यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य किसी बैठक से अनुपस्थित रहता है तो उसे उस दिन का 100 रूपया नहीं मिलेगा और उसे अपनी भुगतान की जाने वाली राशि से तिगुनी राशि की हानि भी हो सकती है। जो व्यक्ति 30 दिनों के बाद महा-जूरीमंडल के सदस्य होंगे, वे ही अर्थदण्ड/जुर्माने के संबंध में निर्णय लेंगे।
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जूरी प्रशासक
जूरी प्रशासक बैठक 11 बजे सुबह शुरू कर देगा। जूरी प्रशासक (बैठक के) कमरे में सुबह 10.30 बजे से पहले आ जाएगा। यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य सुबह 10.30 बजे से पहले आने में असफल रहता है तो जूरी प्रशासक उसे बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं देगा और उसकी अनुपस्थिति दर्ज कर देगा।
सैक्शन – 3 : किसी नागरिक पर आरोप तय करना
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जूरी प्रशासक
कोई व्यक्ति, चाहे वह निजी/आम आदमी हो चाहे जिला दण्डाधिकारी/प्रोजिक्यूटर, यदि वह किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत करना चाहता है तो वह महा-जूरीमंडल के सभी सदस्यों या कुछ सदस्यों को शिकायती पत्र लिखेगा। शिकायतकर्ता से उसे यह भी अवश्य बताना होगा कि वह क्या समाधान चाहता है। ये समाधान इस प्रकार के हो सकते हैं –
किसी सम्पत्ति पर कब्जा/स्वामित्व प्राप्त करना
आरोपी व्यक्ति से आर्थिक क्षतिपूर्ति या मुआवजा प्राप्त करना
आरोपी व्यक्ति को कुछ महीने/साल के लिए कैद की सजा दिलवाना
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जूरी प्रशासक
यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य किसी बैठक में आने के लिए बुलावा भेजते हैं तो वह नागरिक उपस्थित होगा। महा-जूरीमंडल आरोपी और शिकायतकर्ता को बुला भी सकते हैं या नहीं भी बुला सकते हैं।
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जूरी प्रशासक
यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य यह स्पष्ट कर देते हैं कि शिकायत में कुछ दम/मेरिट है तो जूरी प्रशासक शिकायत की जांच कराने के लिए एक जूरी बुलाएगा जिसमें उस जिले के 12 नागरिक होंगे। जूरी प्रशासक 12 से अधिक नागरिकों का क्रमरहित/रैंडम तरीके से चयन करेगा(खंड-8 में महा-जूरीमंडल के चुनाव के सामान ही जूरीमंडल का चयन होगा) और उन्हें बुलावा भेजेगा। आनेवालों में से जूरी प्रशासक क्रमरहित तरीके से 12 लोगों का चयन कर लेगा। [मान लीजिए एक जिले में सौ मामले दर्ज हुए हैं | तो कोई 3000 या अधिक लोगों को बुलावा भेजा जायेगा जब तक उनमें से 2600 लोग न आ जायें ,क्योंकि उनमें कुछ मर गए होंगे, कुछ शहर से बहार गए होंगे |ये 2600 लोग क्रमरहित तरीके से 26-26 के 100 समूहों में क्रमरहित तरीके से बांटे जाएँगे , एक मामले के लिए एक समूह | दोंनो पक्ष के वकील उन 26 लोगों में से हरेक व्यक्ति को 20 मिनट इंटरवीयू/साक्षात्कार लेगा और हर पक्ष का वकील 4 लोगों को बाहर निकाल देगा(इस तरह किसी भी पक्ष को पूर्वाग्र/पक्षपात का बहाना नहीं मिलेगा ) | इस तरह 18 लोगों का जूरी-मंडल होगा जो 12 मुख्य जूरी सदस्य और 6 विकल्प जूरी सदस्य में क्रमरहित तरीके से बांटे जाएँगे |]
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जूरी प्रशासक
जूरी प्रशासक मुख्य जिला प्रशासक से कहेगा कि वह मुकद्दमें की अध्यक्षता करने के लिए एक या एक से अधिक जजों की नियुक्ति कर दे। यदि विवादित संपत्ति का मूल्य लगभग 25 लाख से अधिक है अथवा दावा किए गए मुआवजे की राशि 1,00,000(एक लाख) रूपए से अधिक है अथवा अधिकतम कारावास का दण्ड 12 महीने से अधिक है तो जूरी प्रशासक 24 जूरी-मंडल सदस्य का चुनाव करेगा और उस मुकद्दमें के लिए मुख्य जज से 3 जजों की नियुक्ति करने का अनुरोध करेगा , नहीं तो वह मुख्य जज से 1 जजों की नियुक्ति करने का अनुरोध करेगा। विवादित समट्टी का मूल्य 50 करोड़ से अधिक होने पर 50-100 जूरी सदस्य और 5 जज होंगे | यदि मुलजिम के खिलाफ 10 से कम मामले हैं तो, जूरी-सदस्य 12, 10-25 मामले हों तो 24 जूरी सदस्य चुने जाएँगे और 25 से अधिक मामले होने पर 50-100 जी सदस्य होंगे| यदि मुलजिम श्रेणी 4 का अफसर है तो 12 जूरी सदस्य, श्रेणी 2 या 3 का होगा तो , 24 जूरी सदस्य होंगे और श्रेणी 4 या अधिक होने पर 50-100 जूरी सदस्य होंगे |इस मामले में नियुक्त किए जाने वाले जजों की संख्या के संबंध में मुख्य न्यायाधीश का फैसला ही अंतिम होगा |
सैक्शन – 4 : सुनवाई/फैसला आयोजित करना
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अध्यक्षता करने वाला जज
सुनवाई 11 बजे सुबह से लेकर 4 बजे शाम तक चलेगी। सभी 12 जूरी-मंडल/जूरर्स और शिकायतकर्ता के आ जाने के बाद ही सुनवाई शुरू की जाएगी। यदि कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता है तो जो पक्ष उपस्थित है उसे 3 से 4 बजे शाम तक इंतजार करना होगा और तभी वे घर जा सकते हैं।यदि तीन दिन बिना कारण दिए , कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता, तो उपस्थित पक्ष अपनी दलीलें देगा और जूरी तीन दिन और इन्तेजार करेगी ,अनुपस्थित पक्ष को बुलावा देने के पश्चात| यदि फिर भी अनुपस्थित पक्ष बिना कारण दिए नहीं आती, तो जूरी अपना फैसला सुनाएगी |
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अध्यक्षता करने वाला जज
यह जज शिकायतकर्ता को 1 घंटे बोलने की अनुमति देगा जिसके दौरान कोई अन्य बीच में नहीं बोलेगा। वह जज प्रतिवादी(वह जिसपर मुकदम्मा चलाया जा रहा है) को भी 1 घंटे बोलने की अनुमति देगा जिसके दौरान कोई अन्य व्यक्ति बोलने में बाधा/व्यावधान पैदा नहीं करेगा। इसी तरह, बारी-बारी से दोनों पक्षों को बोलने देगा मुकद्दमा हर दिन इसी प्रकार चलता रहेगा।
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अध्यक्षता करने वाला जज
मुकद्दमा कम से कम 2 दिनों तक चलेगा। तीसरे दिन या उसके बाद यदि 7 से अधिक जूरी सदस्य यह घोषित कर देते हैं कि उन्होंने काफी सुन लिया है तो वह मुकद्दमा एक और दिन चलेगा। यदि अगले दिन 12 जूरी सदस्यों में से 7 से ज्यादा सदस्य यह घोषित कर देते हैं कि वे और दलीलें सुनना चाहेंगे तो यह मुकद्दमा तब तक चलता रहेगा जब तक 7 से ज्यादा जूरी सदस्य यह नहीं कह देते कि (अब) मुकद्दमा समाप्त किया जाना चाहिए।
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अध्यक्षता करने वाला जज
अंतिम दिन जब दोनों पक्ष/पार्टी अपना-अपना पक्ष/दलील 1 घंटे प्रस्तुत कर देंगे तो जूरी-मंडल/जूरर्स कम से कम 2 घंटे तक विचार-विमर्श करेंगे। यदि 2 घंटे के बाद 7 से ज्यादा जूरी-मंडल/जूरर्स कहते हैं कि और विचार-विमर्श की जरूरत नहीं है तो जज (जूरी-मंडल के) प्रत्येक सदस्य से अपना-अपना फैसला बताने/घोषित करने के लिए कहेगा।