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अध्याय 30 – गणित, कानून आदि की शिक्षा में सुधार करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्‍ताव

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16.

जिला शिक्षा अधिकारी

जिला शिक्षा अधिकारी उपलब्‍ध धनराशि/निधि, छात्र और उसके मास्टर/शिक्षक द्वारा परीक्षा में किए गए प्रदर्शन के आधार पर पुरस्‍कार दे सकते हैं। मास्टर को इन भुगतानों के अलावा सरकार से कोई और वेतन नहीं मिलेगा।

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जिला कलेक्टर

यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्‍ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव/परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्‍टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्‍तुत कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्‍लर्क इस ऐफिडेविट/हलफनामा को 20 रूपए प्रति पृष्‍ठ/पन्ने का शुल्‍क/फीस लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।

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तलाटी (अथवा पटवारी/लेखपाल

यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्‍ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्‍लॉज/खण्‍ड में प्रस्‍तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्‍क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा।

 

(30.3) प्रजा अधीन (राईट टू रिकाल) – जिला शिक्षा अधिकारी (कानून) लागू करने से शिक्षा में सुधार आएगा। कैसे?

प्रजा अधीन–जिला शिक्षा अधिकारी कानून से शिक्षा/पढाई में सुधार कैसे आएगा? पहले तो, सिर्फ हटाए जाने का डर उसे भ्रष्टाचार कम करने के लिए मजबूर कर देगा । परन्तु ये ज्यादा काम नहीं करेगा। आख़िरकार हम एक ऐसा जिला शिक्षा अधिकारी चाहते हैं जिसकी भ्रष्टाचार में रूचि ही न हो न कि केवल ऐसा जिला शिक्षा अधिकारी जो केवल हटाये जाने के भय से भ्रष्टाचार कम करे । किस प्रकार प्रजा अधीन- जिला शिक्षा अधिकारी छह महीने के अंदर ही ऐसे सैकड़ों जिला शिक्षा अधिकारी दे सकता है जो भ्रष्टाचार में बिलकुल ही रूचि/दिलचस्‍पी नहीं रखते हों?  मैं विस्तार से वर्णन करूँगा कि किस प्रकार प्रजा अधीन-जिला शिक्षा अधिकारी कानून इस कार्य को पूरा करेगा ।

यहाँ भारत में लगभग 700 जिला शिक्षा अधिकारी हैं । सभी 700 बुद्धिमान, काबिल/समर्थ, तथा (कार्य)कुशल हैं । और उनमें से, मान लीजिए, 10-15 ऐसे होंगे जो भ्रष्टाचार में रूचि नहीं रखते/भ्रष्‍टाचार नहीं करते। इतनी संख्‍या में ईमानदार लोग तो पहले से ही हमारे समाज में हैं। अब मेरे प्रजा अधीन(राइट टू रिकॉल)-जिला शिक्षा अधिकारी प्रक्रिया में एक और खण्‍ड है कि यदि कोई अधिकारी मुख्‍य मंत्री द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी रखा जाता है तो वह केवल एक ही जिले का जिला शिक्षा अधिकारी हो सकता है। लेकिन यदि नागरिकों ने उसे जिला शिक्षा अधिकारी बनाया है तो वह राज्य में 5 जिलों और पूरे भारत में 10 जिलों का भी जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है और वह इन सभी जिलों का वेतन प्राप्‍त करेगा।

अर्थात यदि कोई व्‍यक्‍ति 4 जिलों का जिला शिक्षा अधिकारी है और उसे नागरिकों ने नियुक्‍त किया है तो उसका वेतन 4 गुना होगा। यह ज्‍यादा सस्‍ता है क्‍योंकि वेतन ही चार गुना बढ़ेगा। चिकित्‍सा लाभ, अन्‍य लाभ और कई आजीवन लाभ 4 गुना नहीं बढ़ेंगे। बाद का एक सुधार/संशोधन “समतल(एक ही पद के स्तर पर ) पदोन्नति “ तथा “समतल विस्तार “ के इस विशेषता को और अधिक बढ़ा देगा — वेतन (N*log2N) गुना हो जायेगा जहाँ N जिलों की संख्या है जो नागरिकों के समर्थन/अनुमोदन से उसे मिले हैं । इसके अलावा, एक ही व्यक्ति अलग अलग विभागों के कई पद प्राप्त कर सकता है । जैसे वो 10 जिलों के शिक्षा अधिकारी के साथ साथ स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका भी कुछ सीमाओं/प्रतिबंधों के साथ निभा सकता है। साथ ही साथ, उसके लिए सीधी तरक्की(पद का स्तर बढ जाता है) का अवसर भी उपलब्ध होगा । जैसे यदि कोई व्‍यक्‍ति कई जिलों के अभियोजक/दण्‍डाधिकारी/सरकारी वकील की तरह कार्य कर रहा है तो उसके एक या एक से अधिक राज्यों के दंडाधिकारी बनने की संभावना बढ़ जायेगी ।

इसलिए वर्तमान 700 जिला शिक्षा अधिकारियों में से, मान लीजिए, 5-15 भ्रष्‍ट नहीं हैं । यदि एक बार प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) लागू हो जाता है तो उन्हें सीधी तरक्की और समतल(एक ही स्तर पर) पदोन्नति का अवसर मिल जायेगा। वे अपने जिले के स्कूलों में अच्छे बदलाव/सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएँगे । वे बीच के अधिकारियों को घूस लेने से रोकेंगे । इस बात का ध्यान रखेंगे कि ठेकेदार सही वस्तुएँ जैसे ब्लैकबोर्ड , कुर्सियां आदि स्कूलों को देते हैं। वे ध्यान रखेंगे कि शिक्षक स्कूल में हाजिर रहें, आदि। और यदि वे ऐसा करेंगे तो वे मुख्‍यमंत्रियों को हफ्ता देना भी बन्‍द कर देंगे । अब मान लीजिए, इन सभी मामलों में मुख्‍यमंत्री लोग इन अधिकारियों का तबादला कर देते हैं । तब लगभग 7-15 ऐसे मामलों में से, कम से कम 2-3 मामलों में तो माता-पिता अपने बच्चों की अच्‍छी शिक्षा के लिए प्रजा अधीन-जिला शिक्षा अधिकारी कानून का उपयोग करके उस तबादला किए गए अधिकारी को वापस ले आएंगे।

इस तरह, इससे भारत के 700 जिलों में से 2-5 जिलों में शिक्षा की स्‍थिति में सुधार आएगा। तो शेष जिलों का क्‍या होगा? देखिए, मान लीजिए आप `क` जिले में रहते हैं। अब, मान लीजिए, `क` जिले का जिला शिक्षा अधिकारी भ्रष्‍ट और असमर्थ/नाकाबिल है। मान लीजिए, पास में ही पांच अन्‍य जिले `ख`,`ग`,`घ`,`च`और `छ` हैं। मान लीजिए, केवल `छ` जिले में ही अच्‍छा जिला शिक्षा अधिकारी है। तो जिला `क` के नागरिकों के पास एक विकल्‍प होगा कि वे  अपने जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को हटा सकते हैं और `छ` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को डबल पोस्ट/दोहरा कार्यभार दे सकते हैं । इसी विकल्‍प और शक्‍ति/अधिकार कि “अब नागरिकगण प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी का उपयोग करके मुझे हटा सकते हैं और मेरे पद/पोस्ट पर `छ` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को ला सकते हैं”, `क`,`ख`,`ग`,`घ`और`च` जिले के  जिला शिक्षा अधिकारी के मन में एक भय पैदा करेगा। इसलिए या तो वे 2-3 महीनों में ही सुधर जाएंगे या तो नागरिकगण उन्‍हें राइट टू रिकॉल-जिला शिक्षा अधिकारी का प्रयोग करके हटा देंगे। और 8-10 महीनों में ही सभी 700 जिला शिक्षा अधिकारी या तो सुधर जाएंगे या बदल/निकाल दिए जाएंगे।

और 10-20 महीनों के अंदर ,“जल्‍दी अमीर बन जाओ” और “जनता भांड़ में जाए” की मानसिकता वाले अधिकारीगण प्रशासन से जाना/ हटना शुरू कर देंगे और फिर प्रशासनिक पदों पर नहीं आना चाहेंगे। इसलिए वास्‍तव में सेवा करने की इच्‍छा वाले लोगों को आने ज्‍यादा मौका मिलेगा और कम भ्रष्‍टाचारी लोग बाधा डाल सकेंगे |

श्रेणी: प्रजा अधीन