सूची
- (1.1) क्या यह मजाक है?
- (1.2) राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित `जनता की आवाज- पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`-सरकारी अधिसूचना(आदेश) का क़ानून-ड्राफ्ट
- (1.3) क्या भारत में सभी नागरिकों के पास इस कानून का उपयोग करने के लिए इन्टरनेट है? और अन्य प्रश्न
- (1.4) ‘जनता की आवाज `-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) का एक लाइन में सार
- (1.5) ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` के धारा 1 के बारे में कुछ और बातें
- (1.6) ये तीन लाइन का सरकारी आदेश आम जनता को पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव डालने का अधिकार देगा
- (1.7) तो कैसे ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` गरीबी को 3-4 महीने में कम कर देगा?
- (1.8) करोड़ों नागरिकों को यह कैसे पता चलेगा कि `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी`(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) शपथपत्र / एफिडेविट प्रस्तुत हो गया है?
- (1.9) जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ) सरकारी-आदेश कानून पुलिस में भ्रष्टाचार को कम कैसे करेगा?
- (1.10) राज्य स्तर के ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की मांग मुख्यमंत्री से करना
- (1.11) शहर के महापौर/मेयर से नगर स्तरीय ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की मांग करना
- (1.12) जिला पंचायत स्तर पर ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` का क़ानून-ड्राफ्ट
- (1.13) जनहित याचिका / पी आई एल के माध्यम से `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) लाना
- (1.14) उन नेताओं, बुद्धिजीवियों की निंदा कैसे करें जो जनता की आवाज का विरोध करते हैं
- (1.15) ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) को लाने में आप कैसे मदद कर सकते हैं
- (1.16) किसी ने इस बारे में पहले क्यों नहीं सोचा ?
- (1.17) कैसे ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम)’ राजनैतिक अंकगणित का शून्य है ?
- (1.18) सारांश
सूची
- (1.1) क्या यह मजाक है?
- (1.2) राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित `जनता की आवाज- पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`-सरकारी अधिसूचना(आदेश) का क़ानून-ड्राफ्ट
- (1.3) क्या भारत में सभी नागरिकों के पास इस कानून का उपयोग करने के लिए इन्टरनेट है? और अन्य प्रश्न
- (1.4) ‘जनता की आवाज `-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) का एक लाइन में सार
- (1.5) ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` के धारा 1 के बारे में कुछ और बातें
- (1.6) ये तीन लाइन का सरकारी आदेश आम जनता को पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव डालने का अधिकार देगा
- (1.7) तो कैसे ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` गरीबी को 3-4 महीने में कम कर देगा?
- (1.8) करोड़ों नागरिकों को यह कैसे पता चलेगा कि `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी`(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) शपथपत्र / एफिडेविट प्रस्तुत हो गया है?
- (1.9) जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ) सरकारी-आदेश कानून पुलिस में भ्रष्टाचार को कम कैसे करेगा?
- (1.10) राज्य स्तर के ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की मांग मुख्यमंत्री से करना
- (1.11) शहर के महापौर/मेयर से नगर स्तरीय ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की मांग करना
- (1.12) जिला पंचायत स्तर पर ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` का क़ानून-ड्राफ्ट
- (1.13) जनहित याचिका / पी आई एल के माध्यम से `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) लाना
- (1.14) उन नेताओं, बुद्धिजीवियों की निंदा कैसे करें जो जनता की आवाज का विरोध करते हैं
- (1.15) ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) को लाने में आप कैसे मदद कर सकते हैं
- (1.16) किसी ने इस बारे में पहले क्यों नहीं सोचा ?
- (1.17) कैसे ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम)’ राजनैतिक अंकगणित का शून्य है ?
- (1.18) सारांश
अध्याय 1 – तीन लाइन का यह प्रस्तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को केवल चार महीनों
में ही कम कर सकता है
(इस पाठ का एक चार पृष्ठों का अंश सस्ते में वितरित करने के लिए
http://righttorecall.info/001.h.pdf पर उपलब्ध है। पाठ – 3 में जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली को अधिक विस्तार से बताया गया है।)
(1.1) क्या यह मजाक है? |
भारत के बुद्धिजीवियों ने यह दावा किया है कि गरीबी की समस्या और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार, न्यायालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार, शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार आदि समस्याऐं इतनी जटिल हैं कि इन्हें कम करने में कई दशक लगेंगे और बहुत ही कठिन परिश्रम करना होगा।
और यहाँ ‘प्रजा अधीन राजा’ समूह सामने आता है और यह दावा करता है कि जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) की केवल तीन पंक्ति/लाइन की प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना गरीबी और पुलिस, न्यायालय, शिक्षा आदि में व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म कर देगी और वह भी मात्र चार महीने के भीतर।
भारत का राजपत्र (सरकारी अधिसूचना ) (गेजेट नोटिफिकेशन) क्या है?
केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित पुस्तिका , जो लगबग हर महीने प्रकाशित की जाती है और मंत्रियों द्वारा जिला कलेक्टर , विभाग सचिव आदि को आदेश होते हैं |
राजपत्र / सरकारी अधिसूचना (आदेश) का नमूना है –
http://rajswasthya.nic.in/17%20DT.%2006.01.10.pdf
यदि नागरिकों, कार्यकर्ताओं को सरकार में कोई बदलाव चाहिए, तो उनको मंत्रियों को प्रस्तावित बदलावों को अगले भारतीय राजपत्र में डालने की मांग करनी चाहिए | जब प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट / मसौदा भारतीय राजपत्र में आयेंगे ,तभी और केवल तभी सरकार में बदलाव आयेंगे | यदि कोई कार्यकर्त्ता-नेता , कोई बदलाव की मांग कर रहा है ,बिना सरकारी अधिसूचना (आदेश) की जानकारी दिए , जो उसे चाहिए, तो वो नागरिकों का समय बरबाद कर रहा है और वो ये जान-बूझ कर , कर रहा है, ऐसा हो सकता है | इसीलिए, हम सभी कार्यकर्ताओं से विनती करते हैं कि सरकारी अधिसूचना (भारत का राजपत्र) का क़ानून-ड्राफ्ट / मसौदों पर ध्यान केंद्रित करें , उन बदलाव के लिए जो कार्यकर्ता-नेता मांग करते हैं |
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कुछ अन्य सरकारी अधिसूचना मंत्रिमंडल द्वारा पारित के लिंक –
(1) http://ssa.nic.in/national-mission/government-of-india-notification/notification-f-2-4-2000-ee-3-dated-january-19-2005/
(2) http://www.mit.gov.in/content/government-notifications-enabling-e-services
(3) http://www.maharashtra.gov.in/english/webRing/pdf/gazette569.pdf
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सरकारी अधिसूचना का हर एक क़ानून-ड्राफ्ट एक छोटा सा, निश्चित बदलाव लाता है. उदहारण- राशन कार्ड प्रणाली(सिस्टम) सरकारी अधिसूचनाओं से बनायी गयी थी, जिसने करोड़ों कि जान बचायी हैं | भूमि-सुधार गुजरात में 1940 के दशक के अंतिम और 1950 के दशक के शुरू में , अच्छे से हुए, क्योंकि उस समय के मुख्यमंत्री देभरभाई ने पक्के और आसान क़ानून-ड्राफ्ट बनाये, जबकि भारत के ज्यादातर अन्य राज्यों में भूमि-सुधार असफल हुए क्योंकि वहाँ के मुख्यमंत्रियों ने जान-बूझ कर ढेरों कमियाँ वाले क़ानून-ड्राफ्ट बनाये ( उदहारण- एक कमी थी कि ना रद्द किये जा सकने वाला वकालतनामा/`पॉवर ऑफ अटॉर्नी ` को अनुमति देना जिससे भूमि ट्रस्टों को दी जा सके/हस्तांतरित की जा सके आदि) |
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और, मैं इसके बाद पूरे आत्मविश्वास के साथ कहता हूँ कि प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का कोई नाकारात्मक साइड इफेक्ट नहीं है और यह प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट शत-प्रतिशत संवैधानिक है और सभी मौजूदा कानूनों के साथ लागू रह सकता है और इसे सांसदों/विधायकों के विधान कि आवश्यकता नहीं है – सिर्फ एक सरकारी अधिसूचना काफी होगी क्योंकि जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के सभी तीनों खण्ड/कलम पहले ही प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री आदि को दिए गए मौजूदा शक्तियों के तहत आते हैं। क्या कोई ऐसी छोटी सरकारी अधिसूचना मौजूद हो भी सकती है?
भारत के अधिकांश बुद्धिजीवियों ने इस बात को मानने से इन्कार कर दिया है कि कानून का ऐसा कोई मामूली और छोटा सा क़ानून-ड्राफ्ट गरीबी और भ्रष्टाचार को एक प्रतिशत भी कम कर सकता है । या तो ये सभी बुद्धिजीवी लोग गलती पर हैं या तो मैं 200 प्रतिशत झूठा हूँ और 400 प्रतिशत पागल या जोकर हूँ। आप पाठकगण यह निर्णय कर सकते हैं कि क्या ये बुद्धिजीवी लोग गलत हैं या मैं ही एक जोकर हूँ बशर्ते आप इस पाठ को और इसके बाद के अगले तीन पाठ को पढ़ने का निर्णय कर लेते हैं और मेरे द्वारा प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट कानून के विरूद्ध बुद्धिजीवियों के खंडन को पढ़ते हैं तो।
और फिर मैं यह भी दावा करूंगा कि मेरे द्वारा प्रस्तावित तीन पंक्ति/लाइन की जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना गरीबी को कम करने और पुलिस/ न्यायालय/ शिक्षा में भ्रष्टाचार में कमी लाने से कहीं ज्यादा कारगर होगी। चार से आठ माह के भीतर ही, जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना , सेना व राशन कार्ड प्रणाली (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) और सरकार के सभी विभागों में सुधार ला देगी। और प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यदि ये सभी दावे कभी सत्य साबित हो गए तो सभी बुद्धिजीवियों के लिए यह एक अत्यन्त शर्मनाक घटना होगी ।
आखिरकार, यह तीन पंक्ति/लाइन की प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना क्या है और कैसे यह जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना इन कामों को करेगी और वह भी मात्र चार महीने के अंदर ?
और एक अन्य प्रश्न यह उठता है : मैं कैसे कार्यकर्ताओं और जनता को एकजुट करने का प्रस्ताव करूं कि वे प्रधान मंत्री को इस जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दें? इस संबंध में मैं एक ज्यादा बड़ा दावा करता हूँ कि यदि भारत में मात्र 200,000 भ्रष्टाचार विरोधी और गरीबों के हमदर्द, कार्यकर्तागण प्रत्येक स्रप्ताह केवल दो घंटे का समय 13वें अध्याय में मेरे द्वारा प्रस्तावित 30-40 छोटी-छोटी कार्रवाइयों पर अमल करने पर दें तो एक साल से भी कम समय के अंदर उनकी कार्रवाई एक अहिंसात्मक जन- आन्दोलन का रूप ले लेगी जो प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून या एक ऐसे कानून पर ह्स्ताक्षर करने को विवश कर देगी जिसमें जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली सम्मिलित होगा।
(1.2) राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित `जनता की आवाज- पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`-सरकारी अधिसूचना(आदेश) का क़ानून-ड्राफ्ट |
प्रस्तावित `जनता की आवाज- पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) – सरकारी अधिसूचना में नीचे दिए अनुसार केवल तीन खण्ड हैं। कृपया ध्यान दें कि तीसरा खंड महज एक घोषणा है। इसलिए इस प्रस्तावित `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` सरकारी अधिसूचना में लागू करने के लिए केवल दो ही क्रियाशील खण्ड हैं।
पटवारी कौन है
पटवारी गांव का अधिकारी है जो भूमि/जमीन का रिकार्ड रखता है| 2-3 गांव के बीच , एक पटवारी होता है और कुछ शहरों में ,पटवारी के बदले `नागरिक केन्द्र क्लर्क` होता है 2-3 वार्ड के बीच में | इस प्रकार, आप निर्णय कर सकते हैं `पटवारी` का नाम स्थानीय भाषा में और अपने राज्य में | पटवारी के कुछ अन्य पर्याय हैं- तलाटी ,ग्राम अधिकारी , लेखपाल|
मैं सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध करता हूँ कि वे प्रधानमंत्री पर निम्नलिखित अधिसूचना पर हस्ताक्षर करने का दबाव डालें:
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अधिकारी
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प्रक्रिया
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1 | कलेक्टर (अथवा उसका क्लर्क) | राष्ट्रपति कलक्टर को आदेश दें कि: यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने जिले में कोई सूचना का अधिकार आवेदन पत्र प्रस्तुत करता है अथवा किसी भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करता है या कलेक्टर को कोई शपथपत्र/एफिडेविट/हलफनामा देता है और प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर इसे डालने का अनुरोध करता है तो वह कलेक्टर या उसके द्वारा नामित क्लर्क एक सीरियल नंबर जारी करेगा और उस पत्र आदि को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर 20 रूपए प्रति पेज/पृष्ठ का शुल्क लेकर डाल देगा। |
2 | तलाटी, पटवारी, ग्राम अधिकारी/लेखपाल (अथवा उसका क्लर्क) | 2.1) राष्ट्रपति पटवारी को आदेश दें कि: यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ(बूढ़ा) नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आईडी / मतदाता पहचान पत्र के साथ आये और सूचना का अधिकार आवेदन पत्र पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए अथवा धारा 1 में शिकायत अथवा कोई एफिडेविट/हलफनामा दर्ज कराए तब पटवारी प्रधानमंत्री जी वेबसाइट पर उसकी हाँ या ना उसके वोटर आई कार्ड (संख्या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) रसीद दे। । 2.2)पटवारी नागरिकों को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्क देकर बदल सकते हैं। 2.3)गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले/बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क एक रूपए होगा। |
3 | (सभी नागरिकों, अधिकारियों, मंत्रियों के लिए) | यह ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कोई जनमत संग्रह प्रक्रिया नहीं है। हाँ या ना की यह गिनती प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारियों, जजों आदि के लिए कोई बाध्य / बंधनकारी नहीं होगा । यदि 37 करोड़ से अधिक महिला मतदाता, दलित मतदाता, वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या 37 करोड़ भारतीय मतदाताओं में से कोई भी नागरिक मतदाता किसी दिए गए एफिडेविट पर हाँ दर्ज करे, तब प्रधानमंत्री उस सूचना का अधिकार आवेदन पत्र के एफिडेविट पर आवश्यक कार्रवाई कर सकता है अथवा उसे ऐसी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है; अथवा प्रधान मंत्री इस्तीफा दे भी सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होगा। |
मैं `जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानून का सार इस प्रकार प्रस्तुत करता हूँ:-
- यदि कोई नागरिक चाहे तो कलेक्टर/जिलाधिकारी (डी एम) के कार्यालय में जाकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर सूचना का अधिकार आवेदनपत्र डाल सकता है।
- यदि कोई नागरिक किसी आवेदनपत्र या शिकायत अदि को समर्थन करना चाहे तो वह तलाटी (पटवारी अदि) के कार्यालय में जाकर 3 रूपए शुल्क देकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर अपना समर्थन दर्ज कर सकता है।
तीन पंक्ति/लाइन का यह प्रस्तावित ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ` कानून गरीबी और भ्रष्टाचार को केवल चार महीनों में ही कम कर देगा !!
(1.3) क्या भारत में सभी नागरिकों के पास इस कानून का उपयोग करने के लिए इन्टरनेट है? और अन्य प्रश्न |
प्रश्न–1 : क्या भारत में सभी नागरिकों के पास इस सरकारी अधिसूचना का उपयोग करने के लिए इन्टरनेट है?
ये सबसे आम, लेकिन गलत प्रश्न है जिसका सामना मैं प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली- सरकारी अधिसूचना पर करता हूँ। मैं इसे गलत प्रश्न कहता हूँ क्योंकि प्रस्तावित कानून का प्रयोग शुरू करने के लिए नागरिकों को इन्टरनेट कनेक्शन की जरुरत बिलकुल नहीं पड़ती। चाहे नागरिकों के पास इन्टरनेट हो या नहीं , उन्हें कलेक्टर के कार्यालय में स्वयं जा कर ही अपनी शिकायत अथवा सूचना का अधिकार आवेदनपत्र जमा करना होगा। और चाहे उनके पास इन्टरनेट कनेक्शन हो या नहीं, उन्हें तलाटी (लेखपाल, पटवारी, ग्राम-अधिकारी) के कार्यालय में स्वयं जा कर ही किसी शिकायत अथवा शपथपत्र/एफिडेविट पर हाँ दर्ज करना होगा।
इसलिए इस कानून का उपयोग करने के लिए किसी नागरिक के पास इंटरनेट की बिलकुल आवश्यक्ता नहीं है। और यदि किसी व्यक्ति के पास इन्टरनेट है तो इससे कोई फर्क नही पड़ेगा। इसलिए इस कानून का उपयोग भारत के सभी नागरिक मतदाता कर सकते हैं । यदि उसके पास इन्टरनेट है तो वो शपथपत्र/एफिडेविट को सुगमता/आसानी से पढ़ सकते हैं। लेकिन बिना इंटरनेट वाला व्यक्ति भी ऐसा कर सकता है – उसे केवल किसी ऐसे व्यक्ति से कहने की जरूरत है जिसके पास इन्टरनेट कनेक्शन है।
प्रश्न-2 : क्या धनिक / विशिष्ट वर्ग मत / अनुमोदन / स्वीकृति को पैसे,गुंडे या अन्य तरीके से प्रभावित नहीं करेंगे?
खंड / धारा-2 प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` का कहता हैं कि कोई भी नागरिक खंड/धारा-1 अनुसार दर्ज किये गए शिकायत/प्रस्ताव पर हाँ/न दर्ज कर सकता है और वो पारदर्शी होगा |लेकिन कोई भी विशिष्ट वर्ग/धनिक 100 करोड़ खर्च कर सकता है और 1 करोड़ लोगों को हाँ दर्ज करने के लिए नहीं बोल सकता है? देखिये,कृपया धारा-2.2 भी पढिये| नागरिक किसी भी दिन अपनी हाँ/ना बदल सकता है |
तो यदि करोड़ों नागरिकों को `हाँ `दर्ज करने के लिए पैसे मिले हैं , तो अगले दिन ही वे `हाँ` को `ना` में बदलने के लिए धमकी दे सकते हैं | अभी कोई भी करोड़ों नागरिकों को नियंत्रित नहीं कर सकता एक सप्ताह के लिय भी पूरी सेना के साथ भी | तो धनिक/विशिष्ट वर्ग को रोज रु.100 करोड़ खर्च करना पड़ेगा और कुछ ही हफ़्तों या महीनों में धनिक के सारे पैसे समाप्त हो जाएँगे | भारत के सारे धनिक मिलकर भी करोड़ों नागरिकों को खरीद नहीं सकते इस प्रक्रिया के चलते | इसिलिय खंड/धारा-2.2 ये सुनिश्चित करता है कि ये प्रक्रिया धन-शक्ति, गुंडा-शक्ति या मीडिया-शक्ति से प्रभावित नहीं होगा |
(1.4) ‘जनता की आवाज `-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) का एक लाइन में सार |
‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) का एक लाइन में सार इस प्रकार है — यदि कोई नागरिक चाहे तो कलेक्टर, जनता की शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव को, शुल्क / फीस लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।
शब्द ‘सूचना का अधिकार आवेदन पत्र, भ्रष्टाचार के विरूद्ध शिकायत, कोई शपथपत्र’ केवल शिकायत शब्द को ही दोहराता है। और शिकायत पर हाँ दर्ज कराने की नागरिक को अनुमति / परमिशन देना केवल इसलिए है कि यदि दस हजार नागरिकों की शिकायत एक ही है तो सभी दस हजार लोगों को कलेक्टर के कार्यालय में जाने और प्रति पेज/पृष्ठ 20 रूपए का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है — केवल एक व्यक्ति को कलेक्टर के कार्यालय में जाने की जरुरत होगी और शेष व्यक्ति उसी शिकायत को स्थानीय तलाटी अथवा पटवारी के कार्यालय में मात्र 3 रूपए का भुगतान करके जमा कर सकते हैं। इस तरह धारा 3, धारा 1 का मात्र पुन:कथन / दोहराना है। और प्रधानमंत्री की वेवसाइट पर जवाब डालना फिर से खण्ड/धारा 1 का पुनर्कथन / दोहराना है ।
(1.5) ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` के धारा 1 के बारे में कुछ और बातें |
‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के खण्ड 1 में यह लिखा है कि ‘’राष्ट्रपति, कलेक्टर को आदेश दे कि: यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने जिले में शिकायत—— ’’ —— यहाँ क्यों महिला मतदाता, दलित मतदाता, गरीब मतदाता लिखा है, जबकि केवल कोई भी मतदाता कहना काफी होता ? ऐसा इसलिए क्योंकि यदि कोई खंड/धारा 1 का विरोध करता है तो जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का कोई समर्थक उसे आसानी से महिला विरोधी, दलित विरोधी, गरीब विरोधी, किसान विरोधी आदि की छवि वाला बता सकता है। और भारत में बहुत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं, नेताओं के पास महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, गरीबों आदि का रक्षक बनने में महारत हासिल है।
और यदि ये कार्यकर्ता नेता ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के खण्ड/धारा 1 का विरोध करते हैं तो ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के समथर्क इन्हें आसानी से महिला विरोधी, दलित विरोधी अदि की छविवाला बता देंगें। इससे ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के समर्थक उन्हें शांत कराने में सफल हो सकेंगे।
(1.6) ये तीन लाइन का सरकारी आदेश आम जनता को पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव डालने का अधिकार देगा |
`पारदर्शी` को हम परिभाषित करेंगे कि वो शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव जो कभी भी , कहीं भी और किसी के भी द्वारा दृश्य हो और जाँची जा सके , ताकि कोई भी नेता ,कोई भी बाबू , कोई भी जज ,मीडिया उसे दबा न सके |
आज यदि आप के यहाँ कोई भ्रष्ट मंत्री है और आप और लाखों लोग चाहते हों कि प्रधान मंत्री उसपर कार्यवाई करके उसको निकाल दे , तो आप क्या करेंगे?
एक तरीका तो ये है कि आप या तो आंदोलन/धरना कर सकते हैं | मीडिया जो 80% बिका हुआ है आपका साथ नहीं देगा और पोलिस के डंडे भी खाना पड़ेगा वो अलग से| लाखों आम लोग पहले तो आपनी रोजी-रोटी त्याग कर धरना कर नहीं सकते, कुछ हज़ारो लोग आयेंगे लेकिन कुछ दिनों बाद वे भी लौट जाएँगे और पोलिस की मार लोगों की संख्या जो धरने पर हैं को और कम कर देगी |
दूसरा तरीका ये कि आप प्रधान मंत्री को पत्र लिखें लेकिन चूँकि प्रधानमंत्री, अफसर आदि क्योंकि भ्रष्ट होते हैं , वे `बोलेंगे कि पत्र मिला नहीं `या उसमें जो लिखा हुआ है उसको आसानी से छेड़छाड़ कर सकते हैं| यदि लाखों करोड़ों लोग हस्ताक्षर अभियान भी चलायें, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री हस्ताक्षरों को `जाली` करार कर उसको अविश्वसनीय कह देते हैं (इसका कारण ये है कि हमारे देश में नागरिकों के सही का सरकार के पास कोई रिकार्ड नहीं है ताकि उनकी जांच की जा सके)और उसको दबा देते हैं | पोलिस अक्सरवाले एफ.आई.आर भी नहीं लिखते क्योंकि मंत्री की उनके साथ पहचान आम नागरिक से कहीं ज्यादा होती है |
लेकिन जनता की आवाज़/पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के अनुसार, यदि आपको मंत्री के विरुद्ध शिकायत है तो आपको कलेक्टर के दफ्तर जाना होगा, वहाँ क्लर्क उसको स्कैन कर लेगा| एक-एक शब्द प्रधानमन्त्री के वेबसाइट पर आ जायेगा | अब क्योंकि पूरे विश्व में लाखों-करोड़ों लोग इस वेबसाइट को देख सकते हैं चौबीसों घंटा तो इसके साथ छेड़छाड़ करना असंभव है | और लाखों-करोडों समर्थक पटवारी के दफ्तर जाकर आपकी उस खरी शिकायत का समर्थन कर सकते हैं और जांच के दृष्टि से उनका वोटर आई.डी के विवरण और अँगुलियों की छाप ली जायेगी और ये सब जानकारी प्रधान मंत्री के वेबसाइट पर जाएँगे | इस तरह शिकायत के समर्थकों की संख्या को अविश्वसनीय नहीं कहा जा सकता बल्कि इस प्रकार से पारदर्शी शिकायत करने पर समाचार पत्र और टी. वी चैनल भी इसको नज़रअंदाज नहीं कर सकते, अन्यथा उनकी ही विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लोग करेंगे, इसीलिए उनको ये समाचार देना होगा और ये शिकायत देश के कोने कोने तक पहुँच जायेगा और शिकायत के समर्थक देशभर के सांसद और अन्य जानी-मानी हस्तियों को बार-बार प्रश्न करेंगे कि उस सच्ची शिकायत का क्या हुआ और नाक में दम कर देंगे ?
सांसद भी शिकायत को नजरंदाज नहीं कर सकेंगे क्योंकि इसका प्रमाण रहेगा कि लाखों-करोड़ों व्यक्ति उस शिकायत का समर्थन कर रहे हैं और ये बात कभी भी जाँची जा सकती है, किसी के द्वारा क्योकि वेबसाइट पर समर्थकों के अंगुली के छाप और वोटर आई.डी के विवरण तो रहेंगे | इस प्रकार सांसदों पर दबाव पड़ेगा और सांसदों के द्वारा प्रधान मंत्री पर | ऐसे में प्रधानमन्त्री को कार्यवाई करनी ही होगी और यदि शिकायत सही पायी गयी तो मंत्री को निकालना होगा|
इस प्रकार से डाली गयी शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव जो लाखों-करोडों द्वारा समर्थित है को दबाना असंभव है और नेता, अफसर पर जनता का दबाव द्वारा जनता अपना कहा मनवा सकती है | लाखों-करोड़ों समर्थकों के हर व्यक्ति को मालूम रहेगा और देख भी दकेगा कि उसके साथ लाखों-करोड़ों व्यक्ति है और इससे उसको और शिकायत को बल मिलेगा |
इस सिस्टम के आने से हर नागरिक एक रिपोर्टर बन सकता है और कोई समाचार दे सकता है और दूसरे नागरिक इसको पढकर और समर्थन दे कर इसको फैला सकते है जिससे सही ,निष्पक्ष और विश्वनीय समाचार अधिक आयेंगे जबकि आज मीडिया समाचार पक्षीय और झूटे समाचार देती है| आज मीडिया वो ही समाचार देती है जिसके लिए उसको पैसे दिए जाता हैं या उसके समर्थक और उनको पूंजी देने वाले बहु-राष्ट्रिय कंपनी वर्ग के हित के हों | (मीडिया को सुधरने के अन्य सुझाव अध्याय 44.33 और 44.34 में देखें)
मैं ये बताता हूँ कि क्यों कुछ लोग `जनता की आवाज़-पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम)` का विरोध करते हैं| वो इसीलिए कि `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` हम आम नागरिकों को दूसरे नागरिकों के समक्ष अपने विचार रखने देता है , मीडिया और विशिष्टवर्ग के लोगों को दरकिनार/बाई-पास कर के | ये हमारी एकता को साबित करने की क्षमता को मजबूत करेगा , जब हम एक हों, और विशिष्ट वर्ग के लोगों को “ हम आम नागरिकों में बटवारा/विभाजन की गलत धारणा/गलत-फहमी पैदा व हम आम नागरिकों पर शाशन करने ” करने की क्षमता को कम करेगा |
`पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` दलितों, गरीबों, महिलाएं , किसान, मजदूर, आदि को अपनी शिकायत पारदर्शी तरीके (जो हमेशा जाँची और देखी जा सके) से, प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखने देता है | और इसीलिए दलित-विरोधी, गरीब-विरोधी, मैला-विरोधी, किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी, इस प्रस्तावित `पारदर्शी शिकायत प्रणाली (सिस्टम)` सरकारी अधिसूचना के क़ानून-ड्राफ्ट से नफरत करते हैं |
पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए www.righttorecall.info/004.h.pdf पर देखें|
क्या यह इतना ही है?
जी हाँ , ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) इतना ही है। और कुछ नहीं। अब प्रश्न ये उठता है : ये सिर्फ 3 पंक्ति/लाइन का कानून गरीबी और भूखमरी की भयंकर समस्या का समाधान कैसे कर सकता है ? कैसे यह कानून उतना ही भयंकर भ्रष्टाचार की समस्या को पुलिसवालों/न्यायाधीशों के बीच से ख़त्म कर सकता है ? कैसे यह और भी समस्यों को समाप्त कर सकता है जैसा कि मैं दावा करता हूँ ?
(1.7) तो कैसे ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` गरीबी को 3-4 महीने में कम कर देगा? |
जब मैंने कहा कि 3 लाइन का कानून गरीबी और भ्रष्टाचार को 4 महीने में कम कर सकता है, तो आपको अवश्य यह मजाक या झूठ लगा होगा और मैं इसके लिए आपको कसूरवार नहीं ठहराऊंगा। और अब इन तीन पंक्ति/लाइन को पढ़ने के बाद, आप अवश्य अत्यंत परेशान होंगे कि कैसे मासूम सा दिखने वाला यह तीन पंक्ति/लाइन बदलाव लाएगा। आखिरकार ‘जनता की आवाज` में यही उल्लेख है – लोगों को अपनी शिकायत प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखने दें यदि वे ऐसा चाहते हैं। ये आखिरकार क्या बदलाव ला सकता है?
जिस दिन प्रधानमंत्री ‘जनता की आवाज`पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर कर देंगे, मैं करीब 200 शपथपत्र/एफिडेविट उनके सामने रखूँगा। इन सभी शपथपत्रों के प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट मेरी वेबसाइट http://righttorecall.info पर दिए गए हैं और कुछ शपथपत्रों के संक्षिप्त विवरण इस घोषणा पत्र में दिए गए हैं। अपने पहले शपथपत्र/एफिडेविट को मैं कहता हूँ — नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) ये नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) शपथपत्र/एफिडेविट 6 पृष्ठों का प्रस्तावित कानून है जो पांचवे अध्याय में है और जिसका शीर्षक है — “नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM)”। यह प्रस्तावित — नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट एक ऐसी प्रशासनिक व्यस्था बनाती है जिसके द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को सीधे ही खनिजों की रॉयल्टी और भारत सरकार के प्लॉटों से भूमि का किराया मिले। उदाहरण के लिए, मान लें नवम्बर 2010 में खनिजों की रॉयल्टी और सरकारी प्लॉटों का किराया 60,000 करोड़ रूपए था।
तो प्रस्तावित नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) कानून के अनुसार 20,000 करोड़ रूपए सेना को जायेंगे और बचे हुए 40,000 करोड़ रूपए में से प्रत्येक नागरिक को 400 रूपए मिलेंगे जो उसके पोस्ट ऑफिस खाते या भारतीय स्टेट बैंक के खाते में जमा हो जायेंगे। क्या 75 करोड़ मतदाताओं में नकद पैसा वितरित करना इतना कठिन है? नहीं, ऐसा नहीं है। यदि भारत का प्रत्येक वयस्क मतदाता महीने में एक बार अपने बैंक में पैसा निकलने जाये तो हमें केवल एक लाख क्लर्क की आवश्यकता पड़ेगी। क्या एक लाख क्लर्क इतनी बड़ी संख्या है? नहीं। क्योंकि वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक में 300,000 स्टॉफ हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कुल मिलाकर 6000,000 से अधिक स्टॉफ हैं। तो नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) क़ानून-ड्राफ्ट को सहायता देने के लिए जितने स्टॉफ चाहिएं वह बहुत ज्यादा नहीं है। प्रस्तावित नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) सरकारी अधिसूचना में मुख्य अधिकारी को वापस बुलाने का अधिकार शामिल है जो यह सुनिश्चित करता है कि भ्रष्टाचार कम से कम हो। आगे छठे अध्याय में उल्लिखित 7-8 पृष्ठ के प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट में पूरा विवरण दिया गया है।
अब मैं पाठकों से कुछ प्रश्न करूंगा। कृपया इन प्रश्नों के उत्तर देने के बाद ही इस पाठ को आगे पढ़ें। प्रश्नों की पृष्ठभूमि की जानकारी इस प्रकार है:
1 मान लें कि नागरिकों ने प्रधानमंत्री को ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) कानून पर हस्ताक्षर करने पर बाध्य कर दिया है।
2 मान लें कि किसी ने नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी शपथपत्र/एफिडेविट प्रस्तुत किया है जिसमें यह उल्लेख है कि खनिज रॉयल्टी और भूमि का किराया सीधे ही जनता को मिलना चाहिए।
3 अब बाद के एक पाठ में, मैने यह बताया है कि कैसे भारत के 72 करोड़ नागरिकों को प्रस्तावित गरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) एफिडेविट के बारे में एक महीने के अन्दर पता चल जायेगा।
4 करोड़ भारत के 72 करोड़ वयस्क नागरिकों में से, इस प्रश्न के प्रयोजन के लिए, कृपया आर्थिक रूप से सबसे पिछडे़ 80 प्रतिशत लोग अर्थात भारत में आर्थिक रूप से सबसे पिछडे़ 55 करोड़ वयस्क भारत के नागरिकों की सोचिए जो बड़ी कठिनाई से 50 रूपए प्रतिदिन कमा पाते हैं।
आप पाठकों से मेरा पहला प्रश्न है : इन 55 करोड़ नागरिक मतदाताओं, जो एक दिन में 50 रुपए बड़ी कठिनाई से कमा पाते हैं, में से कितने लोग कहेंगे —- मुझे प्रति व्यक्ति प्रति महीने ये 400 रूपए या चाहे जितनी भी राशि हो, नहीं चाहिए और ये पैसा भारत सरकार के खाते में जाने दें ?
कृपया उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही आगे पढ़े।
मेरा उत्तर है – 5 प्रतिशत से भी कम लोग ! ये कहेंगे कि मुझे ये 200 रूपए प्रति व्यक्ति प्रति माह नहीं चाहिए। इसलिए 72 करोड़ वयस्क नागरिकों में से सबसे नीचे के 55 करोड़ नागरिकों में से ज्यादातर लोगों की एक ही सोच होगी – मेरा क्या जाएगा? मात्र 3 रूपए। (सूचना का अधिकार प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का खण्ड/कलम 2 देखें) और कुछ नहीं। और अगर भाग्य ने साथ दिया तो मुझे प्रति आदमी प्रति माह 400 रूपए मिलेंगे। आपका इस पहले प्रश्न का क्या उत्तर है? आपकी राय में सबसे नीचे के 55 करोड़ लोगों में से कितने नागरिक कहेंगे कि मुझे यह खनिज रॉयल्टी और भूमि के किराए का पैसा नहीं चाहिए?
अब पाठकों से मेरा एक और प्रश्न है। इस प्रश्न के लिए पृष्ठभूमि की जानकारी इस प्रकार है:
- मान लें कि प्रधानमंत्री को ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून पर हस्ताक्षर करने पर बाध्य कर दिया गया है।
- मान लें किसी ने नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) शपथपत्र/एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया और 50 करोड़ नागरिकों ने इसपर हाँ दर्ज करा दी।
पाठकों से मेरा दूसरा प्रश्न है क्या आप समझते हैं कि प्रधानमंत्री यह करने का साहस करेंगे कि मैं प्रस्तावित नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) कानून पर हस्ताक्षर नहीं करूंगा अर्थात क्या कोई प्रधानमंत्री पचास करोड़ या उससे अधिक नागरिकों से प्राप्त हाँ को न मानने/अस्वीकार करने का साहस करेगा ? फिर से अनुरोध है कि कृपया उपर उल्लिखित प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही आगे पढ़ें।
जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप के खण्ड/कलम 3 को कृपया फिर से पढ़ें। इस कलम में साफ-साफ लिखा है कि सभी 72 करोड़ नागरिक मतदाताओं द्वारा किसी शपथपत्र/एफिडेविट पर हाँ दर्ज कर दिया जाता है तब भी प्रधानमंत्री को एफिडेविट में प्रस्तावित कानून पर हस्ताक्षर करने की बिलकुल जरूरत नहीं है। हाँ/ना संख्या प्रधानमन्त्री पर बाध्य नहीं है |प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम है |
लेकिन किसी भी प्रधान मंत्री में इतना साहस नहीं होगा कि वह पचास करोड़ नागरिक मतदाताओं को मना कर दे। इसलिए मेरा उत्तर है — प्रधानमंत्री नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) कानून पर हस्ताक्षर करेंगे। क्यों? इसलिए कि प्रत्येक नागरिक जिसने हाँ दर्ज किया है वह जानता है कि उसके पचास करोड़ साथी नागरिक उसकी मांग का समर्थन कर रहे हैं और इसलिए उनमें से प्रत्येक खुले तौर पर उस रूप में प्रधानमंत्री का विरोध करेगा जिस रूप में वह उचित समझता है और प्रधानमंत्री जानते हैं कि नागरिकगण विरोध प्रदर्शन करेंगे और वे यह भी जानते हैं कि उनके पचास लाख पुलिसकर्मी इतने अधिक नागरिकों को नहीं रोक सकते। इसलिए डर के मारे प्रधानमंत्री इतने अधिक नागरिकों की अनदेखी करने का साहस नहीं करेंगे।
इसलिए ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) कानून के आ जाने के एक-दो तीन महीने के भीतर ही नागरिकगण प्रधानमंत्री को नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) कानून पर हस्ताक्षर करने पर बाध्य करने में समर्थ होंगे और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) कानून पर हस्ताक्षर करने के एक दो महीने के भीतर ही नागरिकगण भारत सरकार के प्लॉटों से भूमि का किराया और खनिज रॉयल्टी प्राप्त करने लगेंगे और इस प्रकार गरीबी कम हो जाएगी। बाद में सुझाए गए संपत्ति- कर सुधारों से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि होगी और गरीबी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी । इन कर सुधारों का इस किताब के चैप्टर 25 में विस्तार से उल्लेख किया गया है।
यही वह स्थान है जहाँ ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट के एफिडेविट की शक्ति उभरकर सामने आती है। ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) गरीबी कम नहीं करती है लेकिन ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के बिना प्रधानमंत्री कभी भी नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम.आर.सी.एम) पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे क्योंकि वे और सांसदगण खनिज रॉयल्टी को हड़पना जानते हैं।
लेकिन यदि ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली आता है जो प्रधानमंत्री नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम.आर.सी.एम) पर हस्ताक्षर करने को बाध्य होंगे। ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कैसे बदलाव ला रही है? ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का खण्ड / धारा 2 नागरिकों को यह अनुमति देता है कि वे खंड/कलम 1 में प्रस्तुत किए गए प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हाँ दर्ज करें और यही खण्ड / धारा 2 नागरिकों को यह भी बताता है कि करोड़ों नागरिक उनके साथ हैं।
नागरिकों के लिए तब बदलाव लाना आसान हो जाता है जब करोड़ों सहमत हों और ये करोड़ों नागरिक जानते हैं कि करोड़ों लोग उनके साथ हैं । वे अकेला महसूस नहीं करेंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई व्यक्ति भीड़ में ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है। ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) नागरिक मतदाताओं को तब और अधिक शक्तिशाली बना देता है जब बहुमत का समर्थन साबित हो गया हो।
(1.8) करोड़ों नागरिकों को यह कैसे पता चलेगा कि `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी`(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) शपथपत्र / एफिडेविट प्रस्तुत हो गया है? |
मैं आपको पहले एक सच्ची घटना बताता हूँ। वर्ष 2002 में, भारत सरकार ने एक योजना बनायीं कि प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जिसकी वार्षिक आय 50,000 रुपए से कम है उन्हें हर महीने 200 रूपए मिलेंगे। भारत सरकार ने इस योजना का प्रचार टीवी, समाचारपत्र, रेडियो कहीं भी नहीं किया। फिर भी लगभग 10 महीने की छोटी समय अवधि में ही लगभग हर पात्र वरिष्ठ नागरिक का नाम इस योजना में दर्ज हो चुका था। यह बात कैसे फैली? जब कोई बात लोगों के तत्काल, निजी और सीधे हित से जुड़ी होती है तो वह बात बिजली के करंट की तरह फैलती है।
एक बार नागरिकगण प्रधानमंत्री को जनता की आवाज(सूचना का अधिकार 2) पर हस्ताक्षर करने को बाध्य कर देते हैं और एक बार `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) एफिडेविट दाखिल हो गया तो `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) एफिडेविट भी उतनी ही तेजी से फैलेगा क्योंकि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) में लोगों का अपना सीधा, तत्काल और निजी हित है। एक नागरिक को सिर्फ इतना भर करना है – पटवारी के कार्यालय में 10-15 मिनट के लिए जायें और 3 रूपए शुल्क जमा करें। और चूंकि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) इन लोगो का अपना सीधा और तत्काल हित में है, वह ज्यादा से ज्यादा पड़ोसियों, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि को इसके बारे में बताएँगे। इस तरह नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` (एम.आर,सी.एम) की बात करोड़ों नागरिकों तक कुछ ही दिनों के भीतर पहुंच जायेगी|
(1.9) जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ) सरकारी-आदेश कानून पुलिस में भ्रष्टाचार को कम कैसे करेगा? |
अब पाठकों से मेरा तीसरा प्रश्न है:- अमेरिका के पुलिसवालों में भ्रष्टाचार क्यों कम है? एक और केवल एक कारण कि अमेरिका के पुलिसवालों में भ्रष्टाचार कम है, वह यह है कि अमेरिका के नागरिकों के पास अपने जिले के जिला पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) को हटाने की प्रक्रिया है, इसलिए अमेरिका में जिला पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) बहुत कम घूस लेता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि छोटे/कनिष्ठ अधिकारी बहुत ज्यादा घूस न ले। अगर अमेरिका में किसी पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) को यह पता चलता है कि उसका कोई कनिष्ठ अधिकारी घूस ले रहा है तो वो उसके खिलाफ तत्काल स्टिंग आपरेशन करवाता है, साक्ष्य इकट्ठे करता है और उसे निकाल देता है क्योंकि उसे डर है कि अगर उसके नीचे काम कर रहे अधिकारी घूस लेने लगें तो नागरिक उसे निकल भी सकते हैं।
लेकिन भारत में , नागरिकों के पास पुलिस प्रमुख को हटाने की ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है। और इसलिए यहाँ पुलिस का उच्च अधिकारी न केवल घूस लेता है बल्कि वह अपने कनिष्ठ अधिकारयों से भी ज्यादा से ज्यादा घूस वसूलने को कहता है। एक ठेठ (टिपिकल) पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) अपने कनिष्ठ अधिकारियों द्वारा जमा किए गए घूस का आधा हिस्सा खुद रख लेता है और शेष आधे हिस्से को विधायकों, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को देता है। मैंने अध्याय 2 में इसका विवरण दिया है।
अब मैंने प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना का एक प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट अध्याय 22 में तैयार किया है जो मुख्यामंत्री द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक प्रक्रिया सृजित करेगी जिसके द्वारा जिले के लोग जिला पुलिस कमिशनर को निकालने में समर्थ हो सकेंगे, यदि वे ऐसा चाहें। मैंने इस प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट को ‘प्रजा अधीन पुलिस कमिश्नर (पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) को वापस बुलाने का अधिकार) नाम दिया है। यह प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट हमारे संविधान के 33 दर्जन अनुच्छेदों में से प्रत्येक के साथ और मौजूदा सभी कानूनों के साथ शत-प्रतिशत संगत है। इस प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का विवरण इस पुस्तक में ”पुलिस सुधार” से संबंधित अध्याय 22 में दिया गया है।
अब पाठकों से मेरा चौथा प्रश्न है: क्या भारत का कोई भी मौजूदा मुख्यमंत्री, चाहे वह कांग्रेस की शीला दीक्षित हो, या बीजेपी के मोदी हों, या सीपीएम के भट्टाचार्य हो, या डी एम के के करूणानिधि हों, क्या आज जिला पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) को बदलने के लिए जनता को समर्थ बनाने वाले किसी कानून पर कभी हस्ताक्षर करेंगे? मेरा अनुमान है — नहीं। क्योंकि यदि नागरिकों को जिला पुलिस आयुक्त/कमिश्नर को हटाने की प्रक्रिया मिल जाती है तो कमिश्नर डर जाएंगे और अपनी मासिक घूस वसूली को 1 करोड़ से कम करके मात्र एक लाख रूपए कर देंगे। और तब उस स्थिति में पुलिस आयुक्त/कमिश्नर जो मासिक हफ्ता विधायक, गृहमंत्री, और मुख्य मंत्री को देते हैं वह भी कम होकर 50 लाख रूपए से मात्र 50 हजार रूपए हो जाएगा। और इसलिए वर्तमान विधायक, मुख्य मंत्री आदि भी एक ऐसा कानून लागू करने से मना कर देंगे जो हम आम लोगों को जिला पुलिस कमिश्नर को बदलने की अनुमति देता हो।
लेकिन स्थिति तब बदलती है जब हम नागरिकगण किसी प्रकार प्रधानमंत्री को प्रस्तावित ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) – सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर दें। मान लीजिए, नागरिकों ने प्रधानमंत्री को प्रस्तावित ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) – सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर दिया। तो कोई व्यक्ति जिला पुलिस कमिश्नर को वापस बुलाने का शपथपत्र/एफिडेविट दाखिल करेगा। ज्यादातर नागरिक यह सोचेंगे “यदि यह जिला पुलिस कमिश्नर को वापस बुलाने (हटाने) का शपथपत्र/एफिडेविट पुलिस में भ्रष्टाचार को 5 प्रतिशत तक भी कम कर देता है तो मेरा तीन रूपया खर्च करना सार्थक है।” और सबसे बड़ा कारण जो नागरिकों को जिला पुलिस कमिश्नर को वापस बुलाना पर हाँ दर्ज करने के लिए प्रेरित करेगा वह है – पुलिसवालों में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरूद्ध घृणा।
पुलिसवाले एक महीने में लाखों रूपए बनाते हैं जबकि एक आम आदमी एक महीने में मात्र कुछ हजार ही कमा पाता है और वह भी कड़ी मेहनत के बाद। इसलिए यदि राज्य के 70 से 80 प्रतिशत नागरिक ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) के धारा 2 का प्रयोग करके हाँ दर्ज करवाते हैं तो मुख्य मंत्री डर के मारे झुक जाएगा, अपनी दिखावे की हेकड़ी छोड़ देगा और प्रजा अधीन पुलिस कमिश्नर (जिला पुलिस आयुक्त/कमिश्नर को वापस बुलाना) कानून पर हस्ताक्षर कर देगा। किसी सरकारी अधिकारी अथवा न्यायाधीश के अन्दर नौकरी जाने का डर सबसे अधिक होता है। इसलिए जनता द्वारा जिला पुलिस कमिश्नर को हटाने की प्रक्रिया प्राप्त कर लेने के 14 दिनों के अन्दर पुलिस कमिश्नर के साथ साथ अन्य पुलिसवालों में भ्रष्टाचार 99 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। इस प्रकार ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के पारित/पास हो जाने के तीन महीने के भीतर ही पुलिसवालों में भ्रष्टाचार लगभग समाप्त हो जाएगा।
पुलिस प्रमुख को वापस बुलाने का अधिकार तो केवल एक शुरुआत भर है। इसके बाद वह प्रक्रिया आती है जिसके द्वारा हम आम लोग प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्री, विधायकों, सांसदों, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, रिजर्व बैंक के गवर्नर, स्टेट बैंक के अध्यक्ष, जिला शिक्षा अधिकारी, महापौर/मेयर, और राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों के 251 पदों के अधिकारियों को बदल सकेंगे। वापस बुलाने के किस कानून का, आप समझते हैं कि जनता विरोध करेगी? मेरा उत्तर है – एक भी नहीं। इसलिए ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) के पारित/पास होने के बाद, इस बात की बहुत अधिक उम्मीद है कि छह महीनों के भीतर नागरिकगण प्रधानमंत्री को बाध्य कर देंगे कि वह 251 से भी अधिक पदों के लिए बदलने की प्रक्रिया को लागू कर दे। और इस प्रकार इन सभी पदों से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा।
(1.10) राज्य स्तर के ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की मांग मुख्यमंत्री से करना |
यह सुनिश्चित करके कि मुख्यमंत्री निम्नलिखित सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर कर दे, नागरिकों को राज्य स्तर पर ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) मिल जाएगा । अब यदि नागरिकगण राष्ट्रीय स्तर के ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री को बाध्य कर सके तो यह राज्य स्तर के ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) की आवश्यकता बिलकुल नहीं होगी।
# | अधिकारी | प्रक्रिया |
1 | जिला कलेक्टर (अथवा उसका क्लर्क) | राज्यपाल कलेक्टर को आदेश दें : यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता कलेक्टर को कोई सूचना का अधिकार आवेदन पत्र प्रस्तुत करता है अथवा किसी भ्रष्टाचार की शिकायत करता है या कलेक्टर को कोई शपथपत्र/एफिडेविट देता है और प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डालने का अनुरोध करता है तो वह कलेक्टर या उसका क्लर्क एक सीरियल नंबर जारी करे और शपथपत्र/एफिडेविट को मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर 20 रूपए प्रति पेज का शुल्क लेकर डाल दे। |
2 | तलाटी, पटवारी, ग्राम अधिकारी (अथवा उसका क्लर्क) | राज्यपाल पटवारी को आदेश दे : यदि कोई महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आई डी(पहचान पत्र) के साथ आये और सूचना का अधिकार आवेदन पत्र पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए अथवा खण्ड/कलम 1 में शिकायत अथवा कोई शपथपत्र/एफिडेविट दर्ज कराए तब तलाटी मुख्य मंत्री की वेबसाइट पर उसकी हाँ या ना उसके वोटर आई कार्ड (संख्या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) रसीद दे। तलाटी नागरिक को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्क देकर बदल सकता है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले/बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क एक रूपए होगा। |
3 | ( सभी नागरिकों, अधिकारियों, मंत्रियों के लिए) | यह कोई जनमत संग्रह प्रक्रिया नहीं है। हाँ या ना की यह गिनती प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारियों, न्यायाधीशों आदि के लिए कोई बाध्य नहीं होगा । यदि XXX करोड़ से अधिक महिला मतदाता, दलित मतदाता, वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या XXX करोड़ भारतीय मतदाताओं में से कोई भी नागरिक मतदाता किसी दिए गए शपथपत्र/एफिडेविट पर हाँ दर्ज करे, तब मुख्य मंत्री उस सूचना का अधिकार आवेदन पत्र शपथपत्र/एफिडेविट पर आवश्यक कार्रवाई कर सकता है अथवा उसे ऐसी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है ; अथवा मुख्य मंत्री इस्तीफा दे भी सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है। मुख्य मंत्री का निर्णय अंतिम होगा। |
उपर्युक्त प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट में XXX मतदाता उस राज्य की जनसंख्या का 51 प्रतिशत के बराबर है
(1.11) शहर के महापौर/मेयर से नगर स्तरीय ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की मांग करना |
यह सुनिश्चित करके कि महापौर/मेयर निम्नलिखित सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर कर दे, नागरिकों के पास नगर स्तरीय ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का अधिकार मिल जाएगा। अब यदि नागरिक राष्ट्रीय स्तर पर ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पर हस्ताक्षर करने को बाध्य कर सकें, अथवा राज्य स्तर पर ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पर हस्ताक्षर करने के लिए मुख्यमंत्री को बाध्य कर दे तो नगर स्तर पर इस ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) की बिलकुल आवश्यकता नहीं पड़ेगी। लेकिन यदि नागरिकगण अब तक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को बाध्य न कर पाए हों तो महापौर/मेयर को निम्नलिखित कानून पर हस्ताक्षर करने का बाध्य करना बुरा विचार नहीं होगा।
# | अधिकारी | प्रक्रिया |
1 | नगरपालिका आयुक्त (कमिश्नर) (अथवा उसका क्लर्क) | महापौर/मेयर नगरपालिका आयुक्त (कमिश्नर) को आदेश देंगे : यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता कलेक्टर को कोई सूचना का अधिकार आवेदन पत्र प्रस्तुत करता है अथवा किसी भ्रष्टाचार की शिकायत करता है या महापौर/मेयर को कोई शपथपत्र/एफिडेविट देता है और महापौर/मेयर की वेबसाइट पर डालने का अनुरोध करता है तो वह महापौर/मेयर या उसका क्लर्क एक सीरियल नंबर जारी करे और शपथपत्र/एफिडेविट को महापौर/मेयर की वेबसाइट पर 20 रूपए प्रति पेज का शुल्क लेकर डाल दे। |
2 | नागरिक केन्द्र क्लर्क | महापौर/मेयर नगरपालिका आयुक्त (कमिश्नर) से नागरिक केन्द्र के क्लर्क को आदेश देने को कहेगा : यदि कोई महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आई डी(पहचान पत्र) के साथ आये और सूचना का अधिकार आवेदन पत्र पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए अथवा खण्ड/कलम 1 में शिकायत अथवा कोई शपथपत्र/एफिडेविट दर्ज कराए तब नागरिक केन्द्र का क्लर्क उसे महापौर/मेयर की वेबसाइट पर उसकी हाँ या ना उसके वोटर आई कार्ड (संख्या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) रसीद दे। यह क्लर्क नागरिकों को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्क देकर बदल सकते हैं। बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क एक रूपए होगा। |
3 | ( सभी नागरिकों, अधिकारियों, मंत्रियों के लिए) | यह कोई जनमत संग्रह प्रक्रिया नहीं है। हाँ या ना की यह गिनती प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारियों, न्यायाधीशों आदि के लिए कोई बाध्य नहीं होगा। यदि XXX करोड़ से अधिक महिला मतदाता, दलित मतदाता, वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या XXX लाख नागरिक मतदाताओं में से कोई भी नागरिक मतदाता किसी दिए गए शपथपत्र/एफिडेविट पर हाँ दर्ज करे, तब मुख्य मंत्री उस सूचना का अधिकार आवेदन पत्र शपथपत्र/एफिडेविट पर आवश्यक कार्रवाई कर सकता है अथवा उसे ऐसी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है ; अथवा महापौर/मेयर इस्तीफा दे भी सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है। महापौर/मेयर का निर्णय अंतिम होगा। |
उपर्युक्त प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट में XXX मतदाता उस नगर की जनसंख्या का 51 प्रतिशत के बराबर है।
जिला पंचायत के लिए प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट प्राप्त करने हेतु कुछ शब्दों को बदल दें जैसे महापौर/मेयर शब्द को जिला पंचायत अधीक्षक और नगरपालिका कमिश्नर शब्द को समाहर्ता/कलेक्टर आदि से बदल दें।
(1.12) जिला पंचायत स्तर पर ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` का क़ानून-ड्राफ्ट |
मैं भारत के सभी नागरिकों से अनुरोध करता हूँ कि वे निम्नलिखित संकल्प को जिला पंचायत से पारित/पास कराने के बाद अपने जिला पंचायतों के अधीक्षक से इस पर हस्ताक्षर करने का दबाव डालें:
# | अधिकारी | प्रक्रिया |
1 | जिला कलेक्टर (अथवा उसका क्लर्क) | पंचायत जिलाधिकारी जिलाधिकारी/डी सी को कहे : यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता नगर आयुक्त/कमिश्नर को कोई सूचना का अधिकार आवेदन पत्र प्रस्तुत करता है अथवा किसी भ्रष्टाचार की शिकायत करता है या कोई शपथपत्र/एफिडेविट देता है और महापौर/मेयर की वेबसाइट पर डालने का अनुरोध करता है तो वह क्लर्क एक सीरियल नंबर जारी करे और एफिडेविट को महापौर/मेयर की वेबसाइट पर 20 रूपए प्रति पेज/पृष्ठ का शुल्क लेकर डाल दे। |
2 | पटवारी (अथवा तलाटी अथवा ग्राम अधिकारी) अथवा उसका क्लर्क | पंचायत पटवारी से कहेगा : यदि कोई महिला मतदाता या दलित मतदाता या गरीब मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आई डी(पहचान पत्र) के साथ आये और सूचना का अधिकार आवेदन पत्र पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए अथवा खण्ड/कलम 1 में शिकायत अथवा कोई शपथपत्र/एफिडेविट दर्ज कराए तब पटवारी उसे कलेक्टर की वेबसाइट पर उसकी हाँ या ना उसके वोटर आई कार्ड (संख्या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) रसीद दे। यह क्लर्क नागरिकों को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्क देकर बदल सकते हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क एक रूपए होगा। |
3 | नागरिक केन्द्र क्लर्क | महापौर/मेयर नगरपालिका आयुक्त (कमिश्नर) से नागरिक केन्द्र के क्लर्क को आदेश देने को कहेगा : यदि कोई महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आई डी(पहचान पत्र) के साथ आये और सूचना का अधिकार आवेदन पत्र पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए अथवा खण्ड/कलम 1 में शिकायत अथवा कोई शपथपत्र/एफिडेविट दर्ज कराए तब नागरिक केन्द्र का क्लर्क उसे महापौर/मेयर की वेबसाइट पर उसकी हाँ या ना उसके वोटर आई कार्ड (संख्या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) रसीद दे। यह क्लर्क नागरिकों को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्क देकर बदल सकते हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले/ बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क एक रूपए होगा। |
हाँ या ना की यह गिनती महापौर/मेयर अथवा अधिकारियों आदि के लिए कोई बाध्य नहीं होगा। अधीक्षक/अध्यक्ष सूचना का अधिकार आवेदन पत्र शपथपत्र/एफिडेविट पर आवश्यक कार्रवाई कर सकता है या नहीं भी कर सकता है ; और महापौर/मेयर इस्तीफा दे भी सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है। अधीक्षक का निर्णय अंतिम होगा। |
(1.13) जनहित याचिका / पी आई एल के माध्यम से `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) लाना |
जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के बारे में एक उपयोगी बात इसका सरल और लचीला होना है – अर्थात इसे एक विधान के रूप में अथवा सरकारी अधिसूचना(आदेश) के रूप में अथवा यहां तक कि इसे एक जनहित याचिका के रूप में रखा जा सकता है। वे लोग जो जनहित याचिका के बारे में उत्साही होते हैं वे जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून लागू करवाने के लिए जनहित याचिका फाइल कर सकते हैं। जनहित याचिका आवेदक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से निम्नलिखित आदेश जारी करने की मांग कर सकता है।
# | अधिकारी | प्रक्रिया |
1 | जिला न्यायालय का रजिस्ट्रार | उच्च न्यायालय जिला न्यायालयों के रजिस्ट्रार को आदेश दे: यदि कोई महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ/सीनियर नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता उच्च न्यायालय कोई जनहित याचिका और शपथपत्र/एफिडेविट 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पेज का शुल्क देकर प्रस्तुत करता है और जिला न्यायालय का रजिस्ट्रार शपथपत्र/एफिडेविट को उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर डाल देगा। |
2 | तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात ग्राम अधिकारी | उच्च न्यायालय प्रत्येक पटवारी को आदेश दे: यदि कोई महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ/सीनियर नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने वोटर आई डी / मतदाता पहचान पत्र के साथ आये और उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर डाले गए जनहित याचिका पर अपनी हाँ / ना दर्ज कराए तब तलाटी या उसका क्लर्क उसके हां – ना को उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उसके वोटर आई कार्ड (संख्या) के साथ दर्ज करे और 3 रूपए के शुल्क के बदले एक छपा हुआ (प्रिंटेड) पावती दे। यह क्लर्क नागरिकों को यह अनुमति भी दे कि वे अपनी हाँ या ना 3 रूपए के शुल्क देकर बदल सकता है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले (BPL) कार्डधारकों के लिए शुल्क एक रूपए होगा। |
3 | सभी नागरिकों को | यह कोई जनमत संग्रह की प्रक्रिया नहीं है। हाँ या ना की यह गिनती प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्री, अधिकारियों, न्यायाधीशों आदि के लिए कोई बाध्यता नहीं होगी। |
कोई भी व्यक्ति जनहित याचिका डालकर माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (किसी उच्चतम न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ) से ऊपर उल्लिखित जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार और तलाटी को आदेश जारी करने की मांग कर सकता है। यदि कोई माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अथवा किसी उच्चतम न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ऊपर किए गए उल्लेख के अनुसार आदेश पारित करता है तो चार महीने के भीतर गरीबी कम हो जाएगी और पुलिस, न्यायालय, शिक्षा आदि में भ्रष्टाचार लगभग शून्य के बराबर हो जाएगा।
(1.14) उन नेताओं, बुद्धिजीवियों की निंदा कैसे करें जो जनता की आवाज का विरोध करते हैं |
इसलिए, कुल मिलाकर, ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ इससे ज्यादा या कम कुछ नहीं कहता – कृपया किसी नागरिक को अनुमति दें, यदि वह अपनी शिकायत प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डालना चाहता हो।
अब यदि कोई नेता अथवा कोई बुद्धिजीवी किसी भी आधार पर ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के खण्ड/कलम 1 का विरोध करता है तो मेरे जैसा ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ का समर्थक यह कहते हुए उस नेता, बुद्धिजीवी को गाली दे सकता है: तुम नहीं चाहते हो कि महिला मतदाता, दलित मतदाता, गरीब मतदाता, वरिष्ठ/सीनियर नागरिक मतदाता, किसान, मजदूर आदि अपनी शिकायत प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डाले, क्यों? और मैं उसपर महिला विरोधी, दलित विरोधी, गरीब विरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी आदि होने का आरोप लगाते हुए उसकी निंदा कर सकता हूँ । यही कारण है कि आज तक सभी बुद्धिजीवी, नेता आदि ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का विरोध करते हैं लेकिन किसी भी नेता, बुद्धिजीवी ने ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का सार्वजनिक रूप से विरोध करने का साहस नहीं किया है।
इसलिए ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ समर्थक कार्यकर्ता को इसी बात की जरूरत है कि वह बुद्धिजीवियों, नेताओं से ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के खण्ड/कलम 1 से 3 पर अपना विचार सार्वजनिक रूप से देने को कहे और ये बुद्धिजीवी, नेता बेचैनी से हां,हूं करना शुरू कर देंगे। मैं ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ समर्थक कार्यकर्ता से अनुरोध करूंगा कि वे ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ पर खण्ड/कलम -वार चर्चा करे। कृपया बुद्धिजीवी से पुछिए: आप क्यों नागरिकों की किसी शिकायत को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर आने देने की पहल किए जाने से मना करते हैं अथवा आप क्यों ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ क़ानून-ड्राफ्ट के कलम-1 का विरोध करते हैं । यह उस नेता और बुद्धिजीवी को इस हद तक रक्षात्मक बना देगा जहां वह अपना बचाव बिलकुल नहीं कर सकता है।
बाद में उसकी चुप्पी अथवा ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ खण्ड/कलम -1 का समर्थन करने से मना करने को उस नेता, बुद्धिजीवी के समर्थकों को इस बात पर राजी करने में प्रयोग में लाया जा सकता है कि वह नेता, बुद्धिजीवी अमीरों का ऐजेंट है। कृपया ध्यान दें कि किसी नेता बुद्धिजीवी से बातचीत करने का प्रयोजन उसे इस बात पर मनाने का नहीं है कि ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ सही है क्योंकि धनवान लोगों का कोई ऐजेंट कभी सहमत नहीं होगा। बातचीत का उद्देश्य नेता, बुद्धिजीवी को उनके भक्त समर्थकों के सामने उस नेता की सच्चाई लाने की है कि वह नेता बुद्धिजीवी अमीरों का ऐजेंट है और गरीब समर्थक, आम आदमी समर्थक नहीं है।
इस प्रकार सच्चा राष्ट्रवादी आम-आदमी समर्थकों का हितैषी उस नेता बुद्धिजीवी का साथ छोड़ देगा और वह नेता, बुद्धिजीवी कमजोर हो जाएगा। और सच्चा राष्ट्रवादी और आम-आदमी समर्थकों का हितैषी ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ का समर्थक बन जाएगा। इसलिए, समय के साथ साथ वे लोग जो ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ का समर्थन करते हैं, उनकी संख्या बढ़ेगी और बुद्धिजीवियों, नेताओं जो ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ का विरोध करते हैं, वे कमजोर से कमजोर होते जाऐंगे।
इन कार्रवाइयों से इस बात की उम्मीद बढ़ेगी कि प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्री ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ पर हस्ताक्षर करने को बाध्य होंगे।
(1.15) ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) को लाने में आप कैसे मदद कर सकते हैं |
अध्याय 13, चालीस छोटे छोटे उपायों की सूची प्रस्तुत करता है जो आपका प्रति सप्ताह दो से चार घंटे से ज्यादा समय नहीं लेगा, चंदा/दान दिए बिना आपको भारत में ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) आदि क़ानून-ड्राफ्टों को लाने के उद्देश्य में मदद करेगा।
(1.16) किसी ने इस बारे में पहले क्यों नहीं सोचा ? |
नेता पूछ सकते हैं कि यदि यह तीन पंक्तियों का ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) कानून – क़ानून-ड्राफ्ट गरीबी कम कर सकता है तो पहले किसी ने इस बारे में क्यों नहीं सोचा? और यह सच्चाई कि किसी ने इस बारे में पहले कभी नहीं सोचा, इस बात को साबित नहीं करता कि ऐसा कानून हो ही नहीं सकता ?
समस्याओं के कई अन-देखे प्रतीक-चिन्ह हैं । उदाहरण के लिए रोमन और युनानवासियों ने शहरों और साम्राज्यों के लेखे रखे। ज्यामिति और तर्कशास्त्र में काफी प्रगति की लेकिन अंकगणित की खोज नहीं कर सके । इस प्रकार इनकास और माया ने कैलेण्डर बनाए, महल बनाए, पूल बनाए लेकिन पहले अंकगणित का शून्य की खोज नहीं कर सके थे । यह प्रस्तावित ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) क़ानून-ड्राफ्ट राजनैतिक अंकगणित का शून्य है । ठीक उसी प्रकार जैसे अंकगणित का शून्य सदियों तक खोजा नहीं जा सका, उसी प्रकार ऐसा हुआ है कि राजनीतिक अंकगणित का शून्य अबतक खोजा नहीं जा सका। इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
(1.17) कैसे ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम)’ राजनैतिक अंकगणित का शून्य है ? |
ठीक उसी प्रकार जैसे अंकगणित का शून्य अंकगणित में कठिन से कठिन सवाल को आसान कर देता है और गणित की अन्य शाखाओं में सुधार लाना संभव बना देता है। ठीक उसी प्रकार ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) अनेक कानूनों जैसे नागरिकों और सेना को खनिज रॉयल्टी (आमदनी) , प्रजा अधीन राजा/राइट टू (भ्रष्ट को बदलने) आदि को लागू करना मामूली रूप से आसान कर देता है । यह प्रस्तावित ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) उसी प्रकार कानून बनाने के राजनैतिक कार्य को आसान बना देता है जिस प्रकार शून्य आधारभूत अंकगणितीय प्रश्नों जैसे जोड़, घटाव ,गुणा और भाग को सरल बना देता है।
और ठीक उसी प्रकार जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग का सरलीकरण गणित की अन्य शाखाओं में प्रगति को कई गुना बढ़ाता है। उदाहरण के लिए XLVII और XXII को जोड़ने का प्रयास कीजिए और फिर 47 और 22 को जोड़ने का प्रयास कीजिए और आप देखेंगे कि कैसे शून्य के आविष्कार ( स्थान मूल्य और चेहरा मूल्य ) जोड़ को सरल कर देता है। और इसी प्रकार XLVII को XXII से गुणा करने का प्रयास कीजिए और 47 का 22 से गुणा कीजिए और इसके बाद XLV को IX से भाग दीजिए । और फिर 45 को 9 से भाग दीजिए। और ये तो केवल दो ही अंक वाले संख्या हैं। कृपया चार छह अंकों वाले रोमन संख्याओं और फिर दशमलव के साथ जोड़, घटाव, गुणा, भाग का प्रयास कीजिए।
‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ ठीक उसी प्रकार काम करता है जैसे अंकगणित में शून्य काम करता है। ये इस बात को सिद्ध करने अथवा सिद्ध नहीं करने के काम को आसान बनाता है कि क्या बहुमत किसी प्रस्ताव को पसन्द करेगी या इससे घृणा करेगी। और इस प्रकार यह नागरिकों के जरिए अधिकारियों पर नियंत्रण करने के कार्य को आसान बनाता है। राजनीति यह नहीं है कि कैसे शासक नागरिकों पर शासन करेगा, यह इस बारे में है कि नागरिकों के धन को हड़पे जाने से कैसे शासक को रोका जा सकता हैं। ‘जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) ’ इस अच्छी राजनीति को आसान बनाता है।
(1.18) सारांश |
मैं यह बता चुका हूँ कि कैसे सिर्फ 3 लाइनों का ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) कानून गरीबी, पुलिस में भ्रष्टाचार आदि को कम करेगा। इच्छुक अध्याय कों का पहले पृष्ठ/पेज पर दिए गए हमारे संपर्क संख्या का उपयोग करके हमसे संपर्क करने पर स्वागत है। और यदि आपको यह कानून पसंद आया है तो इस याचिका पर अवश्य हस्ताक्षर करें http://www.petitiononline.com/rti2en सबसे पहला और छोटा यह कदम इस ‘जनता की आवाज (सूचना का अधिकार 2)’ को पारित करवाने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। और इसके बाद अध्याय 13 जरूर पढ़े। इस अध्याय 13 में उन कार्यों की सूची दी गई है जिनका पालन एक कार्यकर्ता केवल प्रति सप्ताह अधिकतम दो से चार घंटे समय देकर इन कार्यो का अनुपालन कर सकता है। और यदि भारत भर में केवल 2 लाख लोग ही एक सप्ताह में एक बार इन कार्यो का अनुपालन करें तो भारत सुधर सकता है। कार्यों की सूची, कार्यों की सूची मात्र है जिसमें सिर्फ समय लगाना है और यह दान जमा करना बिलकुल ही नहीं है।