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अध्याय 19 – अंतिम योजना : सभी दलों / पार्टियों के कार्यकर्ताओं को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) , प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) के बारे में सूचित करना

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और मैं प्रधान मंत्री शब्द को लोकपाल में बदल देता हूँ लोकपाल के चर्चा में या प्रधानमंत्री शब्द को सुप्रीम कोर्ट मुख्य जज में बदल देता हूँ जजों की चर्चा करते हुए आदि |

एक बार `जनता की आवाज़ `सरकारी आदेश स्पष्ट हो जाता है, मैं ये वर्णन करता हूँ की प्रजा अधीन राजा(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) –सरकारी आदेश केवल `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` द्वारा ही आयेंगे | यदि भ्रष्ट प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री / विधायक / सांसद प्रजा अधीन राजा-सरकारी आदेशों को विधेयक द्वारा लाना चाहते हैं, मैं उनको कभी भी रोकूँगा नहीं और ना ही रोक सकता हूँ | यदि भ्रष्ट सुप्रीम कोर्ट के जज और हाई कोर्ट के जज जनहित याचिका द्वारा राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) को लाना चाहते हैं , तो मैं उनको रोकूँगा नहीं और न ही रोक नहीं सकता हूँ | लेकिन मैं भ्रष्ट प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री,सांसद,विधायक, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को कभी भी प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) लाने के लिए नहीं बोलूँगा| मैं केवल भारत के नागरिकों से विनती करूँगा अपने `हाँ` दर्ज करने के लिए एफिडेविट/शपथपत्र पर जो प्रजा अधीन –प्रधानमन्त्री, प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री आदि की मांग करते हैं और फिर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री पर बात छोड़ दूँगा |

तो यदि 35 करोड नागरिक `अनदेखे परिणाम ` देख नहीं सकते, तब भी संभव है कि प्रजा अधीन राजा /राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के अनदेखे परिणाम हैं |लेकिन यदि अनदेखे परिणाम दृश्य हो जाते हैं, तब भीनागरिक `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` द्वारा प्रजा अधीन राजा(भ्रस्त को बदलने का अधिकार) की प्रक्रिया को भी रद्द कर सकते हैं |

निश्चित ही , ये `अनदेखे परिणाम` का भय नहीं हटाएगा | लेकिन , आपका जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा /राईट टू रिकाल का विरोध के भी `अनदेखे परिणाम ` हो सकते हैं| इसीलिए बराबर-बराबर |

 

(19.9)  कैसे केवल 2  लाख कार्यकर्ता महीने के कम से कम 10 घंटे और 500 रुपये खर्च करके भ्रष्टाचार , गरीबी को एक साल में कम कर सकते हैं

1. हमने दिखाया हैं अध्याय 1 में कि यदि हम प्रधानमन्त्री को प्रस्तावित `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) सरकारी आदेश को पारित करने पर विवश/मजबूर कर देते हैं, तो फिर भ्रष्टाचार और गरीबी कुछ महीनों में कम हो जायेगी |

2. ये आगे विस्तार से समझाया गया है  अध्याय 1,5,6 और 13 में |

3. तो कैसे हम कार्यकर्ता प्रधानमन्त्री और मुख्य्मात्रियों को `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली/सिस्टम) सरकारी आदेश लाने के लिए विवश कर सकते हैं ?

4. 75 करोड़ नागरिक-मतदाताओं को `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ), `नागरिक और सेना के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी) `(एम.आर सी.एम), प्रजा अधीन प्रधानमंत्री(राईट टू रिकाल प्रधानमंत्री, भ्रष्ट प्रधानमन्त्री को बदलने का अधिकार)  सूचित करके | एक बार सम्पूर्ण देश के मतदाताओं को जानकारी मिल जायेगी इन जन हित प्रक्रियाओं की, तो लाखों –करोड़ों लोग मांग करेंगे और प्रधानमन्त्री/सरकार को विवश हो कर `जनता की आवाज़`(पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करना होगा |

तो हम ये सूचना/जानकारी भारत के 75 करोड़ नागरिक-मतदाताओं तक कैसे ले कर जा सकते हैं?

क्या हमें करोड़ों कार्यकर्त और हजारों-करोड़ों रुपये की आवश्यकता/जरुरत  है? देखिये, सूचना देने के लिए लोगों और पैसे के लिए जरुरत है (पैसे, दान नहीं) | लेकिन हमें करोड़ों कार्यकर्ता और हजारों-करोड़ों रुपये की जरूरत नहीं है | केवल 2 लाख कार्यकर्ता अपना महीन का 10 घंटा और 500 रुपये खर्च करें तो पर्याप्त है | कैसे?

मान लें कि 2 लाख कार्यकर्ता अपने महीने के 10 घंटे ,अमूल्य समय दे रहे हैं और लगबग 500 रुपये महीने उनके कीमती आमदनी से खर्च कर रहे हैं | कोई भी दान नहीं होगा , हम दान के सख्त विरोधी हैं | हरेक कार्यकर्ता अपने पैसे स्वयं खर्च कर सकता है या 4-5 व्यक्तियों के छोटे समूह बना सकते हैं, जैसी उनकी इच्छा हो |

तब, दो लाख कार्यकर्ता अपना कम से कम 10 घंटा हर महीना और 500 रुपये प्रति महीना कम से कम दें अपने समय और आमदनी से, तो एक सामान्य या गौस्सी वितरण बनेगी |

सामान्य वितरण का अर्थ है — यदि मैं आप को 2 लाख लोग लाने के लिए कहूँ,प्रत्येक की ऊंचाई जिनकी  5 फीट 6 इंच  हो, तो कम से कम 10 % की ऊंचाई 5 फीट 9 इंच होगी, कोई 5% की ऊंचाई  5 फीट 10 इंच और कोई 1% की ऊँचाई 6 फीट होगी | इसी तरह,यदि 2 लाख व्यक्ति अपना महीने का 10 घंटा देने के लिए तैयार हैं, तो  कुछ 20 घंटे महीना देने के लिए तैयार होंगे,कुछ 30 घंटे देने के लिए तैयार होंगे और कुछ अपने महीने के 40 घंटे देने के लिए तैयार होंगे |

मेरे अनुसार निम्लिखित वितरण होगा :

श्रेणी-1 :  2 लाख कार्यकर्ता , अपना 010 घंटा और Rs.0500 महीना देंगे

श्रेणी-2 : 20 हज़ार कार्यकर्ता , अपना 050 घंटा और Rs.1000 महीने देंगे

श्रेणी-3 :  5 हज़ार कार्यकर्ता , अपना 075 घंटा और Rs.2000 महीना देंगे

श्रेणी-4 :   5 सौ  कार्यकर्ता , अपना 100 घंटा और Rs.5000 महीना देंगे

मैं दोहराता हूँ पैसे का खर्चा सीधा होगा, बिना कोई दान के | कार्यकर्ताओं को सीधा समाचार पत्र के विज्ञापन, पैम्फलेट/पर्चों कि छपाई  और वितरण आदि पर होगा |

लगबग 500 लोकसभा चुनाव-क्षेत्र हैं भारत में | ऐसे में, प्रति लोकसभा चुनाव क्षेत्र के अनुसार, निम्नलिखित वितरण होगा-

श्रेणी-1 : 400 कार्यकर्ता , अपना 010 घंटा और Rs.0500 महीना देंगे

श्रेणी-2 : 040 कार्यकर्ता , अपना 050 घंटा और Rs.1000 महीने देंगे

श्रेणी-3 : 010 कार्यकर्ता , अपना 075 घंटा और Rs.2000 महीना देंगे

श्रेणी-4 : 001 कार्यकर्ता , अपना 100 घंटा और Rs.5000 महीना देंगे

इस प्रकार ,पूरे देश में 160 करोड़ प्रति वर्ष लगबग खर्च होगा| ये सभी पैसा कभी भी राष्ट्रिय,राज्य या जिला मुख्यालय कभी नहीं आएगा, कार्यकर्ता के पास ही रहता है और सीधे कार्यकर्ता द्वारा ही खर्च किया जाता है अकेले या 3-4-5 के समूह में , कभी भी 30 से अधिक नहीं | हर लोकसभा चुनाव-क्षेत्र में 30 लाख लगबग प्रति वर्ष खर्च होगा लगबग 400 कार्यकर्ताओं द्वारा|

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