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(33.6) नागरिकता तय करने के लिए जूरी प्रणाली (सिस्टम) |
1. सर्वप्रथम, सरकार निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) तैयार करेगी।
2. रजिस्ट्रार प्रत्येक पुरूष (और बाद में महिलाओं) के निजी पहचान-पत्र आँका कोष(डाटाबेस) की डी.वी.डी. तैयार करेगा जिसमें (उस व्यक्ति का) नाम, निजी पहचान-पत्र, फोटो, पता आदि (दर्ज) होगा और इस डी.वी.डी. को इसकी लागत के बराबर कीमत/मूल्य पर बेचेगा।
3. कोई भी व्यक्ति 3 रूपए का शुल्क देकर 10 व्यक्तियों के नाम बता सकता है जिन्हें वह समझता है कि वे गैर-नागरिक हैं/(भारत के) नागरिक नहीं हैं |
4. प्राप्त किए गए नामों में से, रजिस्ट्रार आरोपी को उस क्रम में आदेश जारी करेगा जिस क्रम में उसके खिलाफ गैर-नागरिक होने की शिकायतों की संख्या प्राप्त हुई हैं। (जिसके विरुद्ध सबसे ज्यादा शिकायतों की संख्या वाले को पहले आदेश मिलेगा, फिर उससे कम, जिसके खिलाफ शिकायत की संख्या वाले को ,आदि)
5. रजिस्ट्रार आरोपी व्यक्ति के सभी रिश्तेदारों को सूचित करेगा/जानकारी देगा ।
6. रजिस्ट्रार अपने पास प्राप्त सभी शिकायतों के लिए, पूरे राष्ट्र से तीन जूरी का क्रम-रहित तरीके से पांच जिले चुनेगा और उन जिलों से 12 लोगों का क्रम-रहित तरीके से चुनेगा और एक राज्य जूरी का गठन करेगा जिसमें राज्य भर(जहाँ से शिकायत प्राप्त हुई है) के क्रम-रहित 5 चुने गए जिलों में से क्रम-रहित चुने गए 12 नागरिक होंगे।
7. कोई भी व्यक्ति जो आरोपी का रिश्तेदार है, वह उस व्यक्ति से अपने संबंधों का हवाला देते हुए बता सकता है कि उस व्यक्ति को गलत तरीके से आरोपी बनाया गया है।
8. जूरी-मण्डल के सदस्य वीडियो फोन का उपयोग करके आरोपी और गवाहों का पक्ष सुनेंगे। आरोपी और उसके रिश्तेदारों को सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा जा सकता है। जूरी मण्डल का प्रत्येक सदस्य उससे 30 मिनट तक प्रश्न पूछ सकता है।
9. दोनों जूरी-मण्डलों में से किसी भी जूरी-मण्डल के 12 सदस्यों में से 9 से ज्यादा/अधिक सदस्य मुकद्दमें को बेकार/ओछा मामला बताकर खारिज/रद्द कर देते हैं तो रजिस्ट्रार तब तक उस व्यक्ति के खिलाफ सुनवाई/मुकद्दमा नहीं करेगा जब तक कम से कम 10 नागरिक उस व्यक्ति के खिलाफ फिर से शिकायत दर्ज नहीं करवाएं। दो सुनवाई के बाद उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए 100 लोगों की जरूरत होगी और तीन सुनवाइयों के बाद, 5 वर्षों तक उसके खिलाफ कोई मुकद्दमा दर्ज नहीं किया जाएगा।
10. शिकायतकर्ता को शिकायत करने की कुल 10 शिकायतें करने की छूट रहेगी | यदि शिकायत को बेकार/ओछा बताकर खारिज कर दिया जाता है तो शिकायत दर्ज कराने के शिकायतकर्ता के अधिकार (की संख्या) 1 कम हो जाएगी।
11. यदि दोनों जूरी-मण्डलों के 12-12 सदस्यों में से 9 से ज्यादा सदस्य आरोपी को गैर-नागरिक घोषित कर देते हैं तो रजिस्ट्रार एक और राष्ट्रीय जूरी और एक और राज्य जूरी आयोजित करेगा। यदि फिर से जूरी-मण्डल ने पहले के समान ही निर्णय दिया तो रजिस्ट्रार उस व्यक्ति को गैर-नागरिक चिन्हित कर देगा, उसे बन्दी बनाकर जेल में डाल देगा और उसे भारत से निकाल बाहर करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगा।
12. यदि किसी भी जूरी-मण्डल के सदस्यों में से 10 से कम लेकिन 8 से ज्यादा सदस्यों ने आरोपी को गैर-नागरिक घोषित कर दिया तो रजिस्ट्रार आरोपी को भारत में रहने तो देगा लेकिन उसे पूर्वोत्तर या पश्चिम बंगाल में नहीं रहने देगा। यह क्लॉज/खण्ड बांग्लादेशियों के पूर्वोत्तर में एक ही जगह ज्यादा संख्या में होने से रोकने के लिए जरूरी है।
उपर्युक्त प्रणाली(सिस्टम)/व्यवस्था अधिकांश बांग्लादेशियों को निष्कासित/निकाल बाहर करने के लिए पर्याप्त है।
(33.7) सभी वर्तमान दलों के नेताओं की राय / उनका रूख |
कांग्रेस, सीपीएम, बीजेपी जैसी सभी मौजूदा पार्टियां बांग्लादेशियों को आने से रोकने तक में एकदम ही दिलचस्पी नहीं दिखातीं, उन्हें निष्कासित या निकाल बाहर करना तो दूर की बात है। हम नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वे इन दलों/पार्टियों को वोट न दें।
अभ्यास
1. भारत-बांग्लादेश की सीमा की लम्बाई कितनी है? इसमें से लगभग कितना प्रतिशत पहाड़ी क्षेत्र है?
2 1930 के दशक में लिब्या-मिस्र की सीमा पर बाड़ लगाने का समाधान सफल रहा था (इस कार्य ने ओमार मुख्तार(Omar Mukhthar) को इंग्लैण्ड से हथियार प्राप्त करने से सफलतापूर्वक रोक दिया) । यह कार्य लिब्या-मिस्र में सफल रहा और फिर भी भारत-बांग्लादेश सीमा पर सफल नहीं है। क्यों?
3. क्या आपका कोई ऐसा मित्र है जो एक वर्ष से अधिक समय तक असम में रहा है? यदि हां, तो कृपया एक अनुमानित प्रतिशत जनसंख्या प्राप्त करें जो बांग्लादेशी हैं।
4. आई.एम.डी.टी. अधिनियम क्या है?