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अध्याय 59 – जबरन धर्मान्तरण पर रोक के लिए राईट टू रिकाल ग्रुप के समाधान-ड्राफ्ट

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जबरन या दबाव-पूर्वक धर्मान्तरण पर रोक लगाने के लिए राईट टू रिकाल ग्रुप के द्वारा समाधान-ड्राफ्ट


   

59.1.      हथियार निर्माण और सेना को मजबूत बनाना-

ये कदम धर्मान्तरण को रोकने के लिये एक अत्यधिक् जरुरी कदम है.

कर्इ लोग जो भारत में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना चाहते हैं , आमतौर पर सुझाव देते है कि जबरन धर्मान्तरण के खिलाफ कानून बनाया जाये और ऐसा करने वालो को जेल में डाल दिया जाये । परन्तु यह कानून बनाने  या पुलिस बल के उपयोग  का रास्ता तब बेकार या असफल हो जायेगा जब :-

1.     जब यदि कभी अमेरिकी फौज स्वयं भारत में उतरती हैं ।

2.     यदि भारतीय नेता ही स्वदेशी हथियारो के निर्माण को बाधित करते हैं या उसे कम करते हैं , तो हमारी भारत की सेना  चीन तथा                 पाकिस्तान से सुरक्षा हेतु हथियारो के लिये बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों पर ही निर्भर रहेंगी ।

3.      यदि देश के राजनीतिज्ञ ही ऐसी अर्थव्यवस्था बनाते हैं जो बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो पर निर्भर रहेगी ।

मैं इन तीन उपरोक्त बिन्दुओ को विस्तृत करता हूँ :-

1.        जब यदि अमेरिकी फौज भारत में उतरेगी :-

इराक जैसे कुछ देशो ने इस्लाम से र्इसार्इयत में जबरन धर्मान्तरण को रोकने के लिये कानून बनाये , अलग-अलग पोलिसी (नीतियाँ ) बनार्इ और पुलिस के इस्तेमाल से उन लोगो को जेल में भी डाल दिया गया जो मुसलमानों को जबरन ईसाई बना रहे थे । लेकिन उनकी  कोशिश तब नाकामयाब हो गर्इ जब अमेरिकी फौज ने इराक की व्यवस्था पर कब्जा कर लिया  और उसके बाद इराक में प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से 15 प्रतिशत आबादी को र्इसार्इयत में बदल दिया गया ।

इसलिये यदि प्रशासनिक कार्यकर्ता और उनके नेता जबरन धर्मपरिवर्तन के खिलाफ कानून बनाते हैं , लेकिन वह बड़े स्तर पर देश में स्वदेशी हथियारो के निर्माण को समर्थन और बढ़ावा नहीं देते हैं तो देर-सवेर अमेरिकी फौज भारत में घुस कर बड़े पैमाने पर जबरन धर्मपरिवर्तन का कार्य करेंगी । पर यदि कार्यकर्ता ऐसे प्रशासनिक ढ़ाँचे को बढ़ावा देते हैं जो कि स्वदेशी हथियार निर्माण को बढ़ावा देता है , तो जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ किसी कानून की जरुरत नहीं रहेंगी और यह बिना कोर्इ कानून बनाये खत्म हो जायेगी । क्योकि जो प्रशासन स्वदेशी हथियारो को बढ़ावा देगा वह देश की अर्थव्यवस्था को भी ऊपर उठायेगा , न्याय व्यवस्था को सुधारेगा, विज्ञान/गणित की शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी और धार्मिक अन्धविश्वास में काफी कमी आ जाएगी । इस तरह जबरन धर्मपरिवर्तन की समस्या स्वत: खत्म हो जायेगी ।

2.        यदि भारतीय सेना हथियारो के लिये अमेरिका पर निर्भर हो जायेगी :-

मान ले कि भारत मे अमेरिकी सेना नहीं आयेगी । लेकिन यदि कार्यकर्ता किसी ऐसे प्रशासनिक व्यवस्था का निर्माण करते हैं जो कि छोटे उद्योगपतियों को समर्थन नहीं दें तो सीधे ही स्वदेशी हथियारो के निर्माण में भी कमी आ जाएगी, और भारतीय सेना को चीन पाकिस्तान से सुरक्षा हेतु हथियारो के लिये बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिको पर निर्भर रहना पड़ेगा । इसलिये बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों के मालिक सरकार को मजबूर करेंगे की वह जबरन धर्मान्तरण के अनुकूल कानून पारित करें, अन्यथा (नहीं तो) सेना को वह हथियार पहूँचाना बंद कर देंगे ।

ऐसे में सरकार को धर्मान्तरण के अनुकूल कानून और नीतियाँ बनानी पड़ेगी । बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो द्वारा खरीदा हुआ मिडिया, हमारे नेताओ को महान नेता बतायेंगे , पर असल में नेताओ के सामने जबरन धर्मान्तरण को बढ़ावा देने के लिये कानून बनाने के अलावा कोर्इ और रास्ता ही नहीं बचेगा ।

3.        यदि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो पर निर्भर करें :-

अब , यदि कार्यकर्ता ऐसे प्रशाशन को खड़ा करते हैं जो छोटे-बड़े स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा ना दे , तो स्वदेशी उद्योगों ठप होकर बंद होने लगेंगे और बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो को भारत देश में ज्यादा से ज्यादा घुसने की जगह मिलेगी । जैसे ही हमारे देश के ज्यादातर खनिज के खान और उद्योग इन बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के हाथों में चले जायेंगे , वैसे ही ये बहुदेशी कम्पनियाँ हमारे सरकार की नीतियो में दखल करने लगेंगी । फिर देश में बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन के लिये नीतियां बनवाने लगेंगी ।

तो यदि देशभक्त कार्यकर्ता ऐसे प्रशाशन को समर्थन देता है, जो कि स्वदेशी हथियार निर्माण और स्वदेशी तकनीक को समर्थन और बढ़ावा नहीं देता तो देर-सवेर यह पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक सेना के द्वारा , हथियारो के व्यापार , या फिर उधागो को खड़ा करके भारत में हमारी ही सरकार की नीतियो में दखल देंगे , और इस तरह जबरन धर्मान्तरण को बढ़ावा मिलेगा । लेकिन , यदि कार्यकर्ता चाहते है कि जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या खत्म हो , तो कुछ कानून बनाने से , प्रतिबंध से या नारेबाज़ी से कोर्इ खास फायदा नहीं होगा । इसलिये जरुरी हैं कि वह प्रधानमंत्री तथा मुख़्य-मंत्रियों पर ऐसा दबाव बनाये कि वह राजपत्र में ऐसे ड्राफ्ट डाले जो कि छाटे-बड़े सारे स्वदेशी उधोगपतियो के साथ न्याय करे और स्वदेशी हथियारों के निर्माण को बढ़ावा दें ।

   

59.2.      कैसे शिक्षा व्यवस्था में एक गलत राजपत्र जबरन धर्मानतरण को बढ़ावा देता हैं  ?

यदि कार्यकर्ता देश में विज्ञान तथा गणित की अच्छी शिक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं देंगे , तो नेता और कलेक्टर आदि मिलकर ऐसे ड्राफ्ट्स बना देंगे जो कि अच्छी गणित तथा विज्ञान की शिक्षा को बेहद महँगा बना देंगे । अमीर वर्ग को इससे  कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर गरीब वर्ग के लिये अच्छी शिक्षा लगभग असम्भव हो जायेगी । ऐसे हालात में , मिशनरी लोग आगे आकर कम खर्चे में बेहतर शिक्षा देंगे और पर्दे के पीछे से जबरन धर्मान्तरण बढ़ेगा ।

उदाहरण के लिए- आज मंत्रीयो ने परिक्षाओ के प्रश्न-पत्र काफी आसान बना दिये हैं , और  अध्यापको को ये आदेश दे दिया कि छात्रो को फेल ना करे और अब तो वह दसवीं बोर्ड भी हटा रहे हैं । इन सब से शिक्षा का स्तर गिर जायेगा । हाल ही 10 फरवरी, 2012 में नेताओ ने आर्इ.आर्इ.टी – जे.र्इ.र्इ को भी खत्म कर दिया जिसके कारण आँठवी से बारहवी कक्षा के छात्रो ने गणित/विज्ञान पढ़ने के लिये समय बेहद कम कर दिया हैं । इस तरह देश में गणित/विज्ञान की शिक्षा और इंजीनियरिंग के स्तर में काफी गिरावट आयी हैं । अब क्योकि सरकारी स्कूलो की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल बेकार हैं , तो गरीब लोगो ने बच्चो को मिशनरी स्कूलो में भेजना  शुरू कर दिया  है ।

अब कार्यकर्ताओ के सामने एक ही रास्ता बचता हैं कि वे यह सुनिश्चित करें , कि गणित/विज्ञान की शिक्षा में सुधार के लिये जरुरी ड्राफ्ट जैसे आर.टी.आर डी.इ.ओ , आर.टी.आर शिक्षा मंत्री आदि , नेताओ द्वारा भारतीय राजपत्र में लिखे जायें ।

   

59.3.      कैसे चिकित्सा व्यवस्था में गलत राजपत्र कानून जबरन धर्मवरिवर्तनको बढ़ावा देंगे ?

बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिको ने सांसदो से रिश्वत लेकर सन् 1998 में और फिर 2004 में सांसदो ने पेटेंट(एकस्व) कानूनो को बदल कर बेहद मजबूत बनवा लिया । बाद में बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिको ने मंत्रीयो/कलेक्टरो को भी रिश्वत देकर ऐसे कानून बनवा लिये जिनसे छोटी दवा कम्पनीयों के लिये सस्ते दामो पर दवा बनाना मुश्किल हो गया । इसलिये सन् 1998 से दवाओ के मूल्य हजारो गुना बढ़ गए हैं । फिर से , इसका अमीर वर्ग पर तो असर नहीं हो रहा लेकिन गरीब-वर्ग मिशनरीयों के पास जाने को मजबूर कर दिए गए हैं 

अब , कार्यकर्ताओ के सामने एक रास्ता है कि वह प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्रीयो पर दबाव डाले कि वह भारतीय राजपत्र प्रकाशित कर 1998 और 2004 के पैटेन्ट कानूनो को रद्द कर फिर से सन 1972 का पैटेन्ट कानून को लागू करवाये । साथ ही चिकित्सा व्यवस्था में आर्थिक छूट के लिए सब्सिडी दे ।

   

59.4.      जबरन धर्मपरिवर्तन को रोकने के लिये राइट-टू-रिकाल पार्टी द्वारा सुझाव :-

सर्वप्रथम , कार्यकर्ताओ को मेरा सुझाव हैं कि वह प्रधानमंत्री पर ऐसा दबाव डाले कि वह टी.सी.पी(पारदर्शी शिकायत प्रणाली) को राजपत्र में लिखे और हस्ताक्षर करें । ताकि कार्यकर्ताओं के लिये नीचे लिखे ड्राफ्ट्स तथा प्रस्तावित-कानूनो पर आम जनता की राय लेना सम्भव हो जाये और वह प्रस्तुत कदम उठा सके:-

1.       एम.आर.सी.एम को राजपत्र में छापे –  यदि ‘खनिज-रॉयल्टी नागरिकों  तथा सेना के लिये’ यानि एम.आर.सी.एम (Mineral Royalty for Citizen and Military http://rahulmehta.com/301.h.htmका 5वाँ अध्याय पढ़े )  को राजपत्र में छाप दिया जाये तो नागरिकों को खनिजों सें और देश की जमीनो से होने वाली आमदनी सीधे ही अपने बैंक खातो में मिल जायेगी । इस तरह देश से पहले गरीबी फिर जबरन धर्मपरिवर्तनकी समस्या कम होगी ।

2.       ‘आर.टी.आर-जिला शिक्षा अधिकारी और शिक्षामंत्री’ राजपत्र में छापा जाये –  इससे सरकारी स्कूलो में पढ़ार्इ बेहतर होगी और गरीब परिवार के बच्चे मिशनरी स्कूलो में नहीं जायेंगे , और जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या कम होगी ।

3.       दवाओ पर पेटेंट(एकस्व) के कानून 1972 को लागू और अन्य को रोकने के लिये राजपत्र  में छापे –  इससे दवाओ की कीमते कम होंगी और जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या कम होगी ।

4.       सेना को मजबूत करने के लिये राजपत्र छापे –  अध्याय 24(http://rahulmehta.com/301.h.htm) में ऐसे कर्इ ड्राफ्ट हैं जो सेना को मजबूत और स्वदेशी हथियार निर्माण में सुधार करने के लिये जरुरी हैं । उनमें सम्पत्ति टैक्स लागू करना , विरासत टैक्स लागू करना , कोर्ट (न्याय) व्यवस्था में सुधार , आदि जैसे कुछ कानून हैं जिनसे छोटे-बड़े सभी स्वदेशी उद्योगपतियों को अन्याय ना मिले और आर.टी.आर.- जिला शिक्षा अधिकारी से स्कूली शिक्षा में हथियार निर्माण की शिक्षा एक विषय बनाया जाये ताकि वह भविष्य में सेना को मजबूत बना सकें ।

5.       ऐसे कानूनो को राजपत्र में छापा जाये जिनसे कोर्ट और पुलिस व्यवस्था में नागरिकों को न्याय मिले –  कोर्ट और पुलिस में नागरिक के साथ हो वाला अन्याय एक बड़ा कारण हैं जो कि उसे समाज और धर्म से दूर ले जाता हैं , और कर्इ बार तो उसे नफरत होने लगती है अपने समाज और धर्म से । ऐसे में मिशनरीयो के लिये नागरिक को बहका कर धर्म परिवर्तन करवाना आसान हो जाता है ।

6.       आर.टी.आर.- पुलिस चीफ , आर.टी.आर.- जज –  आज देश में दलितो पर हो रहे अत्याचारो की वजह आर.टी.आर-पुलिसचीफ और कोर्ट तथा जज की कमी ही हैं । उदाहरण के लिए- लगभग 7 साल पहले , ओडिसा प्रान्त के एक प्रसिद्ध मन्दिर के प्रमुख ट्रस्टी ने टी.वी. पर खुलकर कहा कि  वह किसी भी दलित को मंदिर में घुसने नहीं देंगे । लेकिन हार्इकोर्ट के जजो ने ना तो उसे कोई सम्मन भेजा और  ना ही जेल भेजा, यहाँ तक की कोर्इ नोटिस भी नहीं भेजा । यदि वहाँ आर.टी.आर.-हार्इकोर्ट जज का अधिकार जनता के पास होता तो, जज उस ट्रस्टी को तुरन्त ही सम्मन भेजकर जेल भेजने की चेतावनी देता और वह पुजारी घबरा कर अपनी गलती की माफी माँग लेता । पर वहाँ आर.टी.आर.- हार्इकोर्ट जज नहीं था तो जज ने कोर्इ ठोस कदम नहीं उठाया और कारण-वश 500 दलितो ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया ।

दलित और अन्य वर्ग के साथ अत्याचार तब तक होते रहेंगे जब तक हमारे देश के जज इस तरफ ध्यान नहीं देंगे , लेकिन यह समस्या तब कम हो जाएगी जब जज कोर्इ ठोस कदम उठाये । इसलिये आर.टी.आर.-कोर्ट जज (और ज्यूरी सिस्टम) से यह सुनिश्चित हो जाता हैं कि कोर्ट में फैसले न्यायपूर्ण हो और जल्दी हो ।

   

59.5.      जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के उपाय जो असफल होंगे

आर.एस.एस. , विश्व हिन्दू परिषद , बजरंग दल आदि के लाखो कार्यकर्ता तो जबरन धर्म परिवर्तन को अहिंसा पूर्वक तथा बिना बल प्रयोग के पूर्ण रूप से रोकना चाहते हैं । दुर्भाग्यवश ये इमानदार समर्पित देशभक्त कार्यकर्ता कुछ ऐसे नेताओ के नेतृत्व में काम कर रहे हैं जो कि उन्हे ऐसे कार्यो पर समय बर्बाद करने को कहते हैं जिनसे जबरन धर्म परिवर्तन कभी खत्म नहीं होंगे ।

दूसरे शब्दो में , आर.एस.एस. और विहीप आदि के कार्यकर्ता पूर्ण इमानदारी के साथ समर्पित हैं , लेकिन उनके नेताओ (मार्ग दर्शको)  के कुछ गलत और लालची मकसद हैं इसलिये वह अनेक कार्यकर्ताओ का समय बर्बाद करते हैं । कुछ बेकार काम जो वह करते हैं  और कुछ कारगर कार्य जो वह नहीं करना चाहते –

1.            उनके निर्देशक अपने कार्यकर्ताओ से कहते है कि वह किसी भी कानून या राजपत्र या ड्राफ्ट को समझने में समय बर्बाद न करे और सारा समय रैलीयाँ और दान-धर्म में ही लगाये ।

2.           नेता लोग अपने कार्यकर्ताओ से कहते है कि वह उन कानूनो को भी समझने में समय बर्बाद नहीं करे जो पुलिस और कोर्ट में अन्याय को खत्म करने के लिये जरुरी है । इसलिये कोर्ट/पुलिस में होते अन्याय की वजह से गरीब के साथ अत्याचार बढ़ते जाते हैं और धीरे-धीरे वह हिन्दुत्व से दूर हो जाता हैं ।

3.        नेता कभी भी कार्यकर्ताओ को ऐसे कानून समझने नहीं देते जो सरकारी स्कूलो में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिये जरुरी हो । इसलिये सरकारी स्कूलो की खराब व्यवस्था के और बेकार शिक्षा के चलते गरीब परिवार बच्चो को मिशनरी स्कूलो में भेजने को मजबूर होते हैं ।

4.        नेता कार्यकर्ताओ को वह ड्राफ्ट समझने नहीं देते जो कि सरकारी अस्पतालो में चिकित्सा व्यवस्था में बढ़ती महँगार्इ की समस्या को सुधारने के लिये जरुरी हैं । इसलिये सरकारी अस्पतालो में चिकित्सा व्यवस्था लगातार खराब हो रही हैं  और गरीबो को मिशनरीयो की सेवा लेनी पड़ रही हैं ।

5.        नेता अपने कार्यकर्ताओं को ऐसे किसी ड्राफ्ट में रूचि नहीं दिखलाने को कहते हैं जिनसे सेना और स्वदेशी हथियारो के निर्माण में मजबूती आये । जिस कारण भारत अमेरिकी सेना के लिए आसानी से भेदा जा सकने वाला हो जायेगा और और जिसकी परिणति भारी स्तर पर धर्मांतरण के रूप में होगी ।

6.        नेता कार्यकर्ताओ को जबरन धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करने के कानूनो की माँग करने के लिये कहते है । जबकि धर्मान्तरण तो मन से जुड़ा हुआ फैसला होता हैं , इसलिये यह अकेले और छुपकर भी कराया जा सकता हैं । सैकड़ो सालो तक रोमन लोगो ने र्इसार्इयत पर प्रतिबन्ध लगाया था और दिखलायी पड़ने पर र्इसार्इयो को कत्ल कर दिया जाता था । इन सबके बावजूद गुप्त रुप से ईसाईयों की आबादी , कुल आबादी की 20 प्रतिशत तक बढ़ गई जिसके बाद स्थानीय गवर्नर को ईसाइयत के ऊपर लगे प्रतिबंध कें कानून को हटाने के कानून बनाने  के बाध्य किया गया. ये कानूनी प्रतिबन्ध भी तब तक ही काम कर सकता है जब तक की अमेरिकी सेना वहाँ नहीं पहूँचती । अगर कार्यकर्ता सेना को मजबूत करने के लिये कदम नहीं उठायेंगे तो अमेरिकी सेना को वहाँ उतरने और सत्ता पर कब्जा करने से कोर्इ नहीं रोक सकता ।

7.        जब चुनाव नजदीक आते हैं तब नेता कार्यकर्ताओ को सिर्फ भाजपा का प्रचार करने को कहते हैं , भाजपा के नेता सत्ता मिलते ही सिर्फ रिश्वत लेने का काम करते है और कुछ नहीं । क्योंकि कार्यकर्ताओ के पास किसी भी राजपत्र कानून (ड्राफ्ट) की कोर्इ जानकारी नहीं होती इसलिये वह किसी ड्राफ्ट की माँग भी नहीं कर सकते और समस्या ज्यौ की त्यौ ही रहती हैं ।

यह सभी लीड़र (मार्ग दर्शक) कार्यकर्ताओ का समय बर्बाद करते हैं और राष्ट्रहित के कानून कभी लागू नहीं होने देते और जबरन धर्मान्तरण की समस्या लगातार बढ़ती जाती हैं ।

   

59.6.      किस तरह हिन्दुवादी तानाशाही से जबरन धर्मपरिवर्तनकी समस्या बढ़ती हैं –

काफी कार्यकर्ताओ का मानना है कि जबरन धर्मपरिवर्तनकी समस्या को हिन्दुवादी तानाशाही की स्थापना करके खत्म किया जा सकता हैं । मैं ऐसे कार्यकर्ताओ से अनुरोध करता हूँ कि एक बार दक्षिण कोरिया के तानाशाह पार्क चंग-ही के बारे में जरुर पढ़े । चंग-ही बौद्ध धर्म से था जो 1962 में दक्षिण कोरिया का तानाशाह प्रधानमंत्री बना । उसने हर तरीके से जबरन धर्मपरिवर्तनको खत्म करने की  कोशिश  की । लेकिन उसे कार्यकाल में चर्चा की संख्या तेजी से बढ़ी । 1962 तक दक्षिण कोरिया की आबादी के मात्र 5 प्रतिशत लोग ही र्इसार्इ थे और 1980 मे यह संख्या 20 प्रतिशत तक पहूँच गर्इ और आज लगभग 40 प्रतिशत लोग दक्षिण कोरिया में र्इसार्इ हैं । एक बौद्ध तानाशाह के राज में यह कैसे हुआ ?

क्यूंकि जब कार्यकर्ता किसी तानाशाह का समर्थन (सपोर्ट) करने लगते हैं , तब तानाशाह के कर्मचारी (स्टाफ) बेहद शक्तिशाली  और बेरहम हो जाते हैं । ऐसे में तानाशाह अपने कर्मचारीयो की गलतियाँ नहीं देख पाता और गलतियो को ठीक नहीं कर पाता । इसी वजह से बडे़ उद्योगपति और बहुराष्ट्रीयकम्पनीयो के मालिक भी ताकतवर हो जाते है जिससे छोटे उद्योग और उद्योगपतियो के साथ प्रशाशन द्वारा बेहद अन्याय होने लगता हैं । इस वजह से छोटे उधोग अपने सामानो(प्रोडक्ट) को बेहतर नहीं बना सकते और धीर धीरे देश के तकनीकी स्तर में गिरावट आने लगती हैं ।

बाद मे तानाशाह प्रशाशक के पास बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो को बड़ी संख्या में बुलाने के अलावा कोर्इ और रास्ता नहीं बचता । फिर बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक ही देश में शिक्षा की ऐसी नीतियाँ बनवाते है जिनसे की सरकारी स्कूलो में विज्ञान/गणित की शिक्षा का स्तर काफी गिर जाता है , और गरीब अपने बच्चो को मिशनरी स्कूल में भेजने के लिये मजबूर हो जाते है । फिर 10-20 सालो में मिशनरी स्कूलो के छात्रो के पास विज्ञान/गणितकी बेहतर शिक्षा होती हैं और उन्हे आर्थिक और प्रशासनिक तौर पर बेहतर जगह प्राप्त होती हैं ।

इसलिये कार्यकर्ता अगर हिन्दु तानाशाही का समर्थन करेंगे तो यहाँ भी वैसा ही होगा जो दक्षिण कोरिया में हुआ । तानाशाह कुछ गिने चुने लोगो के दबाव के कारण शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिये ( आर.टी.आर- डी.इ.ओ , आर.टी.आर- शिक्षामंत्री आदि) कदम नहीं उठा पायेगा । वह तानाशाह सम्पत्ति टैक्स, विरासत टैक्स भी लागू नहीं कर पायेगा । फिर चुनिंदा लोग ही सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करने से राकेंगे ।

इन नीतियो के कारण देश में काफी अशांति और बेरोजगारी फैलने लगेगी और ये स्थिति हिन्दुवादी तानाशाह को बहुराष्ट्रीय कम्पनियो को हमारे देश में अपने उद्योग लगाने के लिए बाध्य करेगी । इसके बाद बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक भारतीय लोगों को प्रभावित करने की शक्ति प्राप्त कर लेंगे जिसका प्रयोग वे बलपूर्वक हमारे ही देश में गणित/विज्ञान की शिक्षा का स्तर और सरकारी अस्पतालो का स्तर को बर्बाद करने वाले नियमों के ड्राफ्ट्स राजपत्र में प्रिन्ट करवा लेंगे । इस कारण पुनः गरीब लोग अच्छी शिक्षा व्यवस्था और  स्वास्थ्य व्यवस्था तथा इलाज के लिये मिशनरीयो के पास जाने के लिये मजबूर किये जाएंगे । अतः बाहरी तौर पर कानूनन धर्म-परिवर्तन घट तो जायेगा परन्तु तब तक मिशनरियों का प्रभाव इतना बढ़ जायेगा जिससे की कानूनी तथा गैर-कानूनी तौर पर धर्म-परिवर्तन बढ़ जायेगा.

इसलिये हिन्दूवादि कार्यकर्ताओ को यदि वहम हो कि हिन्दूवादि तानाशाही (शासन) से धर्मान्तरण की समस्या खत्म होगी तो यह देश से हिंदुत्व के खात्मे की शुरुआत भी हो सकती है ।

   

59.7.      मिशनरीयो और बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो की ताकत –

अब , हिन्दूवादि कार्यकर्ताओ को यदि वहम हो कि हिन्दूवादि तानाशाही (शासन) से धर्मान्तरण की समस्या खत्म होगी तो यह देश से हिन्दूवाद के खात्मे की शुरुआत भी हो सकती है ।

वैसे तो हिंदुत्व के मुकाबले र्इसार्इयत कहीं भी ताकतवर नहीं हैं । लेकिन , बेहतर ड्राफ्ट के कारण अमेरिका , इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशो में कोर्ट(न्याय) और पुलिस में भ्रष्टाचार बेहद कम है । इसलिये वहाँ जनता कम समय में ज्यादा कार्य करने में सक्षम हैं । इसलिये वहाँ के लोग ज्यादा सुविधा-जनक सामान और हथियार निर्माण में सक्षम हैं । वे दूसरे देशो की सेनाओ को हराने में और कमजोर देशो के अफसर और नेताओ को अपने अधिकार में लेने में सक्षम हैं और अपने कमीशन अभिकर्ता (एजेंट्स) को कमजोर देशों के न्याय-व्यवस्था में, प्रशाशनिक सेवा में, पुलिस सेवा में तथा मंत्रालय व्यवस्था मेंस्थापित करने में पूर्णतया सक्षम होते हैं । जहाँ भी  बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक जाते है वहाँ मिशनरियों को दूसरे धर्मों की विफलता और जबरन धर्मान्तरण के लिये उकसाते है और सहयोग करते है ।

आखिर बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक मिशनरीयो को क्यो सहयोग करते है ? क्योकि बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो को अमेरिकी सेना से मदद चाहिये और अमेरिकी सेना को चर्चो से नर्इ भर्तीया मिलती है । चर्च अमेरिकी युवाओ को सेना में जाने के लिये प्रेरित करते है और इस तरह वह अमेरिकी सेना को सबसे ज्यादा भर्तिया देता है । अब मिशनरी परोक्ष (इनडाइरेक्टली) रुप से बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिको को सहयोग दे रहे थे इसलिये उनकी इच्छाएँ पूरी करना जरुरी हैं ।

इसीलिये धर्मान्तरण की व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए हमें न्याय व्यवस्था यानी कोर्ट और पुलिस व्यवस्था को सुधारना होगा ताकि वहाँ अन्याय ना हो और देश तेजी से तरक्की करे ।

   

59.8.      सारांश

बिना किसी खून खराबे के और बिना बल प्रयोग के जबरन धर्मान्तरण को रोका जा सकता है , लेकिन इसके लिये कोर्इ शॉर्टकट नहीं दीखता । दूसरे शब्दों में कार्यकर्ताओ को मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री पर दबाव डालने में रुची लेनी ही होगी जिससे राजपत्र में ऐसे कानूनो को छपवाया जा सके जो उन समस्याओ को खत्म करे जो जबरन धर्मान्तरण का कारण बन रहीं हैं । शॉर्टकट , जैसे कुछ कानून बनाकर जबरन धर्मान्तरण पर रोक लगाना या उन लोगो को जेल में डाल देना जो जबरन धर्मान्तरण करवा रहे हैं या ऐसे लोगो को खड़ा करना जो जबरन धर्मान्तरण को रोके , इन सब तरीकों से उल्टी प्रतिक्रिया होने की संभावना अधिक रहती है । यह मिशनरी और बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक बेहद ताकतवर हैं और अस्पताल , स्कूल या फैक्टरीयो की सुविधा और उत्पादकता में भी वह हमसे काफी आगे है । उनकी उत्पादकता के लिये उनके पास राजपत्र में छपे कानून है । इसलिये हमारे पास एक ही समाधान है कि हम बेहतर ड्राफ्ट-कानूनो को राजपत्र में छपवाये । इसके अलावा कोर्इ शॉर्टकट नहीं है ।

   

59.9.      दो सीमार्इ युद्ध की सम्भावना को रोकने के लिये आप क्या कर सकते है ?

कृपया , आप प्रधानमंत्रीऔर लोकसभा स्पीकर को एस.एम.एस. से यह आदेश भेजे कि आपने  संसद में पेश बिल पर अपना हाँ/ना एस.एम.एस के द्वारा भेजा है , उसे संसद की वेबसार्इट पर डाले और पुस्तक  http://rahulmehta.com/301.h.htm का 13 वाँ अध्याय भी  अवश्य पढ़े । उसमे कर्इ भाग(चरण) है , जिसमे आप  सप्ताह के 6 घंटे बिता सकते है और टी.सी.पी को राजपत्र में छपवाकर भारत में लाने में मदद कर सकते हैं । इसके चरणो (भागो) में पर्चे बाँट सकते है , और अखबारो में विज्ञापन देकर और चुनाव करके भाजपा और काँन्ग्रेस के भ्रष्ट नेताओ , अन्ना और अरविन्द केजरीवाल की खराब नीयत के बारे में जनता को जानकारी दे सकते है जो कि टी.सी.पी का विरोध करते है ।

एक बार टी.सी.पी राजपत्र में छप जाये , फिर कार्यकर्ताओ के लिये ऐसे ड्राफ्ट को लाना आसान को जायेगा जिनसे जबरन धर्मान्तरण को बिना किसी बल या दबाव के कानूनन रोका जा सकता हैं । क्योकि टी.सी.पी  के माध्यम से जब कार्यकर्ताओ के पास जनता के समर्थन का प्रमाण(प्रूफ) होगा तो प्रधानमंत्री को राजपत्र छापने के लिये मनाना आसान हो जायेगा और इस तरह हमारे भारत में जबरन धर्मान्तरण को रोका जा सकता है ।

लेखक – श्री राहुल चिमनभार्इ मेहता