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अध्याय 50 – आखरी में बात / उपसंहार

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रोम में 2000 वर्ष पहले ठीक यही हुआ था। ऐसा इतिहास में सैंकड़ो बार हो चुका है। इसलिए व्‍यावहारिक रूप से कहा जाए तो इस बात की संभावना है कि भारतीय विशिष्ट/उच्च लोग और बुद्धिजीवी कानूनी शक्‍तियों का प्रयोग करके सैनिकों और पुलिसकर्मियों से कहेंगे कि वे इन गैर 80 जी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दें जो `प्रजा अधीन-रजा समूह` द्वारा प्रस्तावित प्रथम सरकारी अधिसूचना(आदेश) की मांग कर रहे हैं।

यदि ऐसा होता है तो गैर 80-जी कार्यकर्ताओं के पास ताकत से उलटा प्रहार करने के अलावा और कोई रास्ता/विकल्‍प नहीं बचेगा। (भारत में) 15 लाख पुलिसकर्मी और 10 लाख सैनिक हैं। एक ऐसी ताकत का निर्माण करने के लिए, जो पुलिस और सैनिकों के बीच के स्तर के अफसर(प्रबंधन) को गैर 80 – जी कार्यकर्ताओं और प्रथम सरकारी आदेशों की मांग करने वाले आम लोगों की हत्‍या नहीं करने का निर्णय करने से रोक सके, कम से कम 25 लाख हथियारों से लैस(सशस्‍त्र), ट्रेनिंग लिए हुए(प्रशिक्षित) आम नागरिकों की जरूरत होगी। यही कारण है कि मैं जोर देता हूँ कि प्रत्‍येक ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’-रिकॉल सदस्‍य को चाहिए कि वे जितनी अधिक संख्‍या में संभव हो, आम युवाओं को बंदूकों का ट्रेनिंग/शिक्षा दे।

 

50.1.3      परिस्थिति 2 (क) : पहले,दूसरे सरकारी आदेश की मांग कर रहे आम आदमियों को मौत के घाट उतारने का सैनिकों और पुलिसकर्मियों का फैसला

सेना के 35,000 अधिकारियों में से, 33,000 से ज्‍यादा अधिकारी, भ्रष्‍ट नहीं हैं और उनकी राजनीतिक मांगों को पूरा करने के लिए साधारण गैर-अलगाववादी  आम लोगों को जान से मारने के लिए सैनिकों को आदेश देने के भयंकर परिणाम को अच्‍छी तरह जानते हैं। लेकिन तब, सैनिकों को आदेश मानने का ट्रेनिंग/शिक्षा दी जाती है और मैं उनसे यह आशा नहीं करूंगा और यह चाहूंगा भी नहीं कि वे प्रधानमंत्री के आदेशों की अवहेलना/अनदेखी करें। इसलिए यदि प्रथम ‘ प्रजा अधीन-राजा समूह` सरकारी अधिसूचना(आदेश) की मांग कर रहे गैर – 80 – जी कार्यकर्ताओं की हत्‍या का आदेश प्रधानमंत्री सैनिकों को दे देते हैं तो इसके परिणाम  अराजकता फैलाने वाले होंगे।

 

50.1.4     परिस्थिति 2 ख : सैनिकों के शीर्ष(सबसे ऊंचे पद वाले)/मध्‍य स्तर के अफसर विशिष्ट वर्ग(ऊंचे लोगों) को राजी कर लें कि वे आम आदमियों की हत्‍या न करवाएं 

भारतीय सेना की मध्‍य प्रबंधन अधिकतर भ्रष्‍ट नहीं है और इसमें प्रतिबद्ध/कर्तव्‍यनिष्‍ठ अधिकारी हैं जो यह पक्का/सुनिश्‍चित करने में दिलचस्‍पी रखते हैं कि भारत किसी विदेशी ताकत का गुलाम न बने, जैसा कि नेपाल बन गया है। इसलिए वे शायद मंत्रियों को आश्‍वस्‍त करने में सफल हो जाएं कि वे मंत्री आम लोगों और गैर – 80- जी कार्यकर्ताओं की हत्‍या करने का आदेश न दें और हम लोगों द्वारा मांग की जा रही पहली सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्‍ताक्षर करके तीसरी (अधिसूचना(आदेश)) की मांग स्‍वीकार कर लें। यही वह मांग है जिसकी आशा मैं कर रहा हूँ। मैं सच्‍चे मन से यह आशा करता हूँ कि सैन्य अधिकारी मंत्रियों, बुद्धिजीवियों और विशिष्ट वर्गों/ऊंचे लोगों को मनाने में सफल रहेंगे कि वे भारत पर पुलिस राज/सैनिक शासन न थोपें। हालांकि, यदि भारतीय विशिष्ट/उच्च लोग, मंत्री आदि सेना के बीच के स्तर के अफसर(मध्‍य प्रबंधन) की बातों को अनसुनी कर देते हैं और भारत में सैनिक राज/पुलिस शासन थोप देते हैं तो भारत एक और नेपाल बन जाएगा और उससे भी बुरी स्‍थिति कि एक और पाकिस्‍तान बन जाएगा और छोटे-छोटे बांग्‍लादेश की तरह के कई इलाके चारों ओर उभरने लगेंगे। इन नए राज्‍यों में से अधिकांश अमेरिका/इंग्‍लैण्‍ड के प्रति भक्‍ति दिखलाएंगे और भारत फिर से वर्ष 1757 की स्‍थिति में पहुंच जाएगा।

अब निर्णय भारतीय विशिष्ट/उच्च लोगों को ही करना है। उनके निर्णय ही भारत का भविष्‍य तय करेंगे।

श्रेणी: प्रजा अधीन