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अध्याय 25 – टैक्‍स / कर प्रणाली पर प्रजा अधीन राजा समूह / राईट टू रिकॉल ग्रुप का प्रस्‍ताव : संपत्ति कर (संपत्ति टैक्स) लागू करें तथा वैट, सेवा कर (सेवा टैक्स), जी.एस.टी. को रद्द करें

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 टैक्‍स / कर प्रणाली पर प्रजा अधीन राजा समूह / राईट टू रिकॉल ग्रुप का प्रस्‍ताव : संपत्ति कर (संपत्ति टैक्स) लागू करें तथा वैट, सेवा कर (सेवा टैक्स), जी.एस.टी. को रद्द करें

   

(25.1) टैक्‍स / कर प्रणाली(सिस्टम) में प्रजा अधीन राजा समूह / राईट टू रिकॉल ग्रुप के प्रस्‍तावित बदलाव का सारांश (छोटे में बात)

प्रजा अधीन राजा समूह/राईट टू रिकॉल ग्रुप के सदस्‍य के रूप में मैं जनता की आवाज का प्रयोग करके टैक्‍स/कर ढ़ांचे में निम्‍नलिखित परिवर्तन/बदलाव लाने का वायदा करता हूँ –

  1. `सम्‍पत्ति कर (संपत्ति टैक्स)` लागू करना : सेना, पुलिस, कोर्ट/न्‍यायालय, सेना के लिए जरूरी विषयों की शिक्षा और सड़कों के लिए `सम्‍पत्ति कर` लागू किया जाएगा। यह टैक्‍स जमीन, निर्माण-क्षेत्रफल पर लागू होगा और बाद में शेयरों और बॉन्‍डों, सोना, चांदी और धातू के बाजार मूल्‍य के आधार पर लगाया जाएगा। इस पाठ में आगे आनेवाले भागों में विस्‍तृत ब्‍यौरे दिए गए हैं।

  2. `विरासत कर (विरासत टैक्स)` लागू करना : सेना, पुलिस, न्‍यायालय, सेना के लिए जरूरी विषयों की शिक्षा के लिए `विरासत कर` लागू किया जाएगा। यह उस व्यक्ति की सारी संपत्‍ति पर लागू होगा जिसकी मृत्‍यु हो चुकी है।

  3. आय-कर (आमदनी पर टैक्स) में छूट : मुख्‍य जोर `संपत्‍ति कर` और `विरासत कर` पर होगा और जैसे-जैसे इन करों से राजस्‍व मिलने लगेगा, आयकर में कमी कर दी जाएगी।

  4. सेज(विशेष आर्थिक क्षेत्र) को मिलने वाले टैक्‍स/कर के सभी लाभ निरस्‍त/समाप्‍त किए जाएंगे।

  5. सभी निर्यात सब्‍सिडी तथा सभी निर्यात संबंधी टैक्‍स/कर छूट को समाप्‍त/खत्‍म किया जाएगा। केवल डॉलर के रूप में प्राप्‍त होने वाली सभी आय पर तब तक छूट मिलेगी जब तक कि ऋण/कर्ज चुका न दिया जाए।

  6. धर्मार्थ (संस्‍थाओं) आदि को दिए गए टैक्‍स/करों में छूट को समाप्‍त किया जाएगा। 80 जी., 35 ए.सी. आदि को समाप्‍त किया जाएगा।

  7. ट्रस्‍ट को प्रति वर्ष प्रति सदस्‍य 20 रूपए का छूट प्राप्‍त होगा। और कोई भी नागरिक ज्‍यादा से ज्‍यादा/अधिकतम पांच ट्रस्‍टों का ही सदस्‍य बन सकेगा।

  8. वाहनों, इंजन, बिजली, आदि जैसे कुछ मुद्दों (जिनका प्रयोग कड़ाई से केवल सड़कों के लिए पैसे लगाने में किया जाएगा) को छोड़कर सभी `उत्‍पाद शुल्‍क` समाप्‍त किए जाएंगे।

  9. वैट, `बिक्री कर (बिक्री टैक्स)`, `सेवा कर (सेवा पर टैक्स)` समाप्‍त किया जाएगा।

  10. ऑक्‍ट्रॉय समाप्‍त कर दिया जाएगा।

  11. लगभग 300 प्रतिशत `सीमा शुल्‍क` (लगाया जाएगा) और जमा किए हुए सीमा शुल्‍क का एक तिहाई हिस्‍सा सीधे नागरिकों को ही मिलेगा/जाएगा।

  12. स्‍टॉम्‍प ड्यूटी (हस्‍तांतरण शुल्‍क) को कम करके 1 प्रतिशत कर दिया जाएगा।

  13. तम्‍बाकू व शराब पर `स्‍वास्‍थ्‍य कर` लगाया जाएगा और तंबाकू, शराब आदि से होनेवाली बीमारियों के लिए दी जाने वाली चिकित्‍सा सब्‍सिडी/छूट के लिए इनका उपयोग किया जाएगा। तम्‍बाकू, शराब आदि पर लगाए जाने वाले करों का उपयोग किसी भी अन्‍य प्रकार के खर्चे की भरपाई के लिए नहीं किया जाएगा।

  14. हिंदू एकजुट परिवार(हिंदू यूनाईटेड फैमिली) की आयें `कर्ता` के साथ एक समूह में डाली जाएँगे या इनपर `कर्ता` की इच्‍छानुसार कॉरपोरेट दरों से टैक्‍स/कर वसूला जाएगा।

  15. हिंदू एकजुट परिवार(हिंदू यूनाईटेड फैमिली) की संपत्ति पर `संपत्ति कर` की कोई छूट नहीं। हिंदू एकजुट परिवार(हिंदू यूनाईटेड फैमिली) की संपत्ति कर्ता के साथ एक समूह में डाली जायेगी या इस संपत्ति पर उच्चतम दर का कर लगाया जायेगा ,कर्ता की इच्छानुसार।

  16. सम्‍पत्ति के स्‍वामित्‍व और कमाई पर नजर रखने के लिए राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम)।

  17. भुगतानों पर नजर रखने और टैक्‍स/कर की चोरी को कम करने के लिए सर्वजन/वैश्‍विक बैंक प्रणाली(सिस्टम)।

  18. राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) का सुधार/उन्‍नयन करना : किसी व्‍यक्‍ति का राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र ही उसकी बैंक-खाता संख्‍या, उसका ई-मेल पता, उसकी मोबाईल संख्‍या और उसकी चालक लाईसेंस संख्‍या भी होगी।

  19. क्रिकेट और सभी खेल निकायों को दी गई टैक्‍स/कर छूट समाप्‍त कर दी जाएगी।

  20. प्रादेशिक भाषाओं या किसी भी अन्‍य आधार पर फिल्‍मों/चलचित्रों को दी गई सभी टैक्‍स/कर छूट समाप्‍त की जाएगी।

   

(25.2) प्रतिगामी / प्रत्यावर्ती (रिग्रेसिव) कर / टैक्‍स क्या है ?

प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती (रिग्रेसिव) टैक्‍स / कर क्‍या है?

 

किसी भी टैक्‍स/कर में मैं टैक्‍स/कर के निम्‍नलिखित पहलू का विश्‍लषण करता हूँ और टैक्‍स/करों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता हूँ – समान कर(फ्लैट टैक्स), प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर(रिग्रेसिव टैक्स) और प्रगामी कर(प्रोग्रेसिव टैक्स)।

  • मान लीजिए, किसी सेना, पुलिस आदि को 5000 करोड़ रूपए की जरूरत है।

  • मान लीजिए किसी राष्‍ट्र में 5 करोड़ लोग रहते हैं और उनकी आय कुल मिलाकर 50,000 करोड़ रूपए है।

  • अब मान लीजिए, करों को इस तरह से निर्धारित/संशोधित किया गया है कि प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को अपनी आय का 10 प्रतिशत भुगतान करना ही पड़ता है। इस प्रकार के कर को समान कर (आय के संबंध में समान) कहा जाता है।

  • यदि करों को इस तरह से निर्धारित किया जाता है कि कोई व्‍यक्‍ति जो कमतर/बहुत कम आय प्राप्‍त कर रहा है, उसे अपनी आय के 10 प्रतिशत से अधिक टैक्‍स/कर देना पड़ रहा है तथा अधिक आय प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्‍ति को अपनी आय के 10 प्रतिशत से कम ही टैक्‍स/कर देना पड़ रहा है  तो इस प्रकार का कर प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर / रेग्रेशिव टैक्‍स (आय के संबंध मेंप्रतिगामी ) कहलाता है।उदहारण- `खाने-पीने` की वस्तुओं, शराब, तम्बाकू, चाय आदि पर कर |

  • यदि करों को इस तरह से निर्धारित किया जाए कि ज्‍यादा आय प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्‍तियों को अपनी आय के 10 प्रतिशत से ज्‍यादा कर के रूप में देना पड़े और कम आय प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्‍ति को अपनी आय के 10 प्रतिशत से कम ही टैक्‍स/कर के रूप में देना पड़े तो ऐसी कर प्रणाली प्रगामी कर (आय के संबंध में प्रगामी) कहलाती है। उदहारण-`आयकर`|

इसी प्रकार मान लीजिए, भारत सरकार को टैक्‍स/करों के रूप में 10,000 करोड़ रूपए की जरूरत है। मान लीजिए, नागरिक-समाज के विभिन्‍न सदस्‍यों के पास जो सम्‍पत्ति है उसका मूल्‍य कुल मिलाकर 10,00,000 करोड़ रूपए के बराबर है। अब फिर, कर लगाने के तीन तरीके हैं-

  • एक तरीका सभी सम्‍पत्ति पर उसके मूल्‍य का 1 प्रतिशत का एक-समान कर लागू करना है। यह `समान कर` (सम्‍पत्ति के स्‍वामित्‍व के संबंध में समान टैक्स) होगा । उदहारण- `संपत्ति-कर`

  • एक और तरीका इस प्रकार से कर लगाना होगा जिसमें वे लोग जिनके पास सम्‍पत्ति कमतर/बहुत कम है, उन्‍हें अपनी सम्‍पत्ति मूल्‍य से उच्‍चतर प्रतिशत कर देना पड़ता है। यह कर `प्रतिगामी कर` (सम्‍पत्ति/धन के संबंध में प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती टैक्स ) होगा ।

  • एक अन्‍य तरीका एक ऐसा कर लगाने का है जिसमें उच्‍चतर/ज्‍यादा सम्‍पत्ति वाले लोगों को अपने सम्‍पत्‍तियों के मूल्‍यों के मामले में उच्चतर कर चुकाना पड़ता है। यह कर प्रगामी कर (धन/सम्‍पत्‍ति के संबंध में प्रगामी टैक्स ) कहलाएगा ।

   

(25.3) क्‍या भारत में कुछ (प्रकार के) टैक्‍स प्रतिगामी / प्रत्‍यावर्ती (रिग्रेस्सिव) हैं ?

अब भारत में लगाए जाने वाले कुछ करों का विश्‍लेषण करें –

कर उदाहरण 1 चलचित्र/सिनेमा के टिकटों पर टैक्‍स

मान लीजिए, एक व्‍यक्‍ति 3000 रूपए प्रति माह कमाता है। मान लीजिए, वह महीने भर में तीन सिनेमा देखता है। मान लीजिए, वह 50 रूपए वाले सस्‍ते टिकट खरीदता है। अहमदाबाद में ऐसे टिकटों पर कर 20 रूपए है। इसलिए, वह 3 × 20 रूपए = 60 रूपए प्रति माह टैक्‍स चुकाता है जो उसकी आय (3000 रूपए) का 2 प्रतिशत है। अब 30,000 रूपए प्रति महीने कमाने वाले एक व्‍यक्‍ति पर विचार कीजिए। ऐसी संभावना नहीं है कि वह एक महीने में 10 बार सिनेमा/फिल्‍म देखेगा। मान लीजिए, एक महीने में वह चार सिनेमा देखता है और हर बार वह ज्‍यादा महंगी यानि 100 रूपए वाली टिकट खरीदता है जिसमें 40 रूपया टैक्‍स का है और इस प्रकार वह व्‍यक्‍ति 160 रूपए टैक्‍स/कर चुकाता है। तो टैक्‍स/कर प्रतिशत होगा – 160/30,000 × 100 % = 16/30 = 0.54 % . इसलिए, सिनेमा पर लगने वाला कर आय के संबंध  में प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर है। और भी प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती यह है कि अहमदाबाद जैसे भारत के कुछ शहरों में साधारण फिल्मों पर लगने वाला टैक्‍स आधार-मूल्‍य का 80 प्रतिशत होता है जहां आधार-मूल्‍य केवल 20 रूपया है। जबकि महंगे थिएटरों (जिन्हें मल्‍टीप्‍लेक्‍स कहा जाता है) जहां आधार-मूल्य 100 रूपए अथवा 150 रूपए अथवा 200 रूपए और यहां तक कि 400 रूपए भी होता है, वहां टैक्‍स नाम-मात्र का अर्थात रु.1 प्रति टिकेट ही है यानि लगभग शुन्‍य प्रतिशत। दूसरे शब्‍दों में, एक व्‍यक्‍ति जो मुश्‍किल से 40 रूपए (सिनेमा पर) वहन/खर्च कर सकता है, उसे 15 रूपए का टैक्‍स चुकाना पड़ता है जबकि वे लोग जो 100 से लेकर 400 रूपए खर्च करते हैं उन्‍हें लगबघ शुन्‍य टैक्‍स ही देना होता है। यह वास्‍तव में आय के मामले में एक प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर है ; एक प्रकार का टैक्‍स/कर जिसे भारत के विशिष्ट/ऊंचे वर्ग के लोग बहुत पसन्‍द करते/चाहते हैं।

टैक्‍स उदाहरण 2- चाय पर टैक्स :

भारत के 100 करोड़ लोगों पर विचार कीजिए। मान लीजिए, लगभग 60 करोड़ लोग चाय पीते हैं। कुछ समय के लिए शेष 40 करोड़ लोगों को नजरअन्‍दाज कर दीजिए। अब मैं चाय की लत वाले इन 60 करोड़  लोगों को तीन समूहों में बांटता हूँ –

1.     वे लोग, जो प्रतिदिन 100 रूपए से कम कमाते हैं।

2.     वे लोग, जो प्रतिदिन 100 से 1000 रूपए कमाते हैं।

3.     वे लोग, जो प्रतिदिन 1000 रूपए से ज्‍यादा कमाते हैं।

अब मान लीजिए, एक कप चाय में 10 ग्राम चायपत्ती लगता है, जिसकी कीमत 2 रूपए है। मान लीजिए, चाय पर टैक्‍स लागत का 50 प्रतिशत है अर्थात एक कप चाय की चायपत्‍ती पर 1 रूपया टैक्‍स/कर। अब एक व्‍यक्‍ति जो प्रतिदिन 100 रूपए कमाता है, उसपर विचार कीजिए। वह 2 कप चाय (प्रतिदिन) पीता है। इसलिए वह 2 रूपए टैक्‍स के रूप में चुका रहा है अर्थात अपनी आय का 2 प्रतिशत। अब एक और व्‍यक्‍ति पर विचार कीजिए जो 10 गुना ज्‍यादा कमा रहा है अर्थात 1000 रूपए प्रतिदिन। निश्‍चित रूप से, ऐसा कोई व्‍यक्‍ति प्रतिदिन 10 कप चाय तो नहीं ही पीएगा। मान लीजिए, वह एक दिन में 5 कप चाय पीता है। तब इस मामले में वह 5 रूपए कर चुकाएगा अर्थात अपनी आय का 0.5 प्रतिशत कर के रूप में चुकाएगा। और इसी प्रकार, कोई व्‍यक्‍ति जो एक दिन में 10,000 रूपए कमाता है वह शायद 0.05 प्रतिशत ही चाय पर कर के रूप में खर्च करता है। इसलिए चाय पर लिया जाने वाला कर किसी व्‍यक्‍ति की आय के मामले में प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर है।

टैक्‍स/कर उदाहरण 3 : तंबाकू, कॉफी, गुटका, बीयर पर टैक्‍स

ऐसी किसी वस्‍तु या उत्‍पाद, जैसे तम्‍बाकू पर लगने वाले टैक्‍स/कर पर विचार कीजिए। एक बार फिर मान लीजिए, भारत के 100 करोड़ लोगों में से, मान लीजिए, 40 प्रतिशत लोग तम्‍बाकू चबाते/पीते हैं। मैं तंबाकू की लत वाले लोगों को तीन समूहों में बांटता हूँ –

1.    वे लोग, जो प्रतिदिन 100 रूपए से कम कमाते हैं।

2.    वे लोग, जो प्रतिदिन 100 से 1000 रूपए कमाते हैं।

3.    वे लोग, जो प्रतिदिन 1000 रूपए से ज्‍यादा कमाते हैं।

किसी व्‍यक्‍ति पर विचार कीजिए जो प्रतिदिन 100 रूपए कमा रहा है। मान लीजिए, वह 10 ग्राम तंबाकू (प्रतिदिन) चबाता है जिसपर टैक्‍स 1 रूपया है। निश्‍चित रूप से, वे लोग जो 10 गुना अर्थात 1000 रूपए प्रतिदिन कमाते हैं वे 10 गुना ज्‍यादा तंबाकू तो नहीं ही चबाएंगे। शायद से 2-3 ज्‍यादा बार खा/चबा सकते हैं। इस प्रकार, कम आय वाले व्‍यक्‍ति तंबाकू के टैक्‍स/करों पर अपनी आय का ज्‍यादा बड़ा हिस्‍सा चुका रहे हैं। इसलिए कॉफी, तंबाकू आदि जैसी इन सभी वस्‍तुओं/सामग्रियों पर लगनेवाला टैक्‍स आय के दृष्‍टिकोण से प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर है।

कई बार बुद्धिजीवी लोग तंबाकू पर लगाए जाने वाले टैक्‍स को ‘कल्‍याणकारी’ बताते हैं अर्थात तंबाकू पर लगने वाले टैक्‍स से तंबाकू की खपत में कमी आती हैं और इस प्रकार लत/नशे के आदि व्‍यक्‍ति का स्‍वास्‍थ्‍य सुधरता है। यह सरासर झूठ है और दर्शाता है कि बुद्धिजीवी लोग अपने धनवान मालिकों की सेवा करने के चलते तथ्‍यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर सकते हैं। इसकी सच्‍चाई इस प्रकार है –

  1. मान लीजिए, एक व्‍यक्‍ति 100 रूपए प्रतिदिन कमाता है।

  2. मान लीजिए, वह तंबाकू, चाय, कॉफी, आदि का जितना सेवन/उपभोग करता है, उसकी कीमत टैक्‍स लगने से पहले 20 रूपए है।

  3. अत्‍यधिक टैक्‍स के कारण इन वस्‍तुओं के मूल्‍य 50 रूपए हो जाती है।

अब 30 रूपए दाम बढ़ जाने से तंबाकू आदि के उपभोग/खपत में कोई कमी नहीं आती है। मूल्‍यों के 2 से 3 गुना बढ़ जाने के बाद भी वह उपभोक्‍ता पहले जितनी मात्रा का ही उपयोग करता रहता है, लेकिन अब खर्च बढ़ जाने के कारण उसके पास अन्‍य अच्‍छी वस्‍तुओं जैसे दूध, घी आदि खरीदने के लिए कमतर/कम ही पैसे बच जाते हैं। और उसके पास अपने कपड़ों के लिए कम ही पैसे बचते हैं और उसके पास अपनी पत्‍नी बच्‍चों के लिए भी कम ही पैसे बच पाते हैं और शायद उसके अपने माता-पिता के खाना, कपड़े और शिक्षा के लिए भी कम ही पैसे बच पाते हैं। उसके पास परिवार के दवा के लिए भी पैसे कम पड़ जाते हैं। दूसरे शब्‍दों में, तंबाकू, चाय आदि पर प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती कर से इन “बुरी मदों/वस्‍तुओं” का उसका खर्चा कम नहीं होता लेकिन “अच्‍छी वस्‍तुओं” के उसका उपभोग/खपत में अत्‍यधिक कमी आ जाती है। इससे न केवल उसका और उसके परिवार के सदस्‍यों का जीवन बरबाद हो जाता है, बल्‍कि इससे सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में भी गिरावट आती है। कैसे? चूंकि उस व्‍यक्‍ति के पास खर्च करने वाली आय कमतर/बहुत कम है इसलिए वह बहुत सी बहुत सी वस्‍तुओं का उपभोक्‍ता भी बनने से रह जाता है। इसलिए, इन वस्‍तुओं का बाजार सिकुड़ता है और इससे इन वस्‍तुओं के निर्माताओं को इनका उत्‍पादन कम करने पर मजबूर होना पड़ता है। इससे उन श्रमिकों/मजदूरों की संख्‍या में भी कमी आती है जो (उत्‍पादन में) सहायता कर सकते हैं। और इस प्रकार एक नकारात्‍मक चक्र ही चल पड़ता है।

टैक्‍स प्रणाली(सिस्टम) के प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती होने का प्रभाव

टैक्‍स के प्रकार – समान, प्रगामी और प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती – का ज्ञान भारत की समस्‍याओं को समझने में उपयोगी है। अमेरिका/पश्‍चिमी देशों में सम्‍पूर्ण टैक्‍स प्रणाली(सिस्टम) भारत की टैक्‍स प्रणाली से बहुत कम प्रत्‍यावर्ती है। परिणामस्‍वरूप, पश्‍चिमी देशों में गरीबी की समस्‍या कम गंभीर है और अमेरिका/पश्‍चिमी देशों के निम्‍न वर्ग के लोगों की खर्च करने वाली/डिस्‍पोजेबल आय अधिक है। इसलिए, उनके पास विभिन्‍न वस्‍तुओं को खरीदने के लिए ज्‍यादा पैसा होता है। इससे अमेरिका/पश्‍चिमी देशों में विभिन्‍न निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं के लिए व्‍यापक आंतरिक बाजार बन गया है। इसके अलावा, अमेरिका/पश्‍चिमी देशों में निम्‍न वर्गों के लोग अपनी उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए जरूरी औजार/उपकरण खरीदने के लिए पैसों की बचत करने में सफल रहते हैं जबकि प्रतिगामी/प्रत्‍यावर्ती करों के कारण भारत के निम्‍न वर्गों के लोगों के पास वस्‍तुओं और औजार/उपकरणों को खरीदने के लिए शायद ही पैसा बचता है। इसलिए भारत में जनसंख्‍या अधिक होने के बावजूद बाजार छोटे ही रहते हैं और निम्‍न वर्ग के लोग अपनी उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए औजार/उपकरण आदि खरीदने में असफल रहते हैं।

   

(25.4) सेना, पोलिस, कोर्ट के लिए जमीन / घरों पर प्रस्‍तावित सम्‍पत्ति कर (संपत्ति-टैक्स) , विरासत टैक्स , सीमा-शुल्क ज्यादा संपत्ति वालों के लिए क्यों ज्यादा होना में , ज्यादा संपत्ति वालों के लिए क्यों फायदा वाला है , आर्थिक (पैसे) और नैतिकता (अच्छे-बुरे) के नजरिये से ?

    एक और चीज जो `प्रजा अधीन-रजा` के विरोधी बोलते हैं कि ` हमें क्यों सेना को मजबूत बनाने के लिए पैसे देना चाहिए टैक्स के रूप में , जैसे `विरासत टैक्स`, सीमा-शुल्क , `संपत्ति टैक्स` आदि ? वे अपने बारे में अधिक सोचते हैं, बजाय कि देश के |

अरे, यदि वे ये सब कर / टैक्स  नहीं देंगे , तो देश की सेना, पोलिस और कोर्ट देश की सुरक्षा नहीं कर पाएंगी , विदेशी कंपनियों और देशों को हमें गुलाम बनाने से , और सबसे पहले तो पैसे-वाले ही लूटे जाएँगे , और देश का 99% धन लूट लिया जायेगा |

और यदि कोई अपना धन-संपत्ति खुद सुरक्षा करने की कोशिश करता है , तो उसको कहीं ज्यादा खर्च करना होगा , मिलकर धन (सामूहिक धन-संपत्ति) की सुरक्षा करने पर जो खर्च होगा, उसकी तुलना में  |

इसीलिए दोनों, आर्थिक(पैसे ) के नजरिये से और अच्छे-बुरे(नैतिक) के नजरिये से , ज्यादा पैसे-संपत्ति वालों को ज्यादा टैक्स देना चाहिए , कम पैसे और संपत्ति वालों कि तुलना में

   

(25.5) सेना के लिए जमीन / घरों पर प्रस्‍तावित सम्‍पत्ति कर (संपत्ति-टैक्स) का पर्यावलोकन (छोटे में बात)

  • 25 वर्ग मीटर से अधिक गैर-कृषि भूमि और 50 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित स्‍थल पर बाजार मूल्‍य का 1 प्रतिशत कर लगेगा।

  • उपर्युक्‍त सीमा से अधिक पर ‘बाजार मूल्‍य’ के 1 प्रतिशत के बराबर कर लागू होगा।

बहुत से मुद्दे हैं – ‘बाजार मूल्‍य’ का निर्धारण कैसे किया जाए?

   

(25.6) जमीन / घरों पर प्रस्‍तावित सेना के लिए सम्‍पत्ति-कर (संपत्ति-टैक्स) की अधिक जानकारी

  1. सेना के लिए `सम्‍पत्ति कर` का कार्यान्‍वयन “सेना के लिए टैक्‍स अधिकारी” द्वारा किया जाएगा जो प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्‍त होगा और जिसे जनता द्वारा हटाया/वापस बुलाया जा सकेगा।

  2. प्रधान मंत्री रजिस्‍ट्रार की नियुक्‍ति करेंगे जिसे नागरिकों द्वारा हटाया/वापस बुलाया जा सकेगा।

3. सम्‍पत्तियों का पंजीकरण / रजिस्ट्री

  1. यदि किसी व्‍यक्‍ति का किसी हाउसिंग सोसाइटी में एक फ्लैट है तो उस हाउसिंग सोसाइटी की स्‍वामित्‍व वाली जमीन तथा उस सोसाइटी में उस व्‍यक्‍ति द्वारा लिए गए शेयर को गुणा करने से जितना परिणाम आएगा उतना ही उस व्‍यक्‍ति की उस सोसाइटी में अपनी जमीन होगी।

  2. प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति/कम्‍पनी जिसके पास जमीन अथवा घर है, वह अपनी सम्‍पत्ति रजिस्‍ट्रार के पास दर्ज करवाएगा। जमीन/घर का मालिक इसका क्षेत्रफल, सही/निश्‍चित स्‍थान और रजिस्‍ट्रार द्वारा पूछे गए अन्‍य ब्यौरे भी दर्ज करवाएगा (अधिकांश शहरों में पहले से ही ऐसा हो रहा है, अधिकांश नगर निगमों के पास पहले से ही जमीन/मकान के रिकार्ड/अभिलेख हैं)

  3.  यदि किसी व्‍यक्‍ति की जमीन 25 वर्ग मीटर से कम है और निर्माण क्षेत्र भी 50 वर्ग मीटर से कम है तो उसे प्रति वर्ष जमीन के लिए 10 रूपए प्रति वर्ग मीटर और हर निर्माण क्षेत्र के लिए 10 रूपए (प्रतिवर्ष) का टैक्‍स देना होगा। मालिक को एक फार्म भरना होगा जिसमें उसे खरीद मूल्य, खरीद की तारीख और आज की तिथि तक उसके द्वारा कराए गए हर वर्ष के निर्माण/बदलाव का विस्‍तार से खुलासा करना होगा। निर्माण में 4 वर्ष से पहले के किए गए बदलाव के लिए कोई सबूत/प्रमाण नहीं देना होगा।

4. परिवारों का पंजीकरण / रेजिस्ट्री , परिवार के सदस्‍य बनने के लिए पात्रता

  1. सम्‍पत्ति कर के प्रयोजन/उद्देश्‍य से कोई व्‍यक्‍ति स्‍वयं को अकेला/एकांतवासी या परिवार का हिस्‍सा, जो उसके लिए सबसे ज्‍यादा उपयुक्‍त हो, के रूप में अपना रजिस्‍ट्रेशन/पंजीकरण करा सकता है।

  2. परिवार में परिवार का मुखिया होगा जो 18 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष हो सकता है या 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला हो सकती है।

  3. मुखिया का पति/पत्‍नी परिवार का सदस्‍य बन सकता/सकती है।

  4. माता और पिता दोनों के अनुमोदन/स्वीकृति/सहमति से ही 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चे परिवार का सदस्‍य बन सकते हैं।

  5. यदि बच्‍चों की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो भी वे और उनके पति/पत्‍नी परिवार का सदस्‍य बन सकते हैं, यदि उन्‍होंने सम्‍पत्ति कर विभाग में अलग परिवार के रूप में अपना पंजीकरण नहीं कराया हो।

  6. माता-पिता और सास-ससुर भी परिवार के सदस्‍य हो सकते हैं यदि उनके अलग से परिवार न हों। और बेटे या बेटी के पोते या पोती भी परिवार के सदस्‍य बन सकते हैं यदि पोते-पोती के माता-पिता दोनों उस परिवार के ही सदस्‍य हों।

  7. पोते-पोती के बच्‍चे संपत्ति कर के मूल्यांकन के लिए `परिवार का सदस्‍य` नहीं हो सकते।

  8. मुखिया के अविवाहित या तालाकशुदा भाई-बहन परिवार के सदस्‍य हो सकते हैं, लेकिन विवाहित भाई-बहन परिवार के सदस्‍य नहीं हो सकते। मुखिया के भाई-बहन के पुत्र या पुत्री परिवार के सदस्य नहीं हो सकते हैं।

  9. एक व्‍यक्‍ति 2 परिवार का सदस्‍य नहीं बन सकता है।

  10. `अकेला` के रूप में दर्ज लोग `परिवार के सदस्‍य` नहीं हो सकते हैं।

  11. यदि किसी व्‍यक्‍ति के 3 से ज्यादा बच्‍चे हैं तो सम्‍पत्ति कर के प्रयोजन/उद्देश्‍य के लिए केवल 2 ही बच्‍चे परिवार का सदस्‍य हो सकते हैं।

  12. यदि कोई व्‍यक्‍ति सम्‍पत्ति कर के (प्रयोजन) के लिए परिवार बनाना चाहता है तो उसे सदस्‍यों की सूची के साथ परिवार का पंजीकरण करवाने की जरूरत होगी। वयस्क सदस्‍यों के हस्‍ताक्षर की जरूरत होगी और बच्‍चों के माता-पिता के हस्‍ताक्षर की भी आवश्‍यकता होगी।

5. छूट

  1. अकेले व्‍यक्‍ति के लिए छूट की सीमा 25 वर्ग मीटर जमीन और 50 वर्ग मीटर निर्माण क्षेत्र होगी जबकि यह (छूट) परिवार के लिए [25 + 20 × (परिवार के सदस्‍यों की संख्‍या – 1)] वर्ग मीटर जमीन होगी और [50 + 40 × (परिवार के सदस्‍यों की संख्‍या -1)] वर्ग मीटर निर्माण क्षेत्र होगी।

  2. वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए छूट सामान्‍य सीमा की दोगुनी होगी।

 

6. सम्‍पत्ति का वर्गीकरण `व्‍यक्‍तिगत`, `अर्ध-व्‍यक्‍तिगत` और `गैर-व्‍यक्‍तिगत`

  1. सम्‍पत्ति कर के प्रयोजन/उद्देश्‍य से, सम्‍पत्ति का मालिक अपनी सम्‍पत्ति को `व्‍यक्‍तिगत`, `अर्ध-व्‍यक्‍तिगत` और `गैर-व्‍यक्‍तिगत` के रूप में परिभाषित कर सकता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी मूल्‍यांकन योजना उसके लिए सबसे ज्‍यादा अनुकूल/लाभप्रद हो सकती है।

  2. यदि कोई व्‍यक्‍ति `अकेला` है तो सम्‍पत्तियों का एक समूह उसके लिए व्‍यक्‍तिगत हो सकता है यदि –

  • सम्‍पत्ति का कोई और संयुक्‍त-मालिक/सह-मालिक न हो

  • यदि संपत्‍तियों के निर्माण क्षेत्रफल (का जोड़/योग) 50 वर्ग मीटर से कम हो

  • यदि संपत्‍तियों के भूमि क्षेत्रफल का जोड़/योग 25 वर्ग मीटर से कम हो

7. यदि कोई व्‍यक्‍ति परिवार का मुखिया है तो सम्‍पत्तियों का एक समूह उसके लिए व्‍यक्‍तिगत हो सकता है यदि –

  1. सम्‍पत्तियों के सभी मालिक उसके परिवार के भी सदस्‍य हों, और कोई भी परिवार से बाहर न हो

  2. परिवार के हरेक/प्रत्‍येक सदस्‍य का (सम्‍पत्ति) मालिक होने की जरूरत नहीं है

  3. सम्‍पत्तियों के भूमि क्षेत्रफल का जोड़/योग [25 + 20 × (परिवार के सदस्‍यों की संख्‍या – 1)] वर्ग मीटर से कम हो

  4. निर्माण क्षेत्रफल का योग [50 + 40 × (परिवार के सदस्‍यों की संख्‍या -1)] वर्ग मीटर से कम हो

8. किसी अकेले व्‍यक्‍ति के पास अधिक से अधिक एक अर्ध-व्‍यक्‍तिगत सम्‍पत्ति हो सकती है (उदहारण-यदि कोई संपत्ति 25 वर्ग मीटर से अधिक हो तो, और उसे अर्ध-व्यक्तिगत संपत्ति घोषित किया है तो 25 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल, कर का हिसाब उससे लगेगा)   यदि वह निम्‍नलिखित अपेक्षाएं/शर्तें पूरी करता है –

  1. अकेले व्‍यक्‍ति ने किसी भी सम्‍पत्ति को व्‍यक्‍तिगत सम्‍पत्ति न बताया हो

  2. वह सम्‍पत्ति का एकमात्र/अकेला मालिक हो

9. किसी परिवार के पास अधिक से अधिक एक अर्ध-व्‍यक्‍तिगत सम्‍पत्ति हो सकती है यदि वह परिवार निम्‍नलिखित अपेक्षाएं/शर्तें पूरी करता है –

  • सम्‍पत्तियों के सभी मालिक उसके परिवार के भी सदस्‍य हों, और कोई भी परिवार से बाहर न हो

  • उस परिवार ने किसी भी सम्‍पत्ति को व्‍यक्‍तिगत सम्‍पत्ति न बताया हो

10. संपत्ति में व्‍यक्‍तिगत हिस्‍सा छूट की सीमा भाग क्षेत्रफल (छूट की सीमा/क्षेत्र-फल) होगा और गैर-व्‍यक्‍तिगत हिस्‍सा (1- व्‍यक्‍तिगत हिस्‍सा) होगा।

11. मालिक या मुखिया किसी भी साल/वर्ष संपत्ति का दर्जा (व्‍यक्‍तिगत , गैर-व्‍यक्‍तिगत या अर्ध-व्यक्तिगत ) को बदल सकता है तीन महीने का नोटिस देकर ।

12. संपत्तियों के मूल्‍यों/दाम का पंजीकरण

  1.  संपत्ति कर के प्रयोजन/उद्देश्‍य के लिए, प्रत्‍येक संपत्ति के दो मूल्‍य होंगे – मानक मूल्‍य और सर्किल दर (जंत्री) मूल्‍य।

  2.  किसी संपत्‍ति का मानक मूल्‍य (खरीद के समय का सर्किल दर मूल्‍य और प्रत्‍येक वर्ष किए गए बदलाव/निर्माण का योग/जोड़) होगा। बदलाव वही होंगे जो मालिक द्वारा बताए गए हैं। मालिक को किए गए बदलाव का कोई भी प्रमाण नहीं देना होगा लेकिन उसे किए गए बदलाव के मूल्‍य का खुलासा आयकर के विवरण/ब्यौरे में भी करना होगा।

  3. किसी संपत्ति के सर्किल दर मूल्‍य का निर्धारण भूमि और के भवन-निर्माण के यूनिट/एकक दरों पर आधारित होगा।

  4. व्‍यक्‍तिगत संपत्तियों के रूप में बताई गई संपत्तियों पर टैक्‍स प्रति वर्ष, प्रति वर्ग मीटर 10 रूपए होगा।

  5. गैर-व्‍यक्‍तिगत संपत्तियों के लिए, कर की दर 1 प्रतिशत होगी | दोनों प्रकार के मूल्‍य – मानक मूल्य और सर्किल दर मूल्‍य में से जो अधिक है उसपर 1 प्रतिशत लगेगा ।

  6. अर्ध-व्‍यक्‍तिगत संपत्तियों के लिए, कर की दर , दोनों प्रकार के मूल्‍य – मानक मूल्‍यों और सर्किल दर मूल्‍य में से जो कम है , उसका 1 प्रतिशत को `गैर-व्यक्ति हिस्सा` से गुणा करने से प्राप्‍त परिणाम/गुणनफल होगी।

13. कर चुकाने की असमर्थता पर

  1. यदि कोई व्‍यक्‍ति संपत्ति-कर नहीं चुकाता है तो वह टैक्‍स/कर उस संपत्‍ति पर बकाया रहेगा और उस पर प्रति वर्ष 18 प्रतिशत का ब्‍याज लागू होगा।

  2. यदि संपत्ति व्‍यक्‍तिगत या अर्ध-व्‍यक्‍तिगत है तो मालिक की मौत हो जाने या संपत्ति के बिक जाने पर कर वसूला जाएगा। संपत्‍ति की कुर्की/जब्‍ती नहीं की जाएगी।

  3. यदि कोई संपत्ति गैर-व्‍यक्‍तिगत है तो बकाया राशि संपत्ति के मूल्‍य का 25 प्रतिशत से ज्‍यादा हो जाने पर उस संपत्ति की नीलामी कर दी जाएगी।

14. दोहरा भार कम करना

  1. किसी एक वर्ष में `संपत्ति कर` के रूप में चुकाई गई धनराशि अगले आने वाले वर्ष के आयकर की में से कम कर दी जाएगी।

   

(25.7) किस प्रकार संपत्ति-कर (संपत्ति-टैक्स) भूमि की जमाखोरी कम करता है और भूमि का दाम घटाता है

किसी व्‍यक्‍ति पर विचार कीजिए जिसने 10 फ्लैटों की जमाखोरी की है। मान लीजिए, हर फ्लैट की कीमत 20 लाख रूपए है। संपत्ति कर कानून के अनुसार, वह 1 या 2 फ्लैटों को (टैक्‍स देने से) छिपा सकता है लेकिन बाकी/शेष फ्लैटों पर उसे प्रति वर्ष 1.6 करोड़ का 1 प्रतिशत टैक्‍स चुकाना पड़ेगा।

   

(25.8) संपत्ति-कर (संपत्ति-टैक्स) के लाभ

संपत्ति कर भूमि की जमाखोरी रोकता है और इस प्रकार भूमि के मूल्‍य में भी कमी लाता है। इससे उद्योग लगाने वालों के लिए भूमि की लागत कम हो जाती है और इस प्रकार व्‍यावसाय की संख्‍या बढ़ती है और (लोगों को) रोजगार भी मिलता है। दूसरे शब्‍दों में, `संपत्ति कर` (उद्योगों के लिए ) हतोत्‍साहित/निराश करने वाला नहीं होता। और यदि इससे उद्योग पर कुछ भोझ होता भी है, तो यह आयकर अथवा बिक्री कर अथवा `उत्‍पाद कर` से काफी कम होता है(यदि ये कर इमानदारी से दिए जाएँ)।

   

(25.9) विरासत-कर (वारिस पर लगने वाला टैक्स)

मैं `विरासत कर` और `उपहार-कर(तोहफे पर लगने वाला टैक्स) ` को, `आय कर` की उच्‍चतम सीमांत दर(उच्चतम स्तर) तक बढ़ाने का पक्षधर/समर्थक हूँ। `आय कर` की जिस उच्‍चतम सीमांत दर का मैने प्रस्‍ताव किया है वह प्रति व्‍यक्‍ति सकल घरेलू उत्‍पाद/जी.डी.पी. के लगभग 100 रूपए आय के स्‍तर पर 40 प्रतिशत है। इसलिए अधिकतम `विरासत कर` और `उपहार कर (तोहफा पर लगने वाला टैक्स) ` लगभग 40 प्रतिशत होगा।

`विरासत कर` के मामले में यदि वारिस/उत्‍तराधिकारी विधवा हो अथवा 60 वर्ष से अधिक आयु का व्‍यक्‍ति हो अथवा विकलांग व्‍यक्‍ति हो तो 100 वर्ग मीटर तक के 1 घर पर टैक्‍स से छूट मिलेगी और 50 `प्रति व्‍यक्‍ति सकल घरेलू उत्‍पाद` के जोड़ तक की राशि पर टैक्‍स से छूट मिलेगी। यदि वारिस/उत्‍तराधिकारी शारीरिक रूप से सक्षम व्‍यक्‍ति हो, 60 वर्ष से कम आयु का हो अथवा विधवा न हो तो लगभग 100 `प्रति व्‍यक्‍ति सकल घरेलू उत्‍पाद` के जोड़ तक की राशि पर टैक्‍स से छूट मिलेगी। इससे अधिक कुछ भी होने पर 20 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक का विरासत कर लगेगा। गर-रिश्तेदारों के लिए `विरासत कर` 65 प्रतिशत लगेगा |

   

(25.10) सीमा शुल्‍क

प्रजा अधीन राजा समूह/राईट टू रिकॉल ग्रुप के सदस्‍य के रूप में मैं 300 प्रतिशत सीमा शुल्‍क का प्रस्‍ताव करता हूँ जिसका एक तिहाई (1/3) सीधे नागरिकों को जाएगा/मिलेगा। नागरिकों को सीधे भुगतान करना यह सुनिश्‍चित करने के लिए आवश्‍यक है कि अधिकांश नागरिक सीमा शुल्‍क लगाने का समर्थन करते हैं। इससे यह भी सुनिश्‍चित हो सकेगा कि सीमा शुल्‍क (विभाग) के प्रभारी अधिकारीगण ईमानदारी से शुल्‍क वसूल रहे हैं। सीमा शुल्‍क भारतीय इंजिनियरों में निर्माण कौशल का विकास/निर्माण करने के लिए जरूरी है और यह (इंजिनियरों में निर्माण कौशल का विकास) भारत में सैन्‍य उद्योग परिसर के निर्माण के लिए जरूरी है।

   

(25.11) टैक्स कानून और क़ानून-ड्राफ्टों में अन्‍य परिवर्तन / बदलाव

इसके अलावा, प्रजा अधीन राजा समूह/राईट टू रिकॉल ग्रुप के हमलोगों ने टैक्‍स कोड में लगभग 200 परिवर्तन का प्रस्‍ताव, मांग और वायदा किया है। सभी परिवर्तन/बदलाव सुपरिभाषित/अच्‍छे तरीके से व विस्‍तार से बताए गए हैं और ये निश्चित/विनिर्दिष्ट हैं।

मैं ने कोई भी आर्थिक सहायता खेलों के लिए अगले 10 सालों के लिए नहीं देने का प्रस्ताव किया है , अर्थात-

1.कोई भी भारत सरकार का पैसा नहीं दिया जायेगा कोई भी खेल के लिए |

2. कोई भी कर की छूट नहीं किसी भी खेल के लिए |

3. आय कर सभी खिलाड़ियों और खेल संस्थाओं के आमदनी पर , सेना के लिए |

4. संपत्ति कर और भूमि किराया खेल संस्थाओं के सभी प्लाट स्टेडियम सहित सेना के लिए |

इससे खेलों का स्तर गिर सकता है लेकिन भ्रष्ट लोग के बदले अधिक अच्छे लोग आ जायेंगे जब गन्दा धन बनाने के लिए नहीं होगा  |

समीक्षा प्रश्‍न

  1. ऐसे भारत के संबंध में विचार कीजिए जिसकी जनसंख्‍या 110 करोड है। मान लीजिए, संपत्ति कर ही एकमात्र कर है जिसके लिए ऐसे रिकार्डों/अभिलेखों की जरूरत है कि किसी व्‍यक्‍ति के पास कितनी भूमि/कितने फ्लैट हैं और उसने प्रति वर्ष कितने बदलाव/निर्माण करवाए हैं। मान लीजिए, (घर में) किए गए बदलाव के लिए प्रति घर/मकान औसतन 2 पृष्‍ठ/पेज का ब्‍यौरा होता है तो प्रति वर्ष कितने कागज उत्पन्न होंगे?

  2. ऐसे भारत के संबंध में विचार कीजिए जिसकी जनसंख्‍या 110 करोड है। मान लीजिए, लगाया जाने वाला एकमात्र कर बिक्री कर है जिसके लिए किसी व्‍यक्‍ति को हर बिक्री और खरीद का रिकार्ड/अभिलेख रखने की जरूरत है। औसतन मान लीजिए, हर व्‍यक्‍ति प्रति सप्‍ताह 10 खरीद करता है। प्रति वर्ष कितने कागज उत्पन्न होंगे ?

  3. बिक्री में, बिक्री का खुलासा न करके टैक्‍स की चोरी की जाती है। क्‍या संपत्ति कर की चोरी की जा सकती है?

  4. जमीन/भूमि पर संपत्ति कर लगाने से जमीन/फ्लैट की कीमत बढ़ती है या जमीन/फ्लैट की कीमत घटती है?

श्रेणी: प्रजा अधीन