4. सांसद का वोट , उन सबके लिए गिना जाएगा , जिन्होंने किसी विधेयक/क़ानून पर अपना हां/नहीं दर्ज नहीं किया है । उदाहरण: मान लीजिए, किसी क्षेत्र में 50,000 मतदाता हैं और जहां मान लें, 15,000 (30%) ने ‘हां’ मत डाला, 5,000 (10%) ने ‘ना’ मत डाला और 30,000 (60 %) ने प्रस्ताव पर अपना मतदान नहीं किया। इस स्थिति में, अध्यक्ष, सांसदों (के वोटों की कीमत) को 100%-30%-10% = 60 % के बराबर मानेंगे। अब मान लीजिए कि सांसद ‘हां’ पर वोट देता है तो उस क्षेत्र का ‘हां’ भाग 30%+60% = 90% होगा और ‘ना’ भाग 10% होगा। यदि सांसद ‘ना’ के रूप में वोट देता है तो उस क्षेत्र का ‘हां’ भाग 30% होगा और ‘ना’ भाग 60%+10% = 70 % होगा।
5. लोकसभा अध्यक्ष प्रत्येक चुनावक्षेत्र के ‘हां’ और ‘ना’ भाग को जोड़ेगा।
6. यदि सभी ‘हां’ भाग का जोड़/योगफल 60 दिनों के भीतर 50% से अधिक होगा तो लोकसभा अध्यक्ष उस विधेयक/क़ानून को राज्यसभा अध्यक्ष को भेज देंगे। यदि प्रस्ताव को निजी संख्या जारी करने के 60 दिनों के भीतर 50% समर्थन नहीं मिलता तो लोकसभा अध्यक्ष उस प्रस्ताव को असफल घोषित कर देंगे।
7. राज्य सभा अध्यक्ष राज्य सभा के सांसदों को उस दिन से ही हां/नहीं दर्ज करने देगा जिस दिन बिल को निजी संख्या मिल जाएगी। यदि कोई सांसद अपना वोट दर्ज नहीं करवाता है तो उसे `ना` के रूप में समझा जाएगा।
8. राज्य सभा का अध्यक्ष विधेयक/क़ानून के हां भाग और ना भाग की गणना निम्नलिखित प्रकार से करेगा:-
(क): मान लीजिए किसी राज्य में `क` सांसद हैं।
(ख): मान लीजिए कि उस राज्य में मतदाताओं की संख्या `ख` के बराबर है जिनमें से `ग` के बराबर मतदाताओं ने हां दर्ज करवाया है और `घ` के बराबर मतदाता ना दर्ज करवाते हैं और (ख-ग-घ) मतदाताओं ने अपना हां या ना दर्ज नहीं करवाया।
(ग): तब उस राज्य के प्रत्येक सांसद का मत (ख-ग-घ)/क होगा।
9. यदि (बिल/विधेयक/क़ानून) पारित हो जाता है तो इसका महत्व संसद द्वारा पारित विधेयक/क़ानून के समान होगा।
उपर बताई गई प्रक्रिया से नागरिक अपनी मनचाही/मनपसंद कानून लागू करवाने में समर्थ होंगे।
(39.5) उपर्युक्त कानून लागू करवाने के लिए ड्राफ्ट / प्रारूप |
सरकारी अधिसूचना(आदेश) – 1 : नागरिकों द्वारा हां/नहीं दर्ज करना
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निम्नलिखित के लिए प्रक्रिया |
प्रक्रिया/अनुदेश |
1 |
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नागरिक शब्द का अर्थ एक पंजीकृत/रजिस्टर्ड मतदाता होगा। |
2 |
कलेक्टर (अथवा उसका क्लर्क) | कलक्टर (उसका क्लर्क) किसी भी नागरिक से कोई कानून लागू करवाने के लिए 20 रूपए प्रति पृष्ठ का शुल्क लेकर प्रस्ताव स्वीकार करेगा और प्रस्ताव के लिए एक क्रम संख्या जारी करेगा । और प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रकेगा | |
3 |
तलाटी, पटवारी (अथवा उसका क्लर्क) | अगले 90 दिनों तक तलाटी/क्लर्क नागरिकों को इस (प्रस्तावित) विधेयक/क़ानून पर उनके हां/नहीं दर्ज करने की अनुमति देगा। क्लर्क नागरिकों से तीन रूपए का शुल्क, नागरिक पहचान पत्र बिल/विधेयक/क़ानून की क्रम संख्या और उसके हां अथवा नहीं की प्राथमिकता/पसंद मांगेगा/लेगा। तब वह क्लर्क कम्प्यूटर में प्रविष्टि/दर्ज करेगा और नागरिकों को कम्प्यूटर से निकाली गई रसीद देगा। |
4 |
तलाटी, पटवारी | तलाटी नागरिकों से 3 रूपए का शुल्क/फीस लेकर उन्हें हां/नहीं बदलने की अनुमति देगा। |
5 |
तलाटी, पटवारी | जिन नागरिकों ने अपना हां/नहीं दर्ज करवाया है, उन नागरिकों के नाम, क्रमसंख्या आदि तलाटी इन्टरनेट पर डालेगा। |
6 |
लोकसभा अध्यक्ष | मंत्रिमंडल सचिवालय प्रत्येक सोमवार और प्रस्ताव प्रस्तुत/जमा किए जाने के 90 वें दिन प्रत्येक प्रस्ताव के लिए प्रत्येक चुनावक्षेत्र के हां/नहीं की गिनती चुनाव क्षेत्र अनुसार प्रकाशित करेगा। |
7 |
लोकसभा, राज्यसभा के स्पीकर/अध्यक्ष | अध्यक्ष सांसदों को पूर्णत: या अंशत: हां/नहीं दर्ज करने की अनुमति/इजाजत देंगे(हां/ना प्रतिशत में होगा)। यदि कोई सांसद हां/नहीं दर्ज नहीं करता है तो अध्यक्ष उसके वोट की गिनती ना के रूप में ही करेंगे। |
8 |
लोकसभा अध्यक्ष |
अध्यक्ष प्रत्येक लोकसभा चुनावक्षेत्र के हां भाग और ना भाग की गिनती इस प्रकार करेंगे –
टी – किसी चुनाव क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या वाई – मतदाताओं की संख्या जिन्होंने `हां` मतदान किए हैं एन – मतदाताओं की संख्या जिन्होंने `नां` मतदान किए हैं एम – मतदाताओं की संख्या जिन्होंने विधेयक/क़ानून पर मतदान नहीं किया = टी-वाई-एन नागरिकों के हां भाग = वाई/टी नागरिकों के ना भाग = एन/टी तब उस चुनाव क्षेत्र के मामले में – यदि सांसद हां के पक्ष में मतदान करता है तो हां भाग होगा (वाई+एम)/टी और ना भाग होगा एन/टी यदि सांसद ना के पक्ष में मतदान करता है तो हां भाग होगा वाई/टी और ना भाग होगा (एन+एम)/टी यदि सांसद मतदान नहीं करता है तो हां भाग होगा वाई/टी और ना भाग होगा एन/टी |
9 |
लोकसभा अध्यक्ष | अध्यक्ष किसी राज्य के कुल `हां` और `ना` भाग का योगफल/जोड़ प्राप्त करने के लिए सभी लोकसभा चुनाव क्षेत्र के ‘हां’ भाग और ‘ना’ भाग को जोड़ेगा। |
10. |
लोकसभा अध्यक्ष |
बिल को निजी संख्या मिलने के 60 दिनों बाद –
2. (लोकसभा)अध्यक्ष विधेयक/क़ानून को राज्यसभा के अध्यक्ष के पास भेज देंगे यदि ‘हां’ भाग ‘ना’ भाग से ज्यादा बड़ा हो। |
11 |
राज्यसभा अध्यक्ष | किसी विधेयक/क़ानून के प्रस्तुत किए जाने के 30 दिनों के भीतर राज्य सभा का कोई सदस्य अध्यक्ष के सामने ही विधेयक/क़ानून पर अपनी हां/ना दर्ज करा सकता है। यदि कोई सदस्य अपना हां/नहीं दर्ज नहीं करता है तो अध्यक्ष इसे ‘ना’ के रूप में मानेगा। |
12 |
राज्यसभा अध्यक्ष |
अध्यक्ष ‘हां’ भाग और ‘ना’ भाग का आकलन करने के लिए निम्नलिखित तरीके का प्रयोग करेगा
वाई = भारत के उन मतदाताओं की संख्या जिन्होंने हां के पक्ष में मतदान किया है एन = = भारत के उन मतदाताओं की संख्या जिन्होंने ना के पक्ष में मतदान किया है टी = भारत के नागरिक-मतदाताओं की कुल संख्या यू = भारत के उन मतदाताओं की संख्या जिन्होंने मतदान नहीं किया है = टी- वाई- एन
श्रेणी: प्रजा अधीन |