133 ईसा पूर्व में टिबेरियस लोगों का हाकिम/नेता(ट्रिब्यून) चुन लिया गया। जल्दी ही उसने बेघर सैनिकों(लोगोनियरियों) के मामले पर विधान/कानून बनाना शुरू कर दिया। लिबेरियस ने देखा कि कितनी ही जमीन बड़ी भू-संपदाओं(लाटिफुन्डिया) में एक ही जगह थी जो कि बड़े खेतों के कब्जे में थी, जिन पर गुलाम काम करते थे। और दूसरी ओर छोटी सम्पदा थी जिसके मालिक छोटे किसान थे और खुद ही अपनी खेती करते थे।
लैक्स सेम्प्रोनिया ऐग्रेरिया –
इसके विपरित, टैबेरियस ने लैक्स सेम्प्रोनिया ऐग्रेरिया नामक कानूनों का प्रस्ताव किया। उन्होंने यह सुझाव दिया कि सरकार को उन सार्वजनिक जमीनों को वापस दिलाना चाहिए, जिन्हें पहले राज्य द्वारा प्रारंभिक युद्धों के दौरान ले लिया गया था और वे 500 युगेरिया अर्थात लगभग 310 एकड़ (1.3 वर्गकिलोमीटर से ज्यादा) बड़े क्षेत्र में फैले थे और उन्हें पहले के जमीन कानूनों में इजाजत/अनुमति दी गई थी। इन जमीनों में से कुछ जमीनें बड़े भूस्वामियों के कब्जे में थी जिन्होंने इन्हें बहुत ही पहले के काल/समय में यानि अनेक पीढ़ियों पहले खरीदा था, उसपर बसे थे अथवा उस सम्पत्ति को किराए पर दिया हुआ था। कभी –कभी इन जमीनों को पट्टे या किराए पर दिया जाता था या प्रारंभिक बिक्री या किराया लेने के बाद दूसरे भूस्वामियों को फिर से बेच दिया जाता था।
किसी न किसी तरीके से यह 367 ईसा पूर्व में पारित किए गए लिसिनियन कानूनों को लागू करने का एक प्रयास था जिन्हें कभी रद्द भी नहीं किया गया था और न ही कभी लागू किया गया था। इससे दो समस्याओं का समाधान हो सकता था :- सेना के लिए सेवा कर लगाए जा सकने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती थी और बेघर लेकिन युद्ध में निपूर्ण लोगों की देखभाल हो सकती थी।
सिनेट और उसके रूढ़िवादी(कंजर्वेटिव) लोग सेम्प्रोनियन ऐग्रेरियन सुधारों के घोर विरोधी थे और टिबेरियस के सुधारों को पास/पारित करने के अत्यन्त पारंपरिक तरीके का भी खासकर विरोध करते थे क्योंकि टिबेरियस अच्छी तरह यह जानता था कि सिनेट उसके सुधारों का अनुमोदन नहीं करेगी इसलिए वह सीधे ही कान्सिलियम प्लेविस (लोकप्रिय विधानसभा) में चला गया और सीनेट की उपेक्षा की। इस विधान सभा ने इन सुधारों का पूरा समर्थन किया। ऐसा करना वास्तव में न कानून के खिलाफ थे और न हीं परंपरा के (मौसमई ओरम) के खिलाफ थे। लेकिन यह कुछ ऐसा था कि जिससे सीनेट का अपमान होता था और यह सीनेटरों को अलग करने का खतरा भी पैदा कर दिया था जो इसका समर्थन कर सकते थे |
लेकिन सीनेट के पास एक और तरकीब थी। एक नेता(ट्रिब्यून) कोई प्रस्ताव को “नहीं” कहा अथवा रोक/वीटो का इस्तेमाल करके उसे विधानसभा में आने से रोक सकता था | इसलिए टिबेरियस को रोकने के प्रयास के रूप में सीनेट ने एक और नेता(ट्रिब्यून) ओक्टावियस का सहारा लिया ताकि वह अपने वीटो का इस्तेमाल करके विधान सभा में विधेयक प्रस्तुत न कर सके। टिबेरियस ने तब यह प्रस्ताव रखा कि एक ट्रिब्यून के रूप में औक्टावियस को तुरंत हटाया जाये क्योंकि उसने अपने लोगों के खिलाफ काम किया था । औक्टावियस डटा रहा। लोगों ने औक्टावियस को हटाने के लिए वोट देना शुरू किया लेकिन औक्टावियस ने उनकी कार्रवाईयों पर वीटो लगा दिया। टिबेरियस ने उसे विधान सभा की बैठक के स्थान से बलपूर्वक हटा दिया और उसे ठप करने के लिए वोट की कार्रवाई जारी रखी।
इन कार्रवाईयों ने औक्टावियस के पवित्र-पावन अधिकार(सेक्रोसेंकटिटी) का उल्लंघन किया और टिबेरियस के समर्थकों को चिन्ता में डाल दिया और इसलिए औक्टावियस को हटाने की कार्रवाई के बजाए टिबेरियस ने अपने रोक/वीटो का इस्तेमाल करना प्रारंभ किया, जब नेताओं(ट्रिब्यूनों) से यह पूछा गया था कि क्या वे अनुमति देंगे कि मुख्य पब्लिक स्थान जैसे बाजार , मंदिर खुल जायें | इस तरह टिबेरियस सभी व्यावसायों, व्यापार और उत्पादन सहित पूरे रोम शहर को बन्द कर सका ,जब तक सीनेट और विधान सभा द्वारा कानूनों को पारित ना करे । विधानसभा ने टिबेरियस की सुरक्षा के डर से उसे उसकी सुरक्षा करते हुए घर पहुंचा दिया।
सीनेट ने टिबेरियस के कानूनों को लागू करने के लिए नियुक्त किए गए अग्रेरियन आयोग को मामूली धन दिया हालांकि, 133 ईसा पूर्व के अन्त में पेरगामम का राजा अटालूस III की मौत हो गई। टिबेरियस ने मौका देखा और तुरंत ही धन बांटने की अपनी कानूनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए नए कानून को धन दे दिया। यह सीनेट की शक्ति पर सीधा प्रहार था क्योंकि यह खजाने के प्रबंधन के लिए और विदेशी मामलों के संबंध में निर्णय लेने के लिए परंपरागत रूप से जिम्मेदार था। सीनेट का विरोध बढ़ता गया।
टिबेरियस की मौत
टिबेरियस ग्राकूस जिसने एक नेता(ट्रिब्यून) के रोक/वीटो की अनदेखी की थी, उसे अवैध समझा गया और उसके विरोधी उसके एक वर्ष के शासन के अन्त में उसपर महाभियोग लगाने का निश्चय कर चुके थे क्योंकि उसे संविधान का उल्लंघन करने और एक नेता(ट्रिब्यून) के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करने का दोषी पाया गया था। अपने आप को आगे बचाने के लिए टिबेरियस ग्राकुस ने 133 ईसा पूर्व में नेता(ट्रिब्यून) के रूप में पुनर्मतदान की कोशिश की और वायदा किया कि वह सैनिक शासन की अवधि कम कर देगा, केवल सिनेटर की जूरी सदस्य के रूप में कार्य करने के विशेषाधिकार को समाप्त कर देगा और देश के सहयोगियों को रोमन नागरिकता मिल सकेगी । चुनाव के दिन टिबेरियस ग्राकूस रोम के सीनेट में सशस्त्र गार्डों/रक्षकों के साथ प्रकट हुआ ।
जैसे-जैसे मतदान की प्रक्रिया आगे बढ़ी, दोनों पक्षों से हिंसा फूट पड़ी। टिबेरियस का भतीजा प्यूबिलियस कार्नेलियस स्कीपीयो नासका यह कहते हुए, कि टिबेरियस राजा बनना चाहता है, सीनेटरों को लेकर टिबेरियस की ओर आगे बढ़ा। निर्णायक लड़ाई में टिबेरियस मारा गया। उसके कई सौ समर्थक जो सीनेट के बाहर इंतजार कर रहे थे, उसके साथ ही मारे गए या दफन हो गऐ। प्लूटार्च कहता है कि “टिबेरियस की सीनेट में हुई मौत अचानक और कम समय में हो गई हालांकि वह सशस्त्र था फिर भी उस दिन अनेक सीनेटरों के सामने ये हथियार उसके काम न आए।”
टिबेरियस ग्राकूस का विरोध
टिबेरियस का विरोध तीन लोगों ने किया : मारकस ऑक्टावियस, सीपीयो नासिका और सीपीयो ऐमिलियानुस । ऑक्टावियस ने टिबेरियस का विरोध इसलिए किया कि टिबेरियस ने उसे लेक्स सेम्प्रोनिया अग्रेरिया पर रोक/विटो लगाने नहीं दिया। इसने ऑक्टावियस का विरोध किया जिसने तब सीपीयो नासिका और सीपीयो ऐमिलियानस के साथ मिलकर टिबेरियस की हत्या करने का षड़यंत्र किया। नासिको को इससे लाभ होता क्योंकि टिबेरियस ने एक ऐसी जगह से कुछ जमीन खरीदी थी जो नासिका खरीदना चाहता था। इसके कारण नासिका को 500 सेसटेर्स(रोम साम्राज्य के चांदी के सिक्के) का नुकसान हुआ। नासिका अक्सर इस मामले को सीनेट में उठाकर टिबेरियस का मजाक उड़ाया करता था। ऐमिलियानुस ने टिबेरियस ग्राकूस का विरोध किया क्योंकि टिबेरियस ने उसे राजी किया था कि वह उसकी बहन सेम्प्रोनिया से शादी कर ले । यह शादी असफल हो गई और अलगाव के समझौते में ऐमिलियानुस को काफी ज्यादा लागत देनी पड़ी। ऐमिलियानुस भी कड़वाहट से भर गया क्योंकि टिबेरियस लोगों के बीच बेहतर भाषण दिया करता था जिससे अक्सर अमेलियानुस को सिनेट में शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ता था।