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अध्याय 16 – प्रिय कार्यकर्ता, क्‍या आपके नेता कानूनों के ड्राफ्ट देने / बताने से मना करते हैं ?

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 प्रिय कार्यकर्ता, क्‍या आपके नेता कानूनों के ड्राफ्ट देने / बताने से मना करते हैं ?

 

(16.1) इस पाठ का उद्देश्‍य

            इस पाठ का उद्देश्‍य कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं को यह समझाने का है कि यदि आपका कार्यकर्ता नेता गरीबी/भ्रष्‍टाचार कम करने वाले कानून-ड्राफ्ट का खुलासा नहीं कर रहा है तो आपका यह कार्यकर्ता नेता जानबूझकर या अनजाने में आपका कीमती समय बरबाद कर रहा है। ऐसे समूह भ्रष्‍टाचार को बढ़ने से रोकने में असफल हो जाएंगे, वे गरीबी कम करने में असफल हो जाएंगे और वे भारत में अराजकता की स्थिति कम करने में असफल हो जाएंगे। अब मेरा लक्ष्‍य कार्यकर्ताओं से यह कहने का नहीं है कि वे अपने कार्यकर्ता नेताओं को छोड़ दें। मेरा उद्देश्‍य कार्यकर्ताओं से यह कहने का है कि वे अपने कार्यकर्ता नेताओं से कहें कि वे भ्रष्‍टाचार और गरीबी कम करने वाले कानून-ड्राफ्ट उपलब्‍ध कराऐं। आशा है कि मैं कनिष्ठ/छोटे  कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए संतुष्‍ट करने में सफल हो जाउंगा कि वे कार्यकर्ता नेताओं पर कानून-ड्राफ्टों का खुलासा करने के लिए दबाव बनाएं। तब मैं यह देख पाउंगा कि क्‍या भ्रष्‍टाचार आदि को कम करने के लिए उनके प्रस्‍वावित कानून-ड्राफ्ट मेरे द्वारा प्रस्‍तावित प्रारूपों/ड्राफ्ट की तुलना में ज्‍यादा अच्‍छा काम करेंगे या नहीं? यदि वे ज्‍यादा प्रभावकारी/कार्य-कुशल हुए तो मैं उन कानून-ड्राफ्टों को अंशत: या पूर्णत: अपने ऐजेंडे/कार्यसूची में शामिल कर लूंगा और यदि उनके कानून-ड्राफ्ट मेरे कानून-ड्राफ्ट से खराब हुए तो मेरा अगला कदम कार्यकर्ताओं से यह कहने का होगा कि वे अपने कार्यकर्ता नेताओं से कहें कि वे अपने प्रारूपों/ड्राफ्ट में मेरे प्रारूपों/ड्राफ्ट के अच्‍छे बिन्‍दुओं को शामिल कर लें।

            साथ ही, जैसे ही कोई कार्यकर्ता नेता अपने कानून का खुलासा करता है तो मैं उससे पूछूंगा कि वह क्‍यों निम्‍नलिखित भागों को अपने क़ानून-ड्राफ्ट में जोड़ने का विरोध कर रहा है,  जिन भागों को मैने खण्‍ड `जनता की आवाज` ( सी वी = जनता की आवाज) का नाम दिया है, प्रस्‍तावित प्रारूपों में सी वी – 1 और सी वी – 2 नाम से दो खण्‍ड होंगे :-

            धारा/सैक्शन सी वी : `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली

सी वी – 1

जिला कलेक्‍टर

यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्‍ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव/परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्‍टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्‍तुत कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्‍लर्क इस ऐफिडेविट/हलफनामा को 20 रूपए प्रति पृष्‍ठ का शुल्‍क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।

सी वी – 2

तलाटी (अथवा पटवारी/लेखपाल )

यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्‍ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्‍लॉज/खण्‍ड में प्रस्‍तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्‍क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा।

                        ऊपर उल्‍लिखित/वर्णित धारा -`जनता की आवाज़`(सी वी) नागरिकों की कोई भी प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट के विरुद्ध (जनता की) आवाज को ध्यान में लाने में सक्षम बनाता है , यदि कोई ऐसी आवाज़ हो तो । और यह धारा नागरिकों को भारत के किसी भी कानून-ड्राफ्ट में बदलाव लाने अथवा भारत में एक नए कानून-ड्राफ्ट बनाने में भी सक्षम बनाएगा। यदि कार्यकर्ता  नेता ऊपर उल्‍लिखित दोनों धाराओं को शामिल करने से इनकार करता है तो मैं उसे आम आदमी विरोधी अथवा लोकतंत्र विरोधी व्‍यक्‍ति के रूप में प्रचारित कर सकता हूँ। और यदि कार्यकर्ता नेता ऊपर उल्‍लिखित दोनों धाराओं को अपने कानून-ड्राफ्ट में शामिल करने पर सहमत हो जाता है तो उसका समूह निश्‍चित रूप से `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) समर्थक समूह बन जाएगा।

                        मैं वर्तमान समूहों के ऐजेंडे/कार्यसूची में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) क़ानून-ड्राफ्ट जोड़ने में रूचि रखता हूँ और मैं उनके कार्यकर्ताओं को चुराकर अपने राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह में शामिल करने में जरा भी रूचि नहीं रखता। क्‍यों? क्‍योंकि कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं को बैठकों का स्‍थान और कार्यस्‍थल उपलब्‍ध कराने के लिए जरूरी कार्यालय चलाने का मेरे पास ना तो पैसा है और न ही समय। कार्यस्‍थल/रियल स्‍टेट महत्‍वपूर्ण लेकिन महंगा है और यदि मैं कार्यकर्ताओं को राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह में शामिल करने पर जोर दूं तो प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों का प्रचार करने की मेरी योजना में यह एक बड़ी रूकावट बन जाएगा। लेकिन यदि मैं कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं को इस बात पर राजी कर सकूं कि वे अपने समूह के ऐजेंडे/कार्यसूची में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को शामिल करवा सकें तो उनके समूह के कार्यस्‍थल को प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून का प्रचार करने के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा। इससे लागत 95 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। इसलिए सबसे अच्‍छा यही है कि मैं किसी प्रकार कनिष्ठ/छोटे  कार्यकर्ताओं को प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) का एजेंडा उसके अपने समूह के एजेंडे/कार्यसूची में शामिल करवाने के लिए मना सकूं और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार)-समर्थक कार्यकर्ताओं को उनका अपना समूह छोड़ने के लिए बाध्‍य न करूं। तब क्‍या होगा जब वह कार्यकर्ता नेता प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को अपने ऐजेंडे में शामिल करने से इनकार/मना कर दे? तब मेरा कदम कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं को किसी ऐसे समूह में शामिल होने पर राजी करने का होगा जो समूह प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) का समर्थन करता है ताकि उस समूह के स्‍थल/कार्यालय और संचार-सूत्रों का उपयोग प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून-ड्राफ्टों का प्रचार करने में किया जा सके। मैं इसके बारे में विस्‍तार से बाद में बताउंगा।

 

(16.2) कानून – ड्राफ्टों के अभाव में सभी प्रयास व्‍यर्थ हो जाते हैं

प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के अभाव में कार्यकर्ताओं और नागरिकों के सभी प्रयास व्‍यर्थ जाते हैं । सबसे खराब उदाहरणों में से एक है – 1950-1977 के बीच जय प्रकाश नारायण द्वारा चलाया गया “प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट रहित प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार)” का विचार।

श्रेणी: प्रजा अधीन