(36.4) आरक्षण के मुद्दे पर जिन प्रशासनिक बदलाव/परिवर्तनों का हम वायदा करते हैं, उनकी ज्यादा जानकारी |
1. किसी उपजाति का कोई भी सदस्य जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अथवा अन्य पिछड़े वर्ग का हो, वह तहसीलदार के कार्यालय जाकर अपना जांच/सत्यापन करवाकर आर्थिक-विकल्प / चुनाव के लिए आवेदन कर सकता है। इस आर्थिक-विकल्प/चुनाव में निम्नलिखित बातें/तथ्य हैं -:
- उस व्यक्ति का अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग का दर्जा बरकरार/बना रहेगा।
- उसे महंगाई दर के अनुसार अडजस्ट/ठीक किया गया (समायोजित मुद्रास्फीति) (इनफ्लेशन एडजस्टेड) के बदले/लिए 600 रूपए हर साल मिलेगा जब तक कि वह अपने आर्थिक-विकल्प / चुनाव के चयन को रद्द/समाप्त नहीं कर देता।
- जब तक उसे पैसे का भुगतान होता रहेगा, तब तक वह आरक्षण कोटे में आवेदन नहीं कर सकता।
- उस दिन वह आरक्षण के लाभ के लिए पात्र/योग्य माना जाएगा, जिस दिन वह अपने दूसरे विकल्प/चुनाव को रद्द/समाप्त कर देगा।
- जिन्होंने (आर्थिक) विकल्प / चुनाव लिया है, उनकी संख्या के आधार पर आरक्षित पदों की संख्या में कमी की जाएगी।
- इसके लिए पैसा सभी जमीनों पर कर/टैक्स की वसूली से आएगा कहीं और से नहीं।
2. उदाहरण – भारत की आबादी (लगभग) 100 करोड़ है जिसमें से 14 प्रतिशत अर्थात 14 करोड़ लोग अनुसूचित जाति के हैं । इसलिए यदि किसी कॉलेज में 1000 सीटें हैं तो उनमें से 140 सीटें आरक्षित रहेंगी। अब मान लीजिए, इन 14 करोड़ लोगों में से लगभग 6 करोड़ लोग आर्थिक-विकल्प/चुनाव का का रास्ता अपनाते हैं तो उनमें से प्रत्येक को हर महीने 100 रूपए मिलेगा और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 14 * 0.66 * 6/14 = 5.94 प्रतिशत कम हो जाएगा अर्थात यह 8.06 प्रतिशत रह जाएगा।फोर्मुला – वर्त्तमान आरक्षण प्रतिशत = (आर्थिक विकल्प लेने के पहले का आरक्षण प्रतिशत) * 2/3 * (जन-संख्या जिन्होंने आरक्षण लिया है)/(जन-संख्या जो अनुसुच्चित जाती के हैं) [2/3 एक कारक है, क्योंकि कम से कम एक तिहाई (1/3) लोगों को आरक्षण दिया जायेगा ]
3. यदि किसी व्यक्ति ने आर्थिक-विकल्प/चुनाव का चयन किया है और फिर वह बदलकर सामाजिक-विकल्प/चुनाव ले लेता है तो वह उसी दिन `जाती आधारित आरक्षण` लाभ का पात्र होगा । लेकिन यदि वह फिर से आर्थिक-विकल्प/चुनाव की ओर लौटता है तो उसे एक साल के बाद ही 600 रूपए हर वर्ष मिलेंगे।
4. यदि दलित या अन्य पिछड़े वर्ग के किसी व्यक्ति ने आर्थिक-विकल्प/चुनाव को चुना है तो वह फिर से आरक्षण का लाभ लेकर सीट ले सकता है लेकिन वह तभी पात्र माना जाएगा जब वह आर्थिक -विकल्प/चुनाव छोड़ देता है/रद्द कर देता है।
5. यदि किसी व्यक्ति ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण का लाभ लेकर सीट लिया है तो वह आर्थिक-विकल्प/चुनाव का पात्र नहीं होगा।
6. बच्चे को 600 रूपए प्रति वर्ष का भुगतान केवल तभी मिलेगा जब उसके माता-पिता दोनों ने ही आर्थिक-विकल्प/चुनाव को चुना हो।
7. यदि माता-पिता दोनों ने आर्थिक-विकल्प/चुनाव लिया है तो उनके 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को 600 रूपए प्रति वर्ष मिलेगा जो अधिकतम (दो बेटे) या (2 बेटे, एक बेटी) पर लागू होगा।
जाति गणना
8. एक संपूर्ण सम्पत्ति और उपजाति जनगणना कराना : जाति संघर्ष एक सच्चाई है। इसे छिपाने से यह छूमंतर/समाप्त नहीं हो सकता है। और यदि इसे छिपाया गया तो इससे प्रशासनिक तरीके से नहीं निपटा जा सकेगा। किसी भी मुद्दे/मामले से उचित तरीके से निपटने के लिए प्रशासन को बिलकुल सही सही सूचना/जानकारी की जरूरत पड़ती है। इसलिए हम उपजाति जनगणना का प्रस्ताव करते हैं जिसमें हरेक व्यक्ति की उपजाति, वह सरकारी सेवा में किस पद पर है, और उसके स्वामित्व वाली भूमि/सम्पत्ति के बाजार मूल्य को नोट/दर्ज किया जाएगा। राष्ट्रीय पहचान-पत्र सिस्टम के लागू हो जाने पर जनगणना के काम में सुधार आएगा और 2-4 वर्षों में ही 1 प्रतिशत से भी कम गलतियों/त्रुटियों वाली एक सही सही प्रणाली(सिस्टम)/व्यवस्था बनाई जा सकेगी। लेकिन एक कामचलाऊ/अनुमानित प्रणाली(सिस्टम) 6 महीने में ही बनाई जा सकती है। हमलोग इस कामचलाऊ प्रणाली(सिस्टम) से काम करना शुरू कर देंगे और इस प्रणाली(सिस्टम) में हर दिन सुधार होता जाएगा और यह ठीक/सही होती जाएगी।
9. भारत में लगभग 200 उपजातियां हैं लेकिन चूंकि किसी भी जाति की एक राज्य में स्थिति और उसी जाति/उसके जैसे जाती की दूसरे राज्य में स्थिति अलग-अलग/भिन्न हो सकती है। इसलिए राष्ट्रीय सूची में ये उपजातियां अलग-अलग जाति के रूप में दर्ज हो जाती हैं। इसलिए राष्ट्रीय सूची में लगभग 5000 जातियां हैं जबकि अधिकांश राज्यों की सूचियों में लगभग 200-400 उपजातियां हैं। इसलिए जनगणना में यह ध्यान दिया जाएगा कि कोई व्यक्ति 5000 जातियों में से राज्यवार किस उपजाति का है। कृपया ध्यान दीजिए, उपजातियां केवल राज्यवार होंगी।
10. यदि कोई व्यक्ति सामान्य जाति का होने का दावा करता है, तब उसे जाति या उपजाति विशेष रूप से बताने की जरूरत नहीं होगी और उसे आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन किसी व्यक्ति या उसके पिता ने आरक्षण का लाभ लिया है तो यह बताना होगा कि वह किस राज्य की किस जाती और उपजाति का है।
11. व्यक्ति-जात-सम्पत्ति आंकड़ों/डाटा का प्रयोग/उपयोग करके प्रधानमंत्री उपजातियों की प्रति व्यक्ति सम्पत्ति (की जानकारी) प्राप्त कर सकते हैं।
12. राजनीतिक कल्याण सूचक/चिन्ह : किसी जाति की राजनैतिक सूचक/चिन्ह की गणना निम्नलिखित तरीके से की जाएगी :-
पद |
अंक |
प्रधानमंत्री, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, केन्द सरकार के नियामक/संचालक/रेगुलेटर, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर, बैंक अध्यक्ष |
50,00,000 अंक |
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, प्रमुख सत्र न्यायाधीश, केन्द्र सरकार में उप सचिव, राज्य सरकार में नियामक/संचालक/रेगुलेटर, मुख्यमंत्री |
40,00,000 अंक |
सत्र न्यायाधीश, केन्द्र में मंत्री |
10,00,000 अंक |
अन्य निचली अदालतों के न्यायाधीश, राज्यों में मंत्री |
5,00,000 अंक |
सांसद, अनुसचिव/अंडर-सेक्रेटरी से उपर के/बड़े अधिकारी |
1,00,000 अंक |
विधायक, जिला पंचायत सरपंच |
15,000 अंक |
केन्द्र, राज्य और पुलिस आदि (सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाईयों के नहीं) के सभी श्रेणी – 1 अधिकारी |
20,000 अंक |
केन्द्र, राज्य और पुलिस आदि के सभी श्रेणी – 2 अधिकारी |
10,000 अंक |
केन्द्र, राज्य और पुलिस आदि के सभी श्रेणी – 3 अधिकारी | 5,000 अंक |
सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाईयों, केन्द्र सरकार, राज्य सरकार आदि (उपर लिखित सहित) के सभी कर्मचारी
श्रेणी: प्रजा अधीन |