होम > प्रजा अधीन > अध्याय 37 – कुछ नागरिक / सिविल व आपराधिक मामलों के संबंध में `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह`के प्रस्‍ताव

अध्याय 37 – कुछ नागरिक / सिविल व आपराधिक मामलों के संबंध में `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह`के प्रस्‍ताव

dummy
पी.डी.एफ. डाउनलोड करेंGet a PDF version of this webpageपी.डी.एफ. डाउनलोड करें

   कुछ नागरिक / सिविल व आपराधिक मामलों के संबंध में `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह`के प्रस्‍ताव

 

(37.1) नागरिक / सिविल कानून में जिन परिवर्तनों / बदलावों की हम मांग और वायदा करते हैं उनकी सूची (लिस्ट)

 

‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके, हम सिविल कानून में जिन परिवर्तनों की मांग और वायदा करते हैं, उनमें से कुछ निम्‍नलिखित हैं :-

  1. भूमि रिकार्ड प्रणाली(सिस्टम) (टोरेन्‍स टाइटल) लागू करना

  2. सभी ऋणों का रिकार्ड रखना और सूदखोरी/अधिक ब्‍याज लेने से रोकना

  3. कर्ज न चुका पाने/डिफाल्‍ट के मामलों को सुलझाने के लिए परिवर्तनों को लागू करना

  4. प्रताड़ना/बुरा बर्ताव की शिकार महिलाओं/औरतों के लिए तलाक, तलाक-भत्‍ता(खर्चा) और बच्‍चे की अभिरक्षा/`देखभाल का अधिकार` की कार्रवाई तेजी से की जाए

5.    498 ए, डी.वी.ए. (कानून) समाप्‍त करना

6.    प्रशासनिक परिवर्तनों/बदलाव को लागू करना व विरासत/उत्‍तराधिकार संबंधी मामलों को सही/न्‍यायपूर्ण तरीके से सुलझाना

7.    अफीम को कानूनी मान्‍यता/रूप देने (के मामले) पर सार्वजनिक मतदान

8.    व्‍यावसायिक यौनकार्य को कानूनी मान्‍यता/रूप देने के लिए सार्वजनिक मतदान

तथा और कई परिवर्तन।

 

(37.2) भूमि / फ्लैट मालिकी रिकार्ड प्रणाली (सिस्टम) लागू करना

मैं पाठकों से अनुरोध करता हूँ कि वे टोरेन्‍स टाइटल के बारे में http://en.wikipedia.org/wiki/Torrens_title पर पढ़ें। और टोरेन्‍स टाइटल के लिए गूगल पर जाएं तथा और भी लेख पढ़ें।

1.    विक्रेता को अपने प्‍लॉट व फ्लैट का नक्‍शा, स्थान/अवस्‍थिति दर्ज करना होगा (और क्रम संख्‍या प्राप्‍त करनी होगी)।

2.    यदि फ्लैट या प्‍लॉट को खण्‍डित/अलग-अलग किया गया हो या उसे इकट्ठा किया/मिलाया गया हो तो विक्रेता को अपने प्‍लॉट/फ्लैट का नक्‍शा, परिवर्तनों का स्थान/अवस्‍थिति को दर्ज करना होगा (और नई क्रम संख्‍या प्राप्‍त करनी होगी)।

3     खरीददारों और `बेचने वालों` को सरकारी कार्यालयों में सरकारी अधिकारी के समक्ष बिक्री समझौता(agreement of sale) पर हस्‍ताक्षर करना होगा।

4.    बिक्री को तत्‍काल सरकारी रिकार्ड/अभिलेख में दर्ज किया जाए।

5.    यदि कोई जाली/फर्जी विक्रेता अपना प्‍लॉट या फ्लैट को दो बार अलग-अलग व्‍यक्‍तियों को बेचने में कामयाब/सफल हो जाता है तो सरकार कम से कम एक ठगे गए खरीददार/क्रेता को मुआवजा देगी।

6.    यदि कोई फर्जी `बेचने वाला`/विक्रेता स्‍वयं को कोई दूसरा व्‍यक्‍ति बताकर प्‍लॉट, फ्लैट बेचने में सफल हो जाता है तो सरकार सही/वास्‍तविक मालिक को मुआवजा देगी।

7.    इसलिए खरीददार/क्रेता को पूर्व के मालिकों की चेन/श्रंखला का जांच द्वारा सही ठहराने  की जरूरत नहीं पड़ेगी – उसे केवल भूमि रजिस्‍ट्री में सूचीबद्ध/दर्ज मालिकों से ही कारोबार करने की जरूरत होगी।

टोरेन्स टाइटल (प्रणाली(सिस्टम)) विक्रेता द्वारा भूमि या फ्लैट दो बार बेचना असंभव बना देता है। और इसमें फर्जी मामले इतने कम, 10,000 मामलों में 1 से भी कम, होते हैं कि बिक्री राशि का मात्र 1 प्रतिशत शुल्‍क/फीस लेकर सरकार बीमाकर्ता(बीमा करने वाली) के रूप में काम करने में सक्षम/समर्थ है। टोरेन्स टाइटल सबसे पहले वर्ष 1860 की दशक में आष्‍ट्रेलिया में आया और तब से आष्‍ट्रेलिया ने ऐसी समस्‍या का सामना नहीं किया है कि किसी व्‍यक्‍ति ने दो लोगों को अपना प्‍लॉट बेच दिया हो। मैं राज्‍य स्‍तरीय ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’का प्रयोग करके भारत के सभी राज्‍यों में टोरेन्स टाइटल (प्रक्रिया) लागू करने का प्रस्‍ताव करता हूँ।

 

(37.3) सूदखोरी / अधिक ब्‍याज लेने से रोकने के लिए कानून

सूदखोरी/अधिक ब्‍याज लेने की व्‍यवस्‍था केवल इसलिए अस्‍तित्‍व में है क्‍योंकि जमीन हड़पने वालों  को मंत्रियों, जजों और पुलिस प्रमुखों द्वारा सुरक्षा/संरक्षण प्राप्‍त है। मैंने ऐसी व्‍यवस्‍था लागू करने का प्रस्‍ताव किया है कि जिसके द्वारा नागरिक पुलिस प्रमुखों, जजों, मंत्रियों आदि को बदल सकें और मैंने छोटे/जूनियर पुलिसवालों पर जूरी प्रणाली(सिस्टम) का प्रस्‍ताव किया है। ये प्रक्रियाएं पुलिसवालों, मंत्रियों, जजों आदि के मन में भय पैदा करेंगी और वे भूमाफियाओं/जमीन हड़पने वालों के साथ अपनी सांठ-गाँठ/मिली-भगत कम कर देंगे। इसके अलावा, मैंने सभी आपराधिक सुनवाइयों (मामलों) में जूरी सुनवाई का प्रस्‍ताव किया है। इससे कर्ज-माफियाओं की कर्ज लेने वालों के खिलाफ हिंसा/बल प्रयोग की क्षमता/ताकत में कमी आएगी।

कर्ज देने/इसका प्रबंध करने के संबंध में मैं एक ऐसा कानून लाने का प्रस्‍ताव करता हूँ जिसमें प्रत्‍येक नेताओं को उस कर्ज/ऋण का खुलासा करना होगा जो उसने प्रत्‍येक कर्जदार को दिए हैं और जो ब्‍याज वह प्राप्‍त कर रहा है, उसका भी खुलासा करना होगा। ब्‍याज दर की उच्चतम सीमा `उधार देने की मुख्‍य दर(पी.एल.आर)` का 1.5 गुना होगा (उदाहरण – जनवरी, 2008 में, पी.एल.आर. हर महीने 1.25 प्रतिशत थी और इस प्रकार निजी उधार देने की सीमा हर महीने 2.5 प्रतिशत थी)। और मैं जूरी सुनवाई लागू करने का प्रस्‍ताव करता हूँ जिसका प्रयोग करके जूरी-मण्‍डल के सदस्‍यगण कर्ज-माफियाओं/जमीन हड़पने वालों को जेल भेज सकेंगे।

 

(37.4) सताई गई / `बुरी तरह से पीटी गयी` औरतों के लिए तलाक और बच्‍चे की अभिरक्षा / `देखभाल का अधिकार` की तेजी से सुनवाई

मैं उन कानूनों के प्रारूपों/ड्राफ्टों का प्रस्‍ताव करूंगा जिसका प्रयोग करके सताई गई(परित्‍यक्‍ता) औरतें तेज न्‍यायिक सुनवाइयों की मांग कर सकेंगी और जूरी उन्‍हें तलाक, तलाक-भत्‍ता(खर्चा) और बच्‍चे की `देखभाल का अधिकार` प्रदान कर सकेंगे। अलगाव या तलाक होने पर बच्‍चे की देखभाल पर विवाहित महिलाओं/औरतों का अधिकार होना चाहिए।

 

(37.5) 498 ए और डी.वी.ए. कानून समाप्‍त / रद्द करना

‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके हम नागरिकों को 498 ए और डी.वी.ए. कानून समाप्‍त करना चाहिए और हम नागरिक ऐसा कर सकते हैं।

 

(37.6) अफीम और / अथवा चरस को कानूनी मान्‍यता देने अथवा इन्‍हें अपराध घोषित करने का प्रस्‍ताव

मैं पाठकों से http://en.wikipedia.org/wiki/Opium . पढ़ने का अनुरोध करता हूँ।

चरस/हशिश, अफीम आदि जैसे `बहुत ही कम नशा वाली`(सॉफ्ट) औषध वर्ष 1800 से पहले से ही विश्‍व के लगभग सभी देशों में (प्रचलित) थे। अमेरिका में ये वर्ष 1900 तक वैध/कानूनी मान्‍यता प्राप्‍त थे और भारत में इन्‍हें वर्ष 1950 तक कानूनी मान्‍यता मिली हुई थी। चरस/हशिश अफीम और ऐसे अन्‍य `बहुत ही कम नशा वाली`(सॉफ्ट) औषध का हानिकारक प्रभाव/दुष्‍प्रभाव किसी दर्दनिवारक/`दर्द कम करने वाली ` अथवा मनोवैज्ञानिक दवाओं से कम होता है। अफीम तो तम्‍बाकू से भी कम हानिकारक है। उदाहरण – अफीम, चरस/हशिश से कैंसर, क्षयरोग/यक्ष्‍मा रोग आदि नहीं होता और अफीम व चरस शराब से कम हानिकारक हैं। उदाहरण – अफीम और चरस से जिगर/लीवर का रोग नहीं होता। अफीम और चरस/हशिश सामाजिक रूप से भी कम नुकसानदायक हैं। अफीम या चरस किसी व्‍यक्‍ति को बलात्‍कार करने के लिए हिंसक या इसका इच्‍छुक नहीं बनाता । वास्‍तव में, अफीम किसी व्‍यक्‍ति को कम हिंसक बना देती है। और अफीम इस बात की संभावना कम कर देती है कि वह बलात्‍कार करेगा। अफीम, चरस/हशिश की उत्‍पादन लागत तम्‍बाकू अथवा शराब से कम है। तब फिर, सरकार ने अफीम, चरस/हशिश पर रोक क्‍यों लगाई?

श्रेणी: प्रजा अधीन