होम > प्रजा अधीन > अध्याय 1- तीन लाइन का यह प्रस्‍तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार को केवल चार महीनों में ही कम कर सकता है

अध्याय 1- तीन लाइन का यह प्रस्‍तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार को केवल चार महीनों में ही कम कर सकता है

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पटवारी कौन है 

पटवारी गांव का अधिकारी है जो भूमि/जमीन का रिकार्ड रखता है| 2-3 गांव के बीच , एक पटवारी होता है और कुछ शहरों में ,पटवारी के बदले `नागरिक केन्द्र क्लर्क` होता है 2-3 वार्ड के बीच में | इस प्रकार, आप निर्णय कर सकते हैं `पटवारी` का नाम स्थानीय भाषा में और अपने राज्य में | पटवारी के कुछ अन्य पर्याय हैं- तलाटी ,ग्राम अधिकारी , लेखपाल|

मैं सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध करता हूँ कि वे प्रधानमंत्री पर निम्नलिखित अधिसूचना पर हस्ताक्षर करने का दबाव डालें:


#

अधिकारी


प्रक्रिया

1

कलेक्टर (अथवा उसका क्‍लर्क)

राष्ट्रपति कलक्टर को आदेश दें कि: यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्‍ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने जिले में कोई सूचना का अधिकार आवेदन पत्र प्रस्‍तुत करता है अथवा किसी भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करता है या कलेक्टर को कोई शपथपत्र/एफिडेविट/हलफनामा देता है और प्रधानमंत्री की  वेबसाइट पर इसे डालने का अनुरोध करता है तो वह कलेक्टर या उसके द्वारा नामित क्लर्क एक सीरियल नंबर जारी करेगा और उस पत्र आदि को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर 20 रूपए प्रति पेज/पृष्‍ठ का शुल्क लेकर डाल देगा।

2

तलाटी, पटवारी, ग्राम अधिकारी/लेखपाल (अथवा उसका क्‍लर्क)

2.1) राष्ट्रपति पटवारी को आदेश दें कि: यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्‍ठ(बूढ़ा) नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आईडी / मतदाता पहचान पत्र के साथ आये और सूचना का अधिकार आवेदन पत्र पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए अथवा धारा 1 में शिकायत अथवा कोई एफिडेविट/हलफनामा दर्ज कराए तब पटवारी प्रधानमंत्री जी वेबसाइट पर उसकी हाँ या ना उसके वोटर आई कार्ड (संख्‍या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) रसीद  दे। । 2.2)पटवारी नागरिकों को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्‍क देकर बदल सकते हैं। 2.3)गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले/बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्‍क एक रूपए होगा।

3

(सभी नागरिकों, अधिकारियों, मंत्रियों के लिए)

यह ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कोई जनमत संग्रह प्रक्रिया नहीं है। हाँ या ना की यह गिनती प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारियों, जजों आदि के लिए कोई बाध्‍य / बंधनकारी नहीं होगा । यदि 37 करोड़ से अधिक महिला मतदाता, दलित मतदाता, वरिष्‍ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या 37 करोड़ भारतीय मतदाताओं में से कोई भी नागरिक मतदाता किसी दिए गए एफिडेविट पर हाँ दर्ज करे, तब प्रधानमंत्री उस सूचना का अधिकार आवेदन पत्र के एफिडेविट पर आवश्‍यक कार्रवाई कर सकता है अथवा उसे ऐसी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है; अथवा प्रधान मंत्री इस्‍तीफा दे भी सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होगा।

मैं `जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानून का सार इस प्रकार प्रस्‍तुत करता हूँ:-

  • यदि कोई नागरिक चाहे तो कलेक्टर/जिलाधिकारी (डी एम) के कार्यालय में जाकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर सूचना का अधिकार आवेदनपत्र डाल सकता है।

  • यदि कोई नागरिक किसी आवेदनपत्र या शिकायत अदि को समर्थन करना चाहे तो वह तलाटी (पटवारी अदि) के कार्यालय में जाकर 3 रूपए शुल्क देकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर अपना समर्थन दर्ज कर सकता है।

तीन पंक्‍ति/लाइन का यह प्रस्‍तावित जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) `  कानून गरीबी और भ्रष्‍टाचार को केवल चार महीनों में ही कम कर देगा !!

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(1.3) क्या भारत में सभी नागरिकों के पास इस कानून का उपयोग करने के लिए इन्टरनेट है? और अन्य प्रश्न

प्रश्न1 : क्या भारत में सभी नागरिकों के पास इस सरकारी अधिसूचना का उपयोग करने के लिए इन्टरनेट है?

ये सबसे आम, लेकिन गलत प्रश्‍न है जिसका सामना मैं प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली- सरकारी अधिसूचना  पर करता हूँ। मैं इसे गलत प्रश्‍न कहता हूँ क्योंकि प्रस्तावित कानून का प्रयोग शुरू करने के लिए नागरिकों को इन्टरनेट कनेक्शन की जरुरत बिलकुल नहीं पड़ती। चाहे नागरिकों के पास इन्टरनेट हो या नहीं , उन्हें कलेक्टर के कार्यालय में स्‍वयं जा कर ही अपनी शिकायत अथवा सूचना का अधिकार आवेदनपत्र जमा करना होगा। और चाहे उनके पास इन्टरनेट कनेक्‍शन हो या नहीं, उन्हें तलाटी (लेखपाल, पटवारी, ग्राम-अधिकारी) के कार्यालय में स्‍वयं जा कर ही किसी शिकायत अथवा शपथपत्र/एफिडेविट पर हाँ दर्ज करना होगा।

इसलिए इस कानून का उपयोग करने के लिए किसी नागरिक के पास इंटरनेट की बिलकुल आवश्‍यक्‍ता नहीं है। और यदि किसी व्‍यक्‍ति के पास इन्टरनेट है तो इससे कोई फर्क नही पड़ेगा। इसलिए इस कानून का उपयोग भारत के सभी नागरिक मतदाता कर सकते हैं । यदि उसके पास इन्टरनेट है तो वो शपथपत्र/एफिडेविट को सुगमता/आसानी से पढ़ सकते हैं। लेकिन बिना इंटरनेट वाला व्‍यक्‍ति भी ऐसा कर सकता है – उसे केवल किसी ऐसे व्‍यक्‍ति से कहने की जरूरत है जिसके पास इन्टरनेट कनेक्‍शन है।

प्रश्न-2 : क्या धनिक / विशिष्ट वर्ग मत / अनुमोदन / स्वीकृति को पैसे,गुंडे या अन्य तरीके से प्रभावित नहीं करेंगे?  

खंड / धारा-2 प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` का कहता हैं कि कोई भी नागरिक खंड/धारा-1 अनुसार दर्ज किये गए शिकायत/प्रस्ताव पर हाँ/न दर्ज कर सकता है और वो पारदर्शी होगा |लेकिन कोई भी विशिष्ट वर्ग/धनिक 100 करोड़ खर्च कर सकता है और 1 करोड़ लोगों को हाँ दर्ज करने के लिए नहीं बोल सकता है? देखिये,कृपया धारा-2.2 भी पढिये| नागरिक किसी भी दिन अपनी हाँ/ना बदल सकता है |

तो यदि करोड़ों नागरिकों को `हाँ `दर्ज करने के लिए पैसे मिले हैं , तो अगले दिन ही वे `हाँ` को `ना` में बदलने के लिए धमकी दे सकते हैं | अभी कोई भी करोड़ों नागरिकों को नियंत्रित नहीं कर सकता एक सप्ताह के लिय भी पूरी सेना के साथ भी | तो धनिक/विशिष्ट वर्ग को रोज रु.100 करोड़ खर्च करना पड़ेगा और कुछ ही हफ़्तों या महीनों में धनिक के सारे पैसे समाप्त हो जाएँगे | भारत के सारे धनिक मिलकर भी करोड़ों नागरिकों को खरीद नहीं सकते इस प्रक्रिया के चलते | इसिलिय खंड/धारा-2.2 ये सुनिश्चित करता है कि ये प्रक्रिया धन-शक्ति, गुंडा-शक्ति या मीडिया-शक्ति से प्रभावित नहीं होगा |

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(1.4) ‘जनता की आवाज `-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) का एक लाइन में सार

‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) का एक लाइन में सार इस प्रकार है — यदि कोई नागरिक चाहे तो कलेक्टर, जनता की शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव को, शुल्‍क / फीस लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।

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