मान लीजिए कोई भ्रष्टाचार को 10 लोगों का समर्थन चाहिए — दो मंत्री, 4 भारतीय प्रशासनिक सेवा(आई.ऐ.एस) के लोग, 4 जज | फिर , हर एक चिंतित होगा कि यदि कल को , उनमें से कोई की नार्को जांच होती है, उसका नाम भी सामने आ जायेगा | अधिकतर बड़े सौदों में कई अधिकारीयों, मंत्रियों, जजों की आवश्यकता होती है और ये सौदों में कमी आएगी, दूसरे व्यक्ति/सहयोगी के नार्को जांच के भय से |
नार्को जांच का प्रस्ताव `जनता की आवाज़-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) और प्रजा अधीन रजा/राईट टू रिकाल(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) आने के बाद आयेगा क्योंकि इन प्रक्रियाओं के बिना , नारको जांच का कोई फायदा नहीं है क्योंकि तब ये केवल ऊपर के लोगों को ही मदद करेगा |
(27.6) उच्च / शीर्ष पदों पर भर्ती में भाई-भतीजावाद, पक्षपात, सांठ-गाँठ/मिली-भगत व भ्रष्टाचार कम करना |
आज की स्थिति यह है कि जिला पुलिस प्रमुख, जिला शिक्षा अधिकारी, भारतीय रिजर्व बैंक प्रमुख जैसे पद भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार, सांठ-गाँठ/मिली-भगत और पक्षपात से भरे जाते हैं। जिन अधिकारियों के सांठ-गाँठ/मिली-भगत सबसे ज्यादा होते हैं, वे ही इन पदों पर आते हैं। और इन पदों पर आने के बाद वे सिर्फ इन सांठ-गाँठ/मिली-भगत से उन्हें मदद पहुंचाने वालों के लिए ही काम करते हैं। बदलने/हटाने की प्रक्रिया से भाई-भतीजावाद पर खुद ही रोक लग जाएगी क्योंकि करोड़ों नागरिक किसी व्यक्ति के रिश्तेदार नहीं हो सकते हैं। आगे और भाई-भतीजावाद पर रोक लगाने के लिए मैं ‘प्रजा अधीन राजा समूह’/‘राईट टू रिकॉल ग्रुप’ के सदस्य के रूप में निम्नलिखित पदों के लिए सीधे चुनाव का प्रस्ताव करता हूँ :-
राष्ट्रीय स्तर पर सीधे चुनावों द्वारा
- लोकसभा का सांसद (जैसा कि आज होता है), राज्यसभा का सांसद
- प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री
- राष्ट्रीय भूमि किराया अधिकारी
- गृह मंत्री
- भारतीय रिजर्व बैंक का प्रमुख
- मुख्य राष्ट्रीय दण्डाधिकारी, उप – मुख्य राष्ट्रीय दण्डाधिकारी
- उच्चतम न्यायालय(सुप्रीम-कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय(सुप्रीम-कोर्ट) के 4 सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश
कुल – लगभग 14 पद
राज्य स्तर पर सीधे चुनावों द्वारा
1. विधायक (जैसा कि आज होता है)
2. मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री
3. राज्य भूमि किराया अधिकारी
4. राज्य पुलिस प्रमुख, राज्य पुलिस बोर्ड के 4 सदस्य
5. मुख्य राज्य लोक दण्डाधिकारी, 4 सबसे वरिष्ठ राज्य दण्डाधिकारी
6. उच्च न्यायालय(हाई-कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय(हाई-कोर्ट) के 4 सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश
कुल – लगभग 19 पद
राज्य स्तर पर सीधे चुनावों द्वारा
- जिला पंचायत सदस्य (जैसा कि आज होता है)
- महापौर/मयर
- जिला शिक्षा अधिकारी
- मुख्य जिला लोक दण्डाधिकारी, 4 सबसे वरिष्ठ जिला दण्डाधिकारी
- मुख्य जिला न्यायाधीश, 4 सबसे वरिष्ठ जिला न्यायाधीश/जज
- जिला पुलिस प्रमुख, जिला पुलिस बोर्ड के 4 सदस्य
कुल – लगभग 18 पद
मैं ‘जनता की आवाज़ – पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम)’ का प्रयोग करके, सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) को लागू करवाने/करने का प्रस्ताव करता हूँ जिसका प्रयोग करके नागरिकगण उपर बताए गए पदों पर लोगों का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा, नागरिकों के पास उन्हें हटाने की प्रक्रिया भी होगी और नागरिक लगभग 150-200 पदों पर बैठे लोगों को हटा/बदल सकेंगे। (नियुक्ति) की अवधि 4 वर्ष की होगी। कुल मिलाकर, इस प्रणाली/व्यवस्था में एक वर्ष में 2 चुनाव होंगे जिनमें से एक चुनाव में लगभग 5-6 पदों पर बैठे लोगों के भाग्य का निर्णय होगा। हम केवल कागज/पेपर द्वारा मतदान का समर्थन करते हैं और इलेक्ट्रानिक माध्यम/चुनाव यंत्र से होनेवाले मतदान का विरोध करते हैं। मतदान की लागत आज जुलाई, 2008 की स्थिति के अनुसार, प्रति मतदान, प्रति मतदाता 10 रूपए है और इसे कम करके प्रति मतदान, प्रति मतदाता 5 रूपए तक लाया जा सकता है। चुनाव का अधिकांश लागत पुलिस द्वारा व्यवस्था बनाये रखने में ही खर्च होता है और प्रत्येक/हर पद को दी गई शक्तियां कम होने और न्यायालय/कोर्ट में सुधार होने के साथ-साथ इसमें(चुनाव की लागत, पुलिस द्वारा व्यस्था बनाये रखने के लिए) कमी आएगी। इतना ही नहीं, मतदाता पहचान-पत्र के साथ बार-कोड जोड़कर और दूसरे तरीके अपनाकर भी लागत को प्रति मतदाता कम करके 3 रूपए तक लाया जा सकता है। कुल मिलाकर, 4 वर्ष के कार्यकाल वाले 45 से 50 चुने गए/चयनीत अधिकारियों वाली प्रणाली/व्यवस्था में प्रत्येक 4 साल में प्रति व्यक्ति लगभग 150 रूपए की लागत आएगी अथवा प्रति व्यक्ति/अधिकारी प्रति वर्ष लगभग 40 रूपए लागत आएगी और इससे पक्षपात व भाई-भतीजावाद लगभग समाप्त ही हो जाएगा।
100,000 से (अधिक मतदाताओं वाले) बड़े चुनाव-क्षेत्र में चुनाव से भाई-भतीजावाद, पक्षपात के साथ-साथ सांठ-गाँठ/मिली-भगत खुद ही समाप्त हो जाएगा। किसी भी उम्मीदवार/व्यक्ति के 100,000 लोगों में से 1000 भी रिश्तेदार या सांठ-गाँठ/मिली-भगत नहीं हो सकते। और इसलिए, यह स्पष्ट है कि भाई-भतीजावाद का प्रभाव 1 प्रतिशत से भी कम हो जाएगा। इसके अलावा, जब कोई चुनाव क्षेत्र 10,00,000 मतदाताओं की है तो किसी भी जाति का बहुमत नहीं होगा। और यदि कोई जाती 25 % भी जितनी बड़ी है, उसमें कई उप-जातियां होती हैं |
और इसलिए, 10,00,000 मतदाताओं वाले चुनाव क्षेत्र में जातिवाद भी एक छोटी बात रह जाएगी। इसलिए नियुक्ति की वर्तमान/मौजूदा प्रक्रिया की तुलना में चुनाव/चयन ज्यादा अच्छी प्रक्रिया है।