सूची
- (19.1) “प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल समूह” का सारांश (छोटे में बात)
- (19.2) राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह का सबसे महत्वपूर्ण कदम
- (19.3) क्यों राजनीतिक दलों के सदस्यों से सम्पर्क करें?
- (19.4) कृपया कभी भी किसी पार्टी के सदस्य से उनकी पार्टियां छोड़ने को नहीं कहें ; केवल उनसे `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून-प्रारूपों / क़ानून-ड्राफ्ट को उनके अपने पार्टी के चुनावी घोषण पत्र में शामिल कर लेने के लिए कहें
- (19.5) किसी दल के सदस्यों से मिलने पर बातचीत / चर्चा के लिए सुझाए गए बिन्दु
- (19.6) रिश्वत लेने के लिए हजार अप्रत्यक्ष तरीके जिसमें भ्रष्ट सरकारी अधिकारी पैसे को छूता भी नहीं है और रिश्वत वाइट(कानूनी तरीके से) में लेता है |
- (19.7) नयी प्रवृत्ति / झुकाव मंत्रियों से अधिकार छीनने का और “नियामक” जैसे जनलोकपाल आदि को देने का
- (19.8) “अनैच्छिक / बिना इच्छा के ” , “अनदेखे” , “अज्ञात / अनजाना” परिणाम के तर्क
- (19.9) कैसे केवल 2 लाख कार्यकर्ता महीने के कम से कम 10 घंटे और 500 रुपये खर्च करके भ्रष्टाचार , गरीबी को एक साल में कम कर सकते हैं
सूची
- (19.1) “प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल समूह” का सारांश (छोटे में बात)
- (19.2) राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह का सबसे महत्वपूर्ण कदम
- (19.3) क्यों राजनीतिक दलों के सदस्यों से सम्पर्क करें?
- (19.4) कृपया कभी भी किसी पार्टी के सदस्य से उनकी पार्टियां छोड़ने को नहीं कहें ; केवल उनसे `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून-प्रारूपों / क़ानून-ड्राफ्ट को उनके अपने पार्टी के चुनावी घोषण पत्र में शामिल कर लेने के लिए कहें
- (19.5) किसी दल के सदस्यों से मिलने पर बातचीत / चर्चा के लिए सुझाए गए बिन्दु
- (19.6) रिश्वत लेने के लिए हजार अप्रत्यक्ष तरीके जिसमें भ्रष्ट सरकारी अधिकारी पैसे को छूता भी नहीं है और रिश्वत वाइट(कानूनी तरीके से) में लेता है |
- (19.7) नयी प्रवृत्ति / झुकाव मंत्रियों से अधिकार छीनने का और “नियामक” जैसे जनलोकपाल आदि को देने का
- (19.8) “अनैच्छिक / बिना इच्छा के ” , “अनदेखे” , “अज्ञात / अनजाना” परिणाम के तर्क
- (19.9) कैसे केवल 2 लाख कार्यकर्ता महीने के कम से कम 10 घंटे और 500 रुपये खर्च करके भ्रष्टाचार , गरीबी को एक साल में कम कर सकते हैं
अंतिम योजना : सभी दलों / पार्टियों के कार्यकर्ताओं को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) , प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के बारे में सूचित करना |
(19.1) “प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल समूह” का सारांश (छोटे में बात) |
“प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह”इस सिद्धांत पर आधारित है कि “राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए नहीं तो वह नागरिकों को लूट लेगा और राष्ट्र का विनाश कर देगा।” और `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) जैसे प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट इस “प्रजा अधीन राजा” सिद्धांत को लागू करते हैं। इन कानून-ड्राफ्टों के प्रत्येक समर्थक के सामने एक ही प्रश्न होता है : वर्तमान प्रशासन में इन कानून-ड्राफ्टों को कैसे शामिल किया जा सकेगा?
(19.2) राइट टू रिकॉल ग्रुप / प्रजा अधीन राजा समूह का सबसे महत्वपूर्ण कदम |
मेरे लिए राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के सदस्य के रूप में सबसे महत्वपूर्ण कदम सभी दलों के जमीनी/आधारभूत सदस्यों को प्रभावित करना है और उनसे अनुरोध करना है कि वे अपना कम से कम एक घंटे हर सप्ताह में,का समय अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं और नागरिकों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल ( भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/ड्राफ्ट, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों के बारे में जानकारी देने में लगाएं। मैं राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के सभी समर्थकों से अनुरोध करता हूँ कि वे अन्य दलों/पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों से (इस संबंध में) सम्पर्क करें। इस पाठ में विस्तार से यह बताया गया है कि क्यों और कैसे और क्या करना है और क्या कभी नहीं करना है।
(19.3) क्यों राजनीतिक दलों के सदस्यों से सम्पर्क करें? |
14 से 18 वर्ष के बीच के लगभग 1000 नौजवानों पर विचार कीजिए जो भारत में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध/समर्पित हैं। तब इनमें से कई किसी न किसी राजनैतिक दल के सदस्य बन चुके होंगे। कुछ ऐसे भी होंगे जो किसी भी पार्टी/दल के सदस्य नहीं बनते क्योंकि वे सभी दलों को भ्रष्ट मानते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर कुछ नया कर दिखाना चाहेंगे और उस दल के सदस्य बन जाएंगे जिसे वे भारत में सबसे अच्छा दल मानते हैं।
इस प्रकार राजनैतिक दल वैसे लोगों से मिलने की सबसे अच्छी जगह/मंच है जो गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए हर सप्ताह एक घंटे से ज्यादा का समय देने की इच्छा रखते हैं। किसी राजनैतिक दल के सभी लोग गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए हर सप्ताह एक घंटे का समय देने की इच्छा नहीं रखेंगे। लेकिन मान लीजिए, भारत के आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध/ऊंचे 5 करोड नागरिकों में से 2 प्रतिशत नागरिक, गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए प्रति सप्ताह एक घंटे का समय देने की इच्छा रखने वाले लोग हैं। तब किसी राजनैतिक दल/पार्टी के अन्दर ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक होगी – लगभग 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत। इस प्रकार एक कार्यकर्ता जो गरीबी कम करने के लिए समर्पित है, उसे एक ही जगह(केंद्रित) पर उसकी बात सुनने वाले लोग मिल जाएंगे।
इस तरह राजनैतिक दल समर्पित लोगों का समूह एक ही स्थान पर उपलब्ध कराते हैं। और चूंकि राजनैतिक दलों के सदस्य वैसे सबसे उपयुक्त/सही लोगों में से होते हैं जो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट को पसंद कर सकते हैं। इसलिए मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के समर्थकों से अनुरोध करूंगा कि वे राजनैतिक दलों/पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों से मिलें चाहे उन लोगों/सदस्यों ने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल ( भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का पूरी तरह से विरोध ही क्यों न किया हो।
यदि कोई ऐसे व्यक्ति, जो बीजेपी, आरएसएस, सीपीएम, बीएसपी, कांग्रेस आदि का सदस्य/समर्थक हो, से आप राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह में शामिल होने के लिए कहते हैं तो (इसका मतलब है कि) आप उससे यह भी कह रहे हैं कि वह पहले अपनी पार्टी यानि बीजेपी, आरएसएस, सीपीएम, बीएसपी, कांग्रेस आदि को छोड़कर उससे अलग हो जाए। क्योंकि कोई व्यक्ति दो दलों का सदस्य नहीं हो सकता और चुनाव के समय दो पार्टियों/दलों के लिए काम नहीं कर सकता। पार्टी छोड़ना या उससे टूटकर अलग होना एक बहुत ही कष्टदायक विकल्प होता है। राजनैतिक समूह से लगाव देखने में कम गहरा महसूस होता है लेकिन ऐसा होता नहीं है। एक ऐसे व्यक्ति का, जो राष्ट्र अथवा समुदाय के प्रति समर्पित हो, राजनैतिक दल से बहुत ही गहरा भावनात्मक लगाव होता है। ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो केवल पैसे के लिए किसी राजनैतिक दल से जुड़ते हैं और वे कभी भी किसी भी प्रकार से प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का समर्थन नहीं करेंगे और ऐसे लोगों पर राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह ध्यान भी नहीं देता |
लेकिन ऐसे कई लोग होते हैं जो किसी राजनैतिक दल से इसलिए जुड़ते हैं कि उनका पक्का भरोसा होता है कि उनकी पार्टी सबसे अच्छी है अथवा वह पार्टी ही भारत अथवा उनके समुदाय का भला कर सकती है। अधिकांश लोगों ने यह महसूस किया होगा कि उनकी पार्टी के नेतागण केवल घूसखोरों की जमात हैं और वे राष्ट्र अथवा उनके समुदाय का भला नहीं कर सकते। लेकिन जैसे किसी पत्नी के लिए पति को छोड़ना तब भी कठिन होता है जब उसका पति पत्नी को बहुत पीटने वाला होता है, ठीक उसी प्रकार वर्तमान राजनैतिक पार्टी से टूटकर अलग होने का निर्णय किसी समर्पित व्यक्ति के लिए बहुत कठिन और दुखदायी होता है। और किसी पार्टी से टूटकर अलग होना केवल उस पार्टी के नेताओं से अलग होना ही नहीं होता है, बल्कि यह बहुत से सहकर्मियों से अलग होना भी होता है, जिनमें से कई राष्ट्र के प्रति समर्पित होते हैं। समर्पित लोगों के लिए पार्टी परिवार की ही तरह महत्वपूर्ण हो जाती है। उनसे उनकी पार्टी छोड़ने के लिए कहना न केवल रूखाई भरा होता है बल्कि यह भावनाओं/दिल को बहुत ज्यादा दुखाने वाला होता है और ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए।
संक्षेप में, किसी पार्टी/दल के सदस्य से उसकी पार्टी छोड़ने के लिए कहना उसके लिए बहुत ही दुखदायी होता है और यह उसके विकल्प में ही नहीं होता है। लेकिन उससे `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट के लिए प्रचार करने के लिए कहना केवल एक ऐसे काम के लिए कहने के समान है जिसे करने में समय लगेगा लेकिन इससे उसे दुख नहीं पहुंचेगा। ऐसा करना उसके लिए भी आसान होगा। `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट को उसकी पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने के लिए कहना उसके लिए कठिन तो हो सकता है लेकिन दुखदायी/कष्टदायक नहीं। उससे यह कहकर कि वह अपने नेताओं और साथी सदस्यों से `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट को उनकी पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने/जोड़ने के लिए कहे, हम उससे केवल ऐसा करने के लिए कह रहे हैं कि जो भारत के लिए अच्छा है। यह कुछ ऐसा नहीं है कि जिससे राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से थोड़ा भी लाभ होगा। इससे उनकी पार्टी का तब तक कोई नुकसान नहीं होगा जब तक उनकी पार्टी के नेताओं ने भारत विरोधी विशिष्ट/ऊंचे लोगों से कोई सौदा न किया हो।
इसी तरह,सभी गैर-सरकारी संगठनों से उनके घोषणा पत्र में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) को शामिल करने के लिए कहें |
मैं राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के सभी समर्थकों से अनुरोध करता हूँ कि वे निम्नलिखित “क्या करें और क्या न करें” के अनुसार काम करें –
- कृपया ज्यादा से ज्यादा पार्टी – सदस्यों और गैर-सरकारी संगठनों से मिलें/सम्पर्क करें
- कृपया उनसे उनकी पार्टी छोड़कर राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह में शामिल हो जाने के लिए न कहें
- कृपया उनसे केवल `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के लिए प्रचार अभियान चलाने के लिए ही कहें
- कृपया उनसे अवश्य कहें कि वे अपने नेताओं से `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट को उनकी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने के लिए कहें |
- कृपया उनसे अवश्य कहें कि वे अपने साथी पार्टी-सदस्यों से बिन्दु संख्या 3-5 पर काम करने के लिए कहें।
(19.5) किसी दल के सदस्यों से मिलने पर बातचीत / चर्चा के लिए सुझाए गए बिन्दु |
14 से 18 वर्ष के बीच के लगभग 1000 नौजवानों पर विचार कीजिए जो भारत में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध/समर्पित हैं। तब इनमें से कई किसी न किसी राजनैतिक दल के सदस्य बन चुके होंगे। कुछ ऐसे भी होंगे जो किसी भी पार्टी / दल के सदस्य नहीं बनते क्योंकि वे सभी दलों को भ्रष्ट मानते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर कुछ नया कर दिखाना चाहेंगे और उस दल के सदस्य बन जाएंगे जिसे वे भारत में सबसे अच्छा दल मानते हैं।
इस प्रकार राजनैतिक दल वैसे लोगों से मिलने की सबसे अच्छी जगह/मंच है जो गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए हर सप्ताह एक घंटे से ज्यादा का समय देने की इच्छा रखते हैं। किसी राजनैतिक दल के सभी लोग गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए हर सप्ताह एक घंटे का समय देने की इच्छा नहीं रखेंगे। लेकिन मान लीजिए, भारत के आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध/ऊंचे 5 करोड नागरिकों में से 2 प्रतिशत नागरिक, गरीबी और भ्रष्टाचार कम करने के लिए प्रति सप्ताह एक घंटे का समय देने की इच्छा रखने वाले लोग हैं। तब किसी राजनैतिक दल/पार्टी के अन्दर ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक होगी – लगभग 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत। इस प्रकार एक कार्यकर्ता जो गरीबी कम करने के लिए समर्पित है, उसे एक ही जगह(केंद्रित) पर उसकी बात सुनने वाले लोग मिल जाएंगे।
इस तरह राजनैतिक दल समर्पित लोगों का समूह एक ही स्थान पर उपलब्ध कराते हैं। और चूंकि राजनैतिक दलों के सदस्य वैसे सबसे उपयुक्त/सही लोगों में से होते हैं जो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूपों/ड्राफ्ट, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों/ड्राफ्ट और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/ड्राफ्ट को पसंद कर सकते हैं। इसलिए मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के समर्थकों से अनुरोध करूंगा कि वे राजनैतिक दलों/पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों से मिलें चाहे उन लोगों/सदस्यों ने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल ( भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का पूरी तरह से विरोध ही क्यों न किया हो।
(19.6) रिश्वत लेने के लिए हजार अप्रत्यक्ष तरीके जिसमें भ्रष्ट सरकारी अधिकारी पैसे को छूता भी नहीं है और रिश्वत वाइट(कानूनी तरीके से) में लेता है | |
स्वामी रामदेव जी सरकार को बड़ी नोट वापस लेने के लिए दबाव दे रहे हैं जिससे भ्रष्टाचार रोका जा सके | हम भी बड़ी नोट वापस लेने के पक्ष में हैं जब तक कोई वापस ना लेने का कोई अच्छा कारण दे| क्यों कि उ़ससे नकली करेंन्सी नोट बंध हो जायेगी और आतंकवाद को बढ़ावा मिलना कम हो जायेगा. लेकिन हमें किसी भी नजरिये से ये नहीं लगता की उससे भ्रष्टाचार कम होगा|
क्योंकि काफी ऐसे तरीके उपलब्ध हैं जिसमें पैसे को या बड़ी नोट को छुए बिना भ्रष्टाचार होता है| हम आप सबसे अनुरोध करते हैं कि कृपया आप नीचे दिए गए तरीकों को समझिए |
(1) 95% भ्रष्टाचार से कमाए गए पैसे भ्रष्ट सरकारी अधिकारी तथा राजनेता जमीन, मकान, सोना, ज़वेरात, हीरे, चांदी, ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन में रखते हैं|.
(2) छोटे स्टर पर भ्रष्ट अधिकारी (5%) आपसे सोने, चांदी, विदेशी मुद्रा में घूस मांग सकते हैं जैसे कि
– 20 लाख रूपये की घूस के लिए 1 किलो सोना या 45,000 अमेरिकी डॉलर मांगेगे |
– 1 लाख रूपये की घूस के लिए 50 ग्राम सोने का सिक्का या 2250 अमेरिकी डॉलर मांगेगे |
– 50 हजार रूपये की घूस के लिए 25 ग्राम सोने का सिक्का, 1 किलो चांदी या 1200 अमेरिकी डॉलर मांगेगे |
– 50 हजार से कम कीमत की घूस वो भारत की छोटे नोट(रु.50) में ही मांग सकते हैं |
– अगर आपने भारत के छोटी करेंन्सी नोट में ही घूस दी तो वो उसी दिन उसको बडी आसानी से सोने में, चांदी में, विदेशी मुद्रा में रूपांतरित कर देंगे जो बड़ा आसान काम है |
– छोटे स्तर पर कुछ भ्रष्ट अधिकारी मिलकर अपना एक एजेंट या प्रतिनिधि रखेंगे जो हररोज घूस में लिए गए पैसों को सोने, चांदी, विदेशी मुद्रा रूपांतरित कर देगा |
(3) बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार करने के लिए भ्रष्ट राजनेता या न्यायाधीश तो वैसे भी बडी करेंन्सी नोट हाथ नहीं लगाते और कुल भ्रष्टाचार करने वालों में उनकी तादात 95% हैं|
(3.1) बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार घूस लेने की लिए वैसे ही भ्रष्ट राजनेता या जज/न्यायाधीश अपने विदेशी बैंक अकाउंट उपयोग करते हैं|
– अगर आपको कोई मिनिस्टर को 100 करोड रूपये की घूस देनी हो तो 1000 रूपये की नोट का इस्तमाल करके १०० करोड रूपये की घूस में 10,000 बंडल होंगे |
– अगर आपको कोई मिनिस्टर को 500 करोड रूपये की घूस देनी हो तो 1000 रूपये की नोट का इस्तमाल करके 100 करोड रूपये की घूस में 50,000 बंडल होंगे |
– 10,000 या 50,000 बंडल को लेना-देना और छुपाना काफी मुश्किल काम है इसीलिए अगर कोई मिनिस्टर को 100 करोड रूपये की घूस देनी हो तो वो अपने स्विस या मोरिसियस बैंक का अकाउंट नंबर दे देगा फिर आप उसके बैंक अकाउंट में बडी आसानी से ओन-लाईन इंटरनेट के माध्यम से पैसे ट्रान्सफर कर सकते हे
कृपया आप नीचे की लिंक देखिये जो टाइमस ऑफ इंडिया से है , जिसमें कहा गया है कि राजा ने 2 जी स्पेक्ट्रम के घोटाले में अपने मोरीसीयस बैंक अकाउंट का इस्तामल किया था | अगल घोटाले के लिए राजा अपने मोरीसीयस बैंक अकाउंट का इस्तामल कर सकता है तो सोनिया गाँधी भी कर सकती है, मनमोहन सिंग भी कर सकता है, कोई भी कर सकता है |
– ‘Raja used wife’s a/c to stash bribe money in Mauritius and Seychelles’
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-03-02/india/28646452_1_2g-spectrum-scam-bribe-money
(3.2) भ्रष्ट राजनेता या जज/न्यायाधीश को अगर भारत में ही घूस भारतीय मुद्रा में चाहिए तो उसके पास उसकी पत्नी, बच्चे, भतीजे या खुदके नाम पर काफी ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन होंगे| और वो लोग उसी ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन में ट्रस्टी होंगे| आप उसके ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन में बैंक चेक से वाईट में घूस दे सकते हो |
भारत में सारे ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन को इनकम टेक्स में से राहत मिलती है और दान देने वाले को भी टेक्स में से राहत मिलती है | इस नजरिये से आप देखें तो आपको घूस देने पर इनकम टेक्स में से राहत मिलेगी और उन भ्रष्ट राजनेता या जज/न्यायाधीश को भी |
भारत में कौन सा राजनेता या जज/न्यायाधीश या उसके सगे-सम्बन्धी कौन से ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन में ट्रस्टी हैं, उनका कोई व्यवस्थित डेटाबेस, या सूचि भ्रष्ट राजनेता या जज/न्यायाधीश ने मिलकर आज तक तैयार नहीं होने दिया है |
(4) जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार –
जब भी सरकार बड़ी मात्रा में जमीन लेने वाली होती है, तो कोई बड़ा व्यवसायी/व्यापारी भूमि अधिग्रहण अधिकारी को 1 लाख रूपये हर सर्वे नंबर के हिसाब से घूस देता है, यह जानने के लिए कि कौन सी भूमि/जमीन सरकार लेने वाली है |. एक बार व्यवसायी/व्यापारी को सर्वे नंबर मिल जाता हे तो वो गरीब किसानो से 15 से 20 लाख रूपये हर एकर के हिसाब से सारी जमीन खरीद लेता है या काम दम पर अपने नाम पर करा देता है जिससे स्टेम्प ड्यूटी बच जाये | बाद में वो ही व्यवसायी/व्यापारी करोड़ों रूपये में सरकार से वो ही जमीन का सौदा करता है |
(5) आप सुप्रीम कोर्ट के जजों या न्यायाधीश का अध्ययन कर सकते हो | वो कभी भी पैसे को छूते तक नहीं या नाम नहीं लेते | वो बडे चतुर तरीके से कोई भी वकील का नाम देगा जो उसका दोस्त या रिश्तेदार है और फिर वो ही वकील वार्तालाप करेगा | आपको घूस भी बैंक चेक से वकील को ही ही देनी है तो पकडे जाने का कोई डर ही नहीं है | जेसे ही आपने दोस्त या रिश्तेदार वकील को चेक दे दिया ,दूसरे दिन कोर्ट का फैसला आपके पक्ष में आ जाता है|
(6) 500 या 1000 के बडे नोट बंद होने के बाद जिसके पास वो नोट बचेंगे वो उसकी कालाबाजारी कर सकते हैं और फिर यही नोट सिर्फ सोने, चांदी या विदेशी मुद्रा के स्थान पर लेन – देन करने के लिए काम आएंगे |
(7) नरेन्द्र मोदी कुछ भ्रष्टाचार के केस में शामिल है, जिसमें उसने टाटा मोटर को बडी सस्ती कीमत पर अहमदाबाद में जमीन दे दी और न्यायाधीश ने केस को रफा-दफा कर दिया |
– उसके बदले में जज/न्यायाधीश के भाई-भतीजे को तरक्की/पदोन्नति/प्रोमोशन मिलेगा और फिर वो उसे पद का उपयोग करके घूस ले सकेंगे |
– टाटा मोटर उसके बदले में कांग्रेस से केहकर नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जो केस चल रहे हैं वो कमजोर कर देगी |
– टाटा मोटर या टाटा ग्रुप यह सब फेवर/उपकार के बदले में कुछ ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन (एन.जि.ओ) में दान देगा जो नरेन्द्र मोदी, न्यायाधीश तथा कांग्रेस के हैं और टाटा मोटर या टाटा ग्रुप यह दान देने पर आय-कर में से राहत मिलेगी और उन भ्रष्ट राजनेता या न्यायाधीश को भी |
(8) आजकल और एक तरीका निकला है जिसमें परामर्श शुल्क के नाम पर भाई-भतीजे को घूस दी जा सकती हे.
सरकारी बैंक लोन के भ्रष्टाचार में बैंक के निदेशक/डीरेकटर के भाई-भतीजे वकील या परामर्श के नाम पर भाड़ा या किराया लिया जाता है | जब बैंक लोन दे देता है, तो निदेशक/डीरेकटर के भाई-भतीजे को परामर्श के नाम पर भाड़ा या किराया मिल जाता है| चीदम्बरण की पत्नी ऐसे काफी कंपनी में शामिल है जो परामर्श देने का काम करती है | ऐसे मामले में आप कैसे साबित करोगे की घूस दी गयी थी कि परामर्श शुल्क ?
(9) पुलिस तथा जज/न्यायाधीश का सांठ-गाँठ/मिली-भगत पैसे को हाथ लगाये बिना काम करता है| न्यायाधीश के भाई-भतीजे वकील को जब भी कोई मामला/केस कमजोर करने के लिए पुलिस की जरुरत होती है और पुलिस को अपने ऊपर हुए मामले को रफा दफा/ठंडा करने के लिए जज/न्यायाधीश की जरुरत होती है, तो वो दोनों आपस में सांठ-गाँठ/मिली-भगत बनाकर काम करते हैं | जज/ न्यायाधीश के भाई-भतीजे जब बिल्डर होते हैं, तब पुलिस उनके गुंडे को मदद भी करती है और सुरक्षा देती है |
(10) गैर-क़ानूनी बंगलादेशी भारत में आ कर गंदी बस्ती में रहते हैं और पुलिस वालो को हफ्ता देते हैं | पुलिस इंस्पेक्टर उसका हिस्सा रख कर बाकि पैसा पुलिस कमिश्नर को देता है | पुलिस कमिश्नर वो कला धन कोई एन.आर.आई को देता है और वो एन.आर.आई पुलिस कमिश्नर के विदेशी बैंक अकाउंट में पैसा डाल देता है | फिर पुलिस कमिश्नर अपने विदेशी बैंक अकाउंट से मुख्यमंत्री और जज/न्यायाधीश के विदेशी बैंक अकाउंट में उसके हिस्स्से का पैसा डाल देता है | यहाँ किसी भी लेन-देन में बडे नोट्स की जरुरत नहीं पडती |
अभी मैंने ऊपर थोडा सा समझायाकि भ्रष्टाचार कैसे होता है औरउसमे बड़ी नोट की जरुरत नहीं पडती है | अभी मैं आपको बताता हूँ कि यहभ्रष्टाचार रोकने का क्या तरीका है |
(क) पुलिस में भ्रष्टाचार रोकने का तरीका-
(1) प्रजा आधीन पुलिस कमिश्नर/ भ्रष्ट पुलिस कमिश्नर को बदलने की प्रक्रिया –
(2) ज्यूरी सिस्टम इन कोर्ट (ज्यूरी द्वारा मुकदम्मा/फैसला भ्रष्ट पुलिस कमिश्नर के खिलाफ)
कृपया प्रक्रिया/क़ानून-ड्राफ्ट के लिए अध्याय 22 देखें |
(ख) मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार रोकने का तरीका–
प्रजा आधीन-मुख्यमंत्री/ भ्रष्ट मुख्यमंत्री को बदलने की प्रक्रिया-
कृपया प्रजा आधीन सी.एम के प्रक्रिया/क़ानून-ड्राफ्ट के लिए अध्याय 6 देखिये|
(ग) कोर्ट या न्यायाधीश का भ्रष्टाचार रोकने का तरीका –
(1) प्रजा आधीन-सुप्रीम कोर्ट मुख्य जज
कृपया प्रजा आधीन-सुप्रीम कोर्ट मुख्य जज के लिए पेज अध्याय 7 देखिये |
(2) ज्यूरी सिस्टम
कृपया ज्यूरी सिस्टम के लिए देखिये अध्याय 21 |
(19.7) नयी प्रवृत्ति / झुकाव मंत्रियों से अधिकार छीनने का और “नियामक” जैसे जनलोकपाल आदि को देने का |
अभी काफी जोर दिया जा रहा है मंत्रियों से अधिकार छीनने और “नियामक (नियम का पालन हो,ऐसा निश्चित करने वाला)” जैसे जनलोकपाल/लोकपाल आदि को देना के लिए |
इसके दो कारण हैं-
1. मंत्रियों में `अन्य पिछड़ी जाती` अधिक शक्तिशाली बनती जा रही और इसीलिए अब उच्च जाती के विशिष्ट वर्ग के लोग एक नयी व्यवस्था बनाना चाहते हैं जहाँ अधिकार उच्च जाती विशिष्ट वर्ग के पास ही रहेगी जैसे के 1950 से 1990 में था |
2.बहु-राष्ट्रिय कम्पनियाँ भी ये चाहते हैं कि अधिकार नियामक के पास जायें क्योंकि वो संख्या में कम हैं और मंत्रियों से कम मांग करने वाले हैं |
ये बदलाव हम आम नागरिकों को बिलकुल भी फायदा नहीं देगा, बल्कि ये केवल बहु-राष्ट्रिय कम्पनियाँ/विशिष्टवर्गों को ही मदद करेगा गरीब-समर्थक बाबू और अफसर, जो थोड़े बहुत बचे हैं, उन्हें बेरहमी से समाप्त करने के लिए | इसीलिए , इस तरह के बदलाव से गरीबी आदि केवल बढेगी और देश बहुराष्ट्रीय कम्पनिय/दूसरे देशों की गुलामी की और तेज़ी से बढेगा |
नेता-बाबू-जजों में भ्रष्टाचार तब ही कम होगा जब हम आम नागरिकों के पास एक नयी प्रक्रिया होगी नेता-बाबू को निकालने/सज़ा देने के लिए | ये भ्रष्टाचार तब कम नहीं होगी जब एक बाबू को दूसरे बाबू पर जांचने और उसपर (भ्रष्टाचार पर) रोक लगाने के कहा जाये , उदाहरण यूनान में , सुकरात, अरिस्तू ने भ्रष्टाचार की समस्या के बारे में क्यों नहीं लिखा? क्योंकि वो लगबग ना बराबर थी | ना बराबर क्यों थी ? क्योंकि यदि कोई अफसर पर संदेह/शक होता, तो 200-600 लोगों की जूरी/सभा (क्रमरहित चुने गए लोग) बुलाई जाती और यदि अफसर दोषी पाया जाता, उसे कड़ा जुर्माना और यहाँ तक कि मौत की सजा भी हो सकती थी | दूसरे शब्दों में, यूनान, में आम नागरिकों के पास अफसरों को सजा देने का अधिकार था और इसीलिए भ्रष्टाचार ना बराबर था |
जब नया कानून आता है , जो केवल एक बाबू-`क` को दूसरे बाबू-`ख` पर रोक-थाम लगाने का अधिकार दे , तो बाबू `क` बाबू-`ख` पर पूरी तरह हावी हो जायेगा और बाबू-`ख` के कुछ रिश्वतें लेने लगेगा | और वो कभी भी बाबू-`ख` को उसकी रिश्वत कम करने या आम नागरिकों की सेवा करने के लिए नहीं कहेगा ,उदाहरण जो ये लोकायुक्त,सतर्कता विभाग वाले,भ्रष्टाचार-विरोधी विभाग वाले करते हैं और जो जनलोकपाल करेगा |
इसीलिए ऐसा नया क़ानून बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आई.ऐ.एस(भारतीय प्रशासनिक सेवा), पुलिस-कर्मी पर लगाम कसने में मदद करेगा जिससे वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों और विशिष्टवर्ग के लोगों से कम रिश्वत लेंगे | लेकिन आम नागरिकों से पहले जैसे ही खूब रिश्वत लेंगे | लेकिन, मीडिया के लोग , जो विशिष्टवर्ग के गुलाम हैं, इन नए कानूनों के बारे में अच्छी-अच्छी कहानियां लिखेंगे क्योंकि ये विशिष्टवर्ग को फायदा करते हैं |लेकिन ये कहानियां को छोड़ कर , आम नागरिकों के लिए ठीक पहले जैसी स्थिति ही बनी रहेगी |
(19.8) “अनैच्छिक / बिना इच्छा के ” , “अनदेखे” , “अज्ञात / अनजाना” परिणाम के तर्क |
मैं हमेशा प्रस्तावित `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` सरकारी अध्यादेश को पहले बताता हूँ प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने की प्रणाली ) सरकारी आदेश और अन्य प्रस्तावित सरकारी आदेशों के बारे में चर्चा करने से पहले |वास्तव में, मैं श्रोता से हमेशा विनती करता हूँ कि `जनता की आवाज़ शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` के तीन लाईनों को जोर से पड़ें | क्यों? क्योंकि मेरी योजना है प्रजा-अधीन प्रधानमंत्री,प्रजा-अधीन सुप्रीम कोर्ट मुख्य जज सरकारी आदेश आदि को केवल `जनता की आवाज़ शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` द्वारा ही लाना के लिए और विधायक/सांसदों को रिश्वत दे कर नहीं |
एक बार प्रस्तावित सरकारी आदेश `(जनता की आवाज़ )पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` को जोर से पढ लिया गया है, मैं व्यक्ति को विनती करता हूँ कि `जनता की आवाज़`सरकारी आदेश के अनैचिक परिणाम बताएं | चर्चा कभी-कभी लंबी जाती है | लेकिन बीच में ,मैं निम्नलिखित बयान देता हूँ –
“जब तुम कोई मांग को इनकार करो, तो कृपया ये जरुर जानो कि मांग क्या है | मैं तुम से केवल इतना मांग रहा हूँ कि `नागरिक को अपने शिकायत इन्टरनेट पर,प्रधानमंत्री के वेबसाइट पर रखने की अनुमति दें कलेक्टर के दफ्तर जा कर | कृपया ध्यान दें `जनता की आवाज़ `का दूसरा खंड `जनता की आवाज़` खंड-१ का दोहराया जाना है जो कि शिकायत को दर्ज करने की इजाजत देता है | इसका खर्च कितना आता है ? और नागरिक आपको 20 रुपये प्रति पन्ना दे रहा है लागत और क्लर्क के वेतन के लिए पूरा पड़ने के लिए | तो फिर तुम क्यों विरोध कर रहे हो नागरिक को अपने शिकायत डालने से प्रधानमन्त्री के वेबसाइट पर ,जहाँ लाखों लोग इन्टरनेट द्वारा कभी भी ,कही भी वो शिकायत का एक-एक शब्द पद सकते हैं ,अफसर द्वारा बिना किसी परिवर्तन किये ?”
और मैं प्रधान मंत्री शब्द को लोकपाल में बदल देता हूँ लोकपाल के चर्चा में या प्रधानमंत्री शब्द को सुप्रीम कोर्ट मुख्य जज में बदल देता हूँ जजों की चर्चा करते हुए आदि |
एक बार `जनता की आवाज़ `सरकारी आदेश स्पष्ट हो जाता है, मैं ये वर्णन करता हूँ की प्रजा अधीन राजा(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) –सरकारी आदेश केवल `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` द्वारा ही आयेंगे | यदि भ्रष्ट प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री / विधायक / सांसद प्रजा अधीन राजा-सरकारी आदेशों को विधेयक द्वारा लाना चाहते हैं, मैं उनको कभी भी रोकूँगा नहीं और ना ही रोक सकता हूँ | यदि भ्रष्ट सुप्रीम कोर्ट के जज और हाई कोर्ट के जज जनहित याचिका द्वारा राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) को लाना चाहते हैं , तो मैं उनको रोकूँगा नहीं और न ही रोक नहीं सकता हूँ | लेकिन मैं भ्रष्ट प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री,सांसद,विधायक, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को कभी भी प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) लाने के लिए नहीं बोलूँगा| मैं केवल भारत के नागरिकों से विनती करूँगा अपने `हाँ` दर्ज करने के लिए एफिडेविट/शपथपत्र पर जो प्रजा अधीन –प्रधानमन्त्री, प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री आदि की मांग करते हैं और फिर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री पर बात छोड़ दूँगा |
तो यदि 35 करोड नागरिक `अनदेखे परिणाम ` देख नहीं सकते, तब भी संभव है कि प्रजा अधीन राजा /राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के अनदेखे परिणाम हैं |लेकिन यदि अनदेखे परिणाम दृश्य हो जाते हैं, तब भीनागरिक `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` द्वारा प्रजा अधीन राजा(भ्रस्त को बदलने का अधिकार) की प्रक्रिया को भी रद्द कर सकते हैं |
निश्चित ही , ये `अनदेखे परिणाम` का भय नहीं हटाएगा | लेकिन , आपका जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा /राईट टू रिकाल का विरोध के भी `अनदेखे परिणाम ` हो सकते हैं| इसीलिए बराबर-बराबर |
(19.9) कैसे केवल 2 लाख कार्यकर्ता महीने के कम से कम 10 घंटे और 500 रुपये खर्च करके भ्रष्टाचार , गरीबी को एक साल में कम कर सकते हैं |
1. हमने दिखाया हैं अध्याय 1 में कि यदि हम प्रधानमन्त्री को प्रस्तावित `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) सरकारी आदेश को पारित करने पर विवश/मजबूर कर देते हैं, तो फिर भ्रष्टाचार और गरीबी कुछ महीनों में कम हो जायेगी |
2. ये आगे विस्तार से समझाया गया है अध्याय 1,5,6 और 13 में |
3. तो कैसे हम कार्यकर्ता प्रधानमन्त्री और मुख्य्मात्रियों को `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली/सिस्टम) सरकारी आदेश लाने के लिए विवश कर सकते हैं ?
4. 75 करोड़ नागरिक-मतदाताओं को `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ), `नागरिक और सेना के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी) `(एम.आर सी.एम), प्रजा अधीन प्रधानमंत्री(राईट टू रिकाल प्रधानमंत्री, भ्रष्ट प्रधानमन्त्री को बदलने का अधिकार) सूचित करके | एक बार सम्पूर्ण देश के मतदाताओं को जानकारी मिल जायेगी इन जन हित प्रक्रियाओं की, तो लाखों –करोड़ों लोग मांग करेंगे और प्रधानमन्त्री/सरकार को विवश हो कर `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करना होगा |
तो हम ये सूचना/जानकारी भारत के 75 करोड़ नागरिक-मतदाताओं तक कैसे ले कर जा सकते हैं?
क्या हमें करोड़ों कार्यकर्त और हजारों-करोड़ों रुपये की आवश्यकता/जरुरत है? देखिये, सूचना देने के लिए लोगों और पैसे के लिए जरुरत है (पैसे, दान नहीं) | लेकिन हमें करोड़ों कार्यकर्ता और हजारों-करोड़ों रुपये की जरूरत नहीं है | केवल 2 लाख कार्यकर्ता अपना महीन का 10 घंटा और 500 रुपये खर्च करें तो पर्याप्त है | कैसे?
मान लें कि 2 लाख कार्यकर्ता अपने महीने के 10 घंटे ,अमूल्य समय दे रहे हैं और लगबग 500 रुपये महीने उनके कीमती आमदनी से खर्च कर रहे हैं | कोई भी दान नहीं होगा , हम दान के सख्त विरोधी हैं | हरेक कार्यकर्ता अपने पैसे स्वयं खर्च कर सकता है या 4-5 व्यक्तियों के छोटे समूह बना सकते हैं, जैसी उनकी इच्छा हो |
तब, दो लाख कार्यकर्ता अपना कम से कम 10 घंटा हर महीना और 500 रुपये प्रति महीना कम से कम दें अपने समय और आमदनी से, तो एक सामान्य या गौस्सी वितरण बनेगी |
सामान्य वितरण का अर्थ है — यदि मैं आप को 2 लाख लोग लाने के लिए कहूँ,प्रत्येक की ऊंचाई जिनकी 5 फीट 6 इंच हो, तो कम से कम 10 % की ऊंचाई 5 फीट 9 इंच होगी, कोई 5% की ऊंचाई 5 फीट 10 इंच और कोई 1% की ऊँचाई 6 फीट होगी | इसी तरह,यदि 2 लाख व्यक्ति अपना महीने का 10 घंटा देने के लिए तैयार हैं, तो कुछ 20 घंटे महीना देने के लिए तैयार होंगे,कुछ 30 घंटे देने के लिए तैयार होंगे और कुछ अपने महीने के 40 घंटे देने के लिए तैयार होंगे |
मेरे अनुसार निम्लिखित वितरण होगा :
श्रेणी-1 : 2 लाख कार्यकर्ता , अपना 010 घंटा और Rs.0500 महीना देंगे
श्रेणी-2 : 20 हज़ार कार्यकर्ता , अपना 050 घंटा और Rs.1000 महीने देंगे
श्रेणी-3 : 5 हज़ार कार्यकर्ता , अपना 075 घंटा और Rs.2000 महीना देंगे
श्रेणी-4 : 5 सौ कार्यकर्ता , अपना 100 घंटा और Rs.5000 महीना देंगे
मैं दोहराता हूँ पैसे का खर्चा सीधा होगा, बिना कोई दान के | कार्यकर्ताओं को सीधा समाचार पत्र के विज्ञापन, पैम्फलेट/पर्चों कि छपाई और वितरण आदि पर होगा |
लगबग 500 लोकसभा चुनाव-क्षेत्र हैं भारत में | ऐसे में, प्रति लोकसभा चुनाव क्षेत्र के अनुसार, निम्नलिखित वितरण होगा-
श्रेणी-1 : 400 कार्यकर्ता , अपना 010 घंटा और Rs.0500 महीना देंगे
श्रेणी-2 : 040 कार्यकर्ता , अपना 050 घंटा और Rs.1000 महीने देंगे
श्रेणी-3 : 010 कार्यकर्ता , अपना 075 घंटा और Rs.2000 महीना देंगे
श्रेणी-4 : 001 कार्यकर्ता , अपना 100 घंटा और Rs.5000 महीना देंगे
इस प्रकार ,पूरे देश में 160 करोड़ प्रति वर्ष लगबग खर्च होगा| ये सभी पैसा कभी भी राष्ट्रिय,राज्य या जिला मुख्यालय कभी नहीं आएगा, कार्यकर्ता के पास ही रहता है और सीधे कार्यकर्ता द्वारा ही खर्च किया जाता है अकेले या 3-4-5 के समूह में , कभी भी 30 से अधिक नहीं | हर लोकसभा चुनाव-क्षेत्र में 30 लाख लगबग प्रति वर्ष खर्च होगा लगबग 400 कार्यकर्ताओं द्वारा|
इसका लगबग आधा विभिन्न प्रमुख क्षेत्रीय समाचार पत्रों में हर महीने विज्ञापन किया जा सकता है | (औसत लागत सामने के पन्ने पर , एक काले और सफ़ेद विज्ञापन की 30 cm(सेंटी-मीटर) x8 सेंटी-मीटर एक लाख पच्च्तर हजार(1,75,000) है | लगबग चार लाख परिवार के लिए लगबग 400 कार्यकर्ता हैं एक लोकसभा चुनाव-क्षेत्र में| अभी , औसतन, एक कार्यकर्ता को 1000 पर्चे 32 पन्नों के वितरित/बांटने हैं , लागत रु. 4 प्रति परचा और डी.वी.डी की लागत रु. 20 प्रति डी.वी.डी.) अब विज्ञापन और पर्चे पर खर्च 2-5 व्यक्तियों द्वारा जमा किया जा सकता है 1-2 महीनों में , जो आवश्यकताओं को पूरा करेगा | इस प्रकार , एक वर्ष में , 2 लाख कार्यकर्ता देश के सभी नागरिकों को प्रस्तावित पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का क़ानून-ड्राफ्ट और अन्य जनहित सरकारी आदेश-क़ानून के क़ानून-ड्राफ्ट की सूचना दे सकते हैं |
लेकिन कृपया ध्यान दें , पैसे अकेले पर्याप्त नहीं हैं| हमें 400 कार्यकर्ता चाहिए प्रति लोकसभा चुनाव-क्षेत्र में जो पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली और प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को नागरिकों का बदलने का अधिकार) सम्बंधित प्रश्नों का उत्तर दे सकें लोगों को |
प्रजा अधीन-राजा(राईट टू रिकाल) और `जनता की आवाज़` कानून पर प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न – यहाँ से डाउनलोड करें – www.righttorecall.info/004.h.pdf और छाप कर पड़नें के लिए बांटें |