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अब पाठकों से मेरा एक और प्रश्न है। इस प्रश्न के लिए पृष्ठभूमि की जानकारी इस प्रकार है:
- मान लें कि प्रधानमंत्री को ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून पर हस्ताक्षर करने पर बाध्य कर दिया गया है।
- मान लें किसी ने नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) शपथपत्र/एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया और 50 करोड़ नागरिकों ने इसपर हाँ दर्ज करा दी।
पाठकों से मेरा दूसरा प्रश्न है क्या आप समझते हैं कि प्रधानमंत्री यह करने का साहस करेंगे कि मैं प्रस्तावित नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) कानून पर हस्ताक्षर नहीं करूंगा अर्थात क्या कोई प्रधानमंत्री पचास करोड़ या उससे अधिक नागरिकों से प्राप्त हाँ को न मानने/अस्वीकार करने का साहस करेगा ? फिर से अनुरोध है कि कृपया उपर उल्लिखित प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही आगे पढ़ें।
जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप के खण्ड/कलम 3 को कृपया फिर से पढ़ें। इस कलम में साफ-साफ लिखा है कि सभी 72 करोड़ नागरिक मतदाताओं द्वारा किसी शपथपत्र/एफिडेविट पर हाँ दर्ज कर दिया जाता है तब भी प्रधानमंत्री को एफिडेविट में प्रस्तावित कानून पर हस्ताक्षर करने की बिलकुल जरूरत नहीं है। हाँ/ना संख्या प्रधानमन्त्री पर बाध्य नहीं है |प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम है |
लेकिन किसी भी प्रधान मंत्री में इतना साहस नहीं होगा कि वह पचास करोड़ नागरिक मतदाताओं को मना कर दे। इसलिए मेरा उत्तर है — प्रधानमंत्री नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) कानून पर हस्ताक्षर करेंगे। क्यों? इसलिए कि प्रत्येक नागरिक जिसने हाँ दर्ज किया है वह जानता है कि उसके पचास करोड़ साथी नागरिक उसकी मांग का समर्थन कर रहे हैं और इसलिए उनमें से प्रत्येक खुले तौर पर उस रूप में प्रधानमंत्री का विरोध करेगा जिस रूप में वह उचित समझता है और प्रधानमंत्री जानते हैं कि नागरिकगण विरोध प्रदर्शन करेंगे और वे यह भी जानते हैं कि उनके पचास लाख पुलिसकर्मी इतने अधिक नागरिकों को नहीं रोक सकते। इसलिए डर के मारे प्रधानमंत्री इतने अधिक नागरिकों की अनदेखी करने का साहस नहीं करेंगे।
इसलिए ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) कानून के आ जाने के एक-दो तीन महीने के भीतर ही नागरिकगण प्रधानमंत्री को नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) कानून पर हस्ताक्षर करने पर बाध्य करने में समर्थ होंगे और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) कानून पर हस्ताक्षर करने के एक दो महीने के भीतर ही नागरिकगण भारत सरकार के प्लॉटों से भूमि का किराया और खनिज रॉयल्टी प्राप्त करने लगेंगे और इस प्रकार गरीबी कम हो जाएगी। बाद में सुझाए गए संपत्ति- कर सुधारों से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि होगी और गरीबी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी । इन कर सुधारों का इस किताब के चैप्टर 25 में विस्तार से उल्लेख किया गया है।
यही वह स्थान है जहाँ ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट के एफिडेविट की शक्ति उभरकर सामने आती है। ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) गरीबी कम नहीं करती है लेकिन ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के बिना प्रधानमंत्री कभी भी नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम.आर.सी.एम) पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे क्योंकि वे और सांसदगण खनिज रॉयल्टी को हड़पना जानते हैं।
लेकिन यदि ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली आता है जो प्रधानमंत्री नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम.आर.सी.एम) पर हस्ताक्षर करने को बाध्य होंगे। ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कैसे बदलाव ला रही है? ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का खण्ड / धारा 2 नागरिकों को यह अनुमति देता है कि वे खंड/कलम 1 में प्रस्तुत किए गए प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हाँ दर्ज करें और यही खण्ड / धारा 2 नागरिकों को यह भी बताता है कि करोड़ों नागरिक उनके साथ हैं।
नागरिकों के लिए तब बदलाव लाना आसान हो जाता है जब करोड़ों सहमत हों और ये करोड़ों नागरिक जानते हैं कि करोड़ों लोग उनके साथ हैं । वे अकेला महसूस नहीं करेंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई व्यक्ति भीड़ में ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है। ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) नागरिक मतदाताओं को तब और अधिक शक्तिशाली बना देता है जब बहुमत का समर्थन साबित हो गया हो।
(1.8) करोड़ों नागरिकों को यह कैसे पता चलेगा कि `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी`(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) शपथपत्र / एफिडेविट प्रस्तुत हो गया है? |
मैं आपको पहले एक सच्ची घटना बताता हूँ। वर्ष 2002 में, भारत सरकार ने एक योजना बनायीं कि प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जिसकी वार्षिक आय 50,000 रुपए से कम है उन्हें हर महीने 200 रूपए मिलेंगे। भारत सरकार ने इस योजना का प्रचार टीवी, समाचारपत्र, रेडियो कहीं भी नहीं किया। फिर भी लगभग 10 महीने की छोटी समय अवधि में ही लगभग हर पात्र वरिष्ठ नागरिक का नाम इस योजना में दर्ज हो चुका था। यह बात कैसे फैली? जब कोई बात लोगों के तत्काल, निजी और सीधे हित से जुड़ी होती है तो वह बात बिजली के करंट की तरह फैलती है।
एक बार नागरिकगण प्रधानमंत्री को जनता की आवाज(सूचना का अधिकार 2) पर हस्ताक्षर करने को बाध्य कर देते हैं और एक बार `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) एफिडेविट दाखिल हो गया तो `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) एफिडेविट भी उतनी ही तेजी से फैलेगा क्योंकि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) में लोगों का अपना सीधा, तत्काल और निजी हित है। एक नागरिक को सिर्फ इतना भर करना है – पटवारी के कार्यालय में 10-15 मिनट के लिए जायें और 3 रूपए शुल्क जमा करें। और चूंकि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) इन लोगो का अपना सीधा और तत्काल हित में है, वह ज्यादा से ज्यादा पड़ोसियों, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि को इसके बारे में बताएँगे। इस तरह नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) की बात करोड़ों नागरिकों तक कुछ ही दिनों के भीतर पहुंच जायेगी|
(1.9) जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ) सरकारी-आदेश कानून पुलिस में भ्रष्टाचार को कम कैसे करेगा? |
अब पाठकों से मेरा तीसरा प्रश्न है:- अमेरिका के पुलिसवालों में भ्रष्टाचार क्यों कम है? एक और केवल एक कारण कि अमेरिका के पुलिसवालों में भ्रष्टाचार कम है, वह यह है कि अमेरिका के नागरिकों के पास अपने जिले के जिला पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) को हटाने की प्रक्रिया है, इसलिए अमेरिका में जिला पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) बहुत कम घूस लेता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि छोटे/कनिष्ठ अधिकारी बहुत ज्यादा घूस न ले। अगर अमेरिका में किसी पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) को यह पता चलता है कि उसका कोई कनिष्ठ अधिकारी घूस ले रहा है तो वो उसके खिलाफ तत्काल स्टिंग आपरेशन करवाता है, साक्ष्य इकट्ठे करता है और उसे निकाल देता है क्योंकि उसे डर है कि अगर उसके नीचे काम कर रहे अधिकारी घूस लेने लगें तो नागरिक उसे निकल भी सकते हैं।