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अध्याय 31 – राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) लागू करने पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्‍ताव

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 राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) लागू करने पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्‍ताव

   

(31.1) राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम की आवश्यकता क्यों है?

राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम क्या है? एक राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम नागरिकों का रिकॉर्ड है, जो उनको पहचानने के लिए आवश्यक है | राष्ट्रीय आई.डी केवल एक आई.डी कार्ड नहीं है – यह कार्ड छोटा, कमजोर और इसका सबसे महत्वहीन हिस्सा है | आई.डी सिस्टम का मुख्य हिस्सा सरकारी रजिस्टरों या कंप्यूटरों में है तथा इसकी सटीकता और पूर्णता में है | संपूर्णता बहुत महत्वपूर्ण है – एक प्रणाली जहाँ 95% नागरिकों के पास राष्ट्रीय आई.डी संख्या है और 5% वास्तविक नागरिकों के पास राष्ट्रीय आई.डी संख्या नहीं है, अनेक उद्देश्यों के लिए निष्क्रिय (बेकार) है |

एक अच्छी राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम का सबसे बेहतर संभावित उपयोग यह है कि – यह सरकारी अधिकारियों को भारत में अधिकाधिक संख्या में प्रवेश करने से अवैध बांग्लादेशियों को रोकने में सहायता कर सकती है. और एक बेहतर राष्ट्रीय आई.डी प्रणाली बाद में अधिकारियों को यह साबित करने या अस्वीकार करने में भी सक्षम बना सकती है कि एक संदिग्ध व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बल्कि अवैध बांग्लादेशी है | अवैध आप्रवासन (घुसपैठिये) की समस्या कितनी गंभीर है? हमारी राय में – भारतीय सैन्य शक्ति को कमजोर करने और गरीबी के ठीक बाद – यह तीसरा सबसे बड़ा खतरा है | यह आम जन-जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार से भी बड़ा ख़तरा है | भारत में 2 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी हैं, और रोज अधिक से अधिक आ रहे हैं |

अवैध बांग्लादेशियों के तीन सबसे खराब संभावित परिणाम होंगे – (1) आने वाले दिनों में भारत बनाम पाकिस्तान \ चीन \ बांग्लादेश के युद्ध में, चीन भारत में 10 लाख से अधिक बांग्लादेशियों को बंदूकें, हथगोले और रॉकेट लांचर भेजने का प्रबंधन कर सकता है; इस तरह रातोंरात 10000 या उससे अधिक कसाब को तैयार किया जा सकता हैं, और यह सिर्फ नागरिकों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना को भी युद्ध के बिना बर्बाद कर सकता है, (2) अगर उत्तर पूर्व और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती तहसीलों में बांग्लादेशियों की आबादी दिनोंदिन इसी प्रकार से बढ़ती रही, तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब आप्रवासी बांग्लादेशी भारत से अलग होकर बांग्लादेश के साथ मिलने के लिए हिंसक आंदोलन शुरू कर सकते है; इसप्रकार उत्तर पूर्व और पश्चिम बंगाल के वे तहसील बांग्लादेश का हिस्सा बन सकते हैं और उत्तर पूर्व में करोड़ों भारतीयों को मौत के घात उतारा जा सकता है और उनके साथ बलात्कार किया जा सकता है, जैसा कि 1947 में लोगों के साथ किया गया था | (3) तीसरी संभावना है – उपर्युक्त दोनों है |

अब एक बेहतर राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम और अन्य सरल कार्यों का उपयोग करके, सभी अवैध बांग्लादेशियों को रोकना और बाद में उनकी पहचान करना संभव है | लेकिन यह बड़े ही खेद की बात है कि, यू.आई.डी.ए.आई द्वारा बनाई जा रही राष्ट्रीय आइ.डी. सिस्टम (यू.आई.डी प्रणाली) अर्थात भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में ऐसी सुविधाओं की कमी है जो सरकारी अधिकारियों को अवैध बांग्लादेशों को रोकने और उनकी पहचान करने में सक्षम बना सके | अब सवाल यह उठता है कि यू.आई.डी.ए.आई अध्यक्ष इन सुविधाओं को सिस्टम में क्यों नहीं जोड़ रहे है? ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत के नागरिकों के पास यू.आई.डी.ए.आई अध्यक्ष वापस बुलाने का अधिकार नहीं है | बांग्लादेशों को देश में आने से रोकने और देश में रह रहे बांग्लादेशियों को निष्कासित करने में रुचि रखने वाले कार्यकर्ताओं के लिए पहला कदम राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति पर राईट टू रिकॉल लागू करना होना चाहिए | अध्याय-33 में अवैध आप्रवासन समस्या और संभावित समाधानों के बारे में अधिक जानकारी दी गई है | यह अध्याय मुख्य रूप से आई.डी सिस्टम का वर्णन करता है |

   

(31.2) मौजूदा यूआई.डी सिस्टम को रद्द करते हुए – उसे राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम द्वारा प्रतिस्थापित किया (बदला) जाना चाहिए

0.उद्देश्य – देश में मौजूदा प्रणाली में आधार कार्ड के दुरुपयोग की संभावनाएं है | आज तक, नागरिकों के पास शिकायतें करने के लिए कोई नागरिक सत्यापन योग्य मीडिया मंच नहीं है, न ही उनके पास कोई जूरी प्रणाली है जो समस्याओं का जल्दी और उचित तरीके से समाधान कर सके और न ही नागरिकों को सिस्टम का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों को बदलने का अधिकार है | अधिकारियों द्वारा डाटा चोरी, पहचान की चोरी और भेदभाव के आधार के कुछ संभावित दुरुपयोग हैं, विशेष रूप से क्योंकि इसमें प्रत्येक नागरिक का फिंगर छाप और रेटिना स्कैन शामिल हैं |

1. आधार अधिनियम 2016, मनी बिल 2017, आईटी अधिनियम धारा 139 AA को रद्द करना

आधार अधिनियम 2016, आईटी अधिनियम 1961 धारा 139AA को रद्द कर दिया जाता है |

2.आधार नंबर को रद्द करना

(1) इस अधिनियम को पारित होने के दिन या उसके बाद किसी भी समय यू.आई.डी.ए.आई द्वारा कोई आधार नंबर जारी नहीं की जानी चाहिए |

(2) उस दिन से पहले सभी आधार नंबर जो तत्काल वैध हैं उन्हें उस दिन से शुरू करके 15 दिनों की अवधि के अंत होने पर प्रधानमंत्री या कैबिनेट सेक्रेटरी द्वारा रद्द कर दिया जाना चाहिए |

(3) उस दिन के बाद, जितना उचित रूप से व्यावहारिक हो,  कैबिनेट सेक्रेटरी को प्रत्येक आधार नंबर होल्डर को एक पत्र भेजेंगे|
(A) आधार नंबर धारक (होल्डर) को सूचित करते हुए कि आधार नंबर होल्डर के आधार नंबर को उपधारा (2) में उल्लिखित कानून के अधीन रद्द कर दिया है, और

(B) आधार नंबर धारक को रद्द करने के परिणामों के बारे में ऐसी जानकारी प्रदान करना जिसे कैबिनेट सेक्रेटरी उचित समझते है |

(4) उपधारा (3) के अधीन एक पत्र राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में दर्ज किए गए पते (जिसे भेजा जाता है) पर आधार नंबर धारक के भारत में निवास स्थान के पते पर भेजा जाना चाहिए |

(5) इस खंड में वर्णित उद्देश्यों के लिए एक व्यक्ति “आधार नंबर धारक” है यदि-

(A) व्यक्ति को आधार नंबर जारी किया गया है, और

(B) आधार संख्या उस दिन से पहले वैध है जिस दिन को यह अधिनियम पारित किया गया है |

(6) इस खंड में “आधार नंबर” का अर्थ आधार अधिनियम 2016 जैसा दिया गया है, वैसा ही है |

3.राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और आधार नंबर डाटाबेस में दर्ज की गई सूचनाओं को नष्ट करना और यूआई.डी.ए.आई को भंग करना
प्रधानमंत्री को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और आधार डाटाबेस में दर्ज की गई सभी सूचनाओं को नष्ट कर दिया गया है और इस अधिनियम के 3 महीने के भीतर यू.आई.डी.ए.आई का विघटन किया जाता है (समाप्ति की जाती है) |

यू.आई.डी.ए.आई का अर्थ आधार अधिनियम 2016 जैसा ही है |

4.वर्तमान में आधार कार्ड से जुड़ी योजनाएं – आधार सिस्टम के रद्द होने के बाद, वर्तमान में चल रही योजनाएं उस बैंक खाते से जुड़ी रहेंगी, जिस बैंक खाते के साथ वे वर्तमान में जुड़ी हुई हैं जब तक कि नागरिक उस योजना को उसके किसी अन्य बैंक खाते से जोड़ने के लिए अनुरोध नहीं करता है |

5.नया राष्ट्रीय आई.डी नंबर जारी किया जाएगा | इसके बारे में उल्लेख बाद के खंडों में किया गया है |

   

(31.3) कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री को एक सुरक्षित और प्रभावी राष्ट्रीय आई.डी प्रणाली लागू करने के लिए दबाव डालने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए

1. राजपत्र में टी.सी.पी छपवाने के लिए प्रधानमंत्री को राजी करें : कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री को राजपत्र में टी.सी.पी उर्फ पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली को छपवाने के लिए राजी करना चाहिए, ताकि टी.सी.पी का प्रयोग करके, नागरिक और कार्यकर्ता कम प्रयास और समय देकर भी अन्य बदलाव ला सकें| (अधिक विवरण के लिए अध्याय 1, अनुभाग 1.2 को देखें)

2. टी.सी.पी का उपयोग करके, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को प्रधानमंत्री को राईट टू रिकॉल-प्रधानमंत्री (प्रधानमंत्री को बदलने के अधिकार) को राजपत्र में छपवाने के लिए राजी करना चाहिए | इससे प्रधानमंत्री के काम में सुधार होगा और प्रधानमंत्री को बांग्लादेशियों को रोकने और मौजूदा बांग्लादेशियों को निष्कासित करने (देश से निकालने) के लिए जरूरी राजपत्र अधिसूचनाओं को छपवाने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा |

3. राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी (सचिव) को बदलने का अधिकार (राईट टू रिकॉल) – एक बार राजपत्र में टी.सी.पी छपने के बाद, कार्यकर्ता प्रधानमंत्री को यू.आई.डी.ई प्रणाली को रद्द करने और एक नया राष्टीय आई.डी. प्रणाली बनाने के लिए मजबूर कर सकते हैं | प्रधनमंत्री एक पद राष्ट्रीय आई.डी सचिव बना सकते हैं और उस पर राईट टू रिकॉल (नागरिकों का बदलने का अधिकार) भी राजपत्र में छपवा सकते हैं | सेक्रेटरी पर राईट टू रिकॉल के बिना, सेक्रेटरी केवल प्रक्रिया में देरी करेंगे ताकि इस्लामवादियों, ईसाईवादियों और बेनामी भूमि धारकों को लाभ हो और राष्ट्रीय आई.डी प्रणाली को भी कमजोर बनाए रखेंगे | इसके अलावा, राईट टू रिकॉल की अनुपस्थिति में, सेक्रेटरी गलत खर्चों को बढ़ाने की पूरी कोशिश करेंगे | तो राष्ट्रीय आई.डी सचिव (सेक्रेटरी) पर राईट टू रिकॉल होना बहुत जरूरी है | कार्यकर्ता प्रधानमंत्री को राजपत्र में राष्ट्रीय आई.डी पर राईट टू रिकॉल प्रक्रिया छपवाने के लिए मजबूर कर सकते हैं और प्रधानमंत्री को राजपत्र में टी.सी.पी छपवाने के लिए मजबूर करने और टी.सी.पी का उपयोग करके वे राईट टू रिकॉल-राष्ट्रीय आई.डी-सेक्रेटरी के लिए व्यापक नागरिक सहयोग के मौजूद होने की बात को साबित कर सकते है |

4. सभी नागरिकों के डी.एन.ए डाटा और वंशावली (फैमिली ट्री) का निर्माण किया जाना चाहिए : सभी नागरिकों के डी.एन.ए छाप को आई.डी सिस्टम में जोड़ा जाना चाहिए और परिवार डी.एन.ए का वृक्ष बनाया जाना चाहिए | शुरुआत में, सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए डी.एन.ए छाप अनिवार्य किया जाना चाहिए, फिर सभी नागरिक जो सालाना 10 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, फिर नागरिक जो प्रति वर्ष 5 लाख रुपये कमाते हैं, फिर उन सभी नागरिकों के लिए जो सालाना 200,000 रुपये कमाते हैं और अंत में सभी नागरिकों के लिए डी.एन.ए छाप अनिवार्य किया जाना चाहिए |

5. केवल डी.एन.ए डाटा के साथ राष्ट्रीय आई.डी नंबर जारी करना : राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी को केवल डी.एन.ए डाटा का उपयोग करके एक वर्ष के भीतर बच्चों सहित भारत में प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय आई.डी नंबर जारी करना चाहिए | राष्ट्रीय आई.डी संख्या को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाना चाहिए | यह जरूरी है क्योंकि लगभग 3 करोड़ नागरिकों (असली भारतीय नागरिक, बांग्लादेशी नहीं) के पास कोई मतदाता कार्ड या राशन कार्ड या कोई अन्य कार्ड नहीं है !! और जितनी जल्दी हो सके राष्ट्रीय आई.डी. नंबर जारी करना आवश्यक है | यदि अन्य आई.डी पूर्व शर्त के रूप में रखी जाती हैं, तो सभी 120 करोड़ नागरिकों को आई.डी जारी करने में विलंब होगा और लगभग 3 करोड़ भारतीय नागरिकों को यह कभी प्राप्त नहीं हो सकेगा |

6. गैर-नागरिक को जेल भेजने या मौत की सजा देने के प्रावधान को राजपत्र में छपवाना यदि वह राष्ट्रीय आई.डी संख्या के लिए आवेदन करता है : अभी तक, हम नागरिकों और सरकार के पास राष्ट्रीय आई.डी नंबर जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है यदि कोई व्यक्ति आता है और कहता है कि वह भारत का नागरिक है और दस्तावेजों या गवाहों के बिना आई.डी प्राप्त करना चाहता है | अभी तक, हम इसे रोकने के लिए कोई उपाय खोजने में समर्थ नहीं हुए हैं, क्योंकि लगभग 3 करोड़ असली भारतीय नागरिकों के पास कोई दस्तावेज नहीं है – यहाँ तक कि राशन कार्ड भी नहीं है | इसलिए यदि कोई अवैध अप्रवासी जैसे बांग्लादेशी आता हैं और कहता हैं कि वह भारत का नागरिक है और आई.डी की मांग करता है, तो क्लर्क उसे आई.डी दे देगा | लेकिन एक प्रतिरोध (रोक) के रूप में, हमें प्रधानमंत्री को राजपत्र में राष्ट्रीय आई.डी संख्या कानून में एक धारा छपवाने के लिए मजबूर करना चाहिए कि “यदि गैर-नागरिक राष्ट्रीय आई.डी नंबर के लिए आवेदन करता है, तो ज्यूरी सदस्य उसे अधिकतम 15 साल तक कैद की सजा या मृत्युदंड दे सकते है” | जब लगभग 1000-1500 बांग्लादेशों को कैद की सजा दी जाएगी और लगभग 10-15 को फांसी दे दी जाएगी, तो शेष एक करोड़ बांग्लादेशी अपने आप आवेदन करना बंद कर देंगे |

7. माता-पिता के राष्ट्रीय आई.डी. नंबर के साथ जोड़ना : व्यक्ति का राष्ट्रीय आई.डी नंबर डाटा उसके माता-पिता के राष्ट्रीय आई.डी नंबर से जुड़ा होना चाहिए | यदि आई.डी जारी करने से पहले माता-पिता की मृत्यु हो जाती है, तो सिस्टम को उन तथ्यों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए | ऐसा कदम अधिक नए आने वाली बांग्लादेशियों को रोकने के लिए आवश्यक और पर्याप्त है | कैसे ? अधिक जानकारी के लिए कृपया अध्याय-33 देखें |

8. रक्त संबंधियों के राष्ट्रीय आई.डी. नंबर के साथ किसी व्यक्ति के राष्ट्रीय आई.डी नंबर को जोड़ना : बाद में, हमें यथासंभव रक्त संबंधियों की राष्ट्रीय आई.डी. नंबर को जोड़ना चाहिए और इसका क्रॉस संदर्भ भी रखना चाहिए | क्रॉस संदर्भ का अर्थ है – यदि `ए` के डाटा में `ए` के रक्त भाई के रूप में `बी` सूचीबद्ध है, तो इसके विपरीत भी होना चाहिए | यह भारत में अवैध बांग्लादेशियों की निगरानी करने में और उपयोगी होगा | कैसे ? अधिक जानकारी के लिए कृपया अध्याय-33 देखें |

9. एक नागरिक भुगतान कर एक छोटा आई.डी कार्ड और एक लंबा प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है | छोटे कार्ड में नाम, आई.डी संख्या, जन्म तिथि और फोटो जैसे बहुत कम विवरण होंगे | लंबे प्रमाण पत्र में कई विवरण जैसे कि पासपोर्ट या राशन कार्ड पर नाम और जन्म की विभिन्न तिथियां, और विस्तृत रक्त प्रोफाइल, विस्तृत डी.एन.ए-प्रोफाइल आदि शामिल होगा |

10. राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम कर्मचारियों पर जूरी की जाँच : कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री को राजपत्र में जूरी आधारित प्रक्रिया को राजपत्र में छपवाने के लिए मजबूर करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम के कर्मचारियों आवश्यकतानुसार निष्काषित किया जा सके |

11. कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी से राष्ट्रीय आई.डी नंबर के अंत में `जांच योग अंक` जोड़ने के लिए कहना चाहिए |

12. बाद में, क्रमरहित (रैंडम) तरीके से चुने गए तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं से रक्त समूह के विवरणों को जोड़ें |

   

(31.4) राष्ट्रीय आई.डी नंबर सिस्टम में सुधार करने के लिए प्रस्तावित राजपत्र अधिसूचना का मसौदा (मौजूदा आधार प्रणाली रद्द होने के बाद – भाग 31.2 देखें)

 31.4.1 :  राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी को बदलने (राईट टू रिकॉल) के अधिकार के लिए राजपत्र सूचना

#.  के लिए प्रक्रिया
प्रक्रिया / निर्देश

1. – केवल इस अनुभाग में नागरिक का मतलब मतदाता से है |

2. जिलाधिकारी (कलेक्टर), प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री एक राष्ट्रीय आई.डी. सेक्रेटरी नियुक्त करेंगे | उसे एक आई.एस.एस या आई.ई.एस (भारतीय स्टेस्टिकल या इकोनॉमिकल सर्विसेज) अधिकारी होना चाहिए |

यदि भारत का कोई भी नागरिक राष्ट्रीय आई.डी. सेक्रेटरी के पद को धारण करना चाहता है  और जिलाधिकारी के समक्ष उपस्थित होता है, तो जिलाधिकारी सांसद चुनाव के लिए जमा राशि जितना शुल्क जमा करने के बाद राष्ट्रीय आई.डी. सेक्रेटरी के लिए उसकी उम्मीदवारी को स्वीकार करेंगे |

3. तलाटी (जिसे पटवारी, लेखपाल या ग्राम अधिकारी भी कहा जाता है), (या तलाटी का क्लर्क)

यदि कोई नागरिक तलाटी के कार्यालय में आता है और 3 रूपये के शुल्क का भुगतान करता है, और राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी के लिए अधिकतम पांच लोगों को स्वीकृति देता है, तो तलाटी कंप्यूटर में उसके स्वीकृति को दर्ज करेगा और उसे उसके मतदाता-आई.डी संख्या, तिथि / समय और उसने जिन व्यतियों को स्वीकृति दी थी उसके नाम के साथ रसीद प्रदान करेगा | बाद में, प्रधानमंत्री इस प्रणाली को ए.टी.एम पर स्थापित कर सकते है और एस.एम.एस के माध्यम से भी इसका उपयोग किया जा सकता सकता है |

4. तलाटी

तलाटी नागरिक की मतदाता-आई.डी संख्या और उनकी स्वीकृति के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर नागरिकों की प्राथमिकताओं को रखेंगे |

5. तलाटी

यदि कोई नागरिक अपने अनुमोदन को रद्द करने के लिए आता है, तो तलाटी बिना किसी शुल्क के उसके एक या अधिक अनुमोदन को रद्द कर देगा |

6. प्रधानमंत्री

यदि किसी उम्मीदवार को भारत में 15 करोड़ से अधिक नागरिक-मतदाताओं की स्वीकृति प्राप्त होती है, तो प्रधानमंत्री मौजूदा राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी को निष्कासित कर सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है | और उच्चतम स्वीकृति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रीय पहचान सेक्रेटरी के रूप में नियुक्ति कर सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है | इस संबंध में प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होगा |

7. जिलाधिकारी (कलेक्टर)

यदि कोई नागरिक इस कानून में बदलाव चाहता है, तो वह जिलाधिकारी के कार्यालय में या जिलाधिकारी के पास एक हलफनामा जमा कर सकता है और उसका क्लर्क प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर 20 / – रुपये का शुल्क लेकर एफिडेविट को वेबसाईट पर डालेंगे | यदि किसी उम्मीदवार के पास मौजूदा राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी की तुलना में 1 करोड़ अधिक स्वीकृतियाँ है, तो प्रधानमंत्री उन्हें राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी नियुक्त कर सकते हैं |

8. तलाटी (या पटवारी)

यदि कोई नागरिक इस कानून-मसौदे या किसी भी सेक्शन के बारे में अपना विरोध दर्ज करना चाहता है या उपरोक्त खंड में जमा किए गए किसी एफिडेविट में हाँ-नहीं पंजीकृत करना चाहता है, और वह मतदाता-आई.डी के साथ तलाटी के कार्यालय में आता है और 3 रुपये का भुगतान करता है, तो तलाटी हाँ-नहीं को कंप्यूटर में दर्ज करेगा और उसे रसीद देगा | प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर मतदाता-आई.डी नंबर के साथ हाँ-नो को पोस्ट किया जाएगा |

31.4.2 :  राजपत्र सूचना 2 : राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम और इसके सेक्रेट्री के कार्य

#.  के लिए प्रक्रिया
प्रक्रिया / निर्देश

1. राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेट्री
राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेट्री प्रत्येक जिला के लिए जिला आई.डी अधिकारी (डी.आई.ओ) और प्रत्येक राज्य के लिए राज्य आई.डी अधिकारी (एस.आई.ओ) की नियुक्ति करेंगे | एक डी.आई.ओ राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी द्वारा निर्धारित किए गए एक या एक से अधिक जिलों में काम कर सकता है | आवश्यकतानुसार डी.आई.ओ ताहसील स्तर पर कार्यालय खोल सकता है |

2. राष्ट्रीय पहचान सचिव, एस.आई.ओ, डी.आई.ओ

राष्ट्रीय पहचान सेक्रेटरी प्रतिनियुक्ति पर सरकारी कर्मचारियों का उपयोग कर सकते हैं या आई.आई.टी-जे.ई.ई, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया चयन परीक्षा, सी.ए.टी या किसी मौजूदा परीक्षा में खुले प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती कर सकते हैं, जैसा कि वह उचित समझते है |

3. राष्ट्रीय आई.डी सचिव

राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी प्रधानमंत्री या संसद या दोनों से आई.डी और संबंधित सूचनाओं का निर्माण करने और उनका रखरखाव करने के लिए आवश्यक धनराशि की मांग कर सकते हैं |

4. सभी नागरिक

कोई भी नागरिक डी.आई.ओ कार्यालय, या डी.आई.ओ द्वारा खोला गया तहसील स्तर कार्यालय का दौरा कर सकता है, और डी.एन.ए छाप और मौजूदा आई.डी की फोटो कॉपी जमा कर सकता है और राष्ट्रीय आई.डी नंबर के लिए आवेदन कर सकता है | डी.आई.ओ या डी.आई.ओ द्वारा नियुक्त अधिकारी डी.एन.ए छाप लेंगे और सिस्टम में आई.डी सूचना दर्ज करेंगे, और उसका आवेदक नागरिक द्वारा सत्यापित करवाएंगे | यदि नागरिक के पास कोई आई.डी नहीं है, तो डी.आई.ओ उसके कथनानुसार उसका नाम दर्ज करेंगे, उसका पासपोर्ट आकार का चित्र और उसका डी.एन.ए छाप लेकर उसे एक आई.डी जारी करेगा |

5. सभी नागरिक

सभी नागरिकों को सूचित किया जाता है कि जिस क्षण उन्हें पता चलता है कि उनके कर्मचारी, पति / पत्नी, बच्चे, पिता, मां, भाई या बहन के पास आई.डी है, उन्हें डी.आई.ओ को अपने सर्वश्रेष्ठ ज्ञान के अनुसार आई.डी के बारे में और / या आवश्यक विवरण जैसे नाम, पता, फोटो और अन्य विवरण देना चाहिए |

6. सभी व्यक्तियों

सभी व्यक्तियों को सूचित किया जाता है कि यदि कोई गैर-नागरिक राष्ट्रीय आई.डी नंबर के लिए आवेदन करता है, तो जूरी उसपर 100,000 रुपये का अर्थदंड और / या 3 साल की जेल की सजा दे सकते हैं | संबंधित कानून पारित होने के बाद यह धारा प्रभावी हो जाएगा |

7. डी.आई.ओ, भारत में रहने वाले सभी गैर-नागरिक के लिए

डी.आई.ओ किसी भी निवास / नागरिकता प्रमाण के बारे में बिना पूछे राष्ट्रीय आई.डी नंबर जारी करेंगे | यदि व्यक्ति के पास कोई अन्य आई.डी नहीं है, तो डी.आई.ओ डी.एन.ए डाटा और उसके द्वारा बताएं गए नाम के आधार पर आई.डी जारी करेंगे | हालांकि, सभी गैर-नागरिकों को सूचित किया जाता है कि यदि गैर-नागरिक राष्ट्रीय आई.डी नंबर के लिए आवेदन करता है और उसे प्राप्त करने के 6 महीने के भीतर उसे आत्मसमर्पण नहीं करता है, तो जूरी 10 साल तक जेल की सजा दे सकते है और यहाँ तक उसे मौत की सजा भी दी जा सकती है |

8. राष्ट्रीय आई.डी सचिव, जूरी

राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी और डी.आई.ओ नागरिकों और कर्मचारियों के बीच विवाद और कर्मचारियों और नागरिकों के बीच विवाद का फैसला करने के लिए 12 क्रमरहित तरीके से चुने गए नागरिकों के जूरी के पैनल को बुलाएंगे | कर्मचारी या नागरिक अदालतों में फैसले को चुनौती दे सकता है |

9. राष्ट्रीय आई.डी सचिव

समय और बजट के अनुसार, राष्ट्रीय आई.डी सेक्रेटरी अतिरिक्त बॉयोमीट्रिक जानकारी जैसे सभी नागरिकों के रक्त का समूह विवरण प्राप्त कर सकते हैं |

10. सभी स्कूल के प्राचार्य (प्रिंसिपल)

सभी स्कूल के प्राचार्यों को सूचित किया जाता है कि हर साल, वे अपने स्कूलों से बाहर निकलने वाले छात्रों की सूची भेजेंगे और अपनी सर्वश्रेष्ठ जानकारी के अनुसार पढ़ाई करने वाले बच्चों के नामों और राष्ट्रीय आई.डी. नंबर के बारे में सूचित करेंगे |

11. राष्ट्रीय पहचान सचिव, नागरिक

फोटो, जन्म तिथि, रिश्तेदारों के नाम, शिक्षा स्थान, कार्यस्थल और डी.एन.ए छाप और राष्ट्रीय आई.डी संख्या धारक के रक्त समूह प्रोफाइल के अलावा अन्य डाटा को राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम में नहीं जोड़ा जाएगा, सिवाय इसके कि जब नागरिक-मतदाता बहुमत से अन्य डाटा को 31.4.1 के धारा 7 और 8 में वर्णित प्रक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय आई.डी सिस्टम में जोड़ने के लिए अनुरोध नहीं करते हैं |

   

(31.5) निजी पहचान-पत्र कैसे बनाएं / सृजित करें?

1.    निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के लिए प्रधानमंत्री एक रजिस्‍ट्रार रखेंगे( नियुक्‍ति करेंगे)। बदलने की प्रक्रियाओं का प्रयोग करके नागरिक उसे बदल सकते हैं।

2.    प्रधानमंत्री उसे निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बनाने के लिए आवश्‍यक पैसा/राशि उपलब्‍ध कराएंगे अथवा रजिस्‍ट्रार एक प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करेगा जिसे जब नागरिकों अथवा सांसदों का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाएगा तब वह आवश्‍यक निधि/राशि प्राप्‍त करेगा।

3.    नागरिक जूरी सुनवाई का प्रयोग करके निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के स्‍टॉफ को हटा/बर्खास्‍त कर सकते हैं।

4.    रजिस्‍ट्रार (अथवा उसका स्‍टॉफ) निम्‍नलिखित जानकारी के साथ किसी जिले के निवासी भारतीय नागरिकों में से प्रत्‍येक नागरिक को 2, 3 या 4 से शुरू होने वाले 11 अंकों वाली नंबर/क्रमसंख्‍या जारी करेगा –

नाम, जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, फोटो, जन्‍म तिथि या जन्‍म प्रमाणपत्र, जन्‍म तिथि या स्‍कूल छोड़ने का पहचान-पत्र (यदि यह जन्‍म प्रमाणपत्र में दर्ज/लिखी तिथि से भिन्‍न हो), पता, अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट), रक्‍त समूह/ब्‍लड ग्रुप, डी.एन.ए. प्रिन्‍ट/छाप (बाद के स्‍तर के लिए), सीरियल नंबर/क्रम संख्‍या आदि।11 अंकों वाला नंबर “चैक-सम” अंक होगा|

5.    पहले वर्ष के लिए, यदि कोई व्‍यक्‍ति यह कहता है कि वह भारतीय नागरिक है तो उसे एक निजी पहचान-पत्र मिलेगा। बाद में, राष्‍ट्रीय स्‍तर की कोई जूरी यह निर्णय देती है कि वह व्‍यक्‍ति भारतीय नागरिक नहीं है तो जूरी-मण्‍डल के सदस्‍य उसे 10,000 रुपये का जुर्माना और देश से बाहर निकलवा सकती है |

6.    रजिस्‍ट्रार पहचान-पत्र के 2 कार्ड जारी करेगा – एक बड़ा और एक छोटा। छोटे कार्ड में केवल 4 जानकारियां होंगी – नाम, पहचान-पत्र नंबर/संख्‍या, जन्‍मतिथि और फोटो व अंगुली की छाप(फिंगर प्रिंट)। बड़े कार्ड पर अनेक जानकारियां होंगी जैसे – नाम जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, नाम जैसा कि स्‍कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र में दर्ज है, नाम जैसा पैन कार्ड पर दर्ज है, नाम जैसा पासपोर्ट में दर्ज है, पासपोर्ट, `स्‍कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र`, आदि में दर्ज विभिन्‍न जन्‍म तिथियां, , विस्‍तृत रक्‍त का नक्शा (प्रोफाइल), विस्‍तृत डी.एन.ए. नक्शा(प्रोफाइल), यदि उपलब्‍ध हो, इत्‍यादि, इत्‍यादि।

7.    रजिस्‍ट्रार का स्टॉफ, फोटो और अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेगा और उन्‍हें स्‍कैन करके कम्‍प्‍यूटर में दर्ज कर देगा। प्रत्‍येक नागरिक के लिए, निरीक्षक/सुपरवाईजर क्रमरहित तरीके से 3 क्‍लर्क का चयन करेगा जो अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेंगे और फोटो खीचेंगे और इन्‍हें स्‍कैन करके कम्‍प्‍यूटर में दर्ज करेंगे। रजिस्‍ट्रार उन मामलों की जांच करने के लिए एक अधिकारी रखेगा, जिन मामलों में ये अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) (आपस में) नहीं मिलेंगे और जिस स्‍टॉफ ने गलती की है उसे हटा/निकाल दिया जाएगा।

8.    रक्त/खून की नक़्शे प्राप्‍त करने के लिए रजिस्‍ट्रार के पास तहसील (स्‍थित) कार्यालय में 20-40 टेक्‍नीशियन/तकनीकी विशेषज्ञ होंगे जो रक्‍त/खून के ब्‍यौरे प्राप्‍त करेंगे। प्रत्‍येक नागरिक के लिए रजिस्‍ट्रार का क्‍लर्क क्रमरहित तरीके से 3 तकनीशियनों/मिस्त्री का चयन करेगा जो रक्‍त/ब्‍लड के नमूने लेंगे। ब्‍लड ग्रुप/रक्त वर्ग की जानकारियों को केवल तभी दर्ज किया जाएगा जब तीनों जांचों का नतीजा/परिणाम एक समान आएगा। रजिस्‍ट्रार उन मामलों की जांच स्‍वयं करेगा जिन मामलों में नमूने आपस में नहीं मिल रहे हों और उस तकनीशियन को अयोग्‍य/नापास करेगा जिसके 1 प्रतिशत से ज्‍यादा परिणाम बिलकुल सही नहीं होंगे।

9.    बाद में, रजिस्‍ट्रार सभी नागरिकों के डी.एन.ए. की जानकारियां उम्र के घटते हुए क्रम में लेगा/सजाएगा।

   

(31.6) संयुक्त राज्य अमेरिका में आई.डी सिस्टम

बुद्धिजीवियों ने नागरिकों को यह कहते हुए गुमराह किया है कि “अमेरिका में आई.डी सिस्टम है, लेकिन अमेरिका अवैध अप्रवासन (अवैध परदेशी) को रोकने में सक्षम नहीं रहा है, इसलिए भारत को आई.डी सिस्टम में समय और पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए” | उनके दावे गलत हैं | अमेरिका में आई.डी सिस्टम और रिकॉर्ड हैं जो सरकार को नागरिक, कानूनी अप्रवासी या अवैध अप्रविसियों को साबित करने और अस्वीकार करने में सक्षम बनाती हैं | इसलिए अमेरिकी सरकार को जब और जहाँ आवश्यकता होती है वह आप्रवासियों को निष्कासित करने में सक्षम हैं | अमेरिकी सरकार अवैध आप्रवासियों को निष्कासित नहीं करती है क्योंकि वे सस्ते श्रम प्रदान करते हैं और अवैध अप्रवासी अमेरिका की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा नहीं हैं |

इसलिए आई.डी सिस्टम ने अवैध लोगों को निष्कासित करने के लिए अमेरिका को जरूरी योग्यता प्रदान दी है, लेकिन वे इसे अपने हितों के लिए उपयोग नहीं करते हैं | जबकि भारत में, हमारे पास साबित करने के लिए अब तक कोई रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था नहीं है कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है या नहीं | इसलिए हम महीनों या यहाँ तक ​​कि वर्षों की अवधि में, अवैध लोगों को निष्कासित करने की स्थिति में नहीं हैं  | अब तक के रिकॉर्ड इतने अधूरे हैं कि केवल 10% आबादी की नागरिकता पूरी तरह से स्थापित की जा सकती है | इसके अलावा, बांग्लादेशी प्रवासी हमारी सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा है | इसलिए न केवल भारतीय बुद्धिजीवी झूठ बोल रहे हैं बल्कि वे आई.डी सिस्टम के विरोध में भारतीय हितों के खिलाफ भी काम कर रहे हैं | हम भारत के सभी गैर-80 जी-कार्यकर्ताओं से अनुरोध करते हैं कि इन बुद्धिजीवियों का विरोध करें और नागरिकों के सामने यह साबित करें कि ये बुद्धिजीवी लोग भारत विरोधी हैं  |

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