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अध्याय 25 – टैक्‍स / कर प्रणाली पर प्रजा अधीन राजा समूह / राईट टू रिकॉल ग्रुप का प्रस्‍ताव : संपत्ति कर (संपत्ति टैक्स) लागू करें तथा वैट, सेवा कर (सेवा टैक्स), जी.एस.टी. को रद्द करें

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टैक्‍स प्रणाली(सिस्टम) के प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती होने का प्रभाव

टैक्‍स के प्रकार – समान, प्रगामी और प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती – का ज्ञान भारत की समस्‍याओं को समझने में उपयोगी है। अमेरिका/पश्‍चिमी देशों में सम्‍पूर्ण टैक्‍स प्रणाली(सिस्टम) भारत की टैक्‍स प्रणाली से बहुत कम प्रत्‍यावर्ती है। परिणामस्‍वरूप, पश्‍चिमी देशों में गरीबी की समस्‍या कम गंभीर है और अमेरिका/पश्‍चिमी देशों के निम्‍न वर्ग के लोगों की खर्च करने वाली/डिस्‍पोजेबल आय अधिक है। इसलिए, उनके पास विभिन्‍न वस्‍तुओं को खरीदने के लिए ज्‍यादा पैसा होता है। इससे अमेरिका/पश्‍चिमी देशों में विभिन्‍न निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं के लिए व्‍यापक आंतरिक बाजार बन गया है। इसके अलावा, अमेरिका/पश्‍चिमी देशों में निम्‍न वर्गों के लोग अपनी उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए जरूरी औजार/उपकरण खरीदने के लिए पैसों की बचत करने में सफल रहते हैं जबकि प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती करों के कारण भारत के निम्‍न वर्गों के लोगों के पास वस्‍तुओं और औजार/उपकरणों को खरीदने के लिए शायद ही पैसा बचता है। इसलिए भारत में जनसंख्‍या अधिक होने के बावजूद बाजार छोटे ही रहते हैं और निम्‍न वर्ग के लोग अपनी उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए औजार/उपकरण आदि खरीदने में असफल रहते हैं।

 

(25.4) सेना, पोलिस, कोर्ट के लिए जमीन / घरों पर प्रस्‍तावित सम्‍पत्ति कर (संपत्ति-टैक्स) , विरासत टैक्स , सीमा-शुल्क ज्यादा संपत्ति वालों के लिए क्यों ज्यादा होना में , ज्यादा संपत्ति वालों के लिए क्यों फायदा वाला है , आर्थिक (पैसे) और नैतिकता (अच्छे-बुरे) के नजरिये से ?

    एक और चीज जो `प्रजा अधीन-रजा` के विरोधी बोलते हैं कि ` हमें क्यों सेना को मजबूत बनाने के लिए पैसे देना चाहिए टैक्स के रूप में , जैसे `विरासत टैक्स`, सीमा-शुल्क , `संपत्ति टैक्स` आदि ? वे अपने बारे में अधिक सोचते हैं, बजाय कि देश के |

अरे, यदि वे ये सब कर / टैक्स  नहीं देंगे , तो देश की सेना, पोलिस और कोर्ट देश की सुरक्षा नहीं कर पाएंगी , विदेशी कंपनियों और देशों को हमें गुलाम बनाने से , और सबसे पहले तो पैसे-वाले ही लूटे जाएँगे , और देश का 99% धन लूट लिया जायेगा |

और यदि कोई अपना धन-संपत्ति खुद सुरक्षा करने की कोशिश करता है , तो उसको कहीं ज्यादा खर्च करना होगा , मिलकर धन (सामूहिक धन-संपत्ति) की सुरक्षा करने पर जो खर्च होगा, उसकी तुलना में  |

इसीलिए दोनों, आर्थिक(पैसे ) के नजरिये से और अच्छे-बुरे(नैतिक) के नजरिये से , ज्यादा पैसे-संपत्ति वालों को ज्यादा टैक्स देना चाहिए , कम पैसे और संपत्ति वालों कि तुलना में

 

(25.5) सेना के लिए जमीन / घरों पर प्रस्‍तावित सम्‍पत्ति कर (संपत्ति-टैक्स) का पर्यावलोकन (छोटे में बात)

  • 25 वर्ग मीटर से अधिक गैर-कृषि भूमि और 50 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित स्‍थल पर बाजार मूल्‍य का 1 प्रतिशत कर लगेगा।

  • उपर्युक्‍त सीमा से अधिक पर ‘बाजार मूल्‍य’ के 1 प्रतिशत के बराबर कर लागू होगा।

बहुत से मुद्दे हैं – ‘बाजार मूल्‍य’ का निर्धारण कैसे किया जाए?

 

(25.6) जमीन / घरों पर प्रस्‍तावित सेना के लिए सम्‍पत्ति-कर (संपत्ति-टैक्स) की अधिक जानकारी

  1. सेना के लिए `सम्‍पत्ति कर` का कार्यान्‍वयन “सेना के लिए टैक्‍स अधिकारी” द्वारा किया जाएगा जो प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्‍त होगा और जिसे जनता द्वारा हटाया/वापस बुलाया जा सकेगा।

  2. प्रधान मंत्री रजिस्‍ट्रार की नियुक्‍ति करेंगे जिसे नागरिकों द्वारा हटाया/वापस बुलाया जा सकेगा।

3. सम्‍पत्तियों का पंजीकरण / रजिस्ट्री

  1. यदि किसी व्‍यक्‍ति का किसी हाउसिंग सोसाइटी में एक फ्लैट है तो उस हाउसिंग सोसाइटी की स्‍वामित्‍व वाली जमीन तथा उस सोसाइटी में उस व्‍यक्‍ति द्वारा लिए गए शेयर को गुणा करने से जितना परिणाम आएगा उतना ही उस व्‍यक्‍ति की उस सोसाइटी में अपनी जमीन होगी।

  2. प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति/कम्‍पनी जिसके पास जमीन अथवा घर है, वह अपनी सम्‍पत्ति रजिस्‍ट्रार के पास दर्ज करवाएगा। जमीन/घर का मालिक इसका क्षेत्रफल, सही/निश्‍चित स्‍थान और रजिस्‍ट्रार द्वारा पूछे गए अन्‍य ब्यौरे भी दर्ज करवाएगा (अधिकांश शहरों में पहले से ही ऐसा हो रहा है, अधिकांश नगर निगमों के पास पहले से ही जमीन/मकान के रिकार्ड/अभिलेख हैं)

  3.  यदि किसी व्‍यक्‍ति की जमीन 25 वर्ग मीटर से कम है और निर्माण क्षेत्र भी 50 वर्ग मीटर से कम है तो उसे प्रति वर्ष जमीन के लिए 10 रूपए प्रति वर्ग मीटर और हर निर्माण क्षेत्र के लिए 10 रूपए (प्रतिवर्ष) का टैक्‍स देना होगा। मालिक को एक फार्म भरना होगा जिसमें उसे खरीद मूल्य, खरीद की तारीख और आज की तिथि तक उसके द्वारा कराए गए हर वर्ष के निर्माण/बदलाव का विस्‍तार से खुलासा करना होगा। निर्माण में 4 वर्ष से पहले के किए गए बदलाव के लिए कोई सबूत/प्रमाण नहीं देना होगा।

4. परिवारों का पंजीकरण / रेजिस्ट्री , परिवार के सदस्‍य बनने के लिए पात्रता

  1. सम्‍पत्ति कर के प्रयोजन/उद्देश्‍य से कोई व्‍यक्‍ति स्‍वयं को अकेला/एकांतवासी या परिवार का हिस्‍सा, जो उसके लिए सबसे ज्‍यादा उपयुक्‍त हो, के रूप में अपना रजिस्‍ट्रेशन/पंजीकरण करा सकता है।

  2. परिवार में परिवार का मुखिया होगा जो 18 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष हो सकता है या 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला हो सकती है।

  3. मुखिया का पति/पत्‍नी परिवार का सदस्‍य बन सकता/सकती है।

  4. माता और पिता दोनों के अनुमोदन/स्वीकृति/सहमति से ही 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चे परिवार का सदस्‍य बन सकते हैं।

  5. यदि बच्‍चों की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो भी वे और उनके पति/पत्‍नी परिवार का सदस्‍य बन सकते हैं, यदि उन्‍होंने सम्‍पत्ति कर विभाग में अलग परिवार के रूप में अपना पंजीकरण नहीं कराया हो।

  6. माता-पिता और सास-ससुर भी परिवार के सदस्‍य हो सकते हैं यदि उनके अलग से परिवार न हों। और बेटे या बेटी के पोते या पोती भी परिवार के सदस्‍य बन सकते हैं यदि पोते-पोती के माता-पिता दोनों उस परिवार के ही सदस्‍य हों।

  7. पोते-पोती के बच्‍चे संपत्ति कर के मूल्यांकन के लिए `परिवार का सदस्‍य` नहीं हो सकते।

  8. मुखिया के अविवाहित या तालाकशुदा भाई-बहन परिवार के सदस्‍य हो सकते हैं, लेकिन विवाहित भाई-बहन परिवार के सदस्‍य नहीं हो सकते। मुखिया के भाई-बहन के पुत्र या पुत्री परिवार के सदस्य नहीं हो सकते हैं।

  9. एक व्‍यक्‍ति 2 परिवार का सदस्‍य नहीं बन सकता है।

  10. `अकेला` के रूप में दर्ज लोग `परिवार के सदस्‍य` नहीं हो सकते हैं।

श्रेणी: प्रजा अधीन