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अध्याय 17 – प्रिय कार्यकर्ता, आन्‍दोलन में, चुनाव जीतने से कम समय लगेगा

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क्‍योंकि सामाजिक कार्य मोटे तौर पर अपर्याप्‍त होते हैं और इससे कानून-ड्राफ्टों में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। और चुनाव आदि भी अपर्याप्‍त और क्‍लोन निगेटिव होते हैं। सबसे बुरा है कि “चुनाव जीतो और कानून बदलो” तरीके में छोटे कार्यकर्ता को हठी लोगों को यह समझाने में सैंकड़ों घंटों का समय लगाना पड़ेगा कि नया व्‍यक्‍ति चुनाव जीतने के बाद भ्रष्‍ट नहीं होगा और चुनाव जीतने के प्रत्‍यक्ष-ज्ञान/बोध पैदा करने में सैंकड़ों घंटे देने पड़ेंगे। सैंकड़ों घंटे रैलियों, नारेबाजी, बैठकों में भाग लेने जैसे बिना दिमाग के कार्यकलाप आदि में लग जाएंगे, जिसमें बार-बार केवल एक जैसी दोहराने वाली बातें होती हैं। बैठकों में केवल संगठनात्‍मक और योजना बनाने के ही मुद्दे होंगे। जबकि यदि छोटे कार्यकर्ता `पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम)`, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी , प्रजा अधीन राजा (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) आदि कानूनों के लिए प्रचार करने में समय लगाने का विकल्प चुनता है तो इससे कार्यकर्ताओं के साथ-साथ नागरिकों के भी बौद्धिक स्‍तर में सुधार आएगा और सबसे बड़ी बात “`जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) क़ानून-ड्राफ्ट के लिए व्‍यापक जन-आन्दोलन ” क्‍लोन पॉजिटिव है, इसलिए इसपर लगाया गया हरेक क्षण लक्ष्‍य की प्राप्‍ति में सहयोग देता है |

श्रेणी: प्रजा अधीन