सूची
- (30.1) शिक्षा में सुधार करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव, मांग और वायदे
- (30.2) प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी
- (30.3) प्रजा अधीन (राईट टू रिकाल) – जिला शिक्षा अधिकारी (कानून) लागू करने से शिक्षा में सुधार आएगा। कैसे?
- (30.4) बुरी शिक्षा देने वाले स्टॉफ को हटाने का तरीका / प्रक्रिया लागू करना
- (30.5) गणित की शिक्षा के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम)
- (30.6) अन्य विषयों के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम)
- (30.7) कानून की शिक्षा देना
- (30.8) हथियार चलाने / प्रयोग करने की शिक्षा देना
- (30.9) अंग्रेजी की शिक्षा देना
सूची
- (30.1) शिक्षा में सुधार करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव, मांग और वायदे
- (30.2) प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी
- (30.3) प्रजा अधीन (राईट टू रिकाल) – जिला शिक्षा अधिकारी (कानून) लागू करने से शिक्षा में सुधार आएगा। कैसे?
- (30.4) बुरी शिक्षा देने वाले स्टॉफ को हटाने का तरीका / प्रक्रिया लागू करना
- (30.5) गणित की शिक्षा के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम)
- (30.6) अन्य विषयों के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम)
- (30.7) कानून की शिक्षा देना
- (30.8) हथियार चलाने / प्रयोग करने की शिक्षा देना
- (30.9) अंग्रेजी की शिक्षा देना
गणित, कानून आदि की शिक्षा में सुधार करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
(30.1) शिक्षा में सुधार करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव, मांग और वायदे |
शिक्षा में मुख्य प्रस्तावित कानून और बदलाव निम्नलिखित हैं जिनका मैं `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के सदस्य के रूप में प्रस्ताव करता हूँ :-
- प्रस्तावित ‘जनता की आवाज़ – पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके, प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी, प्रजा अधीन-राज्य शिक्षा मंत्री, प्रजा अधीन – केन्द्रीय शिक्षा मंत्री और प्रजा अधीन–विश्वविद्यालय कुलपति (कानूनों) को लागू किया जाए।
- गणित और अन्य महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए प्रस्तावित ‘जनता की आवाज़ – पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके सात्य प्रणाली(सिस्टम) लागू की जाए।
- छटवी कक्षा और उससे उपर की कक्षाओं में कानून की शिक्षा दी जाए।
- सर्वजन/सभी को हथियारों के प्रयोग की शिक्षा दी जाए।
- `रूपये की सहायता`/सब्सीडी कॉलेजों को देने के बदले छात्रों को सीधे ही दी जाए।
- सभी विषयों के लिए दो भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराकर (छात्रों को) दी जाएं।
- यदि छात्र चाहें, तो उन्हें वैकल्पिक (विषयों की) परीक्षाएं अंग्रेजी में देने की अनुमति दी जाए।
(30.2) प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी |
मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर कर देने के बाद जो पूरा क़ानून-ड्राफ्ट / प्रारूप लागू किया जाएगा वह इस प्रकार है :-
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निम्नलिखित के लिए प्रक्रियाएं |
प्रक्रियाएं/अनुदेश |
1. |
– |
`माता/पिता` शब्द का अर्थ होगा – 0 से 18 आयुवर्ग के बच्चे के लिए (उसका) पिता अथवा (उसकी) माता, जो उस जिले का दर्ज मतदाता भी हो।
जिला कलेक्टर शब्द का अर्थ होगा – इस सरकारी आदेश का पालन करने के लिए जिला कलेक्टर अथवा उसके द्वारा `रखा गया/`नियुक्त कोई अधिकारी। `जिला शिक्षा अधिकारी` का मतलब उस पूरे जिला की शिक्षा सम्बन्धी निर्णय करने वाला और शिक्षा सम्बन्धी अच्छी व्यवस्था बनवाये रखने वाला | |
2. |
कलेक्टर/समाहर्ता |
यदि भारत का कोई नागरिक जिला शिक्षा अधिकारी बनना चाहता है और वह जिला कलेक्टर के पास स्वयं उपस्थित होकर या किसी वकील के माध्यम से ऐफिडेविट/शपथपत्र/हलफनामा प्रस्तुत करता है तो जिला कलक्टर, सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर दाखिल शुल्क लेकर `जिला शिक्षा अधिकारी` के पद के लिए उसका आवेदन-पत्र स्वीकार कर लेगा। |
3. |
पटवारी/तलाटी/ लेखपाल, (अथवा उसका क्लर्क) |
यदि कोई व्यक्ति ,पटवारी के कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर 3 रूपए का शुल्क जमा करवाकर अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को जिला शिक्षा अधिकारी के पद के लिए पसंद/अनुमोदित करता है तो तलाटी उसके अनुमोदनों को कम्प्यूटर में दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद देगा जिसमें उसकी मतदान पहचान-पत्र (संख्या), तारीख/दिन और उसके द्वारा अनुमोदित किए गए व्यक्तियों (के नाम) होंगे। |
4. |
पटवारी/तलाटी |
पटवारी माता/पिता के अनुमोदन को, पसंद/अनुमोदित व्यक्ति के मतदाता पहचान-पत्र और नाम के साथ जिले की वेबसाईट पर डालेगा। |
5. |
पटवारी/तलाटी |
यदि कोई व्यक्ति अपना अनुमोदन/पसंद रद्द करवाने के लिए आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई शुल्क लिए रद्द कर देगा। |
6. |
कलेक्टर |
प्रत्येक महीने की 5 तारीख को, कलेक्टर या उसके द्वारा रखा गया/नियुक्त किया गया अधिकारी पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्रत्येक उम्मीदवार को मिले/प्राप्त पसंद/अनुमोदनों की गिनती बताएगा/प्रकाशित करेगा। |
7. |
मुख्यमंत्री |
यदि कोई उम्मीदवार किसी जिले में सभी माता-पिता (सभी, न कि केवल उनका जिन्होंने अपना अनुमोदन दर्ज करवाया है) के 51 प्रतिशत से अधिक माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त कर लेता है, तो मुख्यमंत्री उसे `जिला शिक्षा अधिकारी` की नौकरी दे सकता है। |
8. |
मुख्यमंत्री, जिला शिक्षा अधिकारी |
कोई भी व्यक्ति माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त करके जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है, वह एक से अधिक जिले का भी जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है। वह किसी राज्य में अधिक से अधिक 5 जिलों का और भारत भर में अधिक से अधिक 20 जिलों का जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में किसी जिले का जिला शिक्षा अधिकारी 8 वर्षों से अधिक समय के लिए नहीं रह सकता है। यदि वह एक से अधिक जिले का जिला शिक्षा अधिकारी है तो उसे उन सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी के पद का वेतन, भत्ता (महंगाई के लिए ज्यादा पैसा), बोनस आदि मिलेगा। |
9. |
मुख्यमंत्री |
जब तक किसी जिला शिक्षा अधिकारी को 34 प्रतिशत से अधिक माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त है तब तक मुख्यमंत्री को उसे बदलने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि किसी जिला शिक्षा अधिकारी का अनुमोदन 34 प्रतिशत से नीचे चला जाता है तो मुख्यमंत्री उसे हटाकर/बदलकर अपनी पसंद के किसी अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी बना सकते हैं। |
10. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी वर्तमान और बाद के संशोधित कानूनों के अनुसार कक्षा 1 से कक्षा 12 वीं वाले स्कूल/विद्यालय और जिले के परीक्षा केन्द्रों का प्रशासन संभालेगा । जिला शिक्षा अधिकारी, नागरिकों और सांसदों, विधायकों और जिला पंचायत सदस्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिला पंचायत प्रमुख से पैसा/निधि प्राप्त करेगा। |
11. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी निम्नलिखित विषयों की पढ़ाई/शिक्षा का प्रशासन कार्य देखेगा :- गणित, विज्ञान, भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी, स्थानीय भाषा, सेना का इतिहास, कानून और प्रशासनिक ढ़ांचा, कानून का इतिहास और प्रशासनिक ढ़ांचा, सैन्य प्रशिक्षण/ट्रेनिंग और हथियार के प्रयोग/चलाने की शिक्षा। वह सांसदों, विधायकों आदि द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार शिक्षा देगा। |
12. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी संस्कृत और सामाजिक विज्ञान की शिक्षा जारी रखेगा। लेकिन यदि 51 प्रतिशत से अधिक जनता इस कोर्स को जारी न रखने की मांग करती है तो जिला शिक्षा अधिकारी उसे अनिवार्य पाठ्यक्रम/कोर्स से हटा सकता है। |
13. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी किसी भी नागरिक को 100 रूपए का शुल्क/फीस लेकर “रजिस्टर्ड निजी शिक्षक/प्राइवेट मास्टर” बनने की अनुमति दे सकता है। |
14. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी किसी भी माता-पिता को पटवारी/तलाटी के कार्यालय में जाकर (नए) शिक्षक/मास्टर का नाम दर्ज करने पर उन्हें अपने बच्चे के शिक्षक/ट्यूटर बदलने की अनुमति दे सकता है। |
15. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी कक्षा 1 से कक्षा 12 के छात्रों के लिए प्रत्येक माह गणित में 1-4 परीक्षा करवा सकता है। इसके अलावा, वह विज्ञान, कानून और अन्य विषयों में परीक्षाएं करवाएगा। ये परीक्षाएं कम्प्यूटरीकृत परीक्षाएं हो सकती हैं। प्रत्येक वर्ष/ प्रत्येक तिमाही के लिए उन प्रश्नों की सूची, जो परीक्षा में आ सकते है , में 10,000 से लेकर 100,000 प्रश्न होंगे और इन्हें छापा/प्रकाशित किया जाएगा। परीक्षाओं में इस सूची में से 30-100 प्रश्न हो सकते हैं। |
16. |
जिला शिक्षा अधिकारी |
जिला शिक्षा अधिकारी उपलब्ध धनराशि/निधि, छात्र और उसके मास्टर/शिक्षक द्वारा परीक्षा में किए गए प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार दे सकते हैं। मास्टर को इन भुगतानों के अलावा सरकार से कोई और वेतन नहीं मिलेगा। |
17 |
जिला कलेक्टर |
यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव/परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस ऐफिडेविट/हलफनामा को 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पन्ने का शुल्क/फीस लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा। |
18 |
तलाटी (अथवा पटवारी/लेखपाल |
यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्लॉज/खण्ड में प्रस्तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा। |
(30.3) प्रजा अधीन (राईट टू रिकाल) – जिला शिक्षा अधिकारी (कानून) लागू करने से शिक्षा में सुधार आएगा। कैसे? |
प्रजा अधीन–जिला शिक्षा अधिकारी कानून से शिक्षा/पढाई में सुधार कैसे आएगा? पहले तो, सिर्फ हटाए जाने का डर उसे भ्रष्टाचार कम करने के लिए मजबूर कर देगा । परन्तु ये ज्यादा काम नहीं करेगा। आख़िरकार हम एक ऐसा जिला शिक्षा अधिकारी चाहते हैं जिसकी भ्रष्टाचार में रूचि ही न हो न कि केवल ऐसा जिला शिक्षा अधिकारी जो केवल हटाये जाने के भय से भ्रष्टाचार कम करे । किस प्रकार प्रजा अधीन- जिला शिक्षा अधिकारी छह महीने के अंदर ही ऐसे सैकड़ों जिला शिक्षा अधिकारी दे सकता है जो भ्रष्टाचार में बिलकुल ही रूचि/दिलचस्पी नहीं रखते हों? मैं विस्तार से वर्णन करूँगा कि किस प्रकार प्रजा अधीन-जिला शिक्षा अधिकारी कानून इस कार्य को पूरा करेगा ।
यहाँ भारत में लगभग 700 जिला शिक्षा अधिकारी हैं । सभी 700 बुद्धिमान, काबिल/समर्थ, तथा (कार्य)कुशल हैं । और उनमें से, मान लीजिए, 10-15 ऐसे होंगे जो भ्रष्टाचार में रूचि नहीं रखते/भ्रष्टाचार नहीं करते। इतनी संख्या में ईमानदार लोग तो पहले से ही हमारे समाज में हैं। अब मेरे प्रजा अधीन(राइट टू रिकॉल)-जिला शिक्षा अधिकारी प्रक्रिया में एक और खण्ड है कि यदि कोई अधिकारी मुख्य मंत्री द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी रखा जाता है तो वह केवल एक ही जिले का जिला शिक्षा अधिकारी हो सकता है। लेकिन यदि नागरिकों ने उसे जिला शिक्षा अधिकारी बनाया है तो वह राज्य में 5 जिलों और पूरे भारत में 10 जिलों का भी जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है और वह इन सभी जिलों का वेतन प्राप्त करेगा।
अर्थात यदि कोई व्यक्ति 4 जिलों का जिला शिक्षा अधिकारी है और उसे नागरिकों ने नियुक्त किया है तो उसका वेतन 4 गुना होगा। यह ज्यादा सस्ता है क्योंकि वेतन ही चार गुना बढ़ेगा। चिकित्सा लाभ, अन्य लाभ और कई आजीवन लाभ 4 गुना नहीं बढ़ेंगे। बाद का एक सुधार/संशोधन “समतल(एक ही पद के स्तर पर ) पदोन्नति “ तथा “समतल विस्तार “ के इस विशेषता को और अधिक बढ़ा देगा — वेतन (N*log2N) गुना हो जायेगा जहाँ N जिलों की संख्या है जो नागरिकों के समर्थन/अनुमोदन से उसे मिले हैं । इसके अलावा, एक ही व्यक्ति अलग अलग विभागों के कई पद प्राप्त कर सकता है । जैसे वो 10 जिलों के शिक्षा अधिकारी के साथ साथ स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका भी कुछ सीमाओं/प्रतिबंधों के साथ निभा सकता है। साथ ही साथ, उसके लिए सीधी तरक्की(पद का स्तर बढ जाता है) का अवसर भी उपलब्ध होगा । जैसे यदि कोई व्यक्ति कई जिलों के अभियोजक/दण्डाधिकारी/सरकारी वकील की तरह कार्य कर रहा है तो उसके एक या एक से अधिक राज्यों के दंडाधिकारी बनने की संभावना बढ़ जायेगी ।
इसलिए वर्तमान 700 जिला शिक्षा अधिकारियों में से, मान लीजिए, 5-15 भ्रष्ट नहीं हैं । यदि एक बार प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) लागू हो जाता है तो उन्हें सीधी तरक्की और समतल(एक ही स्तर पर) पदोन्नति का अवसर मिल जायेगा। वे अपने जिले के स्कूलों में अच्छे बदलाव/सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएँगे । वे बीच के अधिकारियों को घूस लेने से रोकेंगे । इस बात का ध्यान रखेंगे कि ठेकेदार सही वस्तुएँ जैसे ब्लैकबोर्ड , कुर्सियां आदि स्कूलों को देते हैं। वे ध्यान रखेंगे कि शिक्षक स्कूल में हाजिर रहें, आदि। और यदि वे ऐसा करेंगे तो वे मुख्यमंत्रियों को हफ्ता देना भी बन्द कर देंगे । अब मान लीजिए, इन सभी मामलों में मुख्यमंत्री लोग इन अधिकारियों का तबादला कर देते हैं । तब लगभग 7-15 ऐसे मामलों में से, कम से कम 2-3 मामलों में तो माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए प्रजा अधीन-जिला शिक्षा अधिकारी कानून का उपयोग करके उस तबादला किए गए अधिकारी को वापस ले आएंगे।
इस तरह, इससे भारत के 700 जिलों में से 2-5 जिलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार आएगा। तो शेष जिलों का क्या होगा? देखिए, मान लीजिए आप `क` जिले में रहते हैं। अब, मान लीजिए, `क` जिले का जिला शिक्षा अधिकारी भ्रष्ट और असमर्थ/नाकाबिल है। मान लीजिए, पास में ही पांच अन्य जिले `ख`,`ग`,`घ`,`च`और `छ` हैं। मान लीजिए, केवल `छ` जिले में ही अच्छा जिला शिक्षा अधिकारी है। तो जिला `क` के नागरिकों के पास एक विकल्प होगा कि वे अपने जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को हटा सकते हैं और `छ` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को डबल पोस्ट/दोहरा कार्यभार दे सकते हैं । इसी विकल्प और शक्ति/अधिकार कि “अब नागरिकगण प्रजा अधीन – जिला शिक्षा अधिकारी का उपयोग करके मुझे हटा सकते हैं और मेरे पद/पोस्ट पर `छ` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को ला सकते हैं”, `क`,`ख`,`ग`,`घ`और`च` जिले के जिला शिक्षा अधिकारी के मन में एक भय पैदा करेगा। इसलिए या तो वे 2-3 महीनों में ही सुधर जाएंगे या तो नागरिकगण उन्हें राइट टू रिकॉल-जिला शिक्षा अधिकारी का प्रयोग करके हटा देंगे। और 8-10 महीनों में ही सभी 700 जिला शिक्षा अधिकारी या तो सुधर जाएंगे या बदल/निकाल दिए जाएंगे।
और 10-20 महीनों के अंदर ,“जल्दी अमीर बन जाओ” और “जनता भांड़ में जाए” की मानसिकता वाले अधिकारीगण प्रशासन से जाना/ हटना शुरू कर देंगे और फिर प्रशासनिक पदों पर नहीं आना चाहेंगे। इसलिए वास्तव में सेवा करने की इच्छा वाले लोगों को आने ज्यादा मौका मिलेगा और कम भ्रष्टाचारी लोग बाधा डाल सकेंगे |
वर्तमान सरकारी सिस्टम / प्रक्रियाओं (तरीकों) में एक कमी यह है कि यदि कोई ईमानदार व्यक्ति दो लोगों का काम करता है तो भी उसे दो व्यक्ति के बराबर वेतन नहीं मिलेगा, जबकि व्यापार में ऐसा होना आम है । ये बातें ईमानदार लोगों को सरकारी नौकरी में आने से रोकती / हतोत्साहित करती हैं। पर मेरे द्वारा प्रस्तावित प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) सिस्टम/प्रक्रियाएं में, अधिकारीयों को एक से अधिक पद मिल सकता है तथा उसके अनुसार बढ़ा वेतन पा सकते हैं । इससे शासन/सरकार में ईमानदार तथा नए काम के लिए पहल करने वाले (उद्यमी) लोगों का आना/प्रवेश बढ़ेगा ।
मैंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रस्ताव केवल जिला शिक्षा अधिकारी के लिए ही नहीं, बल्कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला पुलिस प्रमुख, जिला आपूर्ति/सप्लाई अधिकारी (राशन का प्रभारी अधिकारी) इत्यादि के लिए भी किया है । मैंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रस्ताव जिला स्तर के करीब 30-50 पदों, जिनमें निचली अदालत के जज(जिला न्यायाधीश) भी शामिल हैं, के लिए किया है ।
इस प्रकार, सभी 700 जिलों के लगभग 30,000 अधिकारियों तथा जजों के लिए प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रयोग किया जायेगा। जिस दिन प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून लागू होगा, उसी दिन 24 घंटों के भीतर करीब 15,000 अधिकारी सुधर जायेंगे। और जब पहले ही महीने में किसी जिले में मात्र 2-5 अधिकारी भी हटा दिए जायेंगे तो बचे हुए 15,000 अधिकारी भी अपने आप ही सुधर जायेंगे। दूसरे शब्दों में, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का प्रयोग करके नागरिकों को 30,000 अधिकारियों में से 50 अधिकारियों को भी हटाने की जरुरत नहीं पड़ेगी । 2-3 अधिकारियों का हटाया/निकाला जाना ही बाकी बचे अधिकारियों के लिए पर्याप्त/काफी चेतावनी होगा। इस प्रकार, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कोई अस्थिरता पैदा बिलकुल ही नहीं करेगा ।
इसी प्रकार, मैंने राज्य सरकार स्तर के पदों तथा केन्द्र सरकार के पदों जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश/हाईकोर्ट जज, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश/सुप्रीम कोर्ट जज इत्यादि के लिए भी प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रस्तावित किया है। कुछ मामलों में,यदि वे सुधर जाते हैं और जनता की हित के लिए काम करते हैं , वे पद पर बने रह सकते हैं जबकि कुछ मामलों में उन्हें हटा दिया जाएगा और उनके स्तर के या उनसे कम स्तर के बेहतर लोगों को उनके स्थान पर अवसर दिया जायेगा ।
(30.4) बुरी शिक्षा देने वाले स्टॉफ को हटाने का तरीका / प्रक्रिया लागू करना |
1. जिला शिक्षा अधिकारी शुरू में नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में प्रिंसिपल/प्रधानाचार्यों रखेंगे/नियुक्त करेंगे| शिक्षकों का चयन 3 वर्ष के लिए कांट्रेक्ट पर, `खुला मुकाबले वाली परीक्षाओं` के माध्यम से होगा। तबादला/स्थानांतरण प्रत्येक वर्ष होगा। तबादला क्रमरहित-मिलान विधि से किया जाएगा।(जितने पद हैं और जितने लोगों का तबदला होना है, उनका मिलान क्रमरहित तरीके से किया जायेगा)
2. किसी विद्यालय शिक्षक के पक्ष/विपक्ष में जूरी प्रक्रिया : यदि किसी स्कूल शिक्षक के विरूद्ध कोई शिकायत आती है और पहली नजर में संदेह पक्का हो जाता है तो 10 नागरिकों की एक जूरी बुलाई जाएगी। यदि 7 से ज्यादा जूरी-सदस्य यह निर्णय करते हैं कि वह शिक्षक छात्रों को सेवाएं देने के असमर्थ है तो उस शिक्षक का तबादला/स्थानान्तातन किसी अन्य स्कूल में कर दिया जाएगा। ऐसे तीन तबादला के बाद उसे हटा दिया जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी के हटाने/बदलने की प्रक्रिया/तरीका से ही शिक्षा में बहुत सुधार आ जाएगा और शिक्षकों को हटाने/बदलने की प्रक्रिया/तरीका से भी सुधार होगा।
(30.5) गणित की शिक्षा के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम) |
प्रश्न, परीक्षाएं और पुरस्कार
- इस प्रणाली(सिस्टम) में 12 वीं कक्षा तक की प्रत्येक कक्षा के लिए गणित के हजारों प्रश्नों/सवालों की एक सूची होगी। ये प्रश्न बहुविकल्प वाले प्रश्न होंगे(सवाल के लिए कई उत्तर दिए जाएँगे जिसमें से एक सही चुनना होगा) । इसकी एक सूची तैयार की जाएगी और यह जनता को मिल सकेगी/उपलब्ध होगी।
- साधनों/संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर, जिला शिक्षा अधिकारी प्रत्येक छात्र के लिए प्रति माह 1-4 परीक्षा तय करेगा।
- प्रत्येक परीक्षा में उस `पढाई के साल के चार महीने के भाग` के लिए सूची में से क्रमरहित तरीके से चुने गए 30-120 प्रश्न होंगे। समयावधि/समय सीमा प्रति प्रश्न 1-3 मिनट होगी। प्रत्येक परीक्षा में 500-1000 से ज्यादा छात्र भाग लेंगे।
- परीक्षा में नतीजा/प्रदर्शन के आधार पर छात्रों/शिक्षकों के लिए मासिक नकद पुरस्कार होंगे। यह नकद पुरस्कार ही वह एकमात्र धनराशि होगी जो गणित के शिक्षकों को राज्य की तरफ से दी जाएगी। गणित के शिक्षकों के लिए कोई वेतन नहीं होगा।
- पुरूस्कार इस प्रकार होंगे : जैसे, प्रत्येक वैसे छात्र और उसके शिक्षक के लिए 10 रूपए का पुरस्कार होगा, जो (औसतन से 10 प्रतिशत कम अंक) पाते हैं और (औसतन से 10 प्रतिशत ज्यादा) अंक प्राप्त करने वाले छात्रों और शिक्षकों में से प्रत्येक के लिए 20 रूपए का पुरस्कार होगा। प्रत्येक माता-पिता को छात्र द्वारा प्राप्त (की गई पुरस्कार राशि) के अतिरिक्त 25 प्रतिशत मिलेगा। इसके अलावा, कक्षा 5 से ऊपर की कक्षा के छात्रों के लिए छात्रों को मिलने वाली राशि का अतिरिक्त 25 प्रतिशत, पिछले 2 वर्ष के दौरान उसे पढ़ाने वाले शिक्षक को मिलेगा। ईनाम की पूरी राशि उस वर्ष जिला शिक्षा अधिकारी को बांटे गए पैसे पर निर्भर करेगा।
परीक्षा का संचालन / परीक्षा करवाना
6. जांच केन्द्र `जिला शिक्षा अधिकारी` द्वारा चलाये जाएंगे।
7. जिला शिक्षा अधिकारी प्रस्तावित किए गए टैक्स/कर का उपयोग करके जांच केन्द्रों के लिए भवन, मेज/डेस्क, कम्प्यूटर का सामान, सर्वर(कंप्यूटर जो प्रश्न चुनता और बांटता है), रपट(रिपोर्ट) छापना, पुरस्कार के आवंटन आदि की व्यवस्था करेगा।
8. जिला शिक्षा अधिकारी अथवा उसका क्लर्क, क्रमरहित तरीके का प्रयोग करके किसी छात्र को उसके स्कूल/घर के निकट के जांच केन्द्र पर जाने का निर्देश दे सकता है। प्रत्येक महीने के लिए जांच केन्द्र अलग-अलग हो सकते हैं। प्रत्येक छात्र को जांच/परीक्षा देने के लिए एक अलग डेस्क मिलेगा। इससे नकल (किए जाने) की संभावना कम होगी।
9. सुपेर्विसर/निरीक्षक के कहे अनुसार सर्वर कम्प्यूटर जनता के लिए उपलब्ध हजारों प्रश्नों की सूची में से 60 प्रश्नों का चयन क्रमरहित तरीके से करेगा।
10. प्रत्येक छात्र को वही 30-60 प्रश्न अलग-अलग क्रमरहित क्रम में दिया जाएगा। इस प्रकार एक दूसरे के अगल-बगल/बराबर में बैठे सभी छात्रों को प्रश्न अलग-अलग क्रम में मिलेगा। सर्वर किसी प्रश्न का उत्तर एक बार दे देने के बाद उसे बदलने की अनुमति नहीं देगा। सर्वर प्रत्येक प्रश्न पर अधिक से अधिक 5 मिनट समय की अनुमति देगा। इससे परीक्षा में नकल बिलकुल नहीं हो सकेगा।
11. जिला शिक्षा अधिकारी किसी महीने की सभी परीक्षाओं/जांचों के लिए पुरस्कार अगले महीने की 10 तारीख से पहले दे देगा।
12. जांच की लागत, जमीन की लागत की गणना को छोड़कर, प्रत्येक जांच के लिए 5 रूपए से कम होगी।(2010 के कीमतों को आधार लेकर लागत को महंगाई के अनुसार सही किया जायेगा )
गणित की परीक्षाओं के लिए पुरस्कार बांटना / देना
13. यदि 95 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने किसी प्रश्न का (सही) उत्तर दिया है अथवा यदि 5 प्रतिशत से कम छात्रों ने किसी प्रश्न को हल किया हो तो जिला शिक्षा अधिकारी उस प्रश्न को गिनती में बिलकुल शामिल नहीं करेगा।
14. जिला शिक्षा अधिकारी किसी दी गई कक्षा के लिए प्रत्येक विषय हेतु आयोजित की जाने वाली जांच/परीक्षा की संख्या (खुद) तय करेगा। उदाहरण के लिए, मान लीजिए, जिला शिक्षा अधिकारी यह निर्णय लेता है कि प्रत्येक माह गणित के 2, भौतिकीशास्त्र का 1, रसायनशास्त्र का 1, जीव विज्ञान का 1, विधि/कानून के 2 परीक्षा/टेस्ट आदि होंगे।
15. सॉफ्टवेयर परीक्षा के ठीक बाद नम्बर/अंक जारी करेगा।
सात्य प्रणाली(सिस्टम) में गणित के शिक्षक का चयन
16. मेरे द्वारा वर्णित प्रणाली(सिस्टम) में कोई भी व्यक्ति स्वयं को गणित के शिक्षक के रूप में दर्ज करवा सकता है।
17. कोई छात्र गणित के किस शिक्षक की कक्षा में (पढ़ने) जाएगा, इसका निर्णय उस बच्चे के माता-पिता करेंगे। माता-पिता किसी भी महीने शिक्षक बदल सकते हैं।
(30.6) अन्य विषयों के लिए सात्य प्रणाली (सिस्टम) |
मेरे द्वारा बताई गयी प्रणाली(सिस्टम) कई विषयों के लिए प्रयोग में लाई जा सकती है जैसे :-
- विज्ञान (भौतिकीशास्त्र, रसायनशास्त्र, जीव विज्ञान आदि)
- अंग्रेजी शब्द-ज्ञान, व्याकरण, वाक्य विन्यास, अंग्रेजी से दूसरी/अन्य भाषाओं और दूसरी/अन्य भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद करना (अंग्रेजी साहित्य नहीं)
- हिन्दी (शब्द-ज्ञान, व्याकरण, वाक्य निर्माण, वाक्यों का अनुवाद करना, साहित्य नहीं)
- अन्य भाषाएं (शब्द-ज्ञान, व्याकरण, वाक्य निर्माण, वाक्यों का अनुवाद करना, साहित्य नहीं)
- सेना का इतिहास, तकनिकी का इतिहास, कानूनों और प्रशासनिक व्यवस्था का इतिहास
- भूगोल, नक्शा बनाना, और स्थानीय/जिला स्तरों पर व्यावहारिक सर्वेक्षण(नक्शा बनने के लिए जानकारी इकठ्ठा करना) करना
(30.7) कानून की शिक्षा देना |
- लगभग 15-20 छात्रों को किसी अदालत के कमरे में कुछ मुकद्दमों के पूरे सत्र के दौरान (उपस्थित) रहने के लिए कहा जाएगा ।
- एक बार जब मुकद्दमा पूरा/समाप्त हो जाता है तो उन्हें निम्नलिखित मुद्दों को शामिल करते हुए चर्चा करने और अपनी राय/मत लिखने के लिए कहा जाएगा (विश्लेषण) :-
- क्या सजा देना (या रिहा करना) जायज/उचित था? क्या सजा का स्वरूप (कैद, जुर्माना आदि) उचित/जायज था?
- इस मुकद्दमें में कौन से कानून पूरी/सटीक रूप से लागू हो रहे थे? क्या ये कानून न्यायपूर्ण हैं?
- सबूत क्या थे? क्या ये सबूत जायज/उचित थे? आदि, आदि।
3. निम्नलिखित के बारे में चर्चा करें और लिखें –
- यदि कानून अनुचित थे तो कौन से कानून लगाए जाने चाहिए थे?
- क्या कानून का पाठ इतना सरल है कि उसे समझा जा सके? क्या आप इससे भी आसान पाठ दे सकते हैं?
- आपकी राय में क्या दण्ड दिया जाना चाहिए था?
- क्या वो अपराध को रोकने के लिए कुछ किया जा सका?
- क्या कुछ ऐसा है जिससे सुनवाई (की प्रक्रिया) और तेज/और आसान बनाई जा सके? आदि, आदि।
4. प्रत्येक मुकद्दमे में नए मुद्दे होंगे। योजना का बहुत बड़ा हिस्सा शिक्षकों/छात्रों पर छोड़ा जाएगा। किसी शिक्षक द्वारा प्रति सप्ताह 1-2 घंटे छात्रों की निगरानी की जाएगी। यह और अधिक रूचि वाला होगा यदि स्कूल इस मुकद्दमे के क्षेत्र/विषय के रिटाइर्ड /सेवानिवृत्त जज अथवा एक सेवानिवृत्त/`काम कर रहे` वकील अथवा किसी तकनीकी विशेषज्ञ को कभी-कभार चर्चा में भाग लेने के लिए बुला सके।
5. छात्रों को मुकद्दमे सहायक कोर्ट के साथ-साथ उच्चतर न्यायालयों/कोर्ट में भी नोट करने के लिए कहा जाएगा।
6. मुकद्दमें का चयन क्रमरहित तरीके से किया जाएगा।
7. इन पाठों में वास्तविक चीजों/मुद्दों (भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, अत्याचार आदि), जो प्रशासन और न्यायालयों में होता ही है, पर भी सूचनाएं होंगी।
(30.8) हथियार चलाने / प्रयोग करने की शिक्षा देना |
मैं `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के सदस्य के रूप में प्रस्ताव करता हूँ कि सैन्य प्रशिक्षण सभी बड़ों/वयस्कों और 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को दिया जाना चाहिए।
(30.9) अंग्रेजी की शिक्षा देना |
`राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` 5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष की उम्र के सभी नागरिकों को अंग्रेजी की शिक्षा दिए जाने का प्रस्ताव करता है। कक्षा 1 से लेकर कॉलेज तक के सभी पाठ्यपुस्तकों को द्विभाषी बनाया जाएगा अर्थात सम पृष्ठसंख्याओं वाले पृष्ठों पर स्थानीय भाषाओँ का अंग्रेजी अनुवाद विषम पृष्ठ संख्याओं वाले पृष्ठों पर छपा होगा। यह गणित, विज्ञान, कानून आदि सभी विषयों पर लागू होगा। छात्रों को इन विषयों की परीक्षा स्थानीय भाषाओं में देने की स्वतंत्रता/छूट होगी और साथ ही, वे इन विषयों की द्वितीय वैकल्पिक परीक्षा अंग्रेजी भाषा में लिख सकेंगे। द्वितीय परीक्षाओं के परिणाम/अंक का कोई महत्व नहीं होगा।