यक्ति के पास कोई अन्य आई.डी नहीं है, तो डी.आई.ओ डी.एन.ए डाटा और उसके द्वारा बताएं गए नाम के आधार पर आई.डी जारी करेंगे | हालांकि, सभी गैर-नागरिकों को सूचित किया जाता है कि यदि गैर-नागरिक राष्ट्रीय आई.डी नंबर के लिए आवेदन करता है और उसे प्राप्त करने के 6 महीने के भीतर उसे आत्मसमर्पण नहीं करता है, तो जूरी 10 साल तक जेल की सजा दे सकते है और यहाँ तक उसे मौत की सजा भी दी जा सकती है |
8. राष्ट्रीय आई.डी सचिव, जूरी
राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी और डी.आई.ओ नागरिकों और कर्मचारियों के बीच विवाद और कर्मचारियों और नागरिकों के बीच विवाद का फैसला करने के लिए 12 क्रमरहित तरीके से चुने गए नागरिकों के जूरी के पैनल को बुलाएंगे | कर्मचारी या नागरिक अदालतों में फैसले को चुनौती दे सकता है |
9. राष्ट्रीय आई.डी सचिव
समय और बजट के अनुसार, राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी अतिरिक्त बॉयोमीट्रिक जानकारी जैसे सभी नागरिकों के रक्त का समूह विवरण प्राप्त कर सकते हैं |
10. सभी स्कूल के प्राचार्य (प्रिंसिपल)
सभी स्कूल के प्राचार्यों को सूचित किया जाता है कि हर साल, वे अपने स्कूलों से बाहर निकलने वाले छात्रों की सूची भेजेंगे और अपनी सर्वश्रेष्ठ जानकारी के अनुसार पढ़ाई करने वाले बच्चों के नामों और राष्ट्रीय आई.डी. नंबर के बारे में सूचित करेंगे |
11. राष्ट्रीय पहचान सचिव, नागरिक
फोटो, जन्म तिथि, रिश्तेदारों के नाम, शिक्षा स्थान, कार्यस्थल और डी.एन.ए छाप और राष्ट्रीय आई.डी संख्या धारक के रक्त समूह प्रोफाइल के अलावा अन्य डाटा को राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम में नहीं जोड़ा जाएगा, सिवाय इसके कि जब नागरिक-मतदाता बहुमत से अन्य डाटा को 31.4.1 के धारा 7 और 8 में वर्णित प्रक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम में जोड़ने के लिए अनुरोध नहीं करते हैं |
(31.5) निजी पहचान-पत्र कैसे बनाएं / सृजित करें? |
1. निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के लिए प्रधानमंत्री एक रजिस्ट्रार रखेंगे( नियुक्ति करेंगे)। बदलने की प्रक्रियाओं का प्रयोग करके नागरिक उसे बदल सकते हैं।
2. प्रधानमंत्री उसे निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बनाने के लिए आवश्यक पैसा/राशि उपलब्ध कराएंगे अथवा रजिस्ट्रार एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा जिसे जब नागरिकों अथवा सांसदों का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाएगा तब वह आवश्यक निधि/राशि प्राप्त करेगा।
3. नागरिक जूरी सुनवाई का प्रयोग करके निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के स्टॉफ को हटा/बर्खास्त कर सकते हैं।
4. रजिस्ट्रार (अथवा उसका स्टॉफ) निम्नलिखित जानकारी के साथ किसी जिले के निवासी भारतीय नागरिकों में से प्रत्येक नागरिक को 2, 3 या 4 से शुरू होने वाले 11 अंकों वाली नंबर/क्रमसंख्या जारी करेगा –
नाम, जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, फोटो, जन्म तिथि या जन्म प्रमाणपत्र, जन्म तिथि या स्कूल छोड़ने का पहचान-पत्र (यदि यह जन्म प्रमाणपत्र में दर्ज/लिखी तिथि से भिन्न हो), पता, अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट), रक्त समूह/ब्लड ग्रुप, डी.एन.ए. प्रिन्ट/छाप (बाद के स्तर के लिए), सीरियल नंबर/क्रम संख्या आदि।11 अंकों वाला नंबर “चैक-सम” अंक होगा|
5. पहले वर्ष के लिए, यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह भारतीय नागरिक है तो उसे एक निजी पहचान-पत्र मिलेगा। बाद में, राष्ट्रीय स्तर की कोई जूरी यह निर्णय देती है कि वह व्यक्ति भारतीय नागरिक नहीं है तो जूरी-मण्डल के सदस्य उसे 10,000 रुपये का जुर्माना और देश से बाहर निकलवा सकती है |
6. रजिस्ट्रार पहचान-पत्र के 2 कार्ड जारी करेगा – एक बड़ा और एक छोटा। छोटे कार्ड में केवल 4 जानकारियां होंगी – नाम, पहचान-पत्र नंबर/संख्या, जन्मतिथि और फोटो व अंगुली की छाप(फिंगर प्रिंट)। बड़े कार्ड पर अनेक जानकारियां होंगी जैसे – नाम जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, नाम जैसा कि स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र में दर्ज है, नाम जैसा पैन कार्ड पर दर्ज है, नाम जैसा पासपोर्ट में दर्ज है, पासपोर्ट, `स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र`, आदि में दर्ज विभिन्न जन्म तिथियां, , विस्तृत रक्त का नक्शा (प्रोफाइल), विस्तृत डी.एन.ए. नक्शा(प्रोफाइल), यदि उपलब्ध हो, इत्यादि, इत्यादि।
7. रजिस्ट्रार का स्टॉफ, फोटो और अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेगा और उन्हें स्कैन करके कम्प्यूटर में दर्ज कर देगा। प्रत्येक नागरिक के लिए, निरीक्षक/सुपरवाईजर क्रमरहित तरीके से 3 क्लर्क का चयन करेगा जो अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेंगे और फोटो खीचेंगे और इन्हें स्कैन करके कम्प्यूटर में दर्ज करेंगे। रजिस्ट्रार उन मामलों की जांच करने के लिए एक अधिकारी रखेगा, जिन मामलों में ये अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) (आपस में) नहीं मिलेंगे और जिस स्टॉफ ने गलती की है उसे हटा/निकाल दिया जाएगा।
8. रक्त/खून की नक़्शे प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्रार के पास तहसील (स्थित) कार्यालय में 20-40 टेक्नीशियन/तकनीकी विशेषज्ञ होंगे जो रक्त/खून के ब्यौरे प्राप्त करेंगे। प्रत्येक नागरिक के लिए रजिस्ट्रार का क्लर्क क्रमरहित तरीके से 3 तकनीशियनों/मिस्त्री का चयन करेगा जो रक्त/ब्लड के नमूने लेंगे। ब्लड ग्रुप/रक्त वर्ग की जानकारियों को केवल तभी दर्ज किया जाएगा जब तीनों जांचों का नतीजा/परिणाम एक समान आएगा। रजिस्ट्रार उन मामलों की जांच स्वयं करेगा जिन मामलों में नमूने आपस में नहीं मिल रहे हों और उस तकनीशियन को अयोग्य/नापास करेगा जिसके 1 प्रतिशत से ज्यादा परिणाम बिलकुल सही नहीं होंगे।
9. बाद में, रजिस्ट्रार सभी नागरिकों के डी.एन.ए. की जानकारियां उम्र के घटते हुए क्रम में लेगा/सजाएगा।
(31.6) संयुक्त राज्य अमेरिका में आई.डी सिस्टम |
बुद्धिजीवियों ने नागरिकों को यह कहते हुए गुमराह किया है कि “अमेरिका में आई.डी सिस्टम है, लेकिन अमेरिका अवैध अप्रवासन (अवैध परदेशी) को रोकने में सक्षम नहीं रहा है, इसलिए भारत को आई.डी सिस्टम में समय और पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए” | उनके दावे गलत हैं | अमेरिका में आई.डी सिस्टम और रिकॉर्ड हैं जो सरकार को नागरिक, कानूनी अप्रवासी या अवैध अप्रविसियों को साबित करने और अस्वीकार करने में सक्षम बनाती हैं | इसलिए अमेरिकी सरकार को जब और जहाँ आवश्यकता होती है वह आप्रवासियों को निष्कासित करने में सक्षम हैं | अमेरिकी सरकार अवैध आप्रवासियों को निष्कासित नहीं करती है क्योंकि वे सस्ते श्रम प्रदान करते हैं और अवैध अप्रवासी अमेरिका की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा नहीं हैं |