होम > प्रजा अधीन > अध्याय 59 – जबरन धर्मान्तरण पर रोक के लिए राईट टू रिकाल ग्रुप के समाधान-ड्राफ्ट

अध्याय 59 – जबरन धर्मान्तरण पर रोक के लिए राईट टू रिकाल ग्रुप के समाधान-ड्राफ्ट

dummy
पी.डी.एफ. डाउनलोड करेंGet a PDF version of this webpageपी.डी.एफ. डाउनलोड करें

3.        नेता कभी भी कार्यकर्ताओ को ऐसे कानून समझने नहीं देते जो सरकारी स्कूलो में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिये जरुरी हो । इसलिये सरकारी स्कूलो की खराब व्यवस्था के और बेकार शिक्षा के चलते गरीब परिवार बच्चो को मिशनरी स्कूलो में भेजने को मजबूर होते हैं ।

4.        नेता कार्यकर्ताओ को वह ड्राफ्ट समझने नहीं देते जो कि सरकारी अस्पतालो में चिकित्सा व्यवस्था में बढ़ती महँगार्इ की समस्या को सुधारने के लिये जरुरी हैं । इसलिये सरकारी अस्पतालो में चिकित्सा व्यवस्था लगातार खराब हो रही हैं  और गरीबो को मिशनरीयो की सेवा लेनी पड़ रही हैं ।

5.        नेता अपने कार्यकर्ताओं को ऐसे किसी ड्राफ्ट में रूचि नहीं दिखलाने को कहते हैं जिनसे सेना और स्वदेशी हथियारो के निर्माण में मजबूती आये । जिस कारण भारत अमेरिकी सेना के लिए आसानी से भेदा जा सकने वाला हो जायेगा और और जिसकी परिणति भारी स्तर पर धर्मांतरण के रूप में होगी ।

6.        नेता कार्यकर्ताओ को जबरन धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करने के कानूनो की माँग करने के लिये कहते है । जबकि धर्मान्तरण तो मन से जुड़ा हुआ फैसला होता हैं , इसलिये यह अकेले और छुपकर भी कराया जा सकता हैं । सैकड़ो सालो तक रोमन लोगो ने र्इसार्इयत पर प्रतिबन्ध लगाया था और दिखलायी पड़ने पर र्इसार्इयो को कत्ल कर दिया जाता था । इन सबके बावजूद गुप्त रुप से ईसाईयों की आबादी , कुल आबादी की 20 प्रतिशत तक बढ़ गई जिसके बाद स्थानीय गवर्नर को ईसाइयत के ऊपर लगे प्रतिबंध कें कानून को हटाने के कानून बनाने  के बाध्य किया गया. ये कानूनी प्रतिबन्ध भी तब तक ही काम कर सकता है जब तक की अमेरिकी सेना वहाँ नहीं पहूँचती । अगर कार्यकर्ता सेना को मजबूत करने के लिये कदम नहीं उठायेंगे तो अमेरिकी सेना को वहाँ उतरने और सत्ता पर कब्जा करने से कोर्इ नहीं रोक सकता ।

7.        जब चुनाव नजदीक आते हैं तब नेता कार्यकर्ताओ को सिर्फ भाजपा का प्रचार करने को कहते हैं , भाजपा के नेता सत्ता मिलते ही सिर्फ रिश्वत लेने का काम करते है और कुछ नहीं । क्योंकि कार्यकर्ताओ के पास किसी भी राजपत्र कानून (ड्राफ्ट) की कोर्इ जानकारी नहीं होती इसलिये वह किसी ड्राफ्ट की माँग भी नहीं कर सकते और समस्या ज्यौ की त्यौ ही रहती हैं ।

यह सभी लीड़र (मार्ग दर्शक) कार्यकर्ताओ का समय बर्बाद करते हैं और राष्ट्रहित के कानून कभी लागू नहीं होने देते और जबरन धर्मान्तरण की समस्या लगातार बढ़ती जाती हैं ।

 

59.6.      किस तरह हिन्दुवादी तानाशाही से जबरन धर्मपरिवर्तनकी समस्या बढ़ती हैं –

काफी कार्यकर्ताओ का मानना है कि जबरन धर्मपरिवर्तनकी समस्या को हिन्दुवादी तानाशाही की स्थापना करके खत्म किया जा सकता हैं । मैं ऐसे कार्यकर्ताओ से अनुरोध करता हूँ कि एक बार दक्षिण कोरिया के तानाशाह पार्क चंग-ही के बारे में जरुर पढ़े । चंग-ही बौद्ध धर्म से था जो 1962 में दक्षिण कोरिया का तानाशाह प्रधानमंत्री बना । उसने हर तरीके से जबरन धर्मपरिवर्तनको खत्म करने की  कोशिश  की । लेकिन उसे कार्यकाल में चर्चा की संख्या तेजी से बढ़ी । 1962 तक दक्षिण कोरिया की आबादी के मात्र 5 प्रतिशत लोग ही र्इसार्इ थे और 1980 मे यह संख्या 20 प्रतिशत तक पहूँच गर्इ और आज लगभग 40 प्रतिशत लोग दक्षिण कोरिया में र्इसार्इ हैं । एक बौद्ध तानाशाह के राज में यह कैसे हुआ ?

क्यूंकि जब कार्यकर्ता किसी तानाशाह का समर्थन (सपोर्ट) करने लगते हैं , तब तानाशाह के कर्मचारी (स्टाफ) बेहद शक्तिशाली  और बेरहम हो जाते हैं । ऐसे में तानाशाह अपने कर्मचारीयो की गलतियाँ नहीं देख पाता और गलतियो को ठीक नहीं कर पाता । इसी वजह से बडे़ उद्योगपति और बहुराष्ट्रीयकम्पनीयो के मालिक भी ताकतवर हो जाते है जिससे छोटे उद्योग और उद्योगपतियो के साथ प्रशाशन द्वारा बेहद अन्याय होने लगता हैं । इस वजह से छोटे उधोग अपने सामानो(प्रोडक्ट) को बेहतर नहीं बना सकते और धीर धीरे देश के तकनीकी स्तर में गिरावट आने लगती हैं ।

बाद मे तानाशाह प्रशाशक के पास बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो को बड़ी संख्या में बुलाने के अलावा कोर्इ और रास्ता नहीं बचता । फिर बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक ही देश में शिक्षा की ऐसी नीतियाँ बनवाते है जिनसे की सरकारी स्कूलो में विज्ञान/गणित की शिक्षा का स्तर काफी गिर जाता है , और गरीब अपने बच्चो को मिशनरी स्कूल में भेजने के लिये मजबूर हो जाते है । फिर 10-20 सालो में मिशनरी स्कूलो के छात्रो के पास विज्ञान/गणितकी बेहतर शिक्षा होती हैं और उन्हे आर्थिक और प्रशासनिक तौर पर बेहतर जगह प्राप्त होती हैं ।

इसलिये कार्यकर्ता अगर हिन्दु तानाशाही का समर्थन करेंगे तो यहाँ भी वैसा ही होगा जो दक्षिण कोरिया में हुआ । तानाशाह कुछ गिने चुने लोगो के दबाव के कारण शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिये ( आर.टी.आर- डी.इ.ओ , आर.टी.आर- शिक्षामंत्री आदि) कदम नहीं उठा पायेगा । वह तानाशाह सम्पत्ति टैक्स, विरासत टैक्स भी लागू नहीं कर पायेगा । फिर चुनिंदा लोग ही सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करने से राकेंगे ।

इन नीतियो के कारण देश में काफी अशांति और बेरोजगारी फैलने लगेगी और ये स्थिति हिन्दुवादी तानाशाह को बहुराष्ट्रीय कम्पनियो को हमारे देश में अपने उद्योग लगाने के लिए बाध्य करेगी । इसके बाद बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिक भारतीय लोगों को प्रभावित करने की शक्ति प्राप्त कर लेंगे जिसका प्रयोग वे बलपूर्वक हमारे ही देश में गणित/विज्ञान की शिक्षा का स्तर और सरकारी अस्पतालो का स्तर को बर्बाद करने वाले नियमों के ड्राफ्ट्स राजपत्र में प्रिन्ट करवा लेंगे । इस कारण पुनः गरीब लोग अच्छी शिक्षा व्यवस्था और  स्वास्थ्य व्यवस्था तथा इलाज के लिये मिशनरीयो के पास जाने के लिये मजबूर किये जाएंगे । अतः बाहरी तौर पर कानूनन धर्म-परिवर्तन घट तो जायेगा परन्तु तब तक मिशनरियों का प्रभाव इतना बढ़ जायेगा जिससे की कानूनी तथा गैर-कानूनी तौर पर धर्म-परिवर्तन बढ़ जायेगा.

इसलिये हिन्दूवादि कार्यकर्ताओ को यदि वहम हो कि हिन्दूवादि तानाशाही (शासन) से धर्मान्तरण की समस्या खत्म होगी तो यह देश से हिंदुत्व के खात्मे की शुरुआत भी हो सकती है ।

 

59.7.      मिशनरीयो और बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो की ताकत –

अब , हिन्दूवादि कार्यकर्ताओ को यदि वहम हो कि हिन्दूवादि तानाशाही (शासन) से धर्मान्तरण की समस्या खत्म होगी तो यह देश से हिन्दूवाद के खात्मे की शुरुआत भी हो सकती है ।