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वर्तमान सरकारी सिस्टम / प्रक्रियाओं (तरीकों) में एक कमी यह है कि यदि कोई ईमानदार व्यक्ति दो लोगों का काम करता है तो भी उसे दो व्यक्ति के बराबर वेतन नहीं मिलेगा, जबकि व्यापार में ऐसा होना आम है । ये बातें ईमानदार लोगों को सरकारी नौकरी में आने से रोकती / हतोत्साहित करती हैं। पर मेरे द्वारा प्रस्तावित प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) सिस्टम/प्रक्रियाएं में, अधिकारीयों को एक से अधिक पद मिल सकता है तथा उसके अनुसार बढ़ा वेतन पा सकते हैं । इससे शासन/सरकार में ईमानदार तथा नए काम के लिए पहल करने वाले (उद्यमी) लोगों का आना/प्रवेश बढ़ेगा ।
मैंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रस्ताव केवल जिला शिक्षा अधिकारी के लिए ही नहीं, बल्कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला पुलिस प्रमुख, जिला आपूर्ति/सप्लाई अधिकारी (राशन का प्रभारी अधिकारी) इत्यादि के लिए भी किया है । मैंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रस्ताव जिला स्तर के करीब 30-50 पदों, जिनमें निचली अदालत के जज(जिला न्यायाधीश) भी शामिल हैं, के लिए किया है ।
इस प्रकार, सभी 700 जिलों के लगभग 30,000 अधिकारियों तथा जजों के लिए प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रयोग किया जायेगा। जिस दिन प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून लागू होगा, उसी दिन 24 घंटों के भीतर करीब 15,000 अधिकारी सुधर जायेंगे। और जब पहले ही महीने में किसी जिले में मात्र 2-5 अधिकारी भी हटा दिए जायेंगे तो बचे हुए 15,000 अधिकारी भी अपने आप ही सुधर जायेंगे। दूसरे शब्दों में, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रयोग करके नागरिकों को 30,000 अधिकारियों में से 50 अधिकारियों को भी हटाने की जरुरत नहीं पड़ेगी । 2-3 अधिकारियों का हटाया/निकाला जाना ही बाकी बचे अधिकारियों के लिए पर्याप्त/काफी चेतावनी होगा। इस प्रकार, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कोई अस्थिरता पैदा बिलकुल ही नहीं करेगा ।
इसी प्रकार, मैंने राज्य सरकार स्तर के पदों तथा केन्द्र सरकार के पदों जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश/हाईकोर्ट जज, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश/सुप्रीम कोर्ट जज इत्यादि के लिए भी प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रस्तावित किया है। कुछ मामलों में,यदि वे सुधर जाते हैं और जनता की हित के लिए काम करते हैं , वे पद पर बने रह सकते हैं जबकि कुछ मामलों में उन्हें हटा दिया जाएगा और उनके स्तर के या उनसे कम स्तर के बेहतर लोगों को उनके स्थान पर अवसर दिया जायेगा ।
(30.4) बुरी शिक्षा देने वाले स्टॉफ को हटाने का तरीका / प्रक्रिया लागू करना |
1. जिला शिक्षा अधिकारी शुरू में नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में प्रिंसिपल/प्रधानाचार्यों रखेंगे/नियुक्त करेंगे| शिक्षकों का चयन 3 वर्ष के लिए कांट्रेक्ट पर, `खुला मुकाबले वाली परीक्षाओं` के माध्यम से होगा। तबादला/स्थानांतरण प्रत्येक वर्ष होगा। तबादला क्रमरहित-मिलान विधि से किया जाएगा।(जितने पद हैं और जितने लोगों का तबदला होना है, उनका मिलान क्रमरहित तरीके से किया जायेगा)
2. किसी विद्यालय शिक्षक के पक्ष/विपक्ष में जूरी प्रक्रिया : यदि किसी स्कूल शिक्षक के विरूद्ध कोई शिकायत आती है और पहली नजर में संदेह पक्का हो जाता है तो 10 नागरिकों की एक जूरी बुलाई जाएगी। यदि 7 से ज्यादा जूरी-सदस्य यह निर्णय करते हैं कि वह शिक्षक छात्रों को सेवाएं देने के असमर्थ है तो उस शिक्षक का तबादला/स्थानान्तातन किसी अन्य स्कूल में कर दिया जाएगा। ऐसे तीन तबादला के बाद उसे हटा दिया जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी के हटाने/बदलने की प्रक्रिया/तरीका से ही शिक्षा में बहुत सुधार आ जाएगा और शिक्षकों को हटाने/बदलने की प्रक्रिया/तरीका से भी सुधार होगा।
(30.5) गणित की शिक्षा के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम) |
प्रश्न, परीक्षाएं और पुरस्कार
- इस प्रणाली(सिस्टम) में 12 वीं कक्षा तक की प्रत्येक कक्षा के लिए गणित के हजारों प्रश्नों/सवालों की एक सूची होगी। ये प्रश्न बहुविकल्प वाले प्रश्न होंगे(सवाल के लिए कई उत्तर दिए जाएँगे जिसमें से एक सही चुनना होगा) । इसकी एक सूची तैयार की जाएगी और यह जनता को मिल सकेगी/उपलब्ध होगी।
- साधनों/संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर, जिला शिक्षा अधिकारी प्रत्येक छात्र के लिए प्रति माह 1-4 परीक्षा तय करेगा।
- प्रत्येक परीक्षा में उस `पढाई के साल के चार महीने के भाग` के लिए सूची में से क्रमरहित तरीके से चुने गए 30-120 प्रश्न होंगे। समयावधि/समय सीमा प्रति प्रश्न 1-3 मिनट होगी। प्रत्येक परीक्षा में 500-1000 से ज्यादा छात्र भाग लेंगे।
- परीक्षा में नतीजा/प्रदर्शन के आधार पर छात्रों/शिक्षकों के लिए मासिक नकद पुरस्कार होंगे। यह नकद पुरस्कार ही वह एकमात्र धनराशि होगी जो गणित के शिक्षकों को राज्य की तरफ से दी जाएगी। गणित के शिक्षकों के लिए कोई वेतन नहीं होगा।
- पुरूस्कार इस प्रकार होंगे : जैसे, प्रत्येक वैसे छात्र और उसके शिक्षक के लिए 10 रूपए का पुरस्कार होगा, जो (औसतन से 10 प्रतिशत कम अंक) पाते हैं और (औसतन से 10 प्रतिशत ज्यादा) अंक प्राप्त करने वाले छात्रों और शिक्षकों में से प्रत्येक के लिए 20 रूपए का पुरस्कार होगा। प्रत्येक माता-पिता को छात्र द्वारा प्राप्त (की गई पुरस्कार राशि) के अतिरिक्त 25 प्रतिशत मिलेगा। इसके अलावा, कक्षा 5 से ऊपर की कक्षा के छात्रों के लिए छात्रों को मिलने वाली राशि का अतिरिक्त 25 प्रतिशत, पिछले 2 वर्ष के दौरान उसे पढ़ाने वाले शिक्षक को मिलेगा। ईनाम की पूरी राशि उस वर्ष जिला शिक्षा अधिकारी को बांटे गए पैसे पर निर्भर करेगा।
परीक्षा का संचालन / परीक्षा करवाना
6. जांच केन्द्र `जिला शिक्षा अधिकारी` द्वारा चलाये जाएंगे।
7. जिला शिक्षा अधिकारी प्रस्तावित किए गए टैक्स/कर का उपयोग करके जांच केन्द्रों के लिए भवन, मेज/डेस्क, कम्प्यूटर का सामान, सर्वर(कंप्यूटर जो प्रश्न चुनता और बांटता है), रपट(रिपोर्ट) छापना, पुरस्कार के आवंटन आदि की व्यवस्था करेगा।
8. जिला शिक्षा अधिकारी अथवा उसका क्लर्क, क्रमरहित तरीके का प्रयोग करके किसी छात्र को उसके स्कूल/घर के निकट के जांच केन्द्र पर जाने का निर्देश दे सकता है। प्रत्येक महीने के लिए जांच केन्द्र अलग-अलग हो सकते हैं। प्रत्येक छात्र को जांच/परीक्षा देने के लिए एक अलग डेस्क मिलेगा। इससे नकल (किए जाने) की संभावना कम होगी।