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अध्याय 21- कोर्ट में भ्रष्‍टाचार और भाई-भतीजावाद कम करने के लिए राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्‍ताव

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अभी हमारे पास केवल 13,000 जज हैं | और जैसा मैंने दिखाया , हमें डेढ़ से दो लाख जज चाहिए |

बावजूद इस अत्यंत कमी के ,सुप्रीम कोर्ट और हाई-कोर्ट के जज और प्रसिद्द बुद्धिजीवी खुलेआम जजों की संख्या बढाने के विरोधी हैं | क्यों?

सुप्रीम कोर्ट के जज और बुद्धिजीवी, जो ऊंची जाती के विशिष्ट वर्गीय लोगों के एजेंट/प्रतिनिधि हैं, को पता है कि यदि निचले अदालतों के जजों की संख्या 13,000(तेरह हज़ार) से 1,50,000(डेढ़ लाख) हो जाती है , तो उन्हें कोई 40,000 जजों की नियुक्ति करनी पड़ेगी हर साल तीन सालों तक जबकि अभी के समय हर वर्ष/साल 400 जजों की नियुक्ति करते हैं | यदि ऐसा होता है तो , निचले अदालतों में `अन्य पिछड़े जनजाती` का  प्रतिशत बढ जायेगा| आज के समय में ,सुप्रीम कोर्ट के जज,  सभी जजों के आधिकारिक जाति आंकड़े का खुलासा नहीं करते जाती/भाई-भातिजेवाद का पक्षपात छुपाने के लिए , लेकिन उच्च जाती की भारतीय निचले अदालतों में प्रतिशत 70% से अधिक है , ऐसी अफवाह है | यदि जजों की संख्या तेरह हज़ार से बढ कर डेढ़ लाख या अधिक हो जाती है और जाजों की हर साल भर्ती  300 से बढ कर 30,000 हो जाती है , तो उच्च जातियों का प्रतिशत गिरेगा और अन्य पिछड़ी जातियों का प्रतिशत 35 -40 % तक बढ जायेगा और दलितों और अनूसूचित जनजातियों का प्रतिशत 20% तक बढ जायेगा और उच्च जातियों का प्रतिशत 40% तक गिर जायेगा|

अब एक उच्च जाती का जज भाई-भातिजेवाद के कारण उच्च जाती के विशिष्ट वर्ग के लोगों का एजेंट/प्रतिनिधि की तरह काम करता है | एक दलित जज भाई-भातिजेवाद के कारण दलित विशिष्ट वर्ग के लोगों का एजेंट का काम करता है | आम आदमी/जनसाधारण , उच्च जाती के,अन्य पिछड़ी जाती, या दलित हों , किसी भी जज के लिए महत्त्व नहीं रखते | इसीलिए यदि `अन्य पिछड़ी जाती` या दलितों की प्रतिशत निचले अदालतों में बढती है , तो उच्च जाती के विशिष्ट वर्ग अन्य पिछड़ी जाती/दलित विशिष्ट वर्ग को अपना आधार खो देंगे | ये उच्च जाती के विशिष्ट वर्ग के लोगों को मंजूर नहीं है | और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट और हाई-कोर्ट के जज, बुद्धिजीवी , जो अभी अधिकतर उच्च जाती विशिष्ट वर्गों के एजेंट हैं, निचले अदालत के जजों की संख्या तेरह हज़ार से डेढ़ लाख बढाने का विरोध करते हैं|

निचली अदालतों को कोई भी भत्ता नहीं मिलना चाहिए जैसे ड्राईवर, माली, गाडी आदि | उनको अच्छी वेतन देनी चाहिए और उन्हें अपने दम पर प्रबंध करने देना चाहिए | लेकिन हाँ, एक अदालत/कोर्ट बनाने का मतलब है एक जज, 5क्लेर्क, 2 चपरासी, एक सहायक आदि और उसका प्रबंध हो सकता है |

 

(21.17)  कुछ प्रश्‍न

1.    एक वकील पर विचार कीजिए जो 10 न्‍यायालयों वाले एक शहर में प्रैक्‍टिस करता है और एक वर्ष में 30 मुकद्दमें दायर करता/करवाता है। मान लीजिए, एक जज का कार्यकाल 4 वर्षों का है। वह वकील 10 वर्षों में कितने जजों से मिलेगा? वह 10 वर्षों में कितने जूरी-मंडल/जूरर्स से मिलेगा?

2.    एक राज्‍य पर विचार कीजिए जिसमें 5 करोड़ नागरिक हैं। मान लीजिए, एक वर्ष में 100,000 मुकद्दमें दायर किए जाते हैं। यदि एक जज एक वर्ष में 80 मुकद्दमें निपटाता है तो उस राज्‍य को कितने जजों की जरूरत होगी और वह जज अपने 30 वर्षों के कार्यकाल में कितने मुकद्दमें निपटाएगा? यदि जूरी-मंडल/जूरर्स को काम पर लगाया जाता है तो उन 30 वर्षों की अवधि में कितने जूरी-मंडल/जूरर्स से काम लिया जाएगा?

[ निम्‍नलिखित प्रश्‍नों में XII कक्षा की संभाव्‍यता/प्रोबैब्‍लिटी सिद्धांत के ज्ञान की जरूरत पड़ेगी। कैलकुलेटर/संघटक अथवा एक्स्केल(excel)  का उपयोग जरूरत पड़ने पर करें]

3.    जिला `क` पर विचार कीजिए जिसमें अगले 30 वर्षों में प्रतिवर्ष 80,000 मुकद्दमों को सुलझाने के लिए 1000 जजों की नियुक्‍ति की गई है। प्रत्येक मुकद्दमें में ईमानदार जजों के होने की संभाव्‍यता 0.001 मानिए, लेकिन वह एक बार यदि कोई जज भ्रष्‍ट हो गया तो मानकर चलिए कि उसके घूस लेने की संभाव्‍यता अब 0.2 है। तब पहले वर्ष में कितने प्रतिशत मुकद्दमों में भ्रष्‍टाचार दिखेगा? जिला `क` में अगले 30 वर्षों में से प्रत्‍येक वर्ष के लिए (भ्रष्‍टाचार वाले मुकद्दमों की) संख्‍या का आकलन कीजिए।

4. जिला `ख` पर विचार कीजिए जिसमें प्रति वर्ष 8000 मुकद्दमों के निर्णयों के लिए जूरी प्रणाली(सिस्टम) का प्रयोग करने का निर्णय लिया गया है । मान लीजिए, एक जूरी-मंडल/जूरर्स 0.2 की संभाव्‍यता के साथ भ्रष्‍ट है। फैसला केवल तभी भ्रष्‍ट/गलत होगा यदि 4 या उससे अधिक जूरी-मंडल/जूरर्स भष्‍ट हो जाते हैं तो जिले ख के कितने प्रतिशत फैसले प्रतिवर्ष भ्रष्‍ट/गलत होंगे?

5     जिला `क` पर विचार कीजिए जिसमें अगले 30 वर्षों के लिए 8000 मुकद्दमों को सुलझाने के लिए 100 जजों की नियुक्‍ति/भर्ती की गई है। मान लीजिए कि जज के भ्रष्ट न होने की संभाव्‍यता 0.001 है जब सभी वकील और आसिल(वकीलों के ग्राहक/मुवक्किल) जजों के रिश्‍तेदार नहीं हैं और यह संभावना 25 प्रतिशत है यदि वकील जजों का रिश्‍तेदार है। प्रति/वर्ष कितने मुकद्दमों में भ्रष्‍टाचार/गलती होगी?

6.    किसी पेशेवर अपराधी पर विचार कीजिए जो हर वर्ष 20 अपराध करता है। मान लीजिए, पकड़े जाने और सजा मिलने की संभावना 10 प्रतिशत है। तब 5 वर्ष के बाद उसके जेल ना जाने की कितनी संभावना है?

7.    50 अपराधियों के किसी गिरोह/गैंग पर विचार कीजिए। मान लीजिए, वे एक साल में 200 अपराध करते हैं। मान लीजिए, सजा देने की दर 3 प्रतिशत है। तब इस बात की कितनी संभावना है कि 2 वर्षों में एक भी सदस्‍य को सजा न मिले?

8.    50 अपराधियों के किसी गिरोह/गैंग पर विचार कीजिए। मान लीजिए, हर बार जब (गिरोह के) किसी सदस्‍य को सजा होती है तो 2 सदस्‍य गिरोह छोड़ देते हैं। मान लीजिए, उन्‍होंने 1 वर्ष में N × 4 अपराध किए। N गिरोह में सदस्‍यों की संख्‍या है। मान लीजिए, सजा देने की दर 5 प्रतिशत है तो 5 वर्षों के बाद गिरोह का अनुमानित आकार क्‍या होगा/गिरोह कितना बड़ा हो जाएगा?

 

(21.18) अभ्‍यास

9.    भारत के किसी जिले पर विचार कीजिए। मान लीजिए, उस जिले में 50 न्‍यायालय/कोर्ट हैं। कृपया उस कानून के क़ानून-ड्राफ्ट दीजिए/बनाइए जिसके द्वारा वैसे परस्पर(आपसी) भाई-भतीजावाद से बचा जा सकता है जिसमें जज `क`, जज `ख` के रिश्‍तेदारों का पक्ष लेता है और जज `ख`, जज `क` के रिश्‍तेदारों का पक्ष लेता है।