सूची
21.7.8 विश्व भर के जूरी प्रणाली(सिस्टम) पर एक नजर
ऐसे लगभग 17 देश हैं जहां जूरी प्रणाली(सिस्टम) का प्रयोग किया जाता है – कनाडा, अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड। दो अन्य देश भी इस सूची में जोड़े गए हैं – रूस के लगभग 25 प्रतिशत जिलों में अब जूरी प्रणाली(सिस्टम) का प्रयोग किया जाने लगा है और जापान वर्ष 2009 से जूरी प्रणाली(सिस्टम) प्रारंभ कर चुका है। और लगभग 90 देशों में जज प्रणाली(सिस्टम) का प्रयोग किया जाता है। जज प्रणाली(सिस्टम) का प्रयोग करने वाले हर एक देश के न्यायालय भ्रष्ट हैं, पुलिसवाले भ्रष्ट हैं और राजव्यवस्था भी भ्रष्ट है [ सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताईवान और इजराइल ऐसे 4 अपवाद वाले देश हैं जहां भ्रष्टाचार कुछ कम है(अन्य स्थानीय कारणों के वजह से ) लेकिन जूरी प्रणाली(सिस्टम) वाले 15 देशों से बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है] । रूस ,चीन और जापान को भी अपने यहां की अदालतों में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की समस्या के कारण जूरी प्रणाली(सिस्टम) लागू करना पड़ा था। और दक्षिण कोरिया ने भी अपैल, 2008 में ऐसा ही किया। दूसरे शब्दों में, यदि कोई भी ऐसी चीज है जो शत-प्रतिशत आपसी-संबंध दर्शाती है तो वह यह है कि जूरी प्रणाली(सिस्टम) में हमेशा भ्रष्टाचार में कमी आती जाती है और जज प्रणाली(सिस्टम) में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद हमेशा ही बढ़ता रहता है।
21.7.9 जूरी प्रणाली(सिस्टम) पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण से एक नजर
रोम में मजिस्ट्रेटों का चयन हुआ था और वहां अत्यधिक अपराध के कारण जूरी प्रणाली(सिस्टम) का प्रयोग शुरू हुआ जिससे पड़ोस के देशों की तुलना में वहां बहुत ही कम भाई–भतीजावाद और कम भष्टाचार वाला शासन कायम हुआ। यही कारण था कि रोम अन्य देशों की तुलना में ज्यादा मजबुत/सुदृढ़ हो गया। लेकिन रोम का पतन हो गया जिसका सबसे प्रमुख कारण यह था कि जनसंख्या के एक बहुत बड़े हिस्से (गुलामों) को वोट/मत देने का अधिकार नहीं था। इसके बाद हरेक शासन में राजा या राजा द्वारा नियुक्त किए गए लॉर्ड के द्वारा सजा सुनाई जाती थी। वर्ष 1200 में, इंग्लैण्ड पहला राष्ट्र बना जिसने इस व्यवस्था को उलट दिया – और मैग्ना कार्टा में यह घोषणा की कि राजा के ऐजेन्ट अब आरोप ही लगाएंगे और नागरिक (जूरी/निर्णायक मण्डल के सदस्य) ही दोषी होने का निर्णय/फैसला करेंगे और सजा सुनाएंगे। यह एक ऐतिहासिक बदलाव था, एक ऐसा बदलाव जिससे शासकों/राजाओं और प्रजा के बीच के संबंधों में पूरी तरह से बदलाव आ गया। अब राजा/शासक के पास बन्दी बनाने अथवा यहां तक कि अर्थदण्ड/जुर्माना लगाने का भी अधिकार नहीं रह गया। इसी जूरी प्रणाली(सिस्टम) का ही यह परिणाम हुआ कि अब कारीगर/शिल्पकार और व्यापारी अपने आप को लॉर्डां के मनमाने शासन से अपना बचाव कर पाए और प्रगति होनी शुरू हो गई। केवल इसी कारण/बदलाव से इंग्लैण्ड में कारीगर/शिल्पकार सम्पन्न हो गए और उनमें से कुछ बाद में चलकर उद्योगपति बन बैठे। इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति इसी जूरी प्रणाली(सिस्टम) के कारण ही आई – जूरी/निर्णायक मण्डल के सदस्य ने कारीगर/शिल्पकार, व्यापारियों और उद्योगपतियों को लॉर्डों और राजाओं के मनमाने जुर्माने से बचाया और इस प्रकार जूरी/निर्णायक मण्डल के सदस्य ने इन्हें धनवान बनने के लिए योग्य बनाया । तथाकथित पुनर्जागरण की कहीं कोई भूमिका नहीं थी। इंग्लैण्ड ने जो प्रगति/तरक्की की, यदि उसके लिए पुनर्जागरण जिम्मेवार था तो बताएं कि ऐसी प्रगति इटली ने क्यों नहीं की जहां कि पुनर्जागरण सबसे पहले आया? बुद्धिजीवियों ने यह बताने के दौरान कि यूरोप ने सारी दुनियां पर कैसे कब्जा कर लिया, जानबुझकर जूरी प्रणाली(सिस्टम) की भूमिका को दबा दिया है क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि छात्र समुदाय जूरी प्रणाली(सिस्टम) के बारे में जानें ताकि ऐसा न हो कि वे इस प्रणाली(सिस्टम) की मांग ही न करने लगें।
21.7.10 जूरी प्रणाली(सिस्टम) की लागत
जूरी प्रणाली(सिस्टम) थोड़ी महँगी जरुर है जुज प्रणाली(सिस्टम) के बनिस्पत लेकिन भाई-बतिजेवाद और भ्रष्टाचार में कमी के वजह से राष्ट्र को “लगत” काफी कम है जज प्रणाली(सिस्टम) के मुकाबले | इसीलिए जूरी प्रणाली(सिस्टम) महँगी दवाई है लेकिन जज प्रणाली(सिस्टम) सस्ता जहर है |
21.7.11 सारांश (छोटे में बात )
संक्षेप में, जूरी प्रणाली(सिस्टम) उन सभी 4 समस्याओं का समाधान कर देता है जिन समस्याओं से भारत की वर्तमान न्यायालय व्यवस्था जुझ रही है –
1 यह भाई-भतीजावाद की समस्या का पूरी तरह समाधान कर देता है
2 यह जज-वकील साँठ-गाँठ/मिली-भगत की समस्या का पूरी तरह समाधान कर देता है
3 यह जज- अपराधी साँठ-गाँठ/मिली-भगत की समस्या का पूरी तरह समाधान कर देता है
4 यह भ्रष्टाचार की समस्या पर सख्त पाबंदी लगा देता है
(21.8) जूरी प्रणाली (सिस्टम) और सूचना-संबंधी कारक |
जूरी-विरोधी-जज-समर्थक लोगों द्वारा एक आपत्ति यह जताई जाती है कि जूरी-मंडल को कानून की जानकारी कम होती है। यह सूचना सही नहीं है – जूरी-मंडल/जूरर्स और जज दोनों को ही न्याय, सही/गलत आदि की मूलभूत सिद्धांतों/धारणा की पूरी जानकारी होती है। एक और केवल एक अंतर यह है कि जजों को (कानून की) धाराओं की संख्या और सजा-अवधि की सही-सही जानकारी ज्यादा होती है। उदाहरण – जज और जूरी-मंडल/जूरर्स दोनों ही यह जानते हैं कि हिंसा अपराध है, पैसे के लिए की गई हत्या, उत्तेजना और गुस्से के कारण हुई अनायास/आचानक हिंसा से ज्यादा घृणित/नृशंस होती है। लेकिन जूरी-मंडल/जूरर्स को शायद विशिष्ठ ब्यौरे – जैसे कि यह अपराध धारा 302 के तहत आएगा और ऐसे किसी अपराध में अधिकतम 5 साल, या 14 साल अथवा 6 महीने या ऐसी ही किसी अवधि की सजा होती है – के बारे में पता नहीं भी हो सकता है। लेकिन ऐसे विशिष्ठ ब्यौरों को सीखकर/जानकर उपयोग में लाना आसान होता है।
जज-समर्थक-जूरी-विरोधी लोग अन्य बिन्दुओं – जैसे जज धीरे-धीरे वकीलों से बहुत मजबूत साँठ-गाँठ/मिली-भगत बना लेते हैं और धनवान बन जाते हैं और रिश्तेदार वकीलों के जरिए घूस भी लेते हैं – का जिक्र/उल्लेख तक नहीं करते।
(21.9) सभी राजनैतिक दलों, बुद्धिजीवियों की जूरी प्रणाली (सिस्टम) पर (राय / विचार) |
हम यह चाहते हैं कि भारत के सभी नागरिक इस बात पर ध्यान दें कि सभी राजनैतिक दलों के वर्तमान सांसदों ने और भारत के सभी बुद्धिजीवियों ने जूरी प्रणाली(सिस्टम) का विरोध किया है और जोर दिया है कि केवल जज ही निर्णय/फैसले सुनाने का काम करेंगे और इस तरह यह सुनिश्चित किया है कि न्यायालयों में भाई-भतीजावाद जारी रहेगा। हम चाहते हैं कि भारत के सभी नागरिक और 80 जी विरोधी कार्यकर्ता ध्यान दें कि हमलोग एकमात्र पार्टी/दल हैं जो जजों/न्यायाधीशों के भाई-भतीजावाद पर रोक लगाने में रूचि रखते हैं। अन्य दलों के नेतगण न्यायालयों में भाई-भतीजावाद की इस समस्या का अपने चुनाव घोषणापत्रों में चर्चा/जिक्र तक करने का कष्ट उठाना नहीं चाहते।