सूची
- (19.1) “प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल समूह” का सारांश (छोटे में बात)
- (19.2) राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह का सबसे महत्वपूर्ण कदम
- (19.3) क्यों राजनीतिक दलों के सदस्यों से सम्पर्क करें?
- (19.4) कृपया कभी भी किसी पार्टी के सदस्य से उनकी पार्टियां छोड़ने को नहीं कहें ; केवल उनसे `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून-प्रारूपों / क़ानून-ड्राफ्ट को उनके अपने पार्टी के चुनावी घोषण पत्र में शामिल कर लेने के लिए कहें
अंतिम योजना : सभी दलों / पार्टियों के कार्यकर्ताओं को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) , प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के बारे में सूचित करना |
(19.1) “प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल समूह” का सारांश (छोटे में बात) |
“प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह”इस सिद्धांत पर आधारित है कि “राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए नहीं तो वह नागरिकों को लूट लेगा और राष्ट्र का विनाश कर देगा।” और `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) जैसे प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट इस “प्रजा अधीन राजा” सिद्धांत को लागू करते हैं। इन कानून-ड्राफ्टों के प्रत्येक समर्थक के सामने एक ही प्रश्न होता है : वर्तमान प्रशासन में इन कानून-ड्राफ्टों को कैसे शामिल किया जा सकेगा?
(19.2) राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह का सबसे महत्वपूर्ण कदम |
मेरे लिए राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के सदस्य के रूप में सबसे महत्वपूर्ण कदम सभी दलों के जमीनी/आधारभूत सदस्यों को प्रभावित करना है और उनसे अनुरोध करना है कि वे अपना कम से कम एक घंटे हर सप्ताह में,का समय अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं और नागरिकों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल ( भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/ड्राफ्ट, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों के बारे में जानकारी देने में लगाएं। मैं राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के सभी समर्थकों से अनुरोध करता हूँ कि वे अन्य दलों/पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों से (इस संबंध में) सम्पर्क करें। इस पाठ में विस्तार से यह बताया गया है कि क्यों और कैसे और क्या करना है और क्या कभी नहीं करना है।
(19.3) क्यों राजनीतिक दलों के सदस्यों से सम्पर्क करें? |
14 से 18 वर्ष के बीच के लगभग 1000 नौजवानों पर विचार कीजिए जो भारत में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध/समर्पित हैं। तब इनमें से कई किसी न किसी राजनैतिक दल के सदस्य बन चुके होंगे। कुछ ऐसे भी होंगे जो किसी भी पार्टी/दल के सदस्य नहीं बनते क्योंकि वे सभी दलों को भ्रष्ट मानते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर कुछ नया कर दिखाना चाहेंगे और उस दल के सदस्य बन जाएंगे जिसे वे भारत में सबसे अच्छा दल मानते हैं।
इस प्रकार राजनैतिक दल वैसे लोगों से मिलने की सबसे अच्छी जगह/मंच है जो गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए हर सप्ताह एक घंटे से ज्यादा का समय देने की इच्छा रखते हैं। किसी राजनैतिक दल के सभी लोग गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए हर सप्ताह एक घंटे का समय देने की इच्छा नहीं रखेंगे। लेकिन मान लीजिए, भारत के आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध/ऊंचे 5 करोड नागरिकों में से 2 प्रतिशत नागरिक, गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए प्रति सप्ताह एक घंटे का समय देने की इच्छा रखने वाले लोग हैं। तब किसी राजनैतिक दल/पार्टी के अन्दर ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक होगी – लगभग 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत। इस प्रकार एक कार्यकर्ता जो गरीबी कम करने के लिए समर्पित है, उसे एक ही जगह(केंद्रित) पर उसकी बात सुनने वाले लोग मिल जाएंगे।
इस तरह राजनैतिक दल समर्पित लोगों का समूह एक ही स्थान पर उपलब्ध कराते हैं। और चूंकि राजनैतिक दलों के सदस्य वैसे सबसे उपयुक्त/सही लोगों में से होते हैं जो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट को पसंद कर सकते हैं। इसलिए मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के समर्थकों से अनुरोध करूंगा कि वे राजनैतिक दलों/पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों से मिलें चाहे उन लोगों/सदस्यों ने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल ( भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का पूरी तरह से विरोध ही क्यों न किया हो।
यदि कोई ऐसे व्यक्ति, जो बीजेपी, आरएसएस, सीपीएम, बीएसपी, कांग्रेस आदि का सदस्य/समर्थक हो, से आप राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह में शामिल होने के लिए कहते हैं तो (इसका मतलब है कि) आप उससे यह भी कह रहे हैं कि वह पहले अपनी पार्टी यानि बीजेपी, आरएसएस, सीपीएम, बीएसपी, कांग्रेस आदि को छोड़कर उससे अलग हो जाए। क्योंकि कोई व्यक्ति दो दलों का सदस्य नहीं हो सकता और चुनाव के समय दो पार्टियों/दलों के लिए काम नहीं कर सकता। पार्टी छोड़ना या उससे टूटकर अलग होना एक बहुत ही कष्टदायक विकल्प होता है। राजनैतिक समूह से लगाव देखने में कम गहरा महसूस होता है लेकिन ऐसा होता नहीं है। एक ऐसे व्यक्ति का, जो राष्ट्र अथवा समुदाय के प्रति समर्पित हो, राजनैतिक दल से बहुत ही गहरा भावनात्मक लगाव होता है। ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो केवल पैसे के लिए किसी राजनैतिक दल से जुड़ते हैं और वे कभी भी किसी भी प्रकार से प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का समर्थन नहीं करेंगे और ऐसे लोगों पर राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह ध्यान भी नहीं देता |
लेकिन ऐसे कई लोग होते हैं जो किसी राजनैतिक दल से इसलिए जुड़ते हैं कि उनका पक्का भरोसा होता है कि उनकी पार्टी सबसे अच्छी है अथवा वह पार्टी ही भारत अथवा उनके समुदाय का भला कर सकती है। अधिकांश लोगों ने यह महसूस किया होगा कि उनकी पार्टी के नेतागण केवल घूसखोरों की जमात हैं और वे राष्ट्र अथवा उनके समुदाय का भला नहीं कर सकते। लेकिन जैसे किसी पत्नी के लिए पति को छोड़ना तब भी कठिन होता है जब उसका पति पत्नी को बहुत पीटने वाला होता है, ठीक उसी प्रकार वर्तमान राजनैतिक पार्टी से टूटकर अलग होने का निर्णय किसी समर्पित व्यक्ति के लिए बहुत कठिन और दुखदायी होता है। और किसी पार्टी से टूटकर अलग होना केवल उस पार्टी के नेताओं से अलग होना ही नहीं होता है, बल्कि यह बहुत से सहकर्मियों से अलग होना भी होता है, जिनमें से कई राष्ट्र के प्रति समर्पित होते हैं। समर्पित लोगों के लिए पार्टी परिवार की ही तरह महत्वपूर्ण हो जाती है। उनसे उनकी पार्टी छोड़ने के लिए कहना न केवल रूखाई भरा होता है बल्कि यह भावनाओं/दिल को बहुत ज्यादा दुखाने वाला होता है और ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए।