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अध्याय 16 – प्रिय कार्यकर्ता, क्‍या आपके नेता कानूनों के ड्राफ्ट देने / बताने से मना करते हैं ?

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क़ानून-ड्राफ्ट न देने का बहाना 5 : कार्यकर्ताओं को धर्मार्थ आदि के काम की ओर ध्‍यान लगाना चाहिए न कि कानून-ड्राफ्टों की ओर

खंडन : मैं पिछले पाठ में इस बहाने का खंडन कर चुका हूँ।

क़ानून-ड्राफ्ट न देने का बहाना 6 : कार्यकर्ताओं को भ्रष्‍टाचार कम करने की ओर ध्‍यान लगाना चाहिए न कि कानून-ड्राफ्टों की ओर

खंडन : मैं पिछले पाठ में इस बहाने का खंडन कर चुका हूँ।

क़ानून-ड्राफ्ट न देने का बहाना 7 : कार्यकर्ताओं को कानून में सुधार करने की तरफ ध्‍यान लगाना चाहिए, कानून-ड्राफ्टों की तरफ नहीं

खंडन : मैं पिछले पाठ में इस बहाने का खंडन कर चुका हूँ।

क़ानून-ड्राफ्ट न देने का बहाना 8     : रिश्वत को ना कहो , क़ानून-ड्राफ्टों की आवश्यकता नहीं है|

खंडन : यदि कोई भी व्यक्ति काम-धंधा करता है तो उसे पुलिस वाले, आयकर विबाग के अफसर, जज(यदि कोर्ट में कोई मामला दर्ज होता है ) आदि रिश्वत के लिए परेशान करते हैं और उसके काम-धंधा चलने नहीं देते | इसीलिए “ रिश्वत को ना कहो , क़ानून-ड्राफ्ट की मांग मत करो” का तरीका केवल प्रोफेसरों के लिए है जिनको हर महीने तनखा मिलती है , उसके विद्यार्थी फेल भी हो जायें तो भी, लेकिन काम-धंधे वालों के लिए नहीं क्योंकि रिश्वत ना देने पर उन्हें ना भरने वाला नुक्सान हो सकता है | इसीलिए कार्यकर्ताओं को कानून-ड्राफ्टों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए |

 

(16.9) तब क्‍या होगा जब आपका कार्यकर्ता-नेता क़ानून-ड्राफ्ट देने के लिए राजी हो जाता है?

मैं अपने सभी विकल्‍प खुले रखुंगा ताकि कम से कम कोई कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ता ठगा महसूस न करे। मेरा उद्देश्‍य/प्रयोजन हर कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ता को प्रजा अधीन राजा (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार), `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम.आर.सी.एम.) कानून-ड्राफ्टों का प्रचारक बनाने का है और इसके लिए सम्पर्क सूत्र और कुछ कार्यालय/कार्य स्‍थल की जरूरत भी पड़ेगी। मैं `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) आदि पर जानकारी फैलाने के प्रयोजन के लिए वर्तमान दलों, गैर सरकारी संगठनों आदि के संपर्क सूत्रों और कार्यस्‍थलों का उपयोग करना चाहता हूँ। मेरा एक तात्‍कालिक लक्ष्‍य यह भी है कि छोटे कार्यकर्ताओं को संतुष्‍ट कर सकूं कि ड्राफ्ट-रहित कार्यकर्ता भ्रष्‍टाचार व गरीबी कम करने में समय की बरबादी मात्र है और इसलिए उन्‍हें अपने कार्यकर्ता नेताओं पर दबाव डालना चाहिए कि वे उस कानून के ड्राफ्ट को प्रकाशित करें जिनसे वे समझते हैं कि गरीबी/भ्रष्टाचार कम होगा। और जब एक बार कार्यकर्ता नेता अपना प्रारूप/ड्राफ्ट प्रकाशित कर देता है तो मैं उस कार्यकर्ता नेता से पूछूंगा कि क्‍यों वे अपने कानून-ड्राफ्टों में निम्‍नलिखित धारा `जनता की आवाज़`(सीवी) को शामिल करने से मना क्यों करते हैं :-

धारा `जनता की आवाज़`(सी वी) : `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)

सी वी – 1

जिला कलेक्‍टर/

समाहर्ता

यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्‍ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव/परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्‍टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्‍तुत कर सकता है और जिला समाहर्ता या उसका क्‍लर्क इस ऐफिडेविट को 20 रूपए प्रति पृष्‍ठ का शुल्‍क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।

सी वी – 2

तलाटी (अथवा पटवारी)

यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्‍ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्‍लॉज/खण्‍ड में प्रस्‍तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्‍क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा।

            यदि कार्यकर्ता नेता अपने प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट में धारा – `जनता की आवाज़`(सी वी) को शामिल करने से मना करता है तब वह इस बात का प्रमाण देता नजर आएगा कि वह आम आदमी- विरोधी है, नहीं तो वह नागरिकों को अपने द्वारा प्रस्‍तावित कानून-ड्राफ्ट/खण्डों पर ना दर्ज करने देने का विरोध क्‍यों करता है? कानून ड्राफ्टों में धारा –`जनता की आवाज़`(सी वी) शामिल करने से मना करना उसके अपने समूह के सभी गरीब-हितैषी व आम-जनता-हितैषी कनिष्ठ/छोटे  कार्यकर्ताओं के सामने कार्यकर्ता नेता की प्रतिष्‍ठा खराब कर देगा और अब यदि कार्यकर्ता  नेता अपने प्रस्‍तावित क़ानून-ड्राफ्ट में धारा –`जनता की आवाज़`(सी वी) शामिल करने पर सहमत हो जाता है तब वह `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानून का प्रचारक बन जाएगा। और इस प्रकार `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) को राजनीतिक रंग देने में उसके संगठन के हिस्‍से का उपयोग करने का मेरा लक्ष्‍य पूरा हो जाएगा। इसके अलावा कार्यकर्ता नेता द्वारा दिए गए प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट में निश्‍चित ही कोई नोडल प्रभारी अधिकारी भी होगा । मैं उससे अनुरोध करूंगा कि वह उस क्‍लॉज/खण्‍ड को शामिल करे जिससे नागरिकगण उस अधिकारी को बर्खास्‍त/बदल सकें। यदि वह सहमत हो जाता है तो उसके संगठन का एक हिस्‍सा अंत में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों का प्रचार करता नजर आएगा। और यदि कार्यकर्ता  नेता इनकार करता है तो फिर से अंत में, अपने कनिष्ठ/छोटे कार्यकर्ताओं के सामने अपनी ही प्रतिष्ठा धूमिल करता नजर आएगा।

 

(16.10) भारत में इतनी समस्याएं क्यों हैं?

इसका एक कारण ये है कि भारत में लोग, लंबे समय से, अपना अधिकतर समय का उपयोग समस्या वर्णन के लिए लगाते हैं न कि क़ानून के ड्राफ्ट/प्रारूप लिखने के लिए जो समस्या का हल कर सकते हैं | कोई भी प्रस्ताव उतना ही अच्छा या बुरा है जितना उसका ड्राफ्ट/प्रक्रिया | सरकार में लाखों कर्मचारी हैं और उन कर्मचारियों को कोई भी प्रस्ताव को लागू करने के लिए उन्हें निर्देश या ड्राफ्ट देना होगा | इतना प्रयाप्त नहीं है कहना कि `भ्रष्टाचार दूर करो` क्योंकि इससे प्रस्ताव या तो लागू नहीं होगा या अपूर्ण तरीके से लागू होगा | इसीलिए ड्राफ्ट/प्रारूप पर केंद्रित करें जो भारत की ज्वलंत समस्याओं को हल कर सके |

 

(16.11) सारांश (छोटे में बात ) :

मैंने अपना उद्देश्‍य विस्‍तार से बता दिया है, मेरा उद्देश्‍य `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम.आर.सी.एम.) कानून-प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट के महत्‍व को समझाना है और हरेक संगठन को उसके स्‍वार्थ-रहित कनिष्ठ/छोटे  कार्यकर्ताओं के अंत:मन को प्रभावित करके `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम.आर.सी.एम.) का प्रचारक बनाना है।

श्रेणी: प्रजा अधीन