होम > प्रजा अधीन > अध्याय 59 – जबरन धर्मान्तरण पर रोक के लिए राईट टू रिकाल ग्रुप के समाधान-ड्राफ्ट

अध्याय 59 – जबरन धर्मान्तरण पर रोक के लिए राईट टू रिकाल ग्रुप के समाधान-ड्राफ्ट

dummy
पी.डी.एफ. डाउनलोड करेंGet a PDF version of this webpageपी.डी.एफ. डाउनलोड करें

अब कार्यकर्ताओ के सामने एक ही रास्ता बचता हैं कि वे यह सुनिश्चित करें , कि गणित/विज्ञान की शिक्षा में सुधार के लिये जरुरी ड्राफ्ट जैसे आर.टी.आर डी.इ.ओ , आर.टी.आर शिक्षा मंत्री आदि , नेताओ द्वारा भारतीय राजपत्र में लिखे जायें ।

 

59.3.      कैसे चिकित्सा व्यवस्था में गलत राजपत्र कानून जबरन धर्मवरिवर्तनको बढ़ावा देंगे ?

बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिको ने सांसदो से रिश्वत लेकर सन् 1998 में और फिर 2004 में सांसदो ने पेटेंट(एकस्व) कानूनो को बदल कर बेहद मजबूत बनवा लिया । बाद में बहुराष्ट्रीय कम्पनीयो के मालिको ने मंत्रीयो/कलेक्टरो को भी रिश्वत देकर ऐसे कानून बनवा लिये जिनसे छोटी दवा कम्पनीयों के लिये सस्ते दामो पर दवा बनाना मुश्किल हो गया । इसलिये सन् 1998 से दवाओ के मूल्य हजारो गुना बढ़ गए हैं । फिर से , इसका अमीर वर्ग पर तो असर नहीं हो रहा लेकिन गरीब-वर्ग मिशनरीयों के पास जाने को मजबूर कर दिए गए हैं 

अब , कार्यकर्ताओ के सामने एक रास्ता है कि वह प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्रीयो पर दबाव डाले कि वह भारतीय राजपत्र प्रकाशित कर 1998 और 2004 के पैटेन्ट कानूनो को रद्द कर फिर से सन 1972 का पैटेन्ट कानून को लागू करवाये । साथ ही चिकित्सा व्यवस्था में आर्थिक छूट के लिए सब्सिडी दे ।

 

59.4.      जबरन धर्मपरिवर्तन को रोकने के लिये राइट-टू-रिकाल पार्टी द्वारा सुझाव :-

सर्वप्रथम , कार्यकर्ताओ को मेरा सुझाव हैं कि वह प्रधानमंत्री पर ऐसा दबाव डाले कि वह टी.सी.पी(पारदर्शी शिकायत प्रणाली) को राजपत्र में लिखे और हस्ताक्षर करें । ताकि कार्यकर्ताओं के लिये नीचे लिखे ड्राफ्ट्स तथा प्रस्तावित-कानूनो पर आम जनता की राय लेना सम्भव हो जाये और वह प्रस्तुत कदम उठा सके:-

1.       एम.आर.सी.एम को राजपत्र में छापे –  यदि ‘खनिज-रॉयल्टी नागरिकों  तथा सेना के लिये’ यानि एम.आर.सी.एम (Mineral Royalty for Citizen and Military http://rahulmehta.com/301.h.htmका 5वाँ अध्याय पढ़े )  को राजपत्र में छाप दिया जाये तो नागरिकों को खनिजों सें और देश की जमीनो से होने वाली आमदनी सीधे ही अपने बैंक खातो में मिल जायेगी । इस तरह देश से पहले गरीबी फिर जबरन धर्मपरिवर्तनकी समस्या कम होगी ।

2.       ‘आर.टी.आर-जिला शिक्षा अधिकारी और शिक्षामंत्री’ राजपत्र में छापा जाये –  इससे सरकारी स्कूलो में पढ़ार्इ बेहतर होगी और गरीब परिवार के बच्चे मिशनरी स्कूलो में नहीं जायेंगे , और जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या कम होगी ।

3.       दवाओ पर पेटेंट(एकस्व) के कानून 1972 को लागू और अन्य को रोकने के लिये राजपत्र  में छापे –  इससे दवाओ की कीमते कम होंगी और जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या कम होगी ।

4.       सेना को मजबूत करने के लिये राजपत्र छापे –  अध्याय 24(http://rahulmehta.com/301.h.htm) में ऐसे कर्इ ड्राफ्ट हैं जो सेना को मजबूत और स्वदेशी हथियार निर्माण में सुधार करने के लिये जरुरी हैं । उनमें सम्पत्ति टैक्स लागू करना , विरासत टैक्स लागू करना , कोर्ट (न्याय) व्यवस्था में सुधार , आदि जैसे कुछ कानून हैं जिनसे छोटे-बड़े सभी स्वदेशी उद्योगपतियों को अन्याय ना मिले और आर.टी.आर.- जिला शिक्षा अधिकारी से स्कूली शिक्षा में हथियार निर्माण की शिक्षा एक विषय बनाया जाये ताकि वह भविष्य में सेना को मजबूत बना सकें ।

5.       ऐसे कानूनो को राजपत्र में छापा जाये जिनसे कोर्ट और पुलिस व्यवस्था में नागरिकों को न्याय मिले –  कोर्ट और पुलिस में नागरिक के साथ हो वाला अन्याय एक बड़ा कारण हैं जो कि उसे समाज और धर्म से दूर ले जाता हैं , और कर्इ बार तो उसे नफरत होने लगती है अपने समाज और धर्म से । ऐसे में मिशनरीयो के लिये नागरिक को बहका कर धर्म परिवर्तन करवाना आसान हो जाता है ।

6.       आर.टी.आर.- पुलिस चीफ , आर.टी.आर.- जज –  आज देश में दलितो पर हो रहे अत्याचारो की वजह आर.टी.आर-पुलिसचीफ और कोर्ट तथा जज की कमी ही हैं । उदाहरण के लिए- लगभग 7 साल पहले , ओडिसा प्रान्त के एक प्रसिद्ध मन्दिर के प्रमुख ट्रस्टी ने टी.वी. पर खुलकर कहा कि  वह किसी भी दलित को मंदिर में घुसने नहीं देंगे । लेकिन हार्इकोर्ट के जजो ने ना तो उसे कोई सम्मन भेजा और  ना ही जेल भेजा, यहाँ तक की कोर्इ नोटिस भी नहीं भेजा । यदि वहाँ आर.टी.आर.-हार्इकोर्ट जज का अधिकार जनता के पास होता तो, जज उस ट्रस्टी को तुरन्त ही सम्मन भेजकर जेल भेजने की चेतावनी देता और वह पुजारी घबरा कर अपनी गलती की माफी माँग लेता । पर वहाँ आर.टी.आर.- हार्इकोर्ट जज नहीं था तो जज ने कोर्इ ठोस कदम नहीं उठाया और कारण-वश 500 दलितो ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया ।

दलित और अन्य वर्ग के साथ अत्याचार तब तक होते रहेंगे जब तक हमारे देश के जज इस तरफ ध्यान नहीं देंगे , लेकिन यह समस्या तब कम हो जाएगी जब जज कोर्इ ठोस कदम उठाये । इसलिये आर.टी.आर.-कोर्ट जज (और ज्यूरी सिस्टम) से यह सुनिश्चित हो जाता हैं कि कोर्ट में फैसले न्यायपूर्ण हो और जल्दी हो ।

 

59.5.      जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के उपाय जो असफल होंगे

आर.एस.एस. , विश्व हिन्दू परिषद , बजरंग दल आदि के लाखो कार्यकर्ता तो जबरन धर्म परिवर्तन को अहिंसा पूर्वक तथा बिना बल प्रयोग के पूर्ण रूप से रोकना चाहते हैं । दुर्भाग्यवश ये इमानदार समर्पित देशभक्त कार्यकर्ता कुछ ऐसे नेताओ के नेतृत्व में काम कर रहे हैं जो कि उन्हे ऐसे कार्यो पर समय बर्बाद करने को कहते हैं जिनसे जबरन धर्म परिवर्तन कभी खत्म नहीं होंगे ।

दूसरे शब्दो में , आर.एस.एस. और विहीप आदि के कार्यकर्ता पूर्ण इमानदारी के साथ समर्पित हैं , लेकिन उनके नेताओ (मार्ग दर्शको)  के कुछ गलत और लालची मकसद हैं इसलिये वह अनेक कार्यकर्ताओ का समय बर्बाद करते हैं । कुछ बेकार काम जो वह करते हैं  और कुछ कारगर कार्य जो वह नहीं करना चाहते –

1.            उनके निर्देशक अपने कार्यकर्ताओ से कहते है कि वह किसी भी कानून या राजपत्र या ड्राफ्ट को समझने में समय बर्बाद न करे और सारा समय रैलीयाँ और दान-धर्म में ही लगाये ।

2.           नेता लोग अपने कार्यकर्ताओ से कहते है कि वह उन कानूनो को भी समझने में समय बर्बाद नहीं करे जो पुलिस और कोर्ट में अन्याय को खत्म करने के लिये जरुरी है । इसलिये कोर्ट/पुलिस में होते अन्याय की वजह से गरीब के साथ अत्याचार बढ़ते जाते हैं और धीरे-धीरे वह हिन्दुत्व से दूर हो जाता हैं ।